लेवल 2 अल्ट्रासाउंड कैसा दिखता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

एनॉमली स्कैन (टिफ्फा या अल्ट्रासाउंड लेवल II)
एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड लेवल II क्या होता है?
एनॉमली स्कैन को लेवल II स्कैन या टिफ्फा (टारगेटेड इमेजिंग फॉर फीटल एनॉमेलीज) स्कैन भी कहा जाता है। यह गर्भावस्था की दूसरी तिमाही का सबसे महत्वपूर्ण स्कैन होता है।

मध्य-गर्भावस्था के इस स्कैन में गर्भस्थ शिशु और आपके गर्भाशय की नजदीकी जांच की जाती है। यह स्कैन 18 से 20 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच किया जाता है।

इस स्कैन का मुख्य मकसद यह जांचना है कि शिशु का विकास सही ढंग से हो रहा है या नहीं और अपरा (प्लेसेंटा) कहां पर स्थित है।

अपने शिशु को स्क्रीन पर देखना एक अविस्मरणीय अनुभव है। यह अनुभव साझा करने के लिए आप अपने पति, परिवार के एक सदस्य या आपके बड़े बच्चे को साथ ले जा सकती हैं।
हालांकि, अल्ट्रासाउंड के लिए अप्वाइंटमेंट लेते समय इस बारे में पूछ लें। कुछ जगहों पर परिवार के सदस्य या साथ में आए व्यक्ति को अल्ट्रासाउंड रूम में जाने की अनुमति शायद न हो।
मुझे एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड लेवल II की जरुरत क्यों है?
आप गर्भावस्था का आधा चरण पार कर चुकी हैं और इस समय तक आपके शिशु के अधिकांश जरुरी अंग विकसित हो चुके हैं। सभी गर्भवती महिलाओं को इस स्तर पर स्कैन करवाना होता है, ताकि अगर किसी समस्या का पता चले, तो उसके लिए जरुरी एहतियाती कदम उठाए जा सकें। डॉक्टर शिशु के सभी अंगों की जांच करेंगे और माप लेंगे। इस स्कैन से निम्नांकित बातों का पता चल सकता है:

आपका शिशु किस तरह बढ़ रहा है और गर्भ में उसकी हलचल देखना
सुनिश्चित करना कि शिशु के आंतरिक अंग सही प्रकार से विकसित हो रहे हैं
शिशु में कुछ विशिष्ट जन्म दोषों का पता लगाना
एमनियोटिक द्रव की मात्रा का अनुमान लगाना
गर्भ नाल की जांच करना और अपरा की स्थिति को देखना
गुणसूत्र (क्रोमोसोम) संबंधी असामान्यताओं के मार्कर की जांच करना
आपकी ग्रीवा की जांच और प्रसव नलिका को मापना
गर्भाशय तक रक्त के प्रवाह को देखना

क्या मुझे एनॉमली स्कैन के लिए तैयारी करनी होगी?
पहली तिमाही के स्कैन के विपरीत इस स्कैन के लिए आपका मूत्राशय भरा हुआ होना जरुरी नहीं है। आपका शिशु अब इतना बड़ा है और पेट में इतना ऊपर की तरफ है कि उसे पेट से किए जाने वाले स्कैन में स्पष्टता से देखा जा सकता है।

स्कैन के लिए आपको अपना पेट अनावरित करना होगा, इसलिए बेहतर है कि आप ढीले-ढाले कपड़े पहनें। सलवार-कमीज या गर्भावस्था की विशेष पैंट और टॉप इस अवसर के लिए सही रहते हैं। इससे अल्ट्रासाउंड डॉक्टर आपके पेट पर आसानी से स्कैन कर सकेंगी। आप भी इन कपड़ों में ज्यादा आरामदायक महसूस करेंगी, क्योंकि आपको इससे सारे कपड़े नहीं उतारने पड़ेंगे।
स्कैन किस तरह किया जाएगा?
डॉक्टर आपको परीक्षण टेबल पर लेटने के लिए कहेंगी। अल्ट्रासाउंड डॉक्टर आपके पेट पर (आमतौर पर ठंडा) जैल लगाती हैं और अल्ट्रासाउंड प्रोब या ट्रासड्यूसर को पेट पर घुमाती हैं, ताकि शिशु की तस्वीरें ली जा सकें। ट्रांसड्यूसर से ध्वनि तरंगें आपके शिशु के नाक-नक्शों या अंगों को छूकर आती हैं और कम्प्यूटर पर शिशु की तस्वीरें बनती हैं।

अल्ट्रासाउंड डॉक्टर शिशु की सिर से पांव तक अलग-अलग तरह की छवि अलग-अलग कोनों से लेने का प्रयास करेंगी, ताकि यथासंभव सूचना प्राप्त की जा सके। जब उन्हें शिशु के अंगों की साफ तस्वीर मिल जाती है, तो वह उनका माप लेती हैं।

अगर आपकी डॉक्टर को ग्रीवा के बारे में सूचना चाहिए, तो इसके सटीक माप के लिए आपको योनि के जरिये स्कैन (ट्रांसवेजाइनल स्कैन) करवाने की जरुरत हो सकती है। कई बार भ्रूण से जुड़ी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए भी योनि स्कैन करवाने की जरुरत होती है।

अधिकांश अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर आपको स्कैन होते हुए देखने की अनुमति देते हैं। आपकी अल्ट्रासाउंड डॉक्टर शुरुआत में आपको स्क्रीन पर शिशु के दिल की धड़कन और शरीर के अंगों जैसे चेहरे, को दिखाएंगी। इसके बाद वे शिशु को विस्तृत तौर पर देखेंगी।

आपके लिए शिशु के अंगों का पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि डॉक्टर इनको अनुप्रस्थ या तिरछे दृश्य में देखती हैं। स्कैन में आपके शिशु की हड्डियां सफेद दिखाई देंगी और सौम्य ऊत्तक स्लेटी (ग्रे) और चितकबरे दिखाई देंगे। शिशु के चारों तरफ मौजूद एमनियोटिक द्रव काला दिखाई देगा। अगर, आप 3डी या 4डी स्कैन करवा रही हैं, तो इस स्तर पर आप शायद अपने शिशु के चेहरे की थोड़ी स्पष्ट तस्वीर देख पाएंगी।

जब आप स्क्रीन पर शिशु को देख चुकी हों, तो डॉक्टर बाकी का स्कैन करने के लिए स्क्रीन को अपनी तरफ घुमा लेंगी। स्कैन के अंत में वे आपको स्क्रीन पर तस्वीरें दिखाएंगी। कुछ अस्पतालों या डायग्नोस्टिक केंद्रों में एक अन्य स्क्रीन सामने भी लगी होती है, ताकि आप पूरा स्कैन होते हुए देख सकें।

हालांकि, भारत में बहुत से राज्यों और जिलों में अल्ट्रासाउंड के दौरान शिशु को स्क्रीन पर देखने की अनुमति शायद न हो।
एनॉमली स्कैन से मेरे गर्भस्थ शिशु के बारे में क्या पता चलेगा?

यह तस्वीर 20 सप्ताह की गर्भावस्था में शिशु के चेहरे और हाथ दर्शाती है। यह तस्वीर आपको अंदाजा देती है कि आप अपने स्कैन में क्या देख सकेंगी।डॉक्टर आपके शिशु के अंगों की जांच करेंगी और इनका माप लेंगी। वे निम्नलिखित बातों पर ध्यान देंगी:

शिशु के सिर और मस्तिष्क का आकार, माप व संरचना। इस चरण पर मस्तिष्क की गंभीर समस्याओं का पता लगाना संभव है, हालांकि ये समस्याएं काफी दुर्लभ होती हैं।

फांक होंठ (क्लैफ्ट लिप) के लिए शिशु के चेहरे की जांच। शिशु के मुंह के अंदर फांक तालु (क्लैफ्ट पैलेट्स) को देखना बहुत मुश्किल है और इनका अक्सर पता नहीं चल पाता। भ्रूण के नेत्र-कोटर (आई सॉकेट), आँख की पुतली, नाक और कान भी देखे जाएंगे।
आपके शिशु की रीढ़, लंबाई और अनुप्रस्थ दोनों दृश्यों में देखना। यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सभी हड्डियां एक सीध में हैं और पीठ में त्वचा रीढ़ को ढके हुए है।
आपके शिशु की पेट की दीवार देखना, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वह आगे से सभी आंतरिक अंगों को ढके हुए है।
शिशु के दिल की जांच। ऊपर के दो चैम्बर (एट्रिया) और नीचे के दोनों चैम्बर (वेंट्रिकल्स) का माप एक समान होना चाहिए। दिल की हरेक धड़कन के साथ वैल्व खुलने और बंद होने चाहिए। डॉक्टर शिशु के दिल तक रक्त लाने-ले जाने वाली प्रमुख नसों और धमनियों का भी निरीक्षण करेंगी।
आपके शिशु का पेट। गर्भ में रहते हुए शिशु थोड़ा एमनियोटिक द्रव निगल जाता है, जो कि उसके पेट में एक काले बुलबुले की तरह दिखता है।
आपके शिशु के गुर्दे। डॉक्टर जांच करेंगी कि शिशु के शरीर में दो गुर्दे हैं, और मूत्राशय में पेशाब आसानी से प्रवाह कर रहा है। अगर, शिशु का मूत्राशय खाली है, तो स्कैन के दौरान यह भर जाना चाहिए, ताकि देखने में आसानी हो। पिछले कुछ महीनों से आपका शिशु करीब हर आधे घंटे में पेशाब कर रहा है!

आपके शिशु की बाजू, टांगे, हाथ और पैर। डॉक्टर शिशु के हाथों व पैरों की उंगलियां भी देखेंगी।
कुछ आम गुणसूत्रीय असामान्यताओं का पता लगाने के लिए मेजर और माइनर सॉफ्ट मार्कर के लिए जांच।


शिशु के विकास की इस विस्तृत जांच के अलावा, आपकी डॉक्टर निम्नांकित भी देखेंगी:

अपरा (प्लेसेंटा)
गर्भनाल
एमनियोटिक द्रव

अपरा आपके गर्भाशय की सामने की दीवार (एंटीरियर) या फिर पीछे की दीवार (पोस्टीरियर) पर हो सकती है, आमतौर पर गर्भाशय में सबसे ऊपर (फंडस) की तरफ। अगर, अपरा सबसे ऊपर की तरफ है, तो आपकी स्कैन रिपोर्ट में इसे फंडल लिखा गया होगा।

अगर, अपरा गर्भाशय की गर्दन (ग्रीवा) तक पहुंच गई है या ग्रीवा को ढक रही है तो इसे अपरा नीचे की तरफ स्थित होना कहा जाता है। यदि प्लेसेंटा गर्भाशय में नीचे की तरफ हो, तो आपको इसकी स्थिति जानने के लिए तीसरी तिमाही में एक और स्कैन करवाना होगा। इस बात की पूरी संभावना होती है कि तब तक अपरा आपकी ग्रीवा से दूर हो गई होगी।

गर्भनाल में तीन रक्त वाहिकाओं (दो धमनियां और एक नस) को गिनना संभव है। डॉक्टर यह देखेंगी कि शिशु को गर्भ में अच्छी तरह हिलने-डुलने के लिए पर्याप्त एमनियोटिक द्रव है या नहीं।

स्कैन के दौरान डॉक्टर शिशु के शरीर के अंगों का माप भी लेंगी, ताकि देखा जा सके कि शिशु किस तरह बढ़ रहा है। वह निम्नांकित चीजों का माप लेंगी:

सिर का घेरा (हैड सर्कमफेरेंस-एचसी)और व्यास (बाइपेराइटल डायमीटर-बीपीडी)

पेट का घेरा (एब्डोमिनल सर्कमफेरेंस-एसी)
फेमुर या जांघ की हड्डी (एफएल)
ह्यूमेरस या बाजू की हड्डी

ड्यू डेट के आधार पर शिशु के विकास के इस चरण पर जो माप अपेक्षित होता है, ये माप उसके समान ही होने चाहिए। डेटिंग और वायबिलिटी स्कैन के दौरान शिशु की ड्यू डेट के बारे में बता दिया गया होगा।

अगर, स्कैन से पता चली प्रसव की अनुमानित तिथि और अंतिम माहवारी पर आधारित तिथि के अनुसार शिशु की उम्र में दो सप्ताह से ज्यादा का अंतर है, तो डॉक्टर आपको कुछ और जांचें व स्कैन करवाने के लिए कह सकती हैं। इनसे शिशु के विकास का आंकलन हो सकेगा। इस समय तक यह स्पष्ट हो चुका होगा कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की। अपने शिशु के लिंग के बारे में जानने के लिए उत्सुक होना स्वाभाविक है, मगर भारत में प्रसवपूर्व लिंग परीक्षण करवाना निषेध है। गर्भ में लड़की होने का पता चलने पर गर्भपात करवाने की गंभीर समस्या को देखते हुए ऐसा किया गया है। गर्भपात की वजह से भारत के कई राज्यों में लिंग अनुपात बिगड़ा हुआ है।

सभी अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों और अस्पतालों में यह नोटिस लगा होना चाहिए, जिसमें लिखा हो कि 'लिंग निर्धारण जांच करवाना कानूनी अपराध है और इसका उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी'।

अगर, आप भी अल्ट्रासाउंड डॉक्टर से शिशु के लिंग के बारे में पूछती हैं, तो यह भी एक अपराध है। अधिकांश अस्पताल व डायग्नोस्टिक केंद्र अल्ट्रासाउंड करने से पहले एक कागजात पर दस्तखत करवाते हैं। इसमें लिखा होता है कि आप डॉक्टर से गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग के बारे में नहीं पूछेंगी।
लेवल II स्कैन में क्या असामान्यताएं देखी जा सकती हैं?
यह समझना जरुरी है कि अल्ट्रासाउंड के जरिये सभी जन्मजात असामान्यताओं का पता नहीं चल सकता। स्कैन में शिशु के सिर से लेकर पांव तक किन स्वास्थ्य स्थितियों को देखना है, इस बारे मे डॉक्टर के पास पूरी सूची होती है। कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनका शिशु के जन्म के बाद उपचार संभव है। हालांकि, कोई स्थिति इतनी गंभीर भी हो सकती है कि शिशु शायद जीवित न बच पाए। मगर ऐसा होना दुर्लभ है।

अगर, उस स्वास्थ्य समस्या का उपचार किया जा सकता है, तो उसके बारे में पहले से ही जानकारी होना डॉक्टर के लिए मददगार रहता है। इससे वह जन्म के तुरंत बाद शिशु के लिए सही देखभाल व उपचार सुनिश्चित कर सकती हैं।

कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में अन्य की तुलना में आसानी से पता लग सकता है। वहीं, कुछ के बारे में पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है। सूची में दी गई अधिकांश स्थितियां काफी दुर्लभ होती हैं। हो सकता है कि हृदय दोष और आंत्र बाधा जैसी कुछ स्थितियों को गर्भावस्था के अंत तक न देखा जा सके।

बहरहाल, एनॉमली स्कैन से संभवतया यह स्पष्ट हो जाएगा कि शिशु को कोई समस्या है या नहीं। आप चिंता न करें, अधिकांशत: स्वस्थ शिशुओं का ही जन्म होता है।
अल्ट्रासाउंड सॉफ्ट मार्कर क्या हैं?
स्कैन करते समय अल्ट्रासाउंड डॉक्टर मानदंडों में अंतर पर भी नजर रखेंगी। आमतौर पर ये अंतर हानिकारक नहीं होते है। ये सिर्फ शिशु के विकास के साथ-साथ होने वाले शारीरिक अंतर हैं।

हालांकि, इनमें से कुछ उतार-चढ़ाव गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं से जुड़े हो सकते हैं। इन्हें अल्ट्रासाउंड सॉफ्ट मार्कर कहा जाता है। ऐसे बहुत से मार्कर होते हैं, मगर आमतौर पर यदि एक ही मार्कर मौजूद हो, तो शिशु के स्वस्थ होने की पूरी उम्मीद होती है। अल्ट्रासाउंड सॉफ्ट मार्कर और वैरिएंट के बारे यहां और अधिक जानें।
अगर मेरे स्कैन में किसी समस्या का पता चले तो क्या होगा?
यह याद रखना जरुरी है कि बहुत से सामान्य शिशुओं में भी मार्कर होते हैं। इसके बावजूद भी, स्कैन में मार्कर का पता चलने पर माता-पिता काफी चिंतित हो सकते हैं।

कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दोबारा स्कैन करवाने की जरुरत होती है, मगर इनमें से अधिकांश समस्याएं गंभीर नहीं होती। किसी न किसी कारण से करीब 15 प्रतिशत स्कैन दोबारा किए जाते हैं।

दोबारा स्कैन करवाने का सबसे आम कारण यह होता है कि अल्ट्रासाउंड डॉक्टर शायद वे सभी चीजें नहीं देख पाए, जो उन्हें देखनी थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय आपका शिशु शायद सही अवस्था में लेटा हुआ नहीं था या फिर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है। ऐसे मामलों में 23 सप्ताह की गर्भावस्था में स्कैन ​दोबारा किया जाएगा। यदि अल्ट्रासाउंड डॉक्टर को किसी समस्या का पता चले या आशंका हो, तो आपको इस बारे में तुरंत बता दिया जाएगा। समस्या को देखते हुए, डॉक्टर आपको विशेषज्ञ डॉक्टर के पास जाने के लिए कहेंगे, जो इस स्थिति के लिए बेहतर मदद कर सकें।

अगर, स्कैन में सामान्य से अलग कुछ सामने आता भी है, तो भी घबराए नहीं। इस बारे में डॉक्टर के साथ विस्तार से चर्चा करें। डॉक्टर आपको पूरा आश्वासन दे सकेंगी और आगे क्या करना है, इस बारे में भी आपकी मदद करेंगी।

हालांकि, गंभीर समस्याएं होना दुर्लभ ही होता है, मगर कुछ परिवारों के सामने सबसे मुश्किल सवाल आकर खड़ा हो जाता है। उन्हें कठिन निर्णय लेना होता है कि वे गर्भावस्था को जारी रखना चाहते हैं या नहीं।

अन्य कुछ समस्याओं का मतलब यह हो सकता है कि आपके शिशु को जन्म के बाद ऑपरेशन या उपचार की जरुरत है। या फिर गर्भ में ही उसे सर्जरी करवाने की आवश्यकता हो सकती है।आप चिंता न करें, इस सबका सामना करने में आपकी मदद के लिए आपकी डॉक्टर, शिशु रोग विशेषज्ञ और फिजियोथेरेपिस्ट आदि बहुत से लोग मौजूद होंगे। आप हमारी कम्युनिटी में भी अपने स्कैन के परिणामों के बारे में चर्चा कर सकती हैं और अन्य गर्भवती महिलाओं से बातचीत कर सकती हैं।
क्या दूसरी तिमाही में मुझे और भी अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने होंगे?
यह पूरी तरह आपके स्वास्थ्य और शिशु के विकास पर निर्भर करता है। आपकी डॉक्टर निम्न कारणों से आपको दूसरी तिमाही में ज्यादा स्कैन करवाने के लिए कह सकती है:

आपके गर्भ में जुड़वां या इससे अधिक शिशु पल रहे हैं
आपके एनॉमली स्कैन में पता चला है कि अपरा नीचे की तरफ स्थित है
आपको योनि से रक्तस्त्राव या खून के धब्बे आ रहे हैं
एनॉमली स्कैन में आपकी गर्भावस्था में कुछ समस्याओं का पता चला है, जिनका निरीक्षण करना जरुरी है

आपको मधुमेह या या हाई ब्लड प्रेशर जैसी चिकित्सकीय स्थिति है
आपका समय से पहले प्रसव या गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात का इतिहास रहा है
आपका शिशु अनुमानित दर से नहीं बढ़ रहा है और इंट्रायूटेरीन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (आईयूजीआर) की समस्या है

यहां जानें कि कुछ महिलाओं को अन्य की तुलना में ज्यादा स्कैन करवाने की जरुरत क्यों होती है?

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