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आप अपनी सुविधा और व्यावहारिकता के अनुसार शिशु को दिन में किसी भी समय नहला सकती हैं। बस यह सुनिश्चित करें कि उस समय शिशु पूरी तरह आराम कर चुका हो और भूखा न हो।
पारंपरिक तौर पर शिशु को सूर्योदय से पहले या फिर सुबह के समय नहलाना सबसे अच्छा माना जाता था। ऐसा शायद इसलिए था ताकि नहाने के बाद दिन चढ़ने पर गर्मी बढ़ने से शिशु को फिर से गर्माहट मिल सके।
नवजात शिशु अपने शरीर का तापमान सही से नियंत्रित नहीं कर पाते और उन्हें बहुत जल्दी ठंड लग सकती है। यदि शिशु को ठंड लगेगी, तो वह स्नान का आनंद नहीं ले सकेगा।
इसलिए, शिशु को किस समय नहलाया जाए, यह तय करने के लिए ज्यादा जरुरी है कि ऐसा समय चुना जाए जो शिशु की दिनचर्या के अनुसार उचित हो। और आपके शिशु के लिए आरामदायक हो। यदि वह गर्माहट में रहेगा, आराम कर चुका हो और उसका पेट भरा होगा तो वह नहाने का आनंद ले सकेगा। वरना, हो सकता है वह पूरे समय रोता ही रहे, जो कि आपको भी अच्छा नहीं लगेगा।
यदि आपको लगे कि आपके पास सुबह शिशु को नहलाने का समय नहीं होता, तो उसे शाम को नहलाना भी ठीक है। शिशु को सुलाने से पहले हल्के गर्म पानी से नहलाने से उसे शांत करने और रात में सोने के लिए तैयार करने में मदद मिलती है। नहलाने के बाद आप उसे दूध पिला सकती है। आरामदायक स्नान के बाद स्तनपान करने और आपके नजदीकी संपर्क में आने से वह शायद जल्दी ही सो जाएगा।
नवजात शिशुओं को वास्तव में रोजाना नहलाने की जरुरत नहीं होती, बशर्ते आप उनके नैपी क्षेत्र, चेहरे और गर्दन को नियमित साफ करती रहें। ये शिशु अपना अधिकांश समय सोते और लेटे हुए ही बिताते हैं, इसलिए गंदे नहीं होते। इन्हें साफ रखने के लिए हर दूसरे या तीसरे दिन नहलाना काफी है।
जब आप अपने नवजात शिशु के दूध पीने और सोने की दिनचर्या समझने लग जाती हैं, तो आप उसके अनुसार नहाने का उचित समय देख सकती हैं। शिशु की दैनिक दिनचर्या ऐसी रखें कि आप रोजाना एक जैसी चीजें एक समान समय पर ही करें। शिशु को चीजें दोहराया जाना पसंद आता है और यदि आप पूर्वानुमानित दिनचर्या अपनाएंगी तो वे भी पहचानने लगेंगे कि आगे क्या होने वाला है और इसका इंतजार करेंगे। इस तरह शिशु को नहलाने और उसे सुलाने का काम काफी आसान हो सकता है।
कुछ शिशुओं को शुरुआत से ही पानी में रहना अच्छा लगता है, वहीं कुछ अन्य शिशुओं को इस अनुभूति का आदि होने में समय लगता है। अपने शिशु के संकेतों के अनुसार काम करें और यदि उसे नहाना पसंद नहीं आता तो उसे ज्यादा देर तक न नहलाएं।
एक दिनचर्या तय कर लेने के बाद आप शिशु के बड़े होने और उसमें आने वाले बदलावों के अनुसार उस दिनचर्या में परिवर्तन भी कर सकती हैं। उदाहरण के तौर पर चाहे आप शुरुआत में शिशु को हर सुबह नहलाती हों, मगर जब आपका शिशु ठोस आहार खाना और घुटनों के बल चलना शुरु कर देता है, तो आप शायद उसे रात में नहलाना पसंद करें। इस तरह वह साफ-सुथरा होकर सो सकेगा।।
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