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5 महीने के बच्चे की गतिविधियां
घर में नन्हे मेहमान के आते ही वह ढेरों खुशियों का कारण बन जाता है। खुशी के इस कारण को लोग हमेशा फलते-फूलते ही देखना चाहते हैं। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसमें कई बदलाव देखने को मिलते हैं। यह उसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बदलाव को दर्शाता है। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल के जरिए हम बताएंगे कि 5 महीने के शिशु में किस-किस प्रकार के बदलाव होते हैं। साथ ही पांचवें महीने के बच्चे की गतिविधियों से भी आपको रूबरू करवाएंगे।
पांचवें महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
पांचवें महीने के बच्चे का विकास तेजी से होता है। इस महीने में बेबी गर्ल का वजन 5.6 से 7.5 किलोग्राम और लंबाई करीब 63.7 सेंटीमीटर हो सकती है। वहीं बेबी बॉय का वजन 6.2 से 8.2 किलोग्राम और लंबाई करीब 64.7 सेंटीमीटर हो सकती है। 3 माह तक के बच्चे 3.5 सेमी/माह की दर से बढ़ते हैं। इसके बाद 2 सेमी/माह की दर से बढ़ते हैं। साथ ही 5वें महीने में शिशु का वजन उसके जन्म के वजन से दोगुना होता है। उदाहरण के लिए अगर शिशु का वजन जन्म से 2 किलो था, तो 5वें महीने में 4-5 किलो हो सकता है।
5 महीने के बच्चे के विकास के माइलस्टोन क्या हैं?
किसी भी शिशु का विकास उसकी बढ़ती उम्र पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका विकास बेहतर तरीके से होता है। पांचवें महीने के बच्चे में भी ऐसे बदलाव होते हैं। चलिए, पांचवें महीने के बच्चे के विकास के माइलस्टोन के बारे में जानते हैं।
शारीरिक विकास
हाथों में नियंत्रण – 5 माह के शिशु अपने हाथों से पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही खिलौनों को भी पकड़ने का प्रयास करते हैं
टमी टाइम – इस माह में शिशु हाथों पर अपने वजन को संभालना सीखने लगते हैं। टमी टाइम यानी पेट के बल लेटाने पर वो हाथों के बल पर अपने शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं
गर्दन को संभालना – वैसे शिशु 2-3 महीने में अपनी गर्दन को भी संभालना सीखने लगते हैं, लेकिन 5वें महीने तक आते-आते इसमें काफी सुधार हो जाता है। वो हाथों पर नियंत्रण कर आसानी से पलट सकते हैं और अपनी गर्दन को ऊपर भी उठा सकते हैं (2)।
बैठने का प्रयास करना- 5 माह के शिशु का शारीरिक विकास इतना हो जाता है कि वो बैठने का प्रयास करने लगते हैं। इस दौरान वह बिना सहारे के सिर्फ कुछ सेकंड के लिए बैठ सकते हैं
एक दिशा में लुढ़कना – अब पलटी मारना सीख जाते हैं। जब उसे पेट के बल लेटाया जाता है, तो वो पलटी मार सकते है
स्वाद का अहसास – पांचवे महीने तक के बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क से ही पोषक तत्वों की पूर्ती होती है । एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, जन्म के बाद से शिशु स्वाद के प्रति सजग हो जाते हैं। वह स्तनपान के दौरान स्वाद का अंतर समझने लगते हैं। साथ ही मां के दूध की गंध को भी अच्छी तरह से पहचान सकते हैं। पांच माह के शिशु को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है, इसलिए वो उन्हें दूध के अलावा किसी और स्वाद का पता नहीं होता।
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