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क्या डिलीवरी सामान्य होगी? क्या सब कुछ ठीक रहेगा? कहीं कोई अनहोनी तो नहीं हो जाएगी? डिलीवरी से पहले हर महिला के मन में इसी तरह के सैकड़ों सवाल होते हैं। अंदर ही अंदर गर्भवती महिला डरी रहती है। डिलीवरी के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते हैं, वैसे-वैसे महिला की बेचैनी बढ़ती जाती है।
ज्यादा डर, घबराहट डिलीवरी के पहले सही नहीं है। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। यहां मौजूद हैं महिला के लिए कुछ ऐसे टिप्स, जो डिलीवरी रूम में जाने से पहले हर महिला को जानने चाहिए। उन्हें डिलीवरी से जरा भी डर नहीं लगेगा, डिलीवरी भी स्मूद हो जाएगी।
अच्छी चीजें सोचें
डिलीवरी के पहले अगर गर्भवती महिला डरती रहेगी, बार-बार नेगेटिव चीजें सोचगी, तो इसका असर उसके बच्चे पर भी पड़ेगा। इससे प्रसव प्रभावित होता है। इसके बजाय महिला को चाहिए कि अच्छी और सकारात्मक चीजें सोचें। बुरी सोच से खुद को बाहर निकालें। पॉजिटिव चीजों में आप अपने बच्चे के बारे में सोच सकती हैं।
आखिरकार 9 माह बाद आप अपने बच्चे को गोद में लेंगी, उसे देखेंगी। वह कैसा दिखेगा, उसकी आदतें कैसी होंगी? इन सब बातों के बारे में सोचें। घर परिवार में कितनी खुशियां होंगी, इनकी कल्पना करें। डर अपने आप कम होने लगेगा।
खुद को मजबूत बनाएं
डिलीवरी के पहले हर महिला यही सोचती है कि क्या वह नाॅमर्ल डिलीवरी के दर्द को सहन कर पाएगी? क्या दर्द बहुत ज्यादा होने वाला है। आप इस सोच से खुद को दूर कर लें, क्योंकि यह सोच आपको कमजोर बनाती है। इसके बजाय आप यह सोचें कि महिलाएं कितनी अद्भुत हैं।
पुरुषों के द्वारा दिए गए स्पर्म को वे 9 महीने बाद एक पूर्ण बच्चे के रूप में देती है। हर महिला में बच्चे को जन्म देने की क्षमता होती है। कुदरत ने महिला को मानसिक ही नहीं शारीरिक रूप से भी ताकतवर बनाया है।
वैसे भी बच्चे के सामने तो यह दर्द मामूली है। इस तरह की सोच आपको अंदर से मजबूत बनाएगी और आपकी डिलीवरी नाॅर्मल व आसानी से हो जाएगी।
पुश करना सीखें
डिलीवरी में सबसे अहम है कि लेबर पेन के बाद सही तरह से पुश करना। डिलीवरी के दौरान जब दर्द उठे, तभी पुश करें। दर्द न होने पर खुद से डिलीवरी के लिए पुश न करें। इससे बच्चे के सिर पर दबाव बन सकता है और उसका सिर बड़ा हो सकता है। अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं। इसलिए सही तरह से पुश करना सीख लें।
शर्म छोड़ें
डिलीवरी के समय हर महिला को अपने नीचे के कपड़े उतारने पड़ते हैं। अलग-अलग डाॅक्टर उनका चेकअप करते हैं। डिलीवरी रूम में डाॅक्टर के साथ-साथ नर्स, वाॅर्ड बाॅय और न जाने कौन-कौन होते हैं। ऐसे में गर्भवती महिला को शर्म आना लाजिमी है। लेकिन आप यह समझें कि आप डाॅक्टर के पास डिलीवरी के लिए गई हैं।
नाॅर्मल डिलीवरी में बच्चे के निकलने की प्रक्रिया योनि से होकर गुजरती है। ऐसे में यदि आप झिझक या शर्म महसूस करेंगी, तो डिलीवरी सहजता से नहीं हो पाएगी। आप शर्म के मारे अपनी परेशानी को डाॅक्टर से साझा नहीं कर पाएंगी। यह सही नहीं है। यह स्थिति आपके बच्चे के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। इसलिए डिलीवरी के समय शर्म छोड़ें और बच्चे के बारे में सोचें।
नाॅर्मल डिलीवरी में सबसे जरूरी है, आपका आत्मविश्वास। अगर आपने मन में ठान लिया है कि नाॅर्मल डिलीवरी करवानी है, तो ऐसा होने से कोई भी रोक नहीं सकता।
काॅन्फिडेंस यानी आत्मविश्वास आपमें तभी आएगा जब आप डर, बेचैनी, झिझक को अपने अंदर से दूर करेंगी। एक बार अपनी इन कमजोरियों पर जीत हासिल कर लें। आप पाएंगी कि काॅन्फिडेंस से भर चुकी हैं और डिलीवरी को लेकर मन में मौजूद घबराहट भी नहीं है।
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