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प्रेग्नेंसी में सबसे ज्यादा जिज्ञासा इस बात की होती है बच्चे का विकास कैसा हो रहा है। यह भी प्रकृति का एक चमत्कार है कि इंसानी कोशिकाओं का एक समूह जो शुरू में हमारी नजरों से भी ओझल होता है आगे चलकर पूरे शरीर का रूप ले लेता है। यह विकास क्रमवार होता है। आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले महीने में बच्चे की बढ़त कितनी होती है।
शुक्राणु और अंडे के मिलन के बाद निषेचित अंडे में विभाजन शुरू हो जाता है। यह विभाजन लगातार होता रहता है। यह फेलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में पहुंच जाता है। अगर सभी चीजें सही रहीं तो गर्भाशय की दीवार में इसका प्लांटेशन हो जाता है।
गर्भाशय में अंकुरण के बाद मिलता है पोषण
गर्भाशय की दीवार से जुड़ते ही इसे पोषण मिलने लगता है और इसका विकास शुरू हो जाता है। पहले महीने के अंत तक बच्चे का आकार बहुत छोटा होता है। लगभग संतरे या सेब के बीज जितना मतलब 0.13 इंच जितना।
एमनियोटिक सैक का सुरक्षा कवच
इस निषेचित अंडे के आसपास एक वॉटर टाइट पॉकेट के रूप में एमनियोटिक सैक का निर्माण शुरू होता है। बाद में इसमें एमनियोटिक द्रव भरने लगता है।
बच्चे का गर्भनाल या प्लेसेंटा भी विकसित होने लगता है। यह मां के शरीर से पोषक पदार्थों को बच्चे तक पहुंचाता है।
धीरे-धीरे बनता है चेहरा
बच्चे का चेहरा अपने प्रारंभिक रूप में बनता है। आंखों की जगह दो बड़े घेरे बनते हैं। मुंह, निचला जबड़ा और गला बनने लगते हैं। रक्त कोशिकाएं भी आकार लेने लगती हैं क्योंकि जल्द ही रक्त संचार शुरू होने वाला है। चौथे हफ्ते के आखिर तक बच्चे का नन्हा दिल भी धड़कने लगता है।
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