5 सप्ताह में बच्चा कैसा दिखता है?pregnancytips.in

Posted on Tue 25th Oct 2022 : 10:19

Pregnancy symptoms week 5: जानिए पांचवें हफ्ते में किस तरह परेशान करती है थकान और मॉर्निंग सिकनेस
Pregnancy symptoms week 5: प्रेग्‍नेंसी के 5वें हफ्ते में गर्भवती होने का अहसास होने लगता है। साथ ही होते हैं मन और शरीर में ढेरों बदलाव। इनमें से कुछ हैा ये...
preganncy fifth week
प्रेगनेंसी के पांचवे सप्‍ताह से गर्भावस्‍था के दूसरे महीने की शुरुआत होती है। इस सप्‍ताह में आते ही प्रेगनेंसी के कुछ लक्षणों से राहत मिल सकती है तो कुछ नए लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।


प्रेगनेंसी या गर्भावस्‍था के पांचवें हफ्ते की शुरुआत का मतलब है कि प्रेग्‍नेंसी का पहला महीना बीत गया है। अब बहुत सी महिलाओं को अपने गर्भवती होने का अहसास होने लगता है। इसी समय के आसपास डॉक्‍टर भी ड्यू डेट यानि बच्‍चे के जन्‍म की संभावित तारीख बता देते हैं।
यह वह समय है जब हॉर्मोन लेवल तेजी से बढ़ रहा होता है। मॉर्निंग सिकनेस और जी मिचलाने जैसे सामान्‍य लक्षण इस समय अपने चरम पर होते हैं। इसी समय प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली क्रेविंग्‍स या कुछ खाने की जबर्दस्‍त इच्‍छा होने लगती है।

अब समय आ गया है कि आप सावधानियां रखना शुरू कर दें। मसलन, क्‍या खाना है और क्‍या नहीं क्‍योंकि बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं जिन्‍हें खाने से आपके पेट में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है।

कहा जाता है कि प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही पूरी प्रेग्‍नेंसी में सबसे मुश्किल होते हैं। शरीर में छोटे-छोटे इतने बदलाव आते हैं कि उनका हिसाब लगाना मुश्किल होता है। पर ऐसा भी होता है कि कुछ महिलाओं को कोई भी बदलाव नहीं दिखाई देता।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।

प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।



प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।



हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।



तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।



लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।
ब्रेस्‍ट में दुखन
प्रेगनेंसी के सबसे पहले लक्षणों में से एक है ब्रेस्‍ट में दुखन। चूंकि इनका विकास होना शुरू हो जाता है इ‍सलिए दर्द आम है।

बार-बार यूरिन आना
आप को बार-बार पेशाब आने की इच्‍छा होने लगेगी। ऐसा आपकी किडनी में हुए बदलावों की वजह से होता है।


जी मिचलाना:
प्रेगनेंसी में इस समय पर महिलाओं को बार-बार जी मिचलाने की समस्‍या होने लगती है। खासकर सुबह उठते ही, इसलिए इसे मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है। दिन में कब कौन सी चीज की खुशबू बुरी लगने लगे कहा नहीं जा सकता। लेकिन कुछ महिलाओं का बिल्‍कुल भी नहीं मिचलाता जो कि सामान्‍य बात है।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी
आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।
प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।
प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।
बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।
हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।
तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।
लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।
ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।
थकान
पांचवें हफ्ते में अचानक बहुत थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। शरीर को आराम की जरूरत होती है। ऐसे में थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ देर के लिए नींद लेनी चाहिए। डाइट पर भी ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है ताकि शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल कम न हो जाए और आपको एनर्जी मिलती रहे।
क्रैम्‍प्‍स
शरीर में हार्मोन्‍स के उतार-चढ़ाव और पानी की बढ़ती जरूरत की वजह से पैरों में क्रैम्‍प्‍स या ऐंठन की समस्‍या हो सकती है। यह सामान्‍य है, घबराएं नहीं पानी और दूसरे पेय पदार्थ लेती रहें।

हल्‍की ब्‍लीडिंग
इस समय कभी-कभी हल्‍की ब्‍लीडिंग नजर आती है। आपके शरीर में भ्रूण अपनी जड़ें जमा रहा है इसलिए बहुत थोड़ी मात्रा में ब्‍लड आना सामान्‍य है। लेकिन ज्‍यादा हो तो फौरन अपनी डॉक्‍टर से संपर्क करें।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

-

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।



प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।


प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।



हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।


तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।


लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।


मूड में उतार-चढ़ाव
चूंकि आपका शरीर अपनी सामान्‍य स्थिति में नहीं है, वहीं हार्मोन्‍स लेवल कम-ज्‍यादा होना भी आपके मूड को प्रभावित करता है। रिलेक्‍स रहें, खुश रहने की कोशिश करें।


शरीर में बदलाव
अभी भी आपके शरीर में कुछ खास बदलाव नहीं दिखेंगे। पेट का आकार भी आपको बढ़ा महसूस होगा लेकिन और लोग बिना बताए नहीं पहचा पाएंगे। इसके अलावा पिछले हफ्तों की तरह आपको अपने ब्रेस्ट में भारीपन और दर्द महसूस होगा। थकान और कमजोरी महसूस होने लगेगी। शरीर का तापमान कुछ ज्‍यादा रहेगा। चीजों को सूंघने की क्षमता बढ़ जाएगी।
हॉर्मोन्‍स का उतार-चढ़ाव जारी रहेगा जो बार-बार मूड बिगड़ने के रूप में दिखाई देगा। ब्‍लास्‍टोसाइट के यूटेरस में इंप्‍लांट होने पर स्‍पॉटिंग दिखाई दे सकती है। मतलब खून की एक बूंद दिखाई दे सकती है।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

-

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।



प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।


प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।



हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।


तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।



लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।


बच्‍चे का विकास
इस समय आपके बच्‍चे का आकार बहुत छोटा है। लगभग संतरे या सेब के बीज जितना मतलब 0.13 इंच जितना। बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी यह अहम समय है क्‍योंकि इसी समय उसके दिमाग में न्‍यूरॉन्‍स का विकास होता है। बच्‍चे के दिल, दिमाग और रीढ़ की हड्डी बन रही है और लगभग एक हफ्ते बाद आपके बच्‍चे का नन्‍हा सा दिल धड़कने लगेगा।

अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट
आपके पांचवे सप्‍ताह में हुए अल्‍ट्रासाउंड में एक काला घेरा दिखाई देगा ठीक चौथे सप्‍ताह की तरह। यह एमनियोटिक सैक है। इसी में भ्रूण पनप रहा है।

बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

-

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।



प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।
प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।
हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।
तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।
लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।


डायट
जल्‍द ही आपको कैल्शियम की बहुत जरूरत होगी इसलिए दूध, पनीर, दही जैसी चीजें खाइए। इसके अलावा आपको कब्‍ज से बचने के लिए पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीना चाहिए। विटामिन सी वाले फल, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालों को अपनी डायट में शामिल करें ताकि पर्याप्‍त पोषण मिल सके। जंक या फास्‍ट फूड से दूर रहें। कॉफी से परहेज करें। अब से जो भी खाएं उस पर ध्‍यान दें।

टिप्‍स
कच्‍चा खाना खाने से बचें, खासकर मांस-मछली। इससे इन्‍फेक्‍शन हो सकता है जो अबॉर्शन की वजह बन सकता है। पालतू जानवरों से भी बचें। स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं, नशे वगैरह से दूर रहें। डॉक्‍टर ने जो फोलिक एसिड सप्‍लीमेंट दिया है उसे नियमित रूप से लेती रहें।
तनाव से दूर रहें। हल्‍की-फुल्‍की कसरत करें लेकिन ज्‍यादा उछल-कूद से बचें। अभी कहीं यात्रा न करें। कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर ले लें। शुरुआती सप्‍ताहों में पपीता, अनानास जैसे फल न खाएं जिनसे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। पहले गर्भपात हुआ हो तो इस दौरान शारीरिक संबंधों से परहेज करें।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info