9 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण?pregnancytips.in

Posted on Mon 4th Feb 2019 : 17:06

Pregnancy symptoms week 9: अब महसूस कर सकेंगी नन्‍हे मेहमान की हलचल

9 week Pregnant symptoms: 9वें हफ्ते तक आते-आते आपको अपने बच्‍चे और उसके प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का भाव का भी अहसास होने लगा होगा। यह आपकी पहली तिमाही का आखिरी महीना है। आइए जानें इस समय क्‍या-क्‍या लक्षण दिखाई देंगे।

pregnancy 9th symptom
प्रेगनेंसी के नौंवे सप्‍ताह तक मां और शिशु कई बदलावों से गुजर रहे होते हैं। नौंवे सप्‍ताह से प्रेगनेंसी के तीसरे महीने की भी शुरुआत हो जाती है। मातृत्‍व का अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है।
आपके भीतर एक नन्‍ही जिंदगी पल रही है। 9वें हफ्ते तक आते-आते आपको अपने बच्‍चे और उसके प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का भाव का भी अहसास होने लगा होगा। यह आपकी पहली तिमाही का आखिरी महीना है। आइए जानें इस समय क्‍या-क्‍या लक्षण दिखाई देंगे।

प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
नौवें सप्‍ताह में आपको अपने शरीर में कई बदलाव दिख सकते हैं। कमर का साइज बढ़ने और ब्‍लोटिंग की वजह से अब आपको अपने कपड़े टाइट लग सकते हैं। ब्रेस्‍ट भी बढ रही होती है और निप्‍पल का रंग गहरा हो रहा होता है। शिशु को पोषण देने के लिए ब्‍लड वॉल्‍यूम में भी इजाफा होता है। आपको अपनी नसें उभरी हुई दिख सकती हैं।
प्रेगनेंसी में सांस फूलने को न करें नजरअंदाज, कारण कर देंगे हैरान

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सांस फूलना खासतौर पर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में नॉर्मल बात है और गर्भावस्‍था के शुरुआती समय में भी ऐसा होता है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्‍था की पहली तिमाही से सांस लेने में दिक्‍कत महसूस हो सकती है।

अगर सीढ़ी चढ़ने जैसे काम करने पर सांस फूल रहा है तो ये सामान्‍य बात है, लेकिन अगर आपको अस्‍थमा जैसी कोई सांस की बीमारी है तो इसकी वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ सकती है।
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अगर सांस फूलने के साथ कोई अन्‍य लक्षण नहीं दिख रहा है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहींं है और शिशु को प्‍लेसेंटा से पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल रहा है इसलिए शिशु को कोई नुकसान नहीं होगा। गहरी सांस लेने से भ्रूण ऑक्‍सीजन युक्‍त खून मिलेगा।


प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में सांस फूलने के कारणइस समय भ्रूण इतना बड़ा नहीं हुआ होता है कि उसकी वजह से सांस लेने में दिक्‍कत आए।

पेट से फेफड़ों और दिल को अलग करने वाला ऊतक का मस्‍कुलर बैंड डायफ्राम 4 प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में 4 सेमी तक बढ़ जाता है। डायफ्राम की मूवमेंट से फेफड़ों में हवा भरने में मदद मिलती है।

डायफ्राम में बदलाव के साथ-साथ प्रेगनेंट महिला को अक्‍सर प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन बढ़ने की वजह से तेज सांसें आने लगती हैं।

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दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को सांस फूलने की दिक्‍कत ज्‍यादा स्‍पष्‍ट महसूस हो सकती है। गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण की वजह से इस समय सांस फूल सकती है। हालांकि, दिल के काम करने के तरीके में कुछ बदलाव आने के कारण भी ऐसा हो सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है। इस खून को पूरे शरीर और प्‍लेसेंटा में पहुंचाने के लिए दिल को ज्‍यादा काम करना पड़ता है।

दिल के ज्‍यादा काम करने की वजह से प्रेगनेंट महिला को सांस लेने में दिक्‍कत हो सकती है।


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प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में शिशु के सिर की पोजीशन की वजह से सांस लेने में आसानी या और ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है। शिशु के घूमने और पेल्विस की तरफ आने से पहले उसका सिर पसलियों के अंदर और डायफ्राम पर दबाव महसूस हो सकता है जिससे सांस लेने में दिक्‍कत होती है।

नेशनल वुमेंस हैल्‍थ रिसोर्स सेंटर के मुताबिक, प्रेगनेंसी के 31वें हफ्ते और 34वें हफ्ते में इस तरह की सांस फूलने की दिक्‍कत होती है।



बच्‍चे का आकार
अब तक आपके बच्‍चे का आकार एक बड़े अंगूर जितना हो गया होगा। उसका वजन लगभग 2 ग्राम के आसपास होगा। सारे अहम अंग बन चुके हैं और विकसित हो रहे हैं। सबसे खुशी की बात यह है कि आपको उसकी हलचल महसूस हो सकेगी।

गर्भावस्‍था के नौवें सप्‍ताह में आपका शिशु ¾ इंच लंबा होगा। प्रमुख अंग अभी भी विकसित हो रहे होते हैं। बच्‍चे की बांह और विकसित हो रही होती है और उसकी कोहनी अब मुड सकती है। अब बच्‍चा पहले ज्‍यादा एक्टिव होगा और आपको भी जल्‍द ही उसकी मूवमेंट महसूस होने लगेगी।
प्रेगनेंसी में सांस फूलने को न करें नजरअंदाज, कारण कर देंगे हैरान

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सांस फूलना खासतौर पर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में नॉर्मल बात है और गर्भावस्‍था के शुरुआती समय में भी ऐसा होता है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्‍था की पहली तिमाही से सांस लेने में दिक्‍कत महसूस हो सकती है।

अगर सीढ़ी चढ़ने जैसे काम करने पर सांस फूल रहा है तो ये सामान्‍य बात है, लेकिन अगर आपको अस्‍थमा जैसी कोई सांस की बीमारी है तो इसकी वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ सकती है।

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अगर सांस फूलने के साथ कोई अन्‍य लक्षण नहीं दिख रहा है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहींं है और शिशु को प्‍लेसेंटा से पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल रहा है इसलिए शिशु को कोई नुकसान नहीं होगा। गहरी सांस लेने से भ्रूण ऑक्‍सीजन युक्‍त खून मिलेगा।

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में सांस फूलने के कारणइस समय भ्रूण इतना बड़ा नहीं हुआ होता है कि उसकी वजह से सांस लेने में दिक्‍कत आए।

पेट से फेफड़ों और दिल को अलग करने वाला ऊतक का मस्‍कुलर बैंड डायफ्राम 4 प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में 4 सेमी तक बढ़ जाता है। डायफ्राम की मूवमेंट से फेफड़ों में हवा भरने में मदद मिलती है।

डायफ्राम में बदलाव के साथ-साथ प्रेगनेंट महिला को अक्‍सर प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन बढ़ने की वजह से तेज सांसें आने लगती हैं।

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दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को सांस फूलने की दिक्‍कत ज्‍यादा स्‍पष्‍ट महसूस हो सकती है। गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण की वजह से इस समय सांस फूल सकती है। हालांकि, दिल के काम करने के तरीके में कुछ बदलाव आने के कारण भी ऐसा हो सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है। इस खून को पूरे शरीर और प्‍लेसेंटा में पहुंचाने के लिए दिल को ज्‍यादा काम करना पड़ता है।

दिल के ज्‍यादा काम करने की वजह से प्रेगनेंट महिला को सांस लेने में दिक्‍कत हो सकती है।


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प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में शिशु के सिर की पोजीशन की वजह से सांस लेने में आसानी या और ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है। शिशु के घूमने और पेल्विस की तरफ आने से पहले उसका सिर पसलियों के अंदर और डायफ्राम पर दबाव महसूस हो सकता है जिससे सांस लेने में दिक्‍कत होती है।

नेशनल वुमेंस हैल्‍थ रिसोर्स सेंटर के मुताबिक, प्रेगनेंसी के 31वें हफ्ते और 34वें हफ्ते में इस तरह की सांस फूलने की दिक्‍कत होती है।


9वें हफ्ते के लक्षण
सबसे अहम लक्षण है आपके सिरदर्द के साथ-साथ आपकी पीठ में दर्द होना। पेट और पेडू के हिस्‍से में भी हल्‍का दर्द। पीठ में दर्द की वजह आपका बढ़ता वजन है। आपके हाथों, पैरों की नसें भी उभरने लगी होंगी। 9वें हफ्ते के लक्षण इस प्रकार हैं :

मूड स्विंग्‍स : मूड में उतार-चढ़ाव जारी रहेंगे। जी मिचलाने के साथ यह समस्‍या अभी बनी रहेगी। ऐसा हॉर्मोंस में बदलाव के कारण हो रहा है।
ब्रेस्‍ट का साइज :आपके ब्रेस्‍ट का साइज अब बढ़ने लगा होगा क्‍योंकि बच्‍चे के पोषण के लिए दुग्‍ध ग्रंथियां बनने लगती हैं। बार-बार पेशाब आने की समस्‍या अभी जारी रहेगी क्‍योंकि बढ़ते गर्भाशय का भार आपके ब्‍लैडर पर पड़ता रहेगा।
कब्‍ज: कब्‍ज की समस्‍या बढ़ सकती है। प्रेग्‍नेंसी में कब्‍ज से बचने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं जैसे कि फाइबर वाली सब्जियां, सलाद, फल खाइए। मैदा जैसे उत्‍पादों, मैगी और दूसरे नूडल्‍स वगैरह से बचें। खूब पानी पिएं, कम से दिन में दस से बारह गिलास। अगर इतना पानी न पी सकें तो फ्रूट जूस, दूध, मट्ठा, नीबू पानी और नारियल पानी पी सकते हैं।

सुबह-शाम हल्‍की कसरत या वॉक वगैरह करें इससे भी आपका पाचन तंत्र स्‍वस्‍थ और सक्रिय रहेगा व कब्‍ज की समस्‍या नहीं होगी।
ज्‍यादा कब्‍ज होने पर डॉक्‍टर से संपर्क करने के बाद ही दवा लें क्‍योंकि बहुत सारी कब्‍ज खत्‍म करने वाली दवाएं प्रेग्‍नेंसी के समय नहीं ली जा सकतीं। हां ईसबगोल की भूसी का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा सारे शुरुआती लक्षण भी जारी रहेंगे।
प्रेगनेंसी में सांस फूलने को न करें नजरअंदाज, कारण कर देंगे हैरान

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सांस फूलना खासतौर पर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में नॉर्मल बात है और गर्भावस्‍था के शुरुआती समय में भी ऐसा होता है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्‍था की पहली तिमाही से सांस लेने में दिक्‍कत महसूस हो सकती है।

अगर सीढ़ी चढ़ने जैसे काम करने पर सांस फूल रहा है तो ये सामान्‍य बात है, लेकिन अगर आपको अस्‍थमा जैसी कोई सांस की बीमारी है तो इसकी वजह से आपको परेशानी उठानी पड़ सकती है।

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अगर सांस फूलने के साथ कोई अन्‍य लक्षण नहीं दिख रहा है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहींं है और शिशु को प्‍लेसेंटा से पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल रहा है इसलिए शिशु को कोई नुकसान नहीं होगा। गहरी सांस लेने से भ्रूण ऑक्‍सीजन युक्‍त खून मिलेगा।


प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में सांस फूलने के कारणइस समय भ्रूण इतना बड़ा नहीं हुआ होता है कि उसकी वजह से सांस लेने में दिक्‍कत आए।

पेट से फेफड़ों और दिल को अलग करने वाला ऊतक का मस्‍कुलर बैंड डायफ्राम 4 प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में 4 सेमी तक बढ़ जाता है। डायफ्राम की मूवमेंट से फेफड़ों में हवा भरने में मदद मिलती है।

डायफ्राम में बदलाव के साथ-साथ प्रेगनेंट महिला को अक्‍सर प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन बढ़ने की वजह से तेज सांसें आने लगती हैं।

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दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को सांस फूलने की दिक्‍कत ज्‍यादा स्‍पष्‍ट महसूस हो सकती है। गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण की वजह से इस समय सांस फूल सकती है। हालांकि, दिल के काम करने के तरीके में कुछ बदलाव आने के कारण भी ऐसा हो सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है। इस खून को पूरे शरीर और प्‍लेसेंटा में पहुंचाने के लिए दिल को ज्‍यादा काम करना पड़ता है।

दिल के ज्‍यादा काम करने की वजह से प्रेगनेंट महिला को सांस लेने में दिक्‍कत हो सकती है।

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प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में शिशु के सिर की पोजीशन की वजह से सांस लेने में आसानी या और ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है। शिशु के घूमने और पेल्विस की तरफ आने से पहले उसका सिर पसलियों के अंदर और डायफ्राम पर दबाव महसूस हो सकता है जिससे सांस लेने में दिक्‍कत होती है।

नेशनल वुमेंस हैल्‍थ रिसोर्स सेंटर के मुताबिक, प्रेगनेंसी के 31वें हफ्ते और 34वें हफ्ते में इस तरह की सांस फूलने की दिक्‍कत होती है।



प्रेगनेंट महिलाएं इस समय क्‍या करें
अगर आप पहले चेकअप के लिए नहीं गई हैं तो इस सप्‍ताह जा सकती हैं। आप डॉक्‍टर से इस बार जेनेटिक टेस्‍ट के बारे में बात कर सकती हैं। 9 से 13 सप्‍ताह के बीच आमतौर पर टेस्टिंग की जाती है।

ब्रेस्‍ट बढ़ने की वजह से आपको असहज महसूस हो सकता है। इस समय आपको बाईं करवट सोना चाहिए। शिशु तक रक्‍त प्रवाह में सुधार लाने का यह अच्‍छा तरीका है।
अगर आपको अचानक या तेज सिरदर्द हो रहा है या उल्‍टी, देखने में दिक्‍कत, पसलियों में दर्द, पेट दर्द और सूजन, हाथों, चेहरे या पैरों में अचानक सूजन आ रही है तो डॉक्‍टर को जरूर दिखाएं। यह प्रीक्‍लैंप्‍सिया का संकेत हो सकता है। इसमें प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्‍लड प्रेशर हो जाता है।

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