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“अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. एक सोनोग्राफर द्वारा ही अल्ट्रासाउंड किया जाता है इसमें एक मेडिकल टेस्ट होता है जिसमें उच्च आवृति वाले ध्वनि चित्रों का उपयोग करते हुए शरीर के अंदर के सजीव चित्रों को देखा जाता है। इसे सोनोग्राफी (Sonography ) भीकहा जाता है। अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका है जिसमे बिना किसी तरह का चीरा लगाए अल्ट्रासाउंड के जरिए डॉक्टर शरीर के अंगों, वाहिकाओं और कोशिकाओं में उत्पन्न समस्याओं का पता लगाते हैं. आज हम आपको इन्ही के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
अल्ट्रासाउंड एक प्रकार का मेडिकल टेस्ट होता है, जो सोनोग्राफी का ही भाग होता है. इसे अधिकतर गर्भ के दौरान महिलाएं कराती हैं. जिनसे उनके गर्भ के विषय में उन्हें जानकारी मिल सके. इसमें किसी प्रकार का कोई चीरा या ऑपरेशन न करते हुए शरीर के आंतरिक समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. इसमें उच्च आवृति वाले ध्वनि चित्रों का उपयोग किया जाता है और उससे शरीर के अंदर के सजीव चित्रों को लिया जाता है। ये आजकल गर्भ के दौरान सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला मेडिकल टेस्ट है.
सोनोग्राफी जिसे अल्ट्रासोनोग्राफी भी कहा जाता है ये एक चिकित्सीय निदान (diagnostics) का महत्वपूर्ण साधन होता है. इसके लिए व्यक्ति को सोनोग्राफर का कोर्स करना पड़ता है. इसे हम एक विज्ञान के रूप में भी जान सकते हैं. इसे गर्भावस्था में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है. सोनोग्राफी का ही एक भाग अल्ट्रासाउंड भी है जब उच्च आवृति वाले ध्वनि चित्रों का प्रयोग किया जाता है तो उसे अल्ट्रासाउंड का नाम दिया जाता है. कुछ लोगों का कहना है कि अल्ट्रासाउंड का हिंदी में नाम सोनोग्राफी है. लेकिन असल में अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का एक भाग है.
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