क्या गर्भवती महिला 8 महीने में जन्म दे सकती है?pregnancytips.in

Posted on Mon 10th Oct 2022 : 14:37

आठवें महीने में प्रीटर्म लेबर का खतरा काफी रहता है क्‍योंकि इस समय कुछ बच्‍चे सिफेलिक पोजीशन में होते हैं और नौ महीने से पहले ही पैदा हो सकता है। प्रीक्‍लैंप्‍सिया और प्‍लेसेंटा में कोई परेशानी होने की वजह से तुरंत डिलीवरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

प्रीटर्म लेबर शुरु होने पर अस्पताल में पहुंचने पर क्या होगा?
अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर आपके चिकित्सकीय इतिहास और इस गर्भावस्था से जुड़ी पूरी जानकारी लिखेंगी। डॉक्टर यह भी जानना चाहेंगी कि क्या आपके साथ पिछली गर्भावस्थाओं में भी ऐसा कुछ हुआ है या फिर आपका पहले कोई गर्भपात हुआ है।

अस्पताल आने से पहले आपके साथ जो कुछ हुआ, वह क्रमवार तरीके से पूछा जाएगा। इसके बाद आपको निगरानी के लिए रखा जाएगा और कुछ टेस्ट कराए जाएंगे, जैसे कि:

पेशाब की जांच
खून की जांच

कुछ अस्पतालों में फीटल फाइब्रोनेक्टिन टेस्ट (एफएफएन) भी किया जाता है। जब आपका शरीर जन्म देने के लिए तैयार होता है तो शिशु प्रोटीन जारी करता है, जिसका पता फीटल फाइब्रोनेक्टिन जांच में लगाया जाता है। इस टेस्ट से पता चलता है कि आपके शुरुआती संकुचन या पेट दर्द नकली संकेत हैं या आपका समय से पहले प्रसव शुरु हो गया है।

जिस तरह शिशु के दिल की धड़कन पर निगरानी रखी जाती है, वैसे ही आपके संकुचनों पर भी नजर रखी जाएगी। डॉक्टर यह भी जांच करेंगी कि आपकी झिल्लियां फट गई हैं या नहीं।

डॉक्टर योनि के जरिये अंदरुनी जांच करेंगी और पता लगाएंगी कि ग्रीवा विस्फारित हो रही है या नहीं। इसके लिए आपका अल्ट्रासाउंड स्कैन भी करवाया जा सकता है।

यह भी ध्यान रखें कि समय से पहले प्रसव में जाने का मतलब हर बार यह नहीं है कि आपकी प्रीमैच्योर डिलीवरी अभी होने वाली है। आपकी डॉक्टर इंतजार करने का निर्णय ले सकती हैं और आपको घर भेज सकती हैं, यदि:

आपके सभी टेस्ट नेगेटिव हों
आपकी झिल्लियां अभी न फटी हों
कुछ घंटों की निगरानी के बाद भी आपकी ग्रीवा विस्फारित न हुई हो
आपके संकुचन कम हो गए हों
आप और आपका शिशु स्वस्थ लग रहे हों

बहुत सी महिलाएं जिन्हें समय से पहले प्रसव के लक्षण महसूस होते हैं, वे पूर्ण अवधि पर शिशु को जन्म देती हैं।

यदि सभी जांचों से पता चलता है कि आपका समय से पहले प्रसव शुरु हो गया है
यदि आपकी पानी की थैली नहीं फटी है, तो डॉक्टर फिलहाल प्रसव को टालने के लिए आपको दवा दे सकती हैं, जिसे टोकोलाइसिस कहा जाता है। ऐसा 24 से 34 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यदि संभव हो, और आपके स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर कोशिश करेंगी कि आपकी गर्भावस्था 37 सप्ताह तक पहुंच जाए।

थोड़ा ज्यादा समय मिलने से आपको और शिशु को प्रीमैच्योर डिलीवरी के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। यदि आपको किसी ज्यादा सुविधाओं वाले दूसरे अस्पताल में दाखिल करवाना हो तो इसके लिए भी आपको अतिरिक्त समय मिल सकता है।

बहरहाल, यदि आपका प्रसव वास्तव में शुरु हो गया है, तो इसे टालना या रोकन शायद संभव न हो और ऐसा करना सुरक्षित भी नही होगा। कई बार प्रसव को रोकने के प्रयास से नुकसान भी हो सकता है। ऐसा निम्न स्थितियों में संभव है:

यदि आपका शिशु सही ढंग से विकसित न हो रहा है
आपकी ग्रीवा 4 सें.मी. से ज्यादा विस्फारित हो गई है।
आपकी गंभीर रूप से अस्वस्थ लग रही हैं।
आपके गर्भाशय में इनफेक्शन है।

शिशु के फेफड़ों को परिपक्व बनाने में मदद के लिए आपको स्टेरॉयड दवाएं भी दी जाएंगी। करीब 36 सप्ताह की गर्भावस्था तक शिशु के फेफड़े सांस लेने के लिए तैयार नहीं होते। इसलिए अगर शिशु इससे पहले पैदा होता है, तो उसे सांस लेने में मुश्किल हो सकती है।

स्टेरॉयड इंजेक्शन शिशु के फेफड़ों को जल्दी परिपक्व बनाने में मदद करते हैं। हालांकि, कुछ डॉक्टरों का मानना है कि यदि प्रसव पहले ही अग्रिम चरण पर पहुंच गया है और आपका शिशु जल्द ही बाहर आने वाला है, तो इस इंजेक्शन से कोई फायदा नहीं होगा।

डॉक्टर शिशु के मस्तिष्क की सुरक्षा के लिए आपको मैग्नीशियम सल्फेट नामक दवा दे सकती हैं।

प्रसव के दौरान आपको नसों के जरिये एंटिबायोटिक दवाएं भी दी जाएंगी, ताकि आप शिशु को कोई इनफेक्शन जैसे ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (जीबीएस) आदि पारित न कर सकें।

अगर, आपकी गर्भावस्था 34 सप्ताह से ज्यादा की है, तो शायद डॉक्टर प्रसव को अपनी गति से जारी रहने देंगी। जन्म के समय आपका शिशु काफी छोटा होगा। मगर, यदि आपके अस्पताल में नवजात आईसीयू की केवल आधारभूत सुविधाएं हैं, तो भी शिशु के स्वस्थ रहने की पूरी संभावना होती है।
क्या समय से पहले प्रसव शुरु होने पर मेरी नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है?
यह पूरी तरह आपकी चिकित्सकीय स्थिति पर निर्भर करता है।

यदि आपके शिशु का जन्म तुरंत करवाने की जरुरत नहीं हो, तो डॉक्टर आपको नॉर्मल डिलीवरी का प्रयास करने की सलाह देंगी।

यदि आपकी नॉर्मल डिलीवरी है, तो डॉक्टर आपको उचित दर्द निवारक दवा देंगी। वे आपके शिशु की दिल की धड़कन पर निगरानी रखेंगी और नजर रखेंगी कि आप और आपके शिशु का स्वास्थ्य कैसा है।

सामान्यत: डॉक्टर समय से पहले हो रहे जन्म में सिजेरियन ऑपरेशन का विकल्प नहीं चुनते क्योंकि यह शायद मॉं के दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिए बेहतर न हो।

गंभीर मामलों में डॉक्टर पेट पर लंबवत (वर्टिकल) या क्लासिकल चीरा लगाने का विकल्प चुनती हैं। ये आमतौर पर आपकी नाभि के ठीक नीचे से पुरोनितंबास्थि से दो उंगली उपर तक लगता है। आपको इस तरह का चीरा तब लग सकता है जब शिशु बहुत ज्यादा प्रीमैच्योर हो और आपका गर्भ बहुत छोटा हो। आपके गर्भाशय का निचला हिस्सा शायद इतना पतला नहीं हुआ होगा कि उसमें चीरा लगाया जा सके। लंबवत चीरा लगने से भविष्य की गर्भावस्थाओं में भी सिजेरियन डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

निम्नांकित स्थितियों में आपकी सी-सेक्शन डिलीवरी होगी:

आपको भारी रक्तस्त्राव हो रहा है।
आपका शिशु संकट में है (फीटल डिस्ट्रेस)।
आपका शिशु गर्भ में उल्टी अवस्था (ब्रीच) में है।
आपके डॉक्टर को लगता है कि गर्भनाल खिसक कर योनि में शिशु के जन्म से पहले बाहर आ गई है (कॉर्ड प्रोलेप्स)। ऐसा होने की संभावना तब ज्यादा होती है जब आपकी पानी की थैली फट गई हो।

यदि शिशु समय से पहले जन्म ले तो क्या होगा?
अगर, आपका शिशु 34 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले पैदा हुआ है, तो उसे तुरंत नवजात आईसीयू में ले जाने की जरुरत होगी। आईसीयू में ले जाने से पहले आपको शिशु की शायद हल्की सी झलक ही देखने को मिले। हो सकता है यह सब देखकर आप कुछ डर सी जाएं। इस सबसे उबरने के लिए

उ​च्च प्रशिक्षित चिकित्सकीय टीम आपके नवजात शिशु की देखभाल करेगी। आपके शिशु को किस स्तर का इलाज चाहिए, वह इस बात पर निर्भर करेगा कि उसका जन्म कौन से चरण पर हुआ है। जब नवजात आईसीयू में शिशु की हालत स्थिर हो जाती है, तो आप उसे जब भी चाहें देख सकती हैं।

आपको ऐसा लग सकता है कि आप अपने शिशु के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही हैं, मगर ऐसा नहीं है। आप उसके लिए काफी कुछ कर सकती हैं, जैसे कि उसकी नैपी (लंगोट) बदलना, उसे सहलाना और उससे बातें करना। आप उसे अपने नजदीक त्वचा से त्वचा के संपर्क में थाम सकती हैं, उसकी मालिश कर सकती हैं और उसे दूध भी पिला सकती हैं। नवजात आईसीयू में शिशु की देखभाल के बारे में यहां और अधिक जानें।

अगर आपका शिशु 34 से 36 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच पैदा हुआ है, तो उसे शायद किसी विशिष्ट चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता न हो। वह देखने में छोटा सा लग सकता है, मगर वह जन्म के बाद सीधे आपके साथ प्रसवोत्तर वार्ड या कमरे में जा सकता है। या हो सकता है कि उसे परिवर्ती देखभाल वाले वार्ड में दाखिल कर लिया जाए। यह सब इन बातों पर निर्भर करेगा कि उसका वजन कितना है, वह कितनी अच्छी तरह दूध पी रहा है, उसे रक्त शर्करा स्तर, रक्तचाप या इनफेक्शन से जुड़ी समस्या है या नहीं। अस्पताल का स्टाफ आपके शिशु की अतिरिक्त देखभाल के लिए मौजूद होगा।

चाहे स्थिति कोई भी हो, चिकित्सकीय सहायता के साथ-साथ आपके शिशु को वह प्यार और दुलार भी चाहिए, जो केवल उसके माता और पिता ही उसे दे सकते हैं।

स्तनदूध सभी शिशुओं के लिए जरुरी होता है, मगर जिन प्रीमैच्योर शिशुओं को इनफेक्शन का खतरा होता है उनके ​लिए तो यह और भी ज्यादा जरुरी है।

स्तनदूध आपके शिशु को संक्रमणों के प्रति अतिरिक्त सुरक्षा देता है और साथ ही सभी जरुरी पोषक तत्व भी देता है। स्तनदूध में विशिष्ट तत्व होते हैं जो शिशु के मस्तिष्क के विकास में भी मदद कर सकते हैं।

हो सकता है आपका शिशु इतना छोटा हो कि वह आपके स्तन को सही ढंग से मुंह में न ले पाए। ऐसे में डॉक्टर आपको बताएंगी कि आप अपना दूध एक्सप्रेस कैसे कर सकती हैं। हो सकता है शुरुआत में शिशु को नलिका के जरिये दूध पीना पड़े, क्योंकि शायद व खुद चूसने और निगलने में सक्षम न हो। यह नलिका मुलायम और पतली होती है, और शिशु की नाक से होते हुए पेट में जाती है। स्तनदूध को नलिका के जरिये पेट में डाला जाता है।
शिशु के प्रीमैच्योर होने पर क्या जोखिम रहते हैं?
सामान्यत:, जन्म के समय आपका शिशु जितना ज्यादा मैच्योर होगा, उसके जीवित रहने और स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु के अंग और अधिक परिपक्व होंगे, उसके फेफड़े अच्छी तरह से सांस ले सकेंगे और उसके पास चूसने और स्तनपान करने की ज्यादा शक्ति होगी।

हालांकि, बहुत ज्यादा प्रीमैच्योर शिशुओं को चिकित्सकीय जटिलताएं होने का उच्च जोखिम होता है और उसे नवजात आईसीयू में ज्यादा लंबे समय तक रहना पड़ सकता है।

प्रीटर्म डिलीवरी की वजह से होने वाली जटिलताएं ही नवजात शिशुओं की मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक होती हैं। विशेषतौर पर उन शिशुओं में जो समय से बहुत पहले जन्में हो या फिर जन्म के समय उनका वजन बहुत कम हो।

एक्सट्रीम प्रीटर्म (28 सप्ताह से पहले जन्मे शिशु)
28 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले पैदा हुए शिशुओं को चिकित्सकीय देखभाल की बहुत जरुरत होती है। यदि वे जीवित बच भी जाएं तो उनमें ​स्थाई अपंगता होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। साथ ही उन्हें बहुत सी जटिल स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि सेरेब्रल पाल्सी आदि होने का भी विशेष खतरा होता है।

23 से 24 सप्ताह पर जन्मे शिशु जीवित बच सकते हैं, मगर यह उनके वजन और जन्म के समय उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

दुर्भाग्यवश 22 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले जन्मे शिशुओं का ​जीवित रह पाना मुश्किल होता है।

वेरी प्रीटर्म (28 से 32 सप्ताह के बीच जन्मे शिशु)
28 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद जन्मे शिशुओं के जिंदा रहने की पूरी संभावना होती है। हालांकि, कुछ शिशुओं में स्वास्थ्य और विकास संबंधी दीर्घकालीन समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें पढ़ने-लिखने और व्यवहार संबंधी परेशानियां शामिल हैं।

मॉडरेट टू लेट प्रीटर्म (32 से 34 सप्ताह के बीच जन्मे शिशु)
जिन मध्यम प्रीटर्म शिशुओं में कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या न हो, तो उन्हें समय से पहले जन्म लेने की वजह से गंभीर विकार होने की संभावना कम होती है। हालांकि,उनमें पढ़ने-लिखने और व्यवहार संबंधी समस्याएं होने का खतरा पूर्ण अवधि पर जन्मे शिशुओं की तुलना में ज्यादा रहता है।

लेट प्रीटर्म (34 से 36 सप्ताह के बीच जन्मे शिशु)
लेट प्रीटर्म शिशु आमतौर पर और पहले जन्मे शिशुओं की तुलना में स्वस्थ होते हैं। मगर उन्हें फिर भी पूर्ण अवधि पर जन्मे शिशुओं की तुलना में समस्याएं होने का खतरा ज्यादा होता है।

शिशु की उम्र के अलावा और भी कई कारक शिशु के जीवित रहने की संभावना को प्रभावित करते हैं, जैसे कि:

आपके शिशु का जन्म के समय वजन
मॉं की उम्र और सेहत
गर्भावस्था या जन्म के समय जटिलताएं
आपका शिशु ने अकेले जन्म लिया था या साथ में जुड़वा या इससे ज्यादा शिशु थे (अकेले जन्मे शिशुओं के जीवित रहने की संभावना ज्यादा होती है)
क्या आपके शिशु को आनुवांशिक विकार है

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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