गर्भावस्था पहले महीने के दौरान पेट दर्द?pregnancytips.in

Posted on Thu 22nd Aug 2019 : 02:29

प्रेग्नेंसी में पेट दर्द हो तो घबराएं नहीं, यूं पाएं दर्द से छुटकारा

प्रेगनेंसी अपने साथ कई तरह की तकलीफ लेकर आती है। कभी सिरदर्द परेशान करता है तो कभी मतली और उल्‍टी से मन बेचैन रहता है। इसके साथ ही प्रेगनेंट महिलाओं को पेट में दर्द की शिकायत भी रहती है
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प्रेगनेंसी के नौ महीनों में महिलाओं के मन में तरह-तरह के सवाल और डर आते हैं। इस समय शरीर के किसी भी हिस्‍से में दर्द उठने लग सकता है और जब पेट में दर्द हो जाए तो चिंता और बढ़ जाती है।
उल्टी आना, चक्कर आना, जी मिचलाना, बॉडी पेन होना, कुछ खाने-पीने का दिल न करना, इस तरह के लक्षण जब खुद में दिखते हैं तो बात-बात पर ऐसा ही महसूस होता है कि क्या ये होना नॉर्मल है? क्या ये सबके साथ होता है? कहीं मेरे बच्चे को कोई दिक्कत तो नहीं?
इन सारे सवालों के साथ-साथ सबसे ज्यादा डर उस वक्त लगता है जब प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान पेट में दर्द होने लगे। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि प्रेग्नेंसी में पेट में दर्द होना कब नॉर्मल सी बात है और कब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
हल्दा पेट दर्द होना नॉर्मल है
प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीनों में यानी 1 से 12 हफ्ते के दौरान पेट में हल्का दर्द होना सामान्य सी बात है क्योंकि इस दौरान आपके शरीर के अंदर काफी बदलाव हो रहा होता है। आपका गर्भाशय फैलने लगता है, लिगामेंट्स स्ट्रेच होने लगते हैं, मॉर्निंग सिकनेस रहती है। इन सबकी वजह से थोड़ा बहुत पेट दर्द होना नॉर्मल है।
प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब क्‍यों आता है और कैसे इसे कर सकती हैं कंट्रोल
बार-बार पेशाब आना गर्भावस्‍था का सबसे शुरुआती और आम लक्षण है। गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के शुरुआती कुछ हफ्तों में ही यह प्रॉब्‍लम शुरू हो जाती है और अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के आखिरी हफ्तों तक इससे परेशानी होती है
अक्‍सर प्रेगनेंसी हार्मोंस की वजह से प्रेगनेंट महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत होती है। इस दौरान पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह ज्‍यादा और अधिक तेजी से होता है। हार्मोनल बदलाव किडनी में तेजी से रक्‍त संचार करते हैं जिससे मूत्राशय जल्‍दी भर जाता है और प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आता है।

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान पहले ही तुलना में पचास पर्सेंट अधिक रक्‍त संचार होता है जिससे ब्‍लड वॉल्‍यूम भी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि किडनी को ज्‍यादा फ्लूइड प्रोसेस करना पड़ रहा है जो सीधा मूत्राशय में जा रहा है।

वहीं, प्रेगनेंसी में गर्भाशय बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रोक पाने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को एक ही समय के गैप में पेशाब आए। मतलब है कि जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को हर आधे या एक घंटे में पेशाब आए। किसी को आधे तो किसी को एक घंटे के गैप में पेशाब आ सकता है।

कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है तो कुछ को यह परेशानी होती ही नहीं है। वहीं, गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में यह समस्‍या कम हो सकती है और गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में दिक्‍कत बहुत बढ़ सकती है।

गर्भावस्‍था में मूत्र मार्ग में संक्रमण होना आम बात है और इसकी वजह से भी प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत हो सकती है।

प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब आना एक सामान्‍य लक्षण है। यहां तक कि डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को यह दिक्‍कत होती है। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक यह परेशानी कम नहीं होती है। डिलीवरी के बाद शरीर में जमा अतिरिक्‍त फ्लूइड के निकलने के बाद ही महिलाओं को इस परेशानी से राहत मिलती है।

यह प्रेगनेंसी का एक सामान्‍य लक्षण है जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं है लेकिन अगर इस समस्‍या के साथ कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज करवाना जरूरी है। इंफेक्‍शन होने पर डॉक्‍टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक न पिएं। मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक एक्‍सरसाइज जरूर करें।


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गर्भाशय का बढ़ता आकार
प्रेग्नेंसी के दौरान जैसे-जैसे आपका गर्भाशय (यूट्रस) बढ़ने लगता है वह पेट में दूसरे ऑर्गन्स को डिस्प्लेस भी करता है जिस वजह से आपका जी मिचलाता है और बिना कुछ खाए ही ऐसा महसूस होता है जैसे पेट भरा हुआ है या फिर पेट में हल्का दर्द भी होने लगता है। इस तरह का दर्द होना सामान्य सी बात है।


कब्ज और गैस की दिक्कत
कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंट महिला को कब्ज और गैस की दिक्कत भी हो जाती है। इसकी वजह ये है कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरॉन नाम का हॉर्मोन बढ़ने लगता है जिससे आंत के जिस रास्ते से फूड्स ट्रैवल करते हैं वो प्रक्रिया बेहद स्लो हो जाती है। इस वजह से पेट में गैस बनने लगती है और कई बार कब्ज की भी दिक्कत हो जाती है।
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कब जाएं डॉक्टर के पास
अगर आपको प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में पीरियड्स पेन जैसा हल्का दर्द महसूस हो रहा हो या क्रैम्प्स फील हो रहे हों लेकिन पोजिशन चेंज करने पर दर्द ठीक हो जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं। लेकिन अगर पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो, दर्द के साथ ब्लीडिंग भी हो रही हो या फिर अगर पेट दर्द के साथ उल्टी भी हो रही हो तो किसी तरह का रिस्क लेने की बजाए डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी जांच करवाएं।

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पेट दर्द के इलाज के लिए ये तरीके अपनाएं

थोड़ा-थोड़ा खाएं : आपको भूख लगे तो एक बार में ही सारा खाना न खा जाएं। नियमित अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। पेट हल्‍का रहेगा तो पेट में दर्द भी कम होगा।एक्सर्साइज करें :
एक्सर्साइज करें : दिन भर में आधे घंटे की एक्सर्साइज आपको पेट दर्द से बचा सकती है। पर इसका मतलब यह नहीं कि आप भारी वजन उठाने लगें। संतुलित और हल्‍का व्‍यायाम करें ताकि आपका शरीर ऐक्टिव रहे।
फाइबर वाली चीजें खाएं : खाने में ऐसी चीजों का सेवन करें जिनमें ज्‍यादा से ज्‍यादा फाइबर हो। इनके अलावा हरी सब्जियां, फल और चोकर वाले आटे की बनी रोटियां खाएं। इससे पेट साफ रहेगा और कब्ज और गैस की दिक्कत नहीं होगी।
आराम करें : अगर पेट में दर्द हो रहा हो तो जहां तक संभव हो आराम करें। खुद को ज्यादा स्ट्रेस देने की जरूरत नहीं।

बार-बार पेशाब आना गर्भावस्‍था का सबसे शुरुआती और आम लक्षण है। गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के शुरुआती कुछ हफ्तों में ही यह प्रॉब्‍लम शुरू हो जाती है और अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के आखिरी हफ्तों तक इससे परेशानी होती है।


अक्‍सर प्रेगनेंसी हार्मोंस की वजह से प्रेगनेंट महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत होती है। इस दौरान पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह ज्‍यादा और अधिक तेजी से होता है। हार्मोनल बदलाव किडनी में तेजी से रक्‍त संचार करते हैं जिससे मूत्राशय जल्‍दी भर जाता है और प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आता है।

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान पहले ही तुलना में पचास पर्सेंट अधिक रक्‍त संचार होता है जिससे ब्‍लड वॉल्‍यूम भी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि किडनी को ज्‍यादा फ्लूइड प्रोसेस करना पड़ रहा है जो सीधा मूत्राशय में जा रहा है।

वहीं, प्रेगनेंसी में गर्भाशय बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रोक पाने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को एक ही समय के गैप में पेशाब आए। मतलब है कि जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को हर आधे या एक घंटे में पेशाब आए। किसी को आधे तो किसी को एक घंटे के गैप में पेशाब आ सकता है।

कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है तो कुछ को यह परेशानी होती ही नहीं है। वहीं, गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में यह समस्‍या कम हो सकती है और गर्भाशय बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में दिक्‍कत बहुत बढ़ सकती है।

गर्भावस्‍था में मूत्र मार्ग में संक्रमण होना आम बात है और इसकी वजह से भी प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब आने की दिक्‍कत हो सकती है

प्रेगनेंसी में बार-बार पेशाब आना एक सामान्‍य लक्षण है। यहां तक कि डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को यह दिक्‍कत होती है। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक यह परेशानी कम नहीं होती है। डिलीवरी के बाद शरीर में जमा अतिरिक्‍त फ्लूइड के निकलने के बाद ही महिलाओं को इस परेशानी से राहत मिलती है।

यह प्रेगनेंसी का एक सामान्‍य लक्षण है जिसे किसी इलाज की जरूरत नहीं है लेकिन अगर इस समस्‍या के साथ कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज करवाना जरूरी है। इंफेक्‍शन होने पर डॉक्‍टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक न पिएं। मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक एक्‍सरसाइज जरूर करें।

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wordpress 4 years ago 5 Answer
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