क्या गर्भावस्था के दौरान 8 हीमोग्लोबिन कम होता है?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 12:50

गर्भावस्था में एनीमिया (हीमोग्लोबिन की कमी)
In this article

एनीमिया क्या है?
गर्भावस्था में आयरन इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?
आयरन की कमी वाले एनीमिया के क्या लक्षण हैं?
आयरन की कमी वाले एनीमिया का खतरा सबसे अधिक किसे है?
कैसे पता चलेगा कि मुझे एनीमिया है?
क्या एनीमिया के कारण मेरे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है?
आयरन की कमी वाले गंभीर एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
गंभीर एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
आयरन की खुराक कैसे लेनी चाहिए?
क्या आयरन की गोलियों के कोई दुष्प्रभाव है?
गर्भावस्था की पहली तिमाही
Baby in the womb at 9 weeks of pregnancy
एनीमिया क्या है?
एनीमिया, वह स्थिति है, जिसमें आपके रक्त में हीमोग्लोबिन (एचबी) का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं की ऑक्सीजन के संग्रहण और उसे पूरे शरीर में पहुंचाने में मदद करता है।

यदि आपको पर्याप्त मात्रा में आयरन न मिले तो आपके हीमोग्लोबिन का स्तर कम रहेगा। इसे आयरन की कमी वाला एनीमिया कहा जाता है।

इसके अलावा अन्य प्रकार के एनीमिया भी होते हैं, जिनका कारण निम्त तत्वों की कमी है:

फॉलिक एसिड (फोलेट की कमी वाला एनीमिया)
विटामिन बी12 (मेगालोब्लास्टिक एनीमिया)
फॉलिक एसिड और विटामिन बी12 दोनों संयुक्त रुप से (मैक्रोसाइटिक एनीमिया)

हालांकि, गर्भावस्था में आयरन की कमी वाला एनीमिया सबसे आम है।
गर्भावस्था में आयरन इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?
आपके शरीर को पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं बनाने और हीमोग्लोबिन सही स्तर पर बनाए रखने के लिए आयरन की जरुरत होती है।

यदि आपके खून में पर्याप्त हीमोग्लोबिन न हो तो शरीर के अंगों और ऊतकों को सामान्य से कम ऑक्सीजन मिलेगी। यह आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए सही नहीं है। यदि आपके शरीर में सही मात्रा में आयरन नहीं होगा, तो आपको आयरन की कमी वाला एनीमिया हो सकता है।

भारतीय महिलाओं में आयरन की कमी वाला एनीमिया दुनियाभर में सबसे ज्यादा है। बहुत सी महिलाओं में गर्भवती होने से पहले से ही आयरन की कमी होती है। शोध बताते हैं कि भारत में 10 में से छह गर्भवती महिलाओं में एनीमिया है। कुछ सर्वेक्षणों के मुताबिक यह आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है।

जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपके शरीर को सामान्य से अधिक आयरन की जरूरत होती है। यह इसलिए ताकि बढ़ते शिशु के लिए जरुरी रक्त का उत्पादन भी किया जा सके।

आपके शरीर में तरल की मात्रा भी बढ़ जाती है, इसलिए हीमोग्लोबिन मिश्रित होकर पतला हो जाता है। गर्भाधान से पहले आपके लिए आयरन की जरुरत यानि कि आयरन की रिकमेंडेड डायटरी एलाउंस (आरडीए) 30 मि.ग्रा. होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन 30 से 60 मि.ग्रा. आयरन अनुपूरण की सलाह देता है।

इसलिए गर्भावस्था में स्वयं को और शिशु को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन जरुरी है।

भारत में, बहुत सी महिलाओं को अपने आहार से पर्याप्त आयरन नहीं मिल पाता। शरीर आयरन के शाकाहारी स्रोतों की तुलना में गैर शाकाहारी/ मांसाहारी स्रोतों को अधिक कुशलता से अवशोषित करता है। इसलिए शाकाहारियों को आयरन की जरुरत पूरा करने के लिए आहार में इसकी मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
आयरन की कमी वाले एनीमिया के क्या लक्षण हैं?
एनीमिया के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

थकान, कमजोरी और ऊर्जा में कमी
श्वासहीनता
अत्याधिक तेज या अनियमित धड़कन (धकधकी)
चक्कर आना
सिरदर्द
चिड़चिड़ापन और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
होंठों, पलकों के अंदरुनी हिस्से और मुंह के अंदर की जगह का फीका पड़ जाना
टांगों में ऐंठन
भुरभुरे या चम्मच के आकार के नाखून
बाल झड़ना
भूख कम हो जाना

एनीमिया के कुछ ऐसे लक्षण भी हैं, जो इतने आम नहीं होते, जैसे कि:

जीभ में दर्द
सामान्य से ज्यादा ठंड लगना
कानों में घंटी की आवाज या गूंज सी सुनाई देना
भोजन के स्वाद में बदलाव
खाली बैठे हुए टांगें हिलाने की तीव्र इच्छा महसूस होना (रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम)
मुंह के किनारे फटना या दर्दभरे छाले से होना
निगलने में दिक्कत
खुजलाहट

खाने की असामान्य लालसा या इच्छा (पाईका) भी एनीमिया का एक लक्षण है। पाईका से ग्रस्त महिलाओं को ऐसी चीजें खाने की लालसा होती है जो खाने योग्य नहीं होती जैसे कि मिट्टी, गीली मिट्टी, साबुन, बर्फ, तारकोल, चॉक, राख या सिगरेट बट आदि।।
आयरन की कमी वाले एनीमिया का खतरा सबसे अधिक किसे है?
अगर आपके आहार में आयरन की कमी है, तो आपको एनीमिया होने का खतरा रहता है। मगर, आहार के अलावा भी कई ऐसे कारण हैं, जिनसे आपको गर्भावस्था में एनीमिया होने की संभावना रहती है, जैसे:

आपको काफी गंभीर मिचली और उल्टी (हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम) है और कोई भी खाना ज्यादा देर तक पेट में नहीं रह पाता।

आपके शरीर में आयरन का स्तर पहले से ही बहुत कम है। ऐसा आहार में आयरन की कमी की वजह से हो सकता है। कम अंतराल में दो या दो से अधिक बार गर्भधारण होने से भी इसकी संभावना हो सकती है।

अपनी पिछली गर्भावस्था में आप एनीमिया से पीड़ित रहीं थी।

गर्भधारण करने से पहले आपको भारी माहवारी होती थी।

आपको गर्भावस्था में रक्तस्त्राव हुआ है या फिर आपको प्लेसेंटा प्रेविया जैसी समस्या है। इससे रक्तस्त्राव का जोखिम बढ़ जाता है

आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु पल रहे है। दोनों बच्चों की जरूरतें पूरा करने के कारण आपको एनीमिया होने की संभावना हो सकती है

आपकी उम्र 20 वर्ष से कम है। भारत में 60 से 70 प्रतिशत किशोरियों में एनीमिया है।


कुछ आम बीमारियों और मलेरिया या हुक वर्म जैसे परजीवी के संक्रमण (पैरासाइ​ट इनफेक्शन) से एनीमिया और भी बिगड़ सकता हैं।
कैसे पता चलेगा कि मुझे एनीमिया है?
हो सकता है, आपको एनीमिया होने का पता ना चले। क्योंकि एनीमिया के कई लक्षणों को अन्य कारणों से भी जोड़ा जा सकता है। ये ​​बहुत से लक्षण जैसे कि थकान, सांस में कमी और चक्कर आदि ऐसी अनेक गर्भवती महिलाओं में पाए जाते हैं, जिनमें आयरन की कमी नहीं होती। अत: इसकी जांच के लिए सर्वोत्तम तरीका रक्त परीक्षण कराना ही है।

डॉक्टर आपकी पहली प्रसव-पूर्व जांच के दौरान खून की जांच कराने को कहेंगी। इससे आपके हीमोग्लोबिन स्तर का पता लगता है।

हीमोग्लोबिन स्तर 11 ग्राम/डेसीलीटर रक्त से कम होने पर एनीमिया माना जाता है। हीमोग्लोबिन के विभिन्न स्तर हैं:

10 से 10.9 ग्राम/डेसीलीटर रक्त तक हल्का एनीमिया
7 से 9.9 ग्राम/डेसीलीटर रक्त तक मध्यम स्तर का एनीमिया
7 ग्राम/डेसीलीटर रक्त से कम होने पर गंभीर एनीमिया

गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन के स्तर में थोड़ा बहुत बदलाव आना सामान्य है। यदि गर्भावस्था की शुरुआत के समय आपके आयरन संग्रह का स्तर अच्छा हो तो आपका हीमोग्लोबिन स्तर शुरुआत में ऊंचा रहने की संभावना होती है।

इसके बाद धीरे-धीरे यह तीसरी तिमाही के पहले महीने में गर्भावस्था से पहले के स्तर के आधे स्तर पर आ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब आपके खून में पहले से काफी ज्यादा तरल होता है और यह लाल रक्त कोशिकाओं के साथ मिल जाता है। ऐसे में आपके शरीर में मौजूद आयरन का इस्तेमाल ज्यादा तेजी से होता है।

तीसरी तिमाही के अंत में आपका हीमोग्लोबिन स्तर स्वत: ही थोड़ा बढ़ सकता है।

चाहे आपको गर्भावस्था की शुरुआत में एनीमिया न हो, तो गर्भावस्था में आगे आपको यह हो जाना असामान्य बात नहीं है। इसलिए हो सकता है बाद में आपकी यह जांच कराई जाए।

आपका एनीमिया आयरन की कमी की वजह से है या फिर फॉलिक एसिड या विटामिन बी12 जैसे विटामिन की कमी के कारण है। यह पता लगाने के लिए आपकी डॉक्टर अतिरिक्त परीक्षण भी करवा सकती है।
क्या एनीमिया के कारण मेरे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके एनीमिया का स्तर क्या है। आपका शरीर यह सुनिश्चित करता है कि पहले आपके शिशु को उसके हिस्से का आयरन मिले, उसके बाद आपको। आपके शिशु को विकसित होते दिमाग और तंत्रिका तंत्र के लिए आयरन की जरुरत होती है। इसलिए, शिशु तब तक इससे प्रभावित नहीं होगा, जब तक आपका आयरन का स्तर बहुत ही कम व गंभीर स्तर पर न पहुंच जाए।

अगर गर्भावस्था में गंभीर एनीमिया का उपचार न किया जाए, तो कुछ और परेशानियों का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे:

समय से पहले प्रसव का दर्द उठना
अपने विकास के चरण से छोटा शिशु या फिर जन्म के समय शिशु का कम वजन
शिशु में जन्म के समय आयरन का कम स्तर, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।
गर्भावस्था में संक्रमण हो जाना
मृत शिशु के जन्म (स्टिलबर्थ) या नवजात शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाना


आपकी डॉक्टर डिलीवरी ​के दौरान अतिरिक्त एहतियात बरतेंगी। आपके प्रसव के तीसरे चरण में प्लेसेंटा को बाहर निकालने के लिए शायदचिकित्सकीय विकल्पों की मदद ली जाएगी। इससे डिलीवरी के बाद अत्याधिक रक्तस्त्राव की आशंका कम रहती है, वरना इससे आयरन की कमी और बढ़ सकती है।

एनीमिया का प्रभाव शिशु के जन्म के बाद भी बना रह सकता है। बहुत सी नई माएं शिशु के जन्म के बाद पहले कुछ हफ्तों और महीनों तक काफी व्यस्त और थकी हुई सी रहती हैं। बहरहाल, यदि आपको आयरन की कमी हो तो नवजात शिशु की देखभाल करने में भी आपको मुश्किल हो सकती है। इससे आपको प्रसवोत्तर अवसाद होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

आप चिंता न करें, यदि आपके एनीमिया का समय पर पता चल जाए और उपचार हो जाए तो ऐसी समस्याएं होने की आशंका काफी कम होती है।
आयरन की कमी वाले गंभीर एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
एनीमिया से बचने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन अनुपूरक लेना चाहिए। इस अनुपूरक में 0.5 मि.ग्रा फॉलिक एसिड के साथ 100 मि.ग्रा एलीमेंटल आयरन होता है। इसे दूसरी तिमाही की शुरुआत से रोजाना लेना होता है। आपको गर्भावस्था के अंत तक और स्तनपान के दौरान इसे लेना जारी रखना होगा।

यदि आपको एनीमिया है, तो प्रतिदिन सुबह व शाम एक-एक गोली खाने के लिए कहा जा सकता है। आपको आयरन की यह उच्च खुराक हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य आने तक लेने को कहा जाएगा।

एक बार हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य होने पर, आपकी डॉक्टर रोजाना एक गोली लेने की सलाह दे सकती है। यह एनीमिया को दोबारा वापिस आने से रोकने के लिए किया जाता है।

अगर आपको हल्का एनीमिया है, तो अपने आहार में सुधार करने से मदद मिलेगी। इसके बावजूद, आपको आयरन की खुराक भी लेनी ही पड़ेंगी।

कैल्शियम आयरन के समाहन में बाधा डालता है। इसलिए आपको कैल्शियम और आयरन की गोलियां एक ही समय पर नहीं लेनी चाहिए।

डॉक्टर आपके आहार के बारे में पूछताछ करेंगी। मांस के स्त्रोतों में पाया जाने वाला आयरन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना अधिक आसानी से अवशोषित होता है। अगर आप शाकाहारी हैं, तो आपको अपने आहार में आयरन की वृद्धि के लिए आयरनयुक्त आहार शामिल करने होंगे।

चाहे आप शाकाहारी हों या गैर शाकाहारी, आपके लिए बहुत से आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं। आपको उन्हें अपने हर भोजन में शामिल करने का प्रयास करना पड़ेगा। आयरन से भरपूर भोजन के साथ विटामिन सी (जैसे कि एक गिलास नींबू पानी आदि) का सेवन आयरन का अवशोषण करने में शरीर की मदद करता है।
गंभीर एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है?
ज्यादातर गर्भवती माताएं पाती हैं की आयरन की गोलियों के सेवन और आहार में सुधार के बाद उनके आयरन के स्तर में वृद्धि हुई है। मगर स्तर में यह सुधार आने में तीन महीने तक लग सकते हैं।

यदि आपको गंभीर एनीमिया है, जिसका इलाज केवल आयरन की गोलियों से नहीं हो सकता या इसके तुरंत उपचार की जरुरत है, तो डॉक्टर आपको आयरन का इंट्रावेनस (नस में) इंजेक्शन या ड्रिप दे सकती हैं।

इंट्रावेनस आयरन इंजेक्शन हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने का सबसे तेज तरीका है, क्योंकि इसमें आयरन सीधा आपके खून में जाता है। इसके अलावा, यह आँतों में आयरन के अवशोषण के खतरे को भी समाप्त करता है।

कभी-कभी इंजेक्शन आपके नितंब पर लगाया जाता है। इस तरह के आयरन को इंट्रामसक्यूलर आयरन कहा जाता है। आमतौर पर इसकी एक से अधिक खुराक की आवश्यकता होती है।

आमतौर पर, एक बार आपके आयरन स्तर में सुधार आने के बाद, डॉक्टर ये इंजेक्शन बंद करने और दोबारा आयरन की गोलियां लेने की सलाह दे सकती है।

अत्याधिक गंभीर मामलों में, अगर ऊपर दिए सभी तरीके अपनाने के बाद भी आयरन के स्तर में सुधार नहीं आता, तो गर्भावस्था में एनीमिया का इलाज रक्त आधान (खून चढ़ाने) के जरिये भी किया जा सकता है। डॉक्टर आपके आयरन के स्तर को देखते हुए इस बारे में निर्णय लेंगी।

यदि गंभीर एनीमिया का उपचार काम न कर रहा हो तो डॉक्टर कुछ और जांच करवाने के लिए कहेंगी। कई बार गंभीर एनीमिया थैलीसिमिया, सीलिएक रोग, सिकल सेल रोग या फिर आंतों के इनफेक्शन की वजह से भी हो सकता है, हालांकि, ऐसा होना दुर्लभ है।
आयरन की खुराक कैसे लेनी चाहिए?
आयरन की गोलियों को खाली पेट लेना सबसे अच्छा होता है, खाना खाने से करीब एक घंटा पहले। मगर, इससे कुछ महिलाओं को एसिडिटी हो सकती है, इसलिए बेहतर है कि आयरन अनुपूरक को थोड़े भोजन के साथ लिया जाए।

यह बात ज़रूर ध्यान में रखें कि दूध का कैल्शियम और चाय व कॉफी में मौजूद टैनिन आयरन के अवशोषण को कम करते है। यदि आप कॉफी, चाय या दूध पीती हैं तो आयरन की गोली लेने से पहले और बाद में इनका दो घंटे का अंतर रखें।

कैल्शियम और आयरन के सप्लीमेंट एक साथ न लें। दोनों के बीच करीब चार घंटों का अंतर रखें। यदि आप आयरन की गोली दिन में एक बार लेती है, तो आप आयरन अनुपूरक दिन में और कैल्शियम अनुपूरक रात में ले सकती हैं। साथ ही आयरन की गोली को एंटेसिड या अन्य दवाओं के साथ भी न लें।

विटामिन सी आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है। इसलिए आप संतरे, निम्बू पानी या आंवला का रस इन गोलियों के साथ ले सकती हैं।

सुनिश्चित करें कि आपके आयरन अनुपूरक बच्चों की पहुंच से दूर हों, क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से ये जानलेवा हो सकते हैं और बच्चों में गलती से जहरीली चीज लेने का आम कारण होते हैं।
क्या आयरन की गोलियों के कोई दुष्प्रभाव है?
आयरन की खुराक आपके आयरन के स्तर में सुधार जरूर लाएगी, लेकिन कुछ अप्रिय दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे:

कब्ज
मिचली या उल्टी
दस्त(डायरिया)
अम्लता (एसिडिटी) और सीने में जलन (हार्टबर्न)
पेट में दर्द


आयरन की गोलियों के सेवन से मल सामान्य से गहरे रंग का और काला भी हो सकता है।

ये दुष्प्रभाव ​धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं, इसलिए धैर्य रखें और दवा लेती रहें। आपके आयरन का स्तर इन्हें लेने के कुछ हफ्तों के अंदर ठीक हो जाना चाहिए।

यदि कब्ज की समस्या है, तो साबुत अनाज, फल और सब्जियों के रूप में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। आपकी डॉक्टर एक सौम्य रेचक (लैक्सेटिव) दे सकती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान आपके लिए सुरक्षित है।

कुछ गर्भवती माताएं आयरन की खुराक दुष्प्रभावों की वजह से नहीं लेती। लेकिन खुराक को बंद करने की बजाय, अपनी डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर खुराक थोड़ी कम कर सकती हैं या फिर अलग तरह का अनुपूरक दे सकती हैं जिससे साइड इफेक्ट कम हों।

यदि आयरन की गोलियों के सेवन से आपको ज्यादा परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर से बात करें। हालांकि, आयरन की गोलियां खाली पेट लेने पर ज्यादा बेहतर ढंग से समाहित होती हैं, मगर डॉक्टर आपको उन्हें भोजन के साथ या भोजन के बाद लेने को भी कह सकती हैं, ताकि आपकी असहजता कम हो।

यह एक आम धारणा है कि आयरन की गोलियां शिशु की त्वचा का रंग सांवला कर देती हैं। त्वचा का रंग शिशु के वंशाणुओं से निर्धारित होता है, जो उसे आप और आपके पति से मिलता है। रक्त में आयरन की मात्रा से शिशु के रंग पर कोई असर नहीं पड़ता। यह गोलियां लेना ज़रूरी है, क्योंकि न लेने के कारण यदि आपको एनीमिया हो सकता है। इसका उपचार न किया जाए, तो आपके और आपके शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

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