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प्रेग्नेंसी की शुरुआत में आपको हल्की ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं है। इसे 'स्पॉटिंग' (spotting) कहते हैं। ऐसा तब होता है, जब बढ़ता हुआ भ्रूण खुद को आपकी कोख की दीवारों में प्रत्यारोपित करता है। इस तरह की ब्लीडिंग अक्सर उस समय के आसपास होती है, जब आपके पीरियड का समय होने वाला होता है।
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना, हमेशा किसी परेशानी का संकेत नहीं होता है। ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्हें प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होने के बाद नॉर्मल प्रेग्नेंसी रहती है और स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं।
ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के कारण
अगर एक या दो दिन ब्लीडिंग हो रही है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन कई बार कुछ गंभीर कारणों से गर्भवती महिला को शुरुआती दिनों में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है।
इस समय महिलाओं को इंप्लांटेशन ब्लीडिंग, सर्विकल पोलिप, सेक्स, मिसकैरेज, जुड़वा या तीन बच्चे, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, मोलर प्रेग्नेंसी की वजह से ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है।
गर्भावस्था में ब्लीडिंग के लक्षण
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग की वजह से हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है। इसमें कोई अन्य लक्षण दिखाई नहीं देता है। कई बार कुछ महिलाएं इंप्लांटेशन ब्लीडिंग को पीरियड्स समझ लेती हैं।
अगर आपको प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में पेट में ऐंठन के साथ ब्लीडिंग भी हो रही है तो यह मिसकैरेज का संकेत हो सकता है। इसके अलावा ब्लीडिंग के साथ प्रेग्नेंसी लक्षणों जैसे कि उल्टी या मतली का ना दिखना भी चिंताजनक हो सकता है।
अगर प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में इंफेक्शन की वजह से ब्लीडिंग हो तो महिला को बुखार, पेशाब करते समय दर्द या दिक्कत होना, योनि के आसपास छूने पर दर्द हो सकता है।
रप्चर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में तुरंत इलाज की जरूरत होती है। इसमें कंधे में दर्द और पेट फूलने की दिक्कत हो सकती है।
क्या है ब्लीडिंग या स्पॉटिंग का इलाज
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होने पर इलाज की जरूरत नहीं होती है। इससे किसी भी तरह की कॉम्प्लिकेशन होने का खतरा नहीं रहता है। अगर एक्टोपिक या मोलर प्रेग्नेंसी की वजह से ब्लीडिंग हो रही है, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
यदि मिसकैरेज से ब्लीडिंग हो रही है, तो डॉक्टर दवा की मदद से इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। इसमें भ्रूण के मृत हिस्सों को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं
गर्भवती महिला को शुरुआती दिनों या प्रेग्नेंसी के दौरान कभी भी ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर से बात करनी चाहिए। डॉक्टर ब्लड टेस्ट और योनि की जांच कर के ब्लीडिंग के कारण का पता लगा सकते हैं। हर बार ब्लीडिंग का मतलब मिसकैरेज ही नहीं होता है।
अगर डॉक्टर को किसी तरह की कोई कॉम्प्लिकेशन दिख रही है तो इसे सही उपचार से ठीक किया जा सकता है। इसमें दवा, सर्जरी और मॉनिटरिंग शामिल है।
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना नॉर्मल बात है लेकिन अगर आपको लगातार ब्लीडिंग हो रही है और पेट में दर्द या ऐंठन भी महसूस हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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