क्या मैं खिलाने से पहले ग्राइप वाटर दे सकती हूं?pregnancytips.in

Posted on Tue 25th Oct 2022 : 14:00

दूध पिलाने के लगभग दस मिनट बाद शिशु को ग्राइप वॉटर देना सही रहता है।

क्या बच्चों के लिए ग्राइप वाटर सुरक्षित है?
यह सवाल अक्सर कई लोगों के मन में चलता होगा कि क्या उनके नन्हे के लिए ग्राइप वाटर सुरक्षित है? हालांकि, यह साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि ग्राइप वाटर बच्चे के लिए सुरक्षित है या नहीं, लेकिन पहले ग्राइप वाटर में अल्कोहल को मिलाया जाता था, जिस कारण यह शिशु के लिए हानिकारक था। इसके अलावा भी कई ऐसे तत्व हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए, नीचे हम कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं, जो अगर ग्राइप वाटर में हों, तो यह शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।

अल्कोहल – पहले ग्राइप वॉटर में सीमित मात्रा में अल्कोहल को मिलाया जाता था (2)। ऐसा माना जाता था कि ग्राइप वाटर में अल्कोहल की मात्रा बच्चे पर अच्छा प्रभाव डालती है, जबकि ऐसा नहीं है। वहीं, अब बाजार में मिल रहे ग्राइप वाटर में अल्कोहल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium bicarbonate) – ग्राइप वाटर में सोडियम बाइकार्बोनेट का भी उपयोग होता है। इसके ज्यादा सेवन से शिशु को अल्कालोसिस और मिल्क अल्कली सिंड्रोम जैसी समस्या हो सकती है, जिस कारण शिशु के किडनी व अन्य अंगों पर असर पड़ सकता है (2)। अल्कालोसिस शरीर में कुछ असामान्य स्थिति के कारण होता है, जिससे खून में पीएच का स्तर असंतुलित हो जाता है। दरअसल, खून एसिड और बेस से बना होता है और शरीर में एसिड कम होता है या बेस बढ़ जाता है, तो ऐसा हो सकता है। वहीं, मिल्क अल्कली सिंड्रोम की अवस्था में शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है।

शुगर – ग्राइप वाटर में भारी मात्रा में शुगर होती है। ऐसे में अगर इसे शिशु को ज्यादा मात्रा में पिलाया जाए, तो शिशु के नए-नए दांत खराब हो सकते हैं। इसलिए, जब भी ग्राइप वाटर खरीदने जाएं, तो उसमें शुगर की मात्रा जरूर चेक कर लें और शिशु को संतुलित मात्रा में इसका सेवन कराएं ।

ग्लूटेन – कई बार ग्राइप वाटर में ग्लूटेन भी रहता है, जो शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। शिशु को कम से कम छह महीने के बाद ही ग्लूटेन का सेवन कराना चाहिए। अगर उससे पहले शिशु को यह दिया जाए, तो उसे सीलिएक डिजीज (एक तरह की आंत संबंधी बीमारी) होने का खतरा बढ़ जाता है ।

वेजिटेबल कार्बन या चारकोल – कई ग्राइप वाटर में वेजिटेबल कार्बन या चारकोल का उपयोग भी किया जाता है, जो शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, शिशु के लिए ग्राइप वाटर लेने से पहले उसमें मिलाई गई सामग्रियों पर जरूर ध्यान दें। अगर उसमें चारकोल मौजूद हो, तो उसे अपने शिशु को न पिलाएं। इसका सेवन एक सही उम्र में और डॉक्टर की देखरेख में संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए ।

इन सबके अलावा ग्राइप वाटर में कुछ जड़ी-बूटियां भी होती हैं, जिसका साइड इफेक्ट शिशु पर हो सकता है। खासकर, इसका प्रभाव शिशु की अविकसित किडनी पर अधिक पड़ता है। इसलिए, शिशु को ग्राइप वाटर डॉक्टर की सलाह पर ही देना चाहिए।

ग्राइप वाटर के फायदे क्या हैं? |
अगर ग्राइप वाटर का संतुलित और सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह शिशु के लिए फायदेमंद भी हो सकता है। अगर नहीं होता यकीन, तो नीचे पढ़िए कि ग्राइप वाटर के फायदे क्या-क्या हैं।

कॉलिक यानी पेट दर्द – कई बार शिशु को गैस की वजह से पेट में दर्द या मरोड़ की समस्या होती है। इस कारण शिशु लंबे वक्त तक रोता रहता है, ऐसे में ग्राइप वाटर के सेवन से शिशु को दर्द की परेशानी से राहत मिल सकती है। ध्यान रहे कि डॉक्टर से पूछने के बाद ही शिशु को पिलाएं ।

पेट संबंधी अन्य समस्याएं – कई बार शिशुओं को भी गैस और पेट संबंधी अन्य समस्याएं जैसे – कब्ज की परेशानी होती है। ऐसे में आप शिशु को गैस और पेट फूलने की समस्या के दौरान भी ग्राइप वाटर दे सकते हैं।

दांत निकलते वक्त – दांत निकलते वक्त भी शिशु बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं और उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती है। ऐसे में कई बार माता-पिता ग्राइप वाटर का उपयोग करते हैं। ध्यान रहे कि इसका ज्यादा उपयोग न करें, क्योंकि इससे शिशु के नए दांत खराब हो सकते हैं

नोट : ग्राइप वाटर खरीदने से पहले उसमें मौजूद सामग्रियों के बारे में जरूर पढ़ लें और डॉक्टर के कहने पर ही शिशु को यह पिलाएं।

बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए ? |
वैसे तो जब शिशु चिड़चिड़ा हो रहा हो, लगातार रो रहा हो, पेट में गैस की तकलीफ हो रही हो, तब उसे ग्राइप वाटर दे सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि आपका शिशु एक महीने से कम का न हो। एक महीने से छोटे शिशु के लिए ग्राइप वाटर देना सही नहीं है, क्योंकि इस दौरान शिशु का पाचन तंत्र संवेदनशील और कमजोर होता है, जिस कारण उसे समस्या हो सकती है। बेहतर यही है कि अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। डॉक्टर आपके शिशु की परेशानी को समझकर सही राय देंगे।

आगे जानिए बेबी को ग्राइप वाटर कैसे दिया जाना चाहिए।

शिशुओं के लिए ग्राइप वाटर कैसे दें?
आप एक चम्मच में या ड्रॉपर की मदद से ग्राइप वाटर दे सकते हैं। बाजार में कई ब्रांडेड ग्राइप वाटर उपलब्ध हैं, जिनके डिब्बे या बोतल पर लिखा होता है कि बच्चे को कितनी मात्रा में ग्राइप वाटर देना चाहिए। एक चम्मच का उपयोग करके मात्रा को मापें और फिर इसे अपने बच्चे को देने के लिए ड्रॉपर का उपयोग करें। ग्राइप वाटर आमतौर पर मिनटों के भीतर प्रभाव दिखाता है, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि शिशु की उम्र और उसकी स्थिति की गंभीरता।

आमतौर पर ग्राइप वाटर दिन में एक बार दिया जाता है, लेकिन कभी-कभी कुछ ब्रांड एक बार से ज्यादा देने की सलाह देते हैं। ऐसी स्थिति में इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना ज्यादा बेहतर रहेगा।
ग्राइप वाटर लेने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें। साथ ही उसमें मौजूद सामग्रियों को भी पढ़ लें।

ग्राइप वाटर के नुकसान |
ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान दोनों हैं। अगर इसे सीमित मात्रा में उपयोग करें, तो फायदे और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करें, तो नुकसान भी कई हैं। अब सवाल यह उठता है कि नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। आइए, जानते हैं:

शिशु को एलर्जी हो सकती है।
खुजली की समस्या हो सकती है
ग्राइप वाटर की तासीर ठंडी होती है, तो इससे आंखों में पानी आने की परेशानी हो सकती है।
सांस लेने की समस्या हो सकती है।
उल्टी आ सकती है।
सूजन की परेशानी भी हो सकती है।
अगर इसे सही तरह से स्टोर या प्रयोग न किया जाए, तो शिशु को बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकता है।

ग्राइप वाटर का उपयोग करने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां
अगर आप चाहते हैं कि आपके शिशु को ग्राइप वाटर से फायदा हो, तो बेबी को ग्राइप वाटर देने से पहले नीचे लिखी कुछ सावधानियों के बारे में जान लें।
सामग्री – ग्राइप वाटर खरीदते वक्त उसमें कौन से सामग्रियों का उपयोग हुआ है उस बारे में पढ़ लें। अगर उसमें अल्कोहल व चारकोल जैसे तत्व हैं, तो उसे न खरीदें।
तारीख – हमेशा ग्राइप वाटर खरीदते वक्त उसके बनने की और कब तक उपयोग कर सकते हैं, उस तारीख को देखकर अपने शिशु को पिलाएं। ध्यान रहे कि आपके बच्चे की सेहत आपके हाथों में है।
मात्रा – शिशु को एक बार में कितनी मात्रा देनी है, इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
एलर्जी – ध्यान रहे कि अगर आपके शिशु को एलर्जी हो या उसे कोई दवा दे रहो हो, तो ग्राइप वाटर न दें या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दें।

आगे जानिए ग्राइप वाटर के क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं।
ग्राइप वाटर के विकल्प
ग्राइप वाटर भले ही फायदे हों, लेकिन ध्यान रहे कि आपके शिशु को इसकी आदत न पड़े। इसलिए, नीचे हम आपको ग्राइप वाटर के विकल्प के बारे में बता रहे हैं।

अगर शिशु को पेट में गैस या दर्द की परेशानी हो, तो आप शिशु के पेट को हल्के-हल्के से मालिश करके उन्हें आराम पहुंचा सकते हो।

अगर आप शिशु को फॉर्मूला मिल्क दे रहे हैं, तो उसके दूध में बदलाव करके देखें या जिस ब्रांड का उपयोग कर रहे हैं, उसे बदलकर देखें।

मौसम में बदलाव होने पर शिशु पर ध्यान दें। कभी-कभी शिशु ठंड लगने से या गर्मी लगने से भी रोते हैं। इसलिए, उन्हें मौसम के अनुसार ही कपड़े पहनाएं।
शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे डकार जरूर दिलाएं।
शिशु को कम से कम छह महीने तक मां का दूध ही दें।

क्या ग्राइप वाटर को फॉर्मूला दूध में मिलाया जा सकता है?
कई माता-पिता ग्राइप वाटर को फॉर्मूला दूध के साथ देते हैं। हालांकि, यह सुरक्षित हो सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि आप ग्राइप वाटर को किसी चीज में मिलाकर न दें। ग्राइप वाटर का असर तब और अच्छे से होता है, जब इसे ऐसे ही बिना किसी चीज में मिलाकर दिया जाए। ज्यादातर ग्राइप वाटर का स्वाद अच्छा होता है, इसलिए यह आपके शिशु को पसंद आएगा।

नन्हे शिशु नाजुक होते हैं और माता-पिता की छोटी-सी अनदेखी भी उनके स्वास्थ्य पर भारी साबित हो सकती है। इसलिए, आप इस लेख में ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान जानने के बाद अपने बेबी को ग्राइप वाटर देते वक्त पहले से भी ज्यादा सावधानी बरतेंगे। साथ ही अगर शिशु के स्वास्थ्य में जरा-सा भी असंतुलन नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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