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प्रेग्नेंसी में पूरा दिन बिस्तर पर लेटी रहती हैं तो संभल जाएं, ज्यादा आराम बच्चे पर पड़ सकता है भारी
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरत से ज्यादा आराम करना भी नुकसानदायक हो सकता है।
how much rest is required in pregnancy in hindi
प्रेग्नेंसी में पूरा दिन बिस्तर पर लेटी रहती हैं तो संभल जाएं, ज्यादा आराम बच्चे पर पड़ सकता है भारी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अच्छी नींद नहीं ले पाती हैं। यदि कोई इन दिनों गहरी नींद सोता है तो यकीनन वह काफी खुशनसीब है। हर गर्भवती महिला के लिए पूरे दिन में 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी आवश्यक है। कम नींद लेने से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। ठीक इसी तरह बिस्तर पर सारे दिन लेटे रहना भी शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
गर्भावस्था में ज्यादा नींद आने की वजह
गर्भावस्था के दौरान महिला का मैटाबाॅलिज्म बदल जाता है। इस वजह से वह थकान से भरी रहती है। यही नहीं गर्भावस्था में शरीर प्रेग्नेंसी और रिप्रोडक्टिव साइकिल को संतुलित करने के लिए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन रिलीज करता है।
इस हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला को नींद ज्यादा आ सकती है। प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने और ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर के स्तर में गिरावट से शरीर में थकावट आ जाती है। नतीजतन गर्भावस्था में महिला लंबे समय तक बल्कि घंटों तक लेटी रहती है।
गर्भावस्था में नींद न आने की वजह
शारीरिक बदलाव, पेट का बढ़ना, चिंता आदि की वजह से नींद बाधित होती है। इसकी वजहें हैं-
गर्भावस्था में महिला के पेट पर काफी दबाव बनता है, जिस वजह से गर्ड होता है। यह अवस्था तब होती है जब पेट में बनने वाला एसिड एसोफैगस तक आ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स की समस्या होती है। इस कारण महिला चैन से सो नहीं पाती। कई बार नींद के दौरान भी उन्हें यह समस्या काफी परेशान कर सकती है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार पहली और दूसरी तिमाही में 26.1 से 36.1 पर्सेंट और तीसरी तिमाही में 51.2 पर्सेंट प्रेगनेंट महिलाओं को जीईआरडी की समस्या होती है।
स्लीप एपनिया
यह एक किस्म का सोने से संबंधित गंभीर विकार है। स्लीप एपनिया होने पर व्यक्ति सोने के दौरान सांस नहीं ले पाता। ऐसा कुछ देर के लिए होता है।
नतीजतन, उसके शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंच पाती है। सांस रुकने से उसकी आंख खुल जाती है। जो गर्भवती महिला स्लीप एपनिया से गुजरती है, लंबी नींद लेने के बावजूद वह फ्रेश फील नहीं करती है।
यदि गर्भवती महिला रात को खर्राटे लेती है और पूरी रात सोने के बावजूद थकान महसूस करती है, तो इसकी वजह स्लप एपनिया हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें। कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि हार्मोनल बदलाव के लिए गर्भावस्था में स्लीप एपनिया हो सकता है।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
बैठे-बैठे बिना वजह पांव हिलाने की आदत को रेस्टलेस लेग सिंड्रोम कहा जाता है। यदि किसी गर्भवती महिला को यह समस्या है, तो इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह आदत दिमाग के लिए नकारात्मक हो सकती है।
इसमें महिला को अपने पांव हिलने की तीव्र इच्छा होती है। यहां तक कि नींद में भी यह इच्छा उग्र रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने और फोलिक एसिड तथा आयरन की कमी के कारण हो सकता है। अतः रात में नींद बाधित हो रही है, तो डाॅक्टर से संपर्क करें।
बार-बार पेशाब आना
गर्भावस्था में बार-बार पेशाब बहुत आता है। कुछ महिलाओं को बार-बार पेशाब आता है। ऐसा पहली और तीसरी तिमाही में ज्यदा होता है। यह प्राकृतिक है, इसे रोका नहीं जा सकता है। यह पेट का आकार बढ़ने से ब्लैडर में हमेशा दबाव बना रहता है, जिस कारण महिला को बार-बार पेशाब करने की इच्छा बनी रहती है।
सोते समय भी महिला को बार-बार पेशाब आ सकता है, जिस वजह से उसकी नींद बाधित हो सकती है।
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