Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
क्यों आम होता जा रहा है महिलाओं के गर्भाशय में ट्यूमर, जानिए इसके लक्षण व कारण
क्यों आम होता जा रहा है महिलाओं के गर्भाशय में ट्यूमर, जानिए इसके लक्षण व कारणगर्भाशय में ट्यूमर होने की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
कुछ दिन पहले 48 साल की अनीता अपनी कुछ परेशानियों को लेकर महिला डॉक्टर के पास गईं। जांच के बाद पता चला कि अनीता के गर्भाशय में ट्यूमर है जिसका तुरंत आपरेशन करना पड़ेगा।
अनीता जैसी कई महिलाएं है जिन्हें अचानक एक दिन पता चलता है कि उनके बच्चेदानी में ट्यूमर हो गया है। बीते कुछ समय में महिलाओं में ये समस्या तेजी से बढती दिख रही है। भारत में कुल कैंसर मरीजों का एक तिहाई हिस्सा गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित है। 30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं में ये खतरा ज्यादा होता है।
देश में हर साल सवा लाख महिलाओं को बच्चेदानी का कैंसर होता है और इन में से 62 हजार की मौत हो जाती है। इस बारे में लखनऊ की मेडिकल कालेज की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ रेखा सचान बताती हैं, ये बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पौपीलोमा वायरस) से फैलता है। सही समय पर सही इलाज से इस वायरस को खत्म भी किया जा सकता है। लेकिन अगर इसकी अनदेखी की जाए तो यह गर्भाशय के कैंसर का कारण भी बन सकता है। इसलिए महिलाओं को 30 साल के बाद एचपीवी की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए। इस के अलावा कैंसर से बचाव के लिए बनाया गया टीका लगवाने से भी इस से काफी हद तक बचा जा सकता है।
अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में मोनोपाज के बाद ये लक्षण दिखने लगते है। इस बीमारी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं इसके बारे में लखनऊ के विवेकानंद पॉलीक्लीनिक की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सुमिता मल्होत्रा बता रही हैं, “इसके पीछे का बिल्कुल सही कारण क्या है ये पता लगाना मुश्किल होगा लेकिन सबसे पहला कारण तो माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन है। महिलाएं इस समय साफ सफाई का ध्यान नहीं रखती हैं, सैनटरी पैड का प्रयोग बढ़ा है लेकिन एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल भी खतरनाक हो सकता है। कुछ दवाओं को नियमित इस्तेमाल भी इसका कारण हो सकता है जैसे ये गर्भनिरोधक गोलियों का भी।”
डॉ मल्होत्रा आगे बताती हैं, “इसके अलावा बार बार गर्भधारण करना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध या कम उम्र में शादी भी इसके कारण हो सकते हैं। गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती लक्षण ट्यूमर बनना ही है। ज्यादातर केस में इसका पता पहली स्टेज में ही चल जाता है और आपरेशन से यूट्रस को निकाल दिया जाता है।”
अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक सर्वे 'स्टडी ऑफ विमेंस हेल्थ अराउंड द नेशन' (स्वान) में 3,240 महिलाओं पर वैज्ञानिकों ने 13 वर्षों तक अध्ययन किया। इस परीक्षण से पता चला है कि जिन महिलाओं में टेस्टेस्टेरोन की अधिक मात्रा होती है उनके गर्भाशय में ट्यूमर के बनने की आशंका, कम टेस्टोस्टेरोन स्तर वाली महिलाओं की तुलना में अधिक होती है। जो महिलाएं पीरियड्स के संक्रमण से गुजर रही हैं उनमें टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन का अधिक होना गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।
ये बीमारी महिलाओं के किशेारियों में भी देखी जा रही है इससे बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है जिसे डॉक्टर की सलाह पर 3 डोज दे कर उन्हें खतरे से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही अगर महिलाओं को शरीर के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह के बदलाव का पता चले या कोई परेशानी हो तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
लक्षण
पेट में दर्द, थकान व कमजोरी होना।
पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना।
मोनोपाज के बाद अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाना।
यूरिन के साथ खून आना, यूरिन पर बिल्कुल नियंत्रण न कर पाना।
मल त्याग के समय दर्द होना, ट्यूटर छोटी आंत, पेट व मूत्राशय पर दबाव डालती है।
--------------------------- | --------------------------- |