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गर्भावस्था में खांसी व सर्दी-जुकाम
सर्दी-जुकाम किस वजह से होता है?
200 से भी ज्यादा ऐसे विषाणु (वायरस) हैं जो सर्दी-जुकाम के लक्षण पैदा कर सकते हैं। किसी व्यक्ति के छींकने या खांसने से जो कीटाणु फैलते हैं, उनसे जुकाम होता है। ये कीटाणु हमारे हाथों या अन्य जगहों पर 24 घंटे तक जिंदा रह सकते हैं। जुकाम का वायरस आपके शरीर में नाक, मुंह या आंखों के जरिये प्रवेश कर सकता है।
इसके लक्षण करीब एक हफ्ते तक रहते हैं, हालांकि खांसी तीन हफ्तों तक रह सकती है। चूंकि सर्दी-जुकाम जीवाणु (बैक्टीरिया) की बजाय विषाणु की वजह से फैलता है, इसलिए एंटिबायोटिक दवाओं से भी फायदा नहीं होगा।
कई बार गले, नाक, कान या छाती में वायरल या बैक्टीरियल इनफैक्शन होने से भी सर्दी-जुकाम हो सकता है।
साइनस इनफेक्शन के संकेतों पर ध्यान दें जैसे कि बुखार और पीला, हरा या लाल श्लेम (म्यूकस)।
कुछ बैक्टीरियल संक्रमणों में एंटिबायोटिक की जरुरत हो सकती है, इसलिए यदि लक्षण और बिगड़ते जा रहे हों तो डॉक्टर को दिखाएं।
मुझे गर्भावस्था के दौरान ज्यादा खांसी-जुकाम क्यों हो रहा है?
आपको गर्भावस्था के दौरान कभी न कभी सर्दी-जुकाम होने की संभावना रहती ही है, क्योंकि साल में दो या तीन बार जुकाम होना आम है।
साथ ही, जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपकी प्रतिरक्षण प्रणाली में काफी बदलाव आता है। अब उसका मुख्य मकसद आपके गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा करना होता है। इस वजह से आपकी इनफेक्शन के खिलाफ प्रतिरक्षा सामान्य से कम हो जाती है।
छोटे बच्चों को जुकाम और भी ज्यादा होता है, इसलिए यदि आप उनके आसपास रहती हैं तो आपको ज्यादा बार सर्दी-खांसी हो सकती है।
क्या मुझे सर्दी-जुकाम होने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?
सामान्य सर्दी-खांसी होने पर आपको चाहे कितनी भी असहजता महसूस हो, मगर इससे आपकी या शिशु की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
फिर भी, गर्भावस्था के किसी भी चरण में अपने स्वास्थ्य के बारे में आपकी कोई भी चिंता हो तो हमेशा डॉक्टर से बात करें।
गर्भावस्था में सर्दी-जुकाम, खांसी का उपचार कैसे किया जा सकता है?
यदि आपको सर्दी-खांसी है, तो एंटिबायोटिक्स से फायदा नहीं होगा। आप परेशान न हों, जब भी थकान महसूस हो आराम करें, अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और जलनियोजित रहने के लिए पर्याप्त पानी पीएं।
जुकाम और खांसी से राहत के लिए कौन से घरेलू उपचार सही हैं?
अपने लक्षणों को देखते हुए आप सर्दी-जुकाम में आराम के लिए नीचे दिए गए कुछ नुस्खों को भी आजमा सकती हैं:
बंद नाक। भाप लेने की मशीन (स्टीमर) या गर्म पानी के प्याले में नीलगीरि (यूकेलिप्टस) तेल की दो या तीन बूंदे डालें। अपने सिर पर तौलिया ढककर प्याले पर आगे की ओर झुकें और सांस के जरिये भाप अंदर लें। इससे आपकी बंद नाक खुलने में मदद मिलेगी।
तुरंत आराम। रात के समय या जब आप बाहर जा रहे हों, तो एक रुमाल पर नीलगीरि के तेल की कुछ बूंदे डाल लें और उसे सूंघे। आप पुदीने के सत वाली कैंडी (मैंथॉल लॉज़ेंजज) भी लेकर देख सकती हैं।
गले में दर्द या खांसी। हल्के गर्म पानी में शहद, अदरक और नींबू डालकर पिएं। कुछ महिलाएं तुलसी या अदरक की चाय को भी फायदेमंद मानती हैं। हालांकि, गर्भावस्था में अन्य पेयों की तरह इन्हें भी सीमित मात्रा में ही पीएं।
सैलाइन पानी से धोएं। नमके के पानी का स्प्रे नाक में अंदर डालकर अपने नथुने धोने का प्रयास करें। इसे बंद नाक खुलने में मदद मिल सकती है। योग की तकनीक जल नेती से भी बंद नाक से राहत में मिल सकती है। हालांकि, आपको यह तकनीक गर्भावस्था योग में प्रशिक्षित गुरु से ही सीखनी चाहिए और हमेशा उनकी निगरानी में ही इसे आजमाना चाहिए। अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा ऊंचा उठाएं। जब आप आराम करने या सोने के लिए लेटें तो अतिरिक्त तकिये लगाकर शरीर के ऊपरी हिस्से को थोड़ा ऊंचा उठाने का प्रयास करें। इससे बंद नाक खुलने और बहने में मदद मिलती है। कुछ महिलाएं इसके लिए वेज आकार के तकिये का इस्तेमाल करती हैं। यदि आपके पास यह नहीं है तो आप कुशन या तकियों से तिकोना आकार बना लें, ताकि आपको सही सहारा मिल सके। ध्यान दें कि शरीर का ऊपरी हिस्सा उठा होना चाहिए, यदि आप केवल सिर को ऊंचा करेंगी तो आपको आराम से सांस लेने में दिक्कत होगी।
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