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गर्भावस्था के हर हफ्ते में कितना होता है मिसकैरेज का खतरा
प्रेगनेंसी के 20वें हफ्ते से पहले गर्भपात का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आमतौर पर मिसकैरेज गर्भावस्था की पहली तिमाही में होता है।
10 से 15 फीसदी प्रेगनेंसी में मिसकैरेज हो जाता है। आपने कई बार सुना होगा कि कई कपल्स तब तक किसी को प्रेगनेंसी के बारे में नहीं बताते हैं जब तक कि मिसकैरेज का खतरा कम न हो जाए। प्रेगनेंसी का जितना समय बीतता है, उतना ही मिसकैरेज का खतरा कम होता है।यहां हम आपको बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी के किस हफ्ते में मिसकैरेज का कितना खतरा रहता है।गर्भावस्था में हर हफ्ते मिसकैरेज का खतरा
अधिकतर मामलों में मिसकैरेज ऐसे कारकों की वजह से होता है जिन पर महिलाओं का कोई कंट्रोल नहीं होता। मिसकैरेज का प्रमुख कारण अनुवांशिक समस्याएं होती हैं।
लगभग 80 फीसदी मिसकैरेज प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में होती हैं जो कि 0 से 13वां सप्ताह के बीच होती हैं।
अनुवांशिक समस्याओं का मतलब है कि शिशु गर्भ के बाहर भी जीवित नहीं रह सकता है।
गर्भावस्था के शुरुआती समय में भ्रूण का विकास महत्वपूर्ण होता है। इस समय शराब पीने की वजह से भी शिशु को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। जैसे जैसे भ्रूण विकसित होता जाता है, उसके नष्ट होने की संभावना कम होती चली जाती है। प्रेगनेंसी के 3 से 4 सप्ताह
आखिरी पीरियड के बाद के लगभग तीसरे सप्ताह में इंप्लांटेशन होता है और इसके लगभग एक सप्ताह बाद ओवुलेशन होता है। चौथे सप्ताह के बाद होम प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिवआ सकता है।
लगभग पचास से पचहत्तरफीसदी गर्भावस्था प्रेगनेंसी टेस्ट में पॉजिटिव आने से पहले ही खत्म हो जाती हैं।पांचवा सप्ताह
साल 2013 की स्टडी में पाया गया कि प्रेगनेंसी के पांचवें सप्ताह के बाद मिसकैरेज का खतरा 21.3 फीसदी होता है।
छह से 7 सप्ताह
इसी अध्ययन में बताया गया कि प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह के बाद मिसकैरेज का खतरा सिर्फ फीसदी रह जाता है। अधिकतर मामलों में लगभग छठे सप्ताह के आसपास अल्ट्रासाउंड के जरिए शिशु की दिल की धड़कन का पता चल जाता है।8 से 13 सप्ताह
गर्भावस्था की पहली तिमाही आधी गुजरने के बाद मिसकैरेज का खतरा 2 से 4 फीसदी होता है।
14 से 20 सप्ताह
13 और 20 सप्ताह के बीच मिसकैरेज का जोखिम 1 पर्सेंट से कम होता है। गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद होने वाले मिसकैरेज को स्टिलबर्थ (जिसमें मरा हुआ बच्चा पैदा होता है) कहते हैं और हो सकता है कि इस स्थिति में महिला का प्रसव करवाना पड़े।
स्टिलबर्थ दुर्लभ ही होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के इतने हफ्ते गुजरने के बाद शिशु मॉडर्न टेक्नोलॉजीकी मदद से जीवित रह पाता है।उम्र के हिसाब से मिसकैरेज का खतरा
उम्र के साथ साथ मिसकैरेज की दर भी बढ़ती जाती है। उम्र बढ़ने के साथ एग की क्वालिटी घटती चली जाती है जो कि अधिक उम्र में मां बनने पर मिसकैरेज होने का प्रमुख कारण हो सकता है।
20 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में मिसकैरेज का खतरा 9 से 17 पर्सेंट, पैंतीस साल की उम्र में 20 पर्सेंट, 40 साल की उम्र में 40 पर्सेंट और पैंतालीस साल की उम्र में 80 पर्सेंट गर्भपात का खतरा रहता है।
यदि पिता की उम्र पैंतीस साल से अधिक हो तो उस स्थिति में भी मिसकैरेज का खतरा बढ़सकता है। महिला की उम्र, किसी बीमारी, जीवनशैली और हार्मोनल बदलावों का असर भी मिसकैरेज की दर पर पड़ताहै।
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