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शिशु का वजन और शारीरिक माप कितनी बार लिया जाना चाहिए?
आपके शिशु का वजन और शारीरिक माप कितनी बार लिया जाएगा, यह आपके शिशु के डॉक्टर या जिस अस्पताल में आप दिखाती है, उसपर निर्भर करता है। अधिकांश डॉक्टर टीकाकरण के अप्वाइंटमेंट और हर चिकित्सकीय जांच के दौरान ऐसा करते हैं।
शिशु का वजन और शारीरिक माप लेना यह जानने का अच्छा तरीका है कि शिशु का विकास सही ढंग से चल रहा है। यह आपकी शिशु के विकास से जुड़ी चिंता को दूर करता है और समझने में मदद करता है कि क्या कोई समस्याएं शिशु के विकास को प्रभावित तो नहीं कर रही हैं। शिशु के सिर का माप इतना जरुरी क्यों होता है, यहां जानें।
सामान्यत: जन्म के समय शिशु का वजन लिया जाता है और फिर इसके कुछ हफ्तों बाद दोबारा उसका वजन किया जाता है। डॉक्टर आपको बताएंगे कि शिशु का चेकअप कब-कब डॉक्टरी चेकअप करवाना है और उसका अगला चेकअप कब होगा। ये चेकअप आमतौर पर शिशु के टीकाकरण के समय पर ही होते हैं।
यहां अंदाजा दिया गया है कि आपके शिशु का वजन और शारीरिक माप कब-कब लिया जाएगा:
दो से छह महीनों में - एक महीने में एक बार
छह से 12 महीनों में - दो महीने में एक बार
12 महीनों के बाद - डॉक्टर की सलाह पर
यदि शिशु के डॉक्टर को कोई समस्या लगे तो वे शिशु के माप ज्यादा बार ले सकते हैं या शिशु के विकास पर नजदीकी नजर रख सकते हैं। ऐसा निम्न स्थितियों में हो सकता है:
कम जन्म वजन शिशुओं में
समय से पहले जन्मे शिशुओं में
ऐसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त शिशु जिसमें जांच की जरुरत होती है, जैसे कि डाउंस सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम
जिन शिशुओं के कद और वजन के पर्सेंटाइल में बहुत ज्यादा अंतर हो
जिन शिशुओं को जन्म के समय से मधुमेह (डायबिटीज) हो
आपके बच्चे के दूसरे और तीसरे साल में डॉक्टर यह निर्णय लेंगे कि शिशु के विकास पर अब कितनी निगरानी रखने की जरुरत है। यदि सब ठीक-ठाक रहा तो आपको शायद केवल कद और वजन का माप करवाने के लिए इतनी ज्यादा बार डॉक्टर के पास जाने की जरुरत नही होगी।
कुछ नन्हे शिशुओं के माता-पिता समय-समय पर अपने शिशु का वजन मापना सही समझते हैं, ताकि वे आश्वस्त हो सके कि सब ठीक-ठाक है। मगर, यदि आप शिशु का वजन बहुत कम अंतराल पर मापेंगे तो चिंतामुक्त होने की बजाय आपकी चिंता और बढ़ सकती है।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी हफ्ते में शिशु को अच्छे से दूध पिलाकर वजन लिया आए और दूसरे हफ्ते में दूध पिलाने से पहले वजन मापा जाए, तो शायद लगेगा कि उसका वजन बढ़ा ही नहीं है। साथ ही वजन मापने से पहले शिशु मलत्याग कर चुका है या करने वाला है, तो इससे भी वजन में अंतर आ सकता है।
हो सकता है आपके शिशु का ग्रोथ स्पर्ट (विकास में तेजी) रहा हो और एक हफ्ते उसका ज्यादा वजन बढ़ा हो और दूसरे हफ्ते में इतना न बढ़ा हो। इसलिए बेहतर है कि डॉक्टर की सलाह का पालन करें और शिशु का माप तभी लें जब डॉक्टर को इसकी जरुरत लगे।
कुछ माता-पिता घर पर भी अपने शिशु को वजन और शारीरिक माप लेते हैं। बहरहाल, डॉक्टर या नर्स द्वारा बच्चे का माप लेने से यह सुनिश्चित ग्रोथ चार्ट में सटीक आंकड़े दर्ज हो सकेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर या नर्स उचित ढंग से माप लेने और ग्रोथ चार्ट सही से भरने में माहिर होते हैं।
वे शायद हर बार समान मशीन या मापन यंत्र पर शिशु का वजन मापेंगे। वजन मापने की अलग-अलग मशीनों में परिणाम भी अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए एक ही मशीन पर शिशु की विकास की गणना करने से ग्रोथ कर्व सबसे सटीक रहता है।
इस सबके बावजूद, यदि आपको शिशु के विकास के बारे में कोई भी चिंता हो तो शिशु के डॉक्टर से संपर्क करें।
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