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शिशु के जन्म के बाद जब अपरा (प्लेसेंटा) गर्भाशय से अलग होती है, तो रक्त वाहिकाएं खुली रह जाती है, जिससे गर्भाशय में खून बहता रहता है। प्लेसेंटा की डिलीवरी के बाद गर्भाशय को प्रबल रूप से संकुचित होना चाहिए, ताकि रक्त वाहिकाएं बंद हो सकें और रक्तस्त्राव रुक जाए
शिशु के जन्म के बाद जब अपरा (प्लेसेंटा) गर्भाशय से अलग होती है, तो रक्त वाहिकाएं खुली रह जाती है, जिससे गर्भाशय में खून बहता रहता है। प्लेसेंटा की डिलीवरी के बाद गर्भाशय को प्रबल रूप से संकुचित होना चाहिए, ताकि रक्त वाहिकाएं बंद हो सकें और रक्तस्त्राव रुक जाए।
प्रसव के बाद भारी रक्तस्त्राव होने का सबसे आम कारण है गर्भाशय का उचित ढंग से संकुचित न होना। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को 'यूटेरीन एटॉनी' कहा जाता है।
प्रसव के तीसरे चरण में गर्भाशय अपने आप ही संकुचित होना शुरु कर देता है। यदि तीसरा चरण चिकित्सकीय सहायता से हो रहा हो तो गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद के लिए इंजेक्शन दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर प्लेसेंटा को डिलीवर करने में मदद करती हैं। इंजेक्शन लेने से डिलीवरी के तुरंत बाद भारी रक्तस्त्राव होने का खतरा कम हो जाता है।
सभी महिलाओं को डिलीवरी के तुरंत बाद थोड़ा रक्तस्त्राव (लोकिया) होता है, फिर चाहे उनकी नॉर्मल डिलीवरी हुई हो या सिजेरियन ऑपरेशन। हालांकि, कई बार सामान्य लोकिया से भी ज्यादा भारी रक्तस्त्राव होता है। इसे अंग्रेजी में पोस्टपार्टम हेमरेज कहा जाता है।
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