Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
डी एंड सी (Dilation and Curettage) प्रक्रिया में क्या होता है?
भले ही यह डरावना लगता है, लेकिन डाइलेशन (Dilation) एंड क्युरेटिज (Curettage) बड़े फायदों वाली एक मामूली सर्जिकल प्रक्रिया है।
आपका गर्भाशय एक महत्वपूर्ण अंग है। मानव शिशु के निर्माण और उसे संभाल कर रखने के अलावा यह आपके मूत्राशय, आंत और पेल्विक की हड्डियों को सपोर्ट देने और संरचना प्रदान करता है। हालांकि कभी-कभी यह लचीला हो सकता है, और गर्भाशय के वातावरण में होने वाले कुछ परिवर्तनों के बाद, इसे थोड़ी अतिरिक्त मदद की आवश्यकता हो सकती है। जिसके लिए, आपका गायनकोलॉजिस्ट आपको कोई डी एंड सी प्रक्रिया निर्धारित कर सकता है। कई महिलाओं ने डी एंड सी के बारे में तब तक नहीं सुनती, जब तक कि उनका डॉक्टर उन्हें इसकी सलाह नहीं देता। इस प्रक्रिया के बारे में भ्रमित होना सामान्य है, खासकर जब वह आपके स्वास्थ्य से संबंधित होता है। यहां हम इस प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं ताकि जब आपको डी एंड सी की सलाह दी जाए तो बेहतर तरीके से निर्णय ले सकें।
डी एंड सी (D&C) क्या है?
डी एंड सी का मतलब है डाइलेशन (Dilation) एंड क्युरेटिज (Curettage)। यह एक छोटी शल्य प्रक्रिया है जो कुछ गर्भाशय समस्याओं को हल करने के लिए स्त्रीरोग विशेषज्ञों द्वारा अपनायी जाती है। डाइलेशन या फैलाव सर्विक्स के चौड़ा होने का एक विशेष साधन है और क्युरेटिज यूटरस के लिए गर्भाशय के अंदरूनी परत का स्क्रेपिंग है। कभी-कभी, इस प्रक्रिया में क्युरेटिज की बजाय वैक्यूम एस्पिरेशन की मदद से गर्भाशय की सामग्री को बाहर निकाला जाता है।
गायनकोलॉजिस्ट और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, डॉ. बंदिता सिन्हा (वर्ल्ड ऑफ वूमेन, वाशी, नवी मुंबई) बताते हैं कि डी एंड सी प्रक्रियाएं 2 प्रकार की होती हैं। जिसमें से पहला डाइअग्नॉस्टिक डी एंड सी 3 स्थितियों के तहत किया जाता है।
• अगर गर्भाशय से असामान्य रुप से खून बह रहा है
• अगर आपको मेनोपॉज़ (menopause) के बाद रक्तस्राव होता है।
• अगर डॉक्टर को मलिग्नन्सी (malignancy) का शक होता है।
"यदि मरीज के गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव के लक्षण दिखते हैं, तो हमें मलिग्नन्सी की जांच करानी होगी। इसके लिए, हम इंट्राब्यूटरीन और एन्डोमेट्रियल में गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए डाइअग्नॉस्टिक डी एंड सी की मदद लेते हैं। लाइनिंग की स्क्रेपिंग के बाद, हम रक्तस्राव के कारण का पता लगाने के लिए सेल्स को बायोप्सी के लिए भेजते हैं। जिसके बाद लैब में इसके कारणों (हार्मोनल या घातक) का पता लगाया जाता है।"
दूसरा प्रकार है थेरप्यूटिक डी एंड सी, जहां चिकित्सक मरीज़ के लिए एक प्रक्रिया की मदद लेता है विशेष रुप से अगर व्यक्ति इस तरह की समस्याएं हों:
• एंडोमेट्रियल लाइनिंन (endometrial lining) का असामान्य तरीके से मोटा होना
• यूटरीन पॉलिप (Uterine polyps) या फाइब्रॉएड (fibroids)
• यूटरीन कैंसर (Uterine cancer)
• मोलर प्रेगनेंसी
• डिलिवरी के बाद की ब्लीडिंग
• गर्भपात या एबॉर्शन (abortions)
• पेल्विक में सूजन
• नीअप्लैज़म (Neoplasms)
• अस्थानिक या एक्टापिक प्रेगनेंसी (Ectopic pregnancy)
डॉ. सिन्हा कहते हैं, "एक गर्भपात के बाद गर्भाशय में पड़े उत्पादों की वजह से संक्रमण हो सकता है। इसलिए इन अवशेषों को पूरी तरह से साफ करने के लिए, स्त्री रोग विशेषज्ञ डी एंड सी प्रक्रिया की सलाह दे सकते हैं।"
"आमतौर पर, यह विवाहित या सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं पर किया जाता है। शायद ही हम कभी 20 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को इस प्रक्रिया का सुझाव देते हैं।" उन्होंने बताया।
डी एंड सी (D&C) कैसे की जाती है?
डॉ. सिन्हा बताते हैं कि, "डी एंड सी एक डे केयर प्रक्रिया है जिसमें रोगी को जनरल एनेस्थेसिया दिया जाता है।" मरीज में सूजन की किसी भी संभावना को दबाने के लिए प्रक्रिया के पहले और बाद में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। रोगी को उपचार से 4-5 घंटे पहले उपवास करने या भूखे रहने की सलाह दी जाती है।"
क्युरेटिज को सर्विक्स में डाला जाता है, ताकि इलाज के उपकरण इसके माध्यम से गुजर सकें। इसके बाद, एक क्यूरटाज़ (curette) या तेज़ शल्य चिकित्सा उपकरण का उपयोग लाइनिंन को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। वैक्यूम एस्पिरेशन के लिए, अवशेषों को हटाने के लिए क्यूरटाज़ के बजाय एक सक्शन डिवाइस को गर्भाशय में डाला जाता है।"प्रक्रिया के बाद, रोगी को पूरे दिन के लिए आराम करने की सलाह दी जाती है। वह अगले दिन काम पर वापस जा सकता है। कुछ मामलों में, मरीज को थोड़ी देर के बाद हल्के क्रैम्प या मरोड़े महसूस कर सकता है।"डॉ. सिन्हा ने बताया।
--------------------------- | --------------------------- |