नसबंदी के बाद मासिक धर्म कब आता है?pregnancytips.in

Posted on Mon 8th Nov 2021 : 12:34

डिलीवरी के बाद पहली बार कैसे आते हैं पीरियड्स

डिलीवरी के बाद पहले पीरियड को लेकर महिलाएं बहुत असमंजस में रहती हैं। वहीं, उनके मन में यह सवाल भी आता है कि डिलीवरी के कितने दिनों बाद पीरियड्स आते हैं।
प्रेगनेंसी के नौ महीनों तक माहवारी नहीं आती है और यही वजह है कि अक्‍सर महिलाओं को डिलीवरी के बाद पीरियड्स आने को लेकर मन में कुछ सवाल रहते हैं।
डिलीवरी के बाद पीरियड्स आना अक्‍सर इस बात पर निर्भर करता है कि आप स्‍तनपान करवा रही हैं या नहीं। तो आइए जानते हैं कि प्रसव के बाद महिलाओं का मासिक चक्र कब शुरू होता है और इसमें क्‍या बदलाव आते हैं।
कब आते हैं पीरियड्स
डिलीवरी के लगभग छह से आठ सप्‍ताह के बाद पीरियड्स आते हैं, वो भी अगर आप स्‍तनपान नहीं करवा रही हों तो। स्‍तनपान करवाने की स्थिति में पीरियड आने का समय हर महिला में अलग हो सकता है। वहीं, कुछ महिलाओं को तो तब तक पीरियड्स नहीं आते, जब तक कि वो शिशु को दूध पिलाती हैं।
हर महीने पीरियड्स के दौरान होता है कितना ब्लड लॉस, जानें
पीरियड्स यानी माहवारी के सभी दिनों को मिलाकर औसतन एक लड़की या महिला के शरीर से करीब 30 से 50 मिलिलीटर खून बाहर निकलता है। आसान शब्दों में कहें तो पीरियड्स के दौरान करीब 2 से 3 चम्मच ब्लड लॉस होता है। हालांकि कुछ रिसर्च की मानें तो पीरियड्स के दौरान औसतन 4 चम्मच के बराबर खून शरीर से बाहर निकलता है। हो सकता है ये आंकड़े पढ़कर आप भी यही सोच रही होंगी कि ये आंकड़े तो पूरी तरह से गलत हैं। देखने में तो वो कितना सारा खून होता है।
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ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीरियड्स के दौरान शरीर से बाहर निकलने वाले मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड में खून के अलावा और भी बहुत कुछ होता है। इसमें यूट्रस यानी गर्भाशय का टीशू, अन्तर्गर्भाशयकला (endometrial) की मोटी कोशिकाएं और ब्लड क्लॉट भी होता है जिससे मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड की मात्रा ज्यादा नजर आती है। यही वजह है कि आपको देखने में लगता है कि कितना सारा खून शरीर से बाहर निकल गया जबकी हकीकत में वो 3 या 4 चम्मच खून ही होता है।
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जिस तरह हर महिला का शरीर एक दूसरे से अलग होता है ठीक उसी तरह हर के पीरियड्स भी एक दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं। किसी एक के लिए जो हेवी पीरियड्स है हो सकता है कि वह दूसरे के लिए नॉर्मल हो। पीरियड्स को आमतौर पर हेवी तब माना जाता है जब हर बार पीरियड्स साइकल के दौरान करीब 80 मिलिलीटर यानी 5 से 6 चम्मच के बराबर मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड शरीर से बाहर निकल रहा हो। अगर आपका पीरियड्स 7 दिन से ज्यादा तक जारी रहता है तो इसे भी हेवी पीरियड्स माना जाता है।
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एन्डोमीट्रिऑसिस- ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय के अंदर मौजूद टीशू जैसा दिखने वाला टीशू गर्भाशय के बाहर भी बनने लगता है। इस दौरान पेट में तेद दर्द भी होता है।

फाइब्रॉयड्स- अगर यूट्रस में फाइब्रॉयड्स यानी रेशे बनने लगें तो इससे भी पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग होने लगती है।

पीसीओडी- अगर आपकी ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट की दिक्कत है तब भी पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो बहुत हेवी हो सकता है।

आईयूडी- अगर आपने गर्भनिरोधक उपकरण इंट्रायूट्राइन डिवाइस (iud) लगवा रखा है तो इसका भी आपके पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग पर असर पड़ता है।
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- अगर सैनिटरी नैपकिन या टैम्पून्स यूज करने के बाद भी पीरियड्स के दाग आपके कपड़ों में लगने लगें

- अगर हर 2 घंटे से भी कम समय में आपको सैनिटरी प्रॉडक्ट चेंज करने की जरूरत पड़े

- लीकेज रोकने के लिए 2 तरह के सैनिटरी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करना पड़े


अगर नॉर्मल डिलीवरी के बाद पीरियड जल्‍दी वापस आ गए तो डॉक्‍टर आपको पोस्‍ट डिलीवरी के पहले पीरियड में टेंपन का इस्‍तेमाल करने से मना कर सकते हैं।
ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्‍योंकि शरीर अभी भी डिलीवरी के घावों से उभर रहा होता है और टेंपन की वजह से योनि में चोट लग सकती है।

स्‍तनपान के दौरान क्‍यों नहीं आते हैं पीरियड्स
आमतौर पर स्‍तनपान करवाने वाली महिलाओं को हार्मोंस की वजह से डिलीवरी के बाद जल्‍दी पीरियड्स नहीं आते हैं। ब्रेस्‍ट मिल्‍क बनाने के लिए प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन बनता है जो कि प्रजनन हार्मोंस को दबा सकता है। इसके कारण ओवुलेशन नहीं होता है या फर्टिलाइजेशन के लिए एग रिलीज नहीं होते हैं। इस प्रक्रिया के बिना पीरियड्स नहीं आते हैं।

पीरियड्स का ब्रेस्‍ट मिल्‍क पर असर
पीरियड आने पर आपको ब्रेस्‍ट मिल्‍क में या दूध पीते समय बच्‍चे की प्रतिक्रिया में कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं। पीरियड लाने वाले हार्मोनल बदलाव का असर ब्रेस्‍ट मिल्‍क पर भी पड़ सकता है। जैसे कि अगर दूध की सप्‍लाई कम लग रही है या बच्‍चा कम दूध पी रहा है तो समझ लें कि पीरियड का असर आपके ब्रेस्‍ट मिल्‍क पर भी पड़ाहै।
हर महीने पीरियड्स के दौरान होता है कितना ब्लड लॉस, जानें

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पीरियड्स यानी माहवारी के सभी दिनों को मिलाकर औसतन एक लड़की या महिला के शरीर से करीब 30 से 50 मिलिलीटर खून बाहर निकलता है। आसान शब्दों में कहें तो पीरियड्स के दौरान करीब 2 से 3 चम्मच ब्लड लॉस होता है। हालांकि कुछ रिसर्च की मानें तो पीरियड्स के दौरान औसतन 4 चम्मच के बराबर खून शरीर से बाहर निकलता है। हो सकता है ये आंकड़े पढ़कर आप भी यही सोच रही होंगी कि ये आंकड़े तो पूरी तरह से गलत हैं। देखने में तो वो कितना सारा खून होता है।
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ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीरियड्स के दौरान शरीर से बाहर निकलने वाले मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड में खून के अलावा और भी बहुत कुछ होता है। इसमें यूट्रस यानी गर्भाशय का टीशू, अन्तर्गर्भाशयकला (endometrial) की मोटी कोशिकाएं और ब्लड क्लॉट भी होता है जिससे मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड की मात्रा ज्यादा नजर आती है। यही वजह है कि आपको देखने में लगता है कि कितना सारा खून शरीर से बाहर निकल गया जबकी हकीकत में वो 3 या 4 चम्मच खून ही होता है।
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जिस तरह हर महिला का शरीर एक दूसरे से अलग होता है ठीक उसी तरह हर के पीरियड्स भी एक दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं। किसी एक के लिए जो हेवी पीरियड्स है हो सकता है कि वह दूसरे के लिए नॉर्मल हो। पीरियड्स को आमतौर पर हेवी तब माना जाता है जब हर बार पीरियड्स साइकल के दौरान करीब 80 मिलिलीटर यानी 5 से 6 चम्मच के बराबर मेन्स्ट्रुअल फ्लूइड शरीर से बाहर निकल रहा हो। अगर आपका पीरियड्स 7 दिन से ज्यादा तक जारी रहता है तो इसे भी हेवी पीरियड्स माना जाता है।
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एन्डोमीट्रिऑसिस- ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय के अंदर मौजूद टीशू जैसा दिखने वाला टीशू गर्भाशय के बाहर भी बनने लगता है। इस दौरान पेट में तेद दर्द भी होता है।

फाइब्रॉयड्स- अगर यूट्रस में फाइब्रॉयड्स यानी रेशे बनने लगें तो इससे भी पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग होने लगती है।

पीसीओडी- अगर आपकी ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट की दिक्कत है तब भी पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो बहुत हेवी हो सकता है।

आईयूडी- अगर आपने गर्भनिरोधक उपकरण इंट्रायूट्राइन डिवाइस (iud) लगवा रखा है तो इसका भी आपके पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग पर असर पड़ता है।
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- अगर सैनिटरी नैपकिन या टैम्पून्स यूज करने के बाद भी पीरियड्स के दाग आपके कपड़ों में लगने लगें

- अगर हर 2 घंटे से भी कम समय में आपको सैनिटरी प्रॉडक्ट चेंज करने की जरूरत पड़े

- लीकेज रोकने के लिए 2 तरह के सैनिटरी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करना पड़े


कैसे अलग होते हैं पोस्‍टपार्टम पीरियड
डिलीवरी के बाद जब पहली बार पीरियड शुरू होते हैं तो ये प्रेगनेंसी से पहले आने वाले मासिक चक्र की तरह नहीं होते हैं। डिलीवरी के बाद शरीर मासिक धर्म के लिए दोबारा एडजस्‍ट हो रहा होता है और प्रसव के बाद पहले पीरियड में आपको कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं, जैसे कि तेज या कम ऐंठन महसूस होना, छोटे खून के थक्‍के आना, अधिक ब्‍लीडिंग होना, तेज दर्द और अनियमित मासिक धर्म।
प्रेगनेंसी के बाद पहले पीरियड में आपको ज्‍यादा ब्‍लीडिंग हो सकता है।
इसमें आपको यूट्राइन लाइनिंग के गिरने की वजह से तेज ऐंठन महसूस हो सकती है। हर महीने के साथ इन लक्षणों में कमी आने लगती है। कुछ दुर्लभ मामलों में थायराइड जैसी स्थितियों के कारण भी डिलीवरी के बाद पहले पीरियड में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होती है।
जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी से पहले एंडोमेट्रियोसिस रहा हो, उन्‍हें डिलीवरी के बाद पहले पीरियड में हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है। इस तरह प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद महिलाओं के पीरियड्स में बदलाव आता है।

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wordpress 2 years ago 5 Answer
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