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यूट्रस की सेहत के लिए ये जानना है जरूरी
गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें, तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि...
गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें, तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही इसकी असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं।
गर्भाशय की आम बीमारियां
गर्भाशय में सूजन
गर्भाशय का आकार बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिसका समय रहते उपचार जरूरी है। गर्भाशय के आसामान्य आकार के दो सबसे प्रमुख कारण हैं, युटेराइन फाइब्रॉइड और एडेनोमियोसिस। एडेनोमियोसिस में गर्भाशय मोटा हो जाता है और यह तब होता है, जब वह उत्तक जो सामान्य तौर पर गर्भाशय की सबसे भीतरी परत बनाते हैं, वह उसकी बाहरी दीवार में चले जाते हैं और वहां विकसित होकर एक मोटी परत बना लेते हैं, जिसे एडेनोमायोमा कहते हैं। अगर डिलिवरी सिजेरियन हुई हो तो इसकी आशंका और बढ़ जाती है। गर्भाशय का आकार बढ़ने के अन्य कारण पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम, गर्भ निरोधक गोलियों का प्रयोग और गर्भाशय कैंसर हैं। गर्भाशय की सूजन में इसका आकार बढ़ने के अलावा पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, दर्द, शारीरिक संबंध बनाने पर दर्द, पेट के निचले भाग में दर्द और पेट भारी लगना आदि लक्षण भी दिखाई देते हैं।
77 फीसदी महिलाएं हैं फाइब्रॉएड्स से पीड़ित
फाइब्रॉएड्स गर्भाशय की मांसपेशीय परत में होने वाला एक कैंसर रहित ट्यूमर है। फाइब्रॉएड्स का आकार मटर के दाने से लेकर तरबूज के बराबर हो सकता है। कभी-कभी इन ट्यूमर में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं भी विकसित हो जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 77 प्रतिशत महिलाएं फाइब्रॉएड्स से पीड़ित होती हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत में इसका कोई लक्षण नजर नहीं आता है। यह समस्या 18 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को होती है, जिसमें से 30 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को यह समस्या सबसे ज्यादा होती है। किसी महिला के रिप्रोडक्टिव वर्षों में उसके शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रेन का उच्च स्तर फाइब्रॉएड्स के बनने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा अनुवांशिक कारक भी फाइब्रॉएड्स के खतरे को बढ़ा देते है।
गर्भाशय का कैंसर
गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय से संबंधित सबसे गंभीर समस्या है। प्रथम स्तर पर तो इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये लक्षण गंभीर होते जाते हैं। इसमें गर्भाशय की सामान्य कोशिकाएं आसामान्य रूप से विकसित होकर ट्यूमर बना लेती हैं। अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी के द्वारा गर्भाशय के कैंसर का पता लगाया जाता है। अगर नियमित रूप से स्क्रीनिंग और टेस्ट करवाया जाए तो इस खतरे से बचा जा सकता है। शुरुआती स्तर पर गर्भाशय कैंसर का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। जब कैंसर अधिक विकसित होता है तो पीरियड्स के दौरान असामान्य ब्लीडिंग, यूरिन पास करते वक्त या शारीरिक संबंध बनाते वक्त दर्द या ब्लीडिंग और मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
ऐसे रहेगा यूट्रस सेहतमंद
सेहतमंद गर्भाशय के लिए जरूरी है सभी पोषक तत्वों से भरपूर डाइट और नियमित व्यायाम। शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने, एक्सरसाइज न करने से गर्भाशय और दूसरे प्रजनन अंगों में रक्त का उचित प्रवाह नहीं होता है। शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण गर्भाशय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें या पैदल चलें। योग भी गर्भाशय की मांसपेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाए रखने में कारगर है। इसके अलावा पौष्टिक और संतुलित भोजन लें। तनाव न पालें। नियमित रूप से गाइनेकोलॉजिस्ट के पास जाएं और स्क्रीनिंग कराती रहें, ताकि बीमारी के गंभीर होने से पहले ही उसका उपचार किया जा सके।
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