मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा गर्भपात हुआ है?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 15:42

गर्भपात: लक्षण, कारण और इससे उबरना

बार-बार गर्भपात क्यों होता है और इससे गर्भधारण की संभावना पर कितना असर पड़ता है?
गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण के प्रयास कब शुरु करने चाहिए?
गर्भपात से उबरने में मुझे बहुत मुश्किल हो रही है। मुझे कहां से मदद मिल सकती है?

गर्भपात हो जाना एक बेहद दुखद घटना है। शिशु को खो देने के गम के साथ-साथ आपको अपराधबोध या क्रोध के भाव भी महसूस हो रहे होंगे। साथ ही शारीरिक तौर पर भी इससे सहन कर पाना आपके लिए काफी पीड़ादाई और मुश्किल होगा।

यदि आप गर्भपात को समझ जाए तो इससे उबरने में मदद मिल सकती है। यहां पढ़ें कि गर्भपात क्यों होते हैं और इससे उबरने के लिए आप क्या कर सकती हैं।
गर्भपात क्या है?
24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले शिशु की मृत्यु हो जाना गर्भपात कहलाता है। कई बार इसे स्वत: गर्भपात होना भी कहा जाता है। वैसे दुर्भाग्यवश गर्भावस्था के किसी भी चरण में गर्भपात हो सकता है:

अर्ली मिसकैरेज: यदि शिशु की मृत्यु गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्तों में हो जाए तो इसे शुरुआती गर्भपात (अर्ली मिसकैरिज) कहा जाता है।

लेट मिसकैरेज: यदि गर्भस्थ शिशु की मृत्यु 12 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद हो तो इसे गर्भावस्था के बाद के चरण में हुआ गर्भपात (लेट मिसकैरिज) कहा जाता है।

मिस्ड मिसकैरेज: कई बार, गर्भाधान के बाद भ्रूण विकसित होना शुरु कर देता है, मगर कुछ गड़बड़ होती है और इसका विकास रुक जाता है। इसे चूका हुआ गर्भपात (मिस्ड मिसकैरेज) या साइलेंट मिसकैरेज कहा जाता है। इसे मिस्ड मिसकैरेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि आपको पता ही नहीं चलेगा कि कुछ गड़बड़ हुई है। शायद पहले अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान ही आपको इसका पता चले।

रीकरंट मिसकैरेज: यदि लगातार तीन या इससे ज्यादा बार गर्भपात हुआ हो, तो डॉक्टर इसे अंग्रेजी में रिकरंट मिस्कैरिज कहते हैं।
गर्भपात होने के क्या लक्षण हैं?
गर्भपात का पहला लक्षण जो आप पहचान पाएंगी वह शायद रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) और माहवारी के जैसे मरोड़ और दर्द होना होगा।

यदि आपका गर्भावस्था के शुरुआती चरण में गर्भपात हो रहा है, तो रक्तस्त्राव हल्का या फिर काफी ज्यादा हो सकता है और इसमें खून के थक्के भी आ सकते हैं। कुछ दिनों तक ये आते-जाते रह सकते हैं।

बहुत सी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत में हल्के खून के धब्बे आते हैं, जो जरुरी नहीं है कि अंत में गर्भपात ही हो। इस तरह का रक्तस्त्राव हल्का होता है और तीन दिन से ज्यादा नहीं चलता और आमतौर पर इसमें दर्द भी नहीं होता।

यदि आपको खून के धब्बे आ रहे हों या बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव हो और साथ में दर्द भी हो रहा हो तो गर्भावस्था जारी रहने की संभावना काफी कम रहती है।

गर्भावस्था की शुरुआत में योनि से रक्तस्त्राव, खून के धब्बे आना या दर्द होना अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था या मोलर गर्भावस्था के संकेत हो सकते हैं। इसलिए यह जरुरी है कि जब भी आपको खून के धब्बे या रक्तस्त्राव हों तो हमेशा डॉक्टर से बात करें।

कई बार, गर्भपात हो जाता है और आपको इसके कोई लक्षण महसूस नहीं होते। इस बारे में आपको गर्भावस्था के नियमित स्कैन के दौरान चलता है। मिस्ड मिस्कैरिज की स्थिति में ऐसा होता है।

यदि स्कैन में गर्भावस्था थैली खाली दिखाई दे और भ्रूण की मौजूदगी न दिखे (ब्लाइटेड ओवम), भ्रूण का विकास बंद हो गया हो या दिल की धड़कन न दिखाई दे तो डॉक्टर आपको बताएंगी कि आपका गर्भपात हो गया है। ध्यान रखें कि आपके शिशु का दिल छह हफ्ते की गर्भावस्था में धड़कना शुरु कर देता है इसलिए यदि आप इससे पहले या छठे हफ्ते के दौरान स्कैन करवाएं तो शायद धड़कन न दिख पाए।

गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात आमतौर पर शुरुआती गर्भपात की तुलना में अधिक पीड़ादाई होता है। आपकी पानी की थैली फट जाएगी (आपको इसका पता चल भी सकता है या नहीं भी), आपको बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होगा और दर्दभरे संकुचन होंगे। आपको शायद दर्दनिवारक दवा लेने की जरुरत भी पड़ सकती है। हालांकि, सभी को इतना दर्द हो यह जरुरी नहीं। कमजोर ग्रीवा की वजह से होने वाले गर्भपात में संभव है कि आपको दर्द न हो।
गर्भपात किस वजह से होता है?
पहली तिमाही में गर्भपात लगभग हमेशा गुणसूत्रीय असामान्यताओं के कारण भ्रूण का उचित विकास रुक जाने की वजह से होता है।

आमतौर पर शिशु को मॉं के डिंब से 23 गुणसूत्र और पिता के शुक्राणु से 23 गुणसूत्र मिलते हैं। कई बार डिंब या शुक्राणु से बहुत ज्यादा या बहुत कम गुणसूत्र मिल जाते हैं या गुणसूत्र की संरचना में बदलाव होते हैं। इस तरह की असामान्यताएं होने का मतलब है कि भ्रूण शिशु के रूप में विकसित नहीं हो सकता और इसलिए गर्भावस्था स्वत: बढ़ना बंद हो जाती है।

कई बार शुरुआती विकास की नाजुक प्रक्रिया के दौरान होने वाली समस्याओं की वजह से भी गर्भपात हो जाता है। इन समस्याओं में शामिल हैंं डिंब का गर्भाशय में उचित ढंग से प्रत्यारोपित न हो पाना या भ्रूण में संरचनात्मक विकार होना, जिसकी वजह से वह विकसित नहीं हो पाता।

प्रेगनेंसी के बाद के चरण में गर्भपात की वजह शिशु या होने वाली मॉं के साथ कोई स्वास्थ्य समस्या होना है। कई बार कुछ स्वास्थ्य जटिलताओं की वजह से भी गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है और इस वजह से हुए गर्भपात को सहन कर पाना आसान नहीं होता। हालांकि यदि पहले से स्थिति का पता हो तो आपको बेहतर देखभाल मिल सकती है ताकि गर्भपात के खतरे को जितना संभव हो कम किया जा सके।

यदि आपके लगातार कई बार गर्भपात हो चुके हैं तो आप शायद यह अवश्य जानना चाहेंगी कि ऐसा आपके साथ क्यों हो रहा है। ऐसे करीब आधे से ज्यादा मामलों में कारण का पता नहीं चल पाता। बहरहाल, आपको यह जानकर शायद तसल्ली होगी कि जिन महिलाओं के बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार तीन से ज्यादा गर्भपात हुए हों उनमें चार में से तीन महिलाओं के स्वस्थ शिशु को जन्म देने की संभावना रहती है।

प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही अच्छी चिकित्सकीय देखभाल और सहयोग से गर्भावस्था सफल रहने की संभावना रहती है।

गर्भपात के कारणों को लेकर कई तरह के मिथक भी प्रचलित हैं। कुछ का मानना है कि गर्माहट प्रदान करने वाले भोजन खाने या गर्भावस्था में संभोग (सेक्स) करने से गर्भपात हो सकता है। एक आम मान्यता यह भी है कि तनाव भी मिसकैरिज का कारण बन सकता है। हालांकि, इनमें से कोई भी वास्तव में गर्भपात होने का प्रमाणित कारण नहीं है।
मिसकैरेज होना कितना आम है?
दुर्भाग्यवश, गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात होना काफी आम है। अधिकांश गर्भपात प्रेगनेंसी के पहले 12 हफ्तों में होते हैं।

बहुत से निषेचित डिंब गर्भावस्था की एकदम शुरुआत में ही समाप्त हो जाते हैं, तब तक गर्भावस्था की पुष्टि भी नहीं होती। गर्भावस्था जांच पॉजिटिव आने के बाद करीब 10 से 20 प्रतिशत गर्भावस्थाएं गर्भपात की वजह से समाप्त हो जाती हैं।

गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात इतने आम नहीं हैं। ऐसा केवल दो प्रतिशत गर्भावस्थाओं में होता है। प्रेगनेंसी के बाद के चरण में गर्भपात को सहन कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इस चरण पर बहुत से माता-पिता के लिए यह केवल गर्भपात नहीं बल्कि अपने शिशु की मौत होती है, जिसके गम से उबर पाना उनके लिए बेहद मुश्किल होता है।
किन स्थितियों में गर्भपान होने का खतरा बढ़ जाता है?
गर्भपात कभी-कभार उन महिलाओं के साथ होता है जो एकदम स्वस्थ होती हैं और इसलिए इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता। प्रेगनेंसी की शुरुआत में होने वाले गर्भपातों में तो खासतौर पर ऐसा होता है।

गर्भपात किसी भी गर्भवती महिला के साथ हो सकता है, मगर कुछ ऐसे कारण हैं जो इसकी संभावना बढ़ा देते हैं, जैसे कि:

आपकी उम्र
अधिक उम्र की महिलाओं में गुणसूत्रीय असामान्यताओं वाले शिशु का गर्भधारण करने की संभावना ज्यादा होती है और परिणामस्वरूप गर्भपात की आशंका भी ज्यादा रहती है। वास्वत में 40 साल या इससे अधिक उम्र की महिलाओं को 20 साल की महिला की तुलना में गर्भपात की संभावना दोगुनी होती है। आपके गर्भपात का खतरा हर बार गर्भधारण के साथ और ज्यादा बढ़ता जाता है।

आपके पति की उम्र का भी इस बात पर असर होता है। यदि महिला की उम्र 35 साल से अधिक हो और पुरुष की उम्र 40 साल से ज्यादा हो तो गर्भपात की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

आपकी सेहत
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है, विशेषतौर पर यदि उनका उचित चिकित्सकीय उपचार न करवाया जा रहा हो तो। निम्नांकित परिस्थितियों में आपको उचित चिकित्सकीय देखभाल की जरुरत होगी:

आपका वजन सामान्य से काफी ज्यादा है
आपको मधुमेह (डायबिटीज) है
आपको उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है
आपको सीलिएक रोग है
आपको ल्युपस है
आपको गुर्दे संबंधी समस्याएं हैं
आपको थायरॉइड की समस्या है

यदि किसी स्वास्थ्य स्थिति का असर आपके खून के थक्के जमने (ब्लड-क्लॉटिंग) के तरीकों पर पड़ता है, तो उसकी वजह से भी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। स्टिकी ब्लड सिंड्रोम, जिसे एंटिफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम या ह्यूज़ सिंड्रोम भी कहा जाता है, उसकी वजह से भी बार-बार गर्भपात हो सकता है। पता चलने पर इसका उपचार किया जा सकता है।

इसी तरह की एक अन्य अनुवांशिक ब्लड-क्लॉटिंग स्थिति थ्रोम्बोफिलिया भी है, जिसे गर्भपात के साथ जोड़ा जाता है।

गर्भाशय की कुछ असामान्यताओं की वजह से भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावस्था में यदि किसी इनफेक्शन जैसे कि फ्लू या भोजन विषाक्तता की वजह से आप बहुत ज्यादा बीमार हो जाएं, तो यह गर्भपात की वजह बन सकता है। कुछ अन्य इनफेक्शन जो गर्भावस्था में समस्या पैदा कर सकते हैं उनमें शामिल हैं लिस्टिरियोसिस, टोक्सोप्लाज्मोसिस और क्लामाइडिया आदि।

आपके हॉर्मोनों को प्रभावित करने वाली स्वाथ्य स्थितियां जैसे कि पॉलिसिस्टिक ओवरी को भी बार-बार गर्भपात या बाद के चरण में होने वाले गर्भपात की वजह माना गया है।

कुछ दवाएं
कुछ दवाएं जैसे कि आईबुप्रोफेन से मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए गर्भावस्था में कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से पूछ लें। इनमें बिना डॉक्टरी पर्ची के मिलने वाली दवाएं या गर्भावस्था से पहले ली जाने वाले दवाएं भी शामिल हैं।

आपकी जीवनशैली
आपकी जीवनशैली के अधिकांश तरीकों का गर्भपात पर असर नहीं पड़ता मगर ऐसी कुछ चीजें हैं, जो गर्भपात के खतरे को बढ़ा देती हैं, जैसे कि:

सामान्य से बहुत ज्यादा वजन
अत्याधिक कैफीन का सेवन (ब्लैड एंड ग्रीन टी, कॉफी, चॉकलेट और कई तरह के सोडायुक्त नॉन—एल्कोहॉलिक पेयों के सेवन से)
धूम्रपान करना
बहुत ज्यादा शराब पीना
कोकेन जैसे गैरकानूनी ड्रग्स लेना

यदि मुझे लगे कि मेरा गर्भपात हो गया है, तो क्या करना चाहिए?
यदि गर्भावस्था के दौरान आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ जैसे असामान्य लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर जांच करके पता लगाएंगी कि क्या रक्तस्त्राव ग्रीवा से हो रहा है और वे गर्भाशय की भी जांच करेंगी। वे अल्ट्रासाउंड करके यह भी पता लगाएंगी कि गर्भ के भीतर क्या हो रहा है।

यदि गर्भावस्था की शुरुआत में आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ हो और डॉक्टर को एक्टोपिक गर्भावस्था की आशंका हो तो वे आपको तुरंत अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहेंगी। यदि किसी समस्या का पता न चले और खून के धब्बे आना जारी रहे तो आपको कुछ दिनों बाद फिर से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहा जाएगा।

यदि आपकी प्रेगनेंसी सात सप्ताह की है और स्कैन में भ्रूण की सामानय धड़कन दिखाई दे रही है, तो आपकी गर्भावस्था जीवनक्षम है। आपको जो खून के धब्बे आ रहे थे वे शायद गर्भावस्था की शुरुआत में होने वाले आम धब्बे हैं, जो बहुत सी महिलाओं को आते हैं। ये आमतौर पर नुकसानदेह नहीं होते। डॉक्टर आपको दोबारा मिलने के लिए तभी कहेंगी जब कुछ दिनों बाद भी स्पॉटिंग बंद न हो या फिर आपको अन्य कोई चिंताजनक लक्षण महसूस हों।

यदि भ्रूण में दिल की धड़कन न हो और उसका माप गर्भावस्था के सप्ताह के अनुसार उचित हो, तो इसका मतलब है कि भ्रूण जीवित नहीं रह पाया। यदि भ्रूण आपकी गर्भावस्था के सप्ताह के अनुसार छोटा था, तो इसका मतलब हो सकता है कि आपकी गर्भावस्था अभी इतनी आगे नहीं बढ़ी थी जितना ही आप सोच रही थीं। ऐसी स्थिति में आपको शायद एक सप्ताह में दोबारा अल्ट्रासाउंड करवाना होगा, ताकि सुनिश्चित हो सके कि शिशु का विकास हो रहा है और उसका दिल भी धड़क रहा है।

यदि आपकी दूसरी तिमाही चल रही है और अल्ट्रासाउंड स्कैन में पता चले कि ग्रीवा छोटी हो रही है या खुल रही है तो डॉक्टर शायद सरक्लॉज प्रक्रिया करने का निर्णय ले सकती हैं। इसमें वे आपकी ग्रीवा में टांके लगाकर इसे बंद कर देंगी ताकि गर्भपात या समस से पहले प्रसव को रोका जा सके। वे ऐसा तभी करेंगी जब अल्ट्रासाउंड स्कैन में आपके शिशु का स्वास्थ्य ठीक लग रहा हो और आपको इंट्रायूटेरीन इनफेक्शन के कोई लक्षण न हों।

यदि आपके गर्भपात होने के संकेत लगें तो डॉक्टर इसकी संभावना कम करने के लिए आपको संपूर्ण बेडरेस्ट के लिए कर सकती हैं। जब तक आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ हो रहे हों, तब तक डॉक्टर आपको संभोग (सेक्स) न करने की सलाह दे सकती हैं। सेक्स की वजह से गर्भपात नहीं होता, मगर ऐसे लक्षण होने पर बेहतर है कि आप अभी प्रेम संबंध न बनाएं।

यदि आपका गर्भपात हो रहा हो तो ब्लीडिंग और मरोड़ और ज्यादा बढ़ जाएंगे। यदि आपको दर्द हो तो राहत के लिए आप एसीटामिनोफेन दवा ले सकती हैं। रक्त सोखने के लिए टेम्पॉन का इस्तेमाल न करे। इनफेक्शन से बचने के लिए बेहतर है कि आप सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें।

इस चरण पर डॉक्टर गर्भाशय से गर्भावस्था के उत्तक निकालने के लिए सक्शन क्युरेटेज या डाइलेशन एंड क्यूरेटाज (डी एंड सी) प्रक्रिया करवाने की सलाह देंगी। इस प्रक्रिया से सुनिश्चित होता है कि गर्भाशय में कोई उत्तक बाकी न रह जाए और भारी रक्तस्त्राव को रोका जा सके।
यदि मिसकैरेज के बाद भी रक्तस्त्राव शुरु नहीं हुआ हो तो क्या होगा?
यदि अल्ट्रासाउंड स्कैन में साइलेंट मिसकैरेज का पता चलता है और आप गर्भावस्था के पहले सप्ताह में हों तो डॉक्टर गर्भावस्था समाप्त करने के लिए आपको गोली लेने के लिए कह सकती हैं। इससे आपको रक्तस्त्राव शुरु हो जाएगा और ये ऐसा होगा जैसा माहवारी देर से आने पर होता है।

यदि आपकी गर्भावस्था का पहला हफ्ता गुजर चुका है तो डॉक्टर आपको जल्द से जल्द गर्भाशय की सफाई के लिए डीएंडसी करवाने की सलाह देंगी।

यदि आपको भारी रक्तस्त्राव हो या इनफेक्शन के संकेत लग रहे हों और इस वजह से इंतजार करना सुरक्षित न हो तो गर्भाशय से उत्तकों को तुरंत निकालना होगा। साथ ही यदि यह लगातार आपका दूसरा या तीसरा गर्भपात है तो डॉक्टर डी एंड सी प्रक्रिया तुरंत करवाने की सलाह देंगी, ताकि उत्तकों की जेनेटिक कारणों के लिए जांच की जा सके।
डी एंड सी (डाइलेशन एंड क्यूरेटाज) क्या है?
यह गर्भाशय से गर्भावस्था के उत्तकों को निकालने के लिए एक तरह की सर्जरी होती है। इस प्रक्रिया को ईआरपीसी (इवेकुएशन ऑफ रिटेन्ड प्रोडक्ट ऑफ कंसेप्शन) भी कहा जाता है। यदि कोई जटिलताएं न हों तो इसमें आमतौर पर एक दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और रात को रुकने की जरुरत भी नहीं होती।

अधिकांश डॉक्टर सक्शन क्यूरेटाज (या वैक्यूम एस्पिरेशन) प्रक्रिया का विकल्प चुनते हैं क्योंकि यह थोड़ी जल्दी हो जाती है और पारंपरिक डी एंड सी प्रक्रिया की तुलना में सुरक्षित भी होती है। सक्शन क्यूरेटाज के लिए डॉक्टर प्लास्टिक की एक खोखली ट्यूब ग्रीवा में डालती हैं और अंदर से उत्तकों को चुसाव (सक्शन) के जरिये बाहर निकाल देती हैं।

पारंपरिक डीएंडसी में, चम्मच के आकार के उपकरण (क्यूरेट) के इस्तेमाल के जरिये गर्भाशय की दीवार से उत्तकों को खुरचकर निकाला जाता है। कई बार दोनों तरह की प्रक्रिया की जरुरत पड़ती है।

किसी भी प्रक्रिया के लिए डॉक्टर योनि में स्पेक्युलम डालेंगी और एंटिसेप्टिक सोल्यूशन से ग्रीवा और योनि को साफ करेंगी। इसके बाद मेटल की पतली रॉड से ग्रीवा को विस्फारित किया जाएगा। ऐसा तभी किया जाएगा जब ग्रीवा पहले से विस्फारित न हुई हो और कोई उत्तक बाहर न निकला हो। अधिकांश मामलों में इस प्रक्रिया के दौरान आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।

गर्भाशय की सफाई की प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट का समय लग सकता है, हालांकि केवल उत्तकों को निकालने में 10 मिनट से भी कम का समय लगता है।

अंत में यदि आपका रक्त आरएच-नेगेटिस हो तो आपको आरएच इम्यून ग्लोबुलिन का इन्जेशन दिया जाएगा। हालांकि, यदि शिशु के पिता भी आरएच नेगेटिव हों, तो इस इन्जेक्शन की जरुरत नहीं होती।
गर्भपात हो जाने के बाद क्या होगा?
यदि आपके उत्तक अपने आप निकल जाएं या आपको इन्हें निकलवाना पड़े, दोनों ही स्थितियों में आपको बाद में एक-दो दिन तक माहवारी जैसे हल्के मरोड़ महसूस होंगे और एक या दो हफ्तों तक हल्का रक्तस्त्राव भी रहेगा। जब तक रक्तस्त्राव जारी रहे, डॉक्टर आपको संभोग न करें या अपनी योनि के आसपास कोई भी उत्पाद न लगाने की सलाह दे सकती हैं।

रक्तस्त्राव अंतत: रुक जाएगा और चार से छह हफ्तों बाद आप आपका सामान्य माहवारी चक्र लौट आएगा।

यदि आपको बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होने लगे (एक हफ्ते में एक सैनिटरी पैड लगे), इनफेक्शन के संकेत हों (बुखार, बदन दर्द या योनिस्त्राव से दुर्गंध) या फिर अत्याधिक दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें क्योंकि ऐसी स्थिति में आपको तुरंत चिकित्सकीय देखभाल की जरुरत होगी।

यदि ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो और आपको कमजोरी महसूस हो, चक्कर आएं तो आप एकदम निढ़ाल या शॉक की स्थिति में जा सकती हैं। यह एक चिकित्सकीय आपातकाल की स्थिति है और किसी को आपको तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
बार-बार गर्भपात क्यों होता है और इससे गर्भधारण की संभावना पर कितना असर पड़ता है?
यदि आपका लगातार तीन या इससे ज्यादा बार गर्भपात हुआ हो, तो डॉक्टर इसे अंग्रेजी में रिकरंट मिस्कैरिज कहते हैं। यदि आपके साथ ऐसा हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दुर्भाग्यवश, यह सच है कि हर गर्भपात के साथ आपका फिर से गर्भपात होने का खतरा थोड़ा बढ़ता जाता है।

यदि आपके पहले तीन से ज्यादा शुरुआती गर्भपात या फिर दूसरी तिमाही में गर्भपात हुए हैं, तो आपकी अतिरिक्त देखभाल की जाएगी और अतिरिक्त स्कैन भी कराए जाएंगे।

अक्सर, बार-बार गर्भपात झेलने वाली बहुत सी महिलाओं में इसके कारणों का पता नहीं चल पाता है। यदि रिकरंट मिस्कैरिज के कारण का पता न लग पाए, तो इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अगली बार गर्भावस्था सफल रहने की संभावना है। हालांकि, यह आपकी उम्र और आपके पिछले गर्भपातों की संख्या पर भी निर्भर करता है।

विशेषज्ञ यह जानने के प्रयास में लगे हैं कि बार-बार गर्भपात होने के क्या कारण हो सकते हैं। जो स्थितियां रिकरंट मिस्कैरिज का संभावित कारण मानी जाती हैं, वे अक्सर एक जैसी नहीं होती। खून के थक्कों से जुड़े विकार थ्रोम्बोफिलिया और एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (एपीएस) को रिकरंट मिसकैरेज से जोड़ा जाता है। एपीएस को स्टिकी ब्लड सिंड्रोम या ह्यूज़ सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसके अलावा आपकी उम्र, आनुवांशिक समस्याएं, ग्रीवा से जुड़े विकार, योनि संक्रमण, हॉर्मोन संबंधी समस्याएं या जीवनशैली से जुड़े कारण भी इसकी वजह हो सकते हैं।

इन सभी संभावित कारणों के बावजूद अक्सर रिकरंट मिस्कैरिज के कारण का पता नहीं लग पाता। इसे अंग्रेजी में अनएक्स्प्लेन्ड (अस्पष्ट) रिकरंट मिस्कैरिज कहते हैं। कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी खून की जाचें और अल्ट्रासाउंड स्कैन करवा सकती हैं।

बिना किसी कारण रिकरंट मिस्कैरिज झेलने वाली अधिकांश महिलाएं उचित सहयोग और देखभाल से अंतत: स्वस्थ शिशु को जन्म दे पाती हैं।
गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण के प्रयास कब शुरु करने चाहिए?
आप गर्भपात के बाद नियमित माहवारी शुरु होने से दो हफ्ते पहले दोबारा जननक्षम हो सकती हैं। ऐसा उस स्थिति में संभव है जब आपके साथ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कोई स्वास्थ्य समस्या न रही हो।

दोबारा गर्भधारण के प्रयास शुरु करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना बेहतर है कि आपको कोई इनफेक्शन तो नहीं हुआ है और आपकी सेहत एकदम सही है। बहुत से डॉक्टर मिसकैरिज के बाद दोबारा गर्भधारण के प्रयास शुरु करने के लिए कम से कम दो संपूर्ण माहवारी चक्र गुजरने तक का इंतजार करने के लिए कहते हैं। ऐसा इसलिए ताकि आपके शरीर को फिर से ताकत पाने का समय मिल सके। हालांकि, आपके गर्भपात के कारण, आपकी उम्र और सेहत को देखते हुए यह इंतजार और लंबा भी हो सकता है।

कुछ महिलाओं को लगता है कि दोबारा गर्भाधान के प्रयास शुरु करने से उन्हें अपने शिशु की मृत्यु के गम से उबरने में मदद करता है। वहीं, कुछ महिलाएं काफी समय तक दूसरी गर्भावस्था के लिए भावनात्मक तौर पर तैयार नहीं होती। ऐसे में आप खुद पर दबाव न डालें और जो आपको सही लगे वह करें।

जब आप दोबारा गर्भधारण के प्रयास के लिए तैयार हो, तो आप शायद इस बात को लेकर चिंतित हो कि कहीं ऐसा दोबारा भी न हो जाए। आपको यह जानकार तसल्ली होगी कि अधिकांश महिलाएं भविष्य में स्वस्थ शिशु को जन्म देंती हैं।
गर्भपात से उबरने में मुझे बहुत मुश्किल हो रही है। मुझे कहां से मदद मिल सकती है?
गर्भपात चाहे शुरुआती चरण में हुआ हो, मगर इससे उबरना आपके लिए बेहद दुखदाई और भावनात्मक तौर पर असहनीय हो सकता है। आपके लिए गर्भपात से उबर पाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए आपको धैर्य रखना होगा और किसी भी चीज में जल्दबाजी न करें।

आपके पति और परिवारजनों के लिए भी इस घटना से उबर पाना मुश्किल हो सकता है। दुख कम होने या खत्म होने का कोई तय समय नहीं है। हो सकता है यह आपकी और अन्य लोगों की उम्मीद से ज्यादा जारी रहे।

निम्नांकित सुझाव आपको इस सदमे से उबरने में मदद कर सकते हैं:

आपने पति से खुलकर बात करें। एक-दूसरे को दुख से उबरने का समय दें। हो सकता है आप दोनों बात करने में इसलिए संकोच कर रहे हों कि कहीं कुछ ऐसी बात न हो जाए जिसे दिल दुखे। मगर फिर भी आपको अपनी भावनाओं के बारे में एक-दूसरे से बात करनी चाहिए।
डॉक्टर के साथ फॉलो-अप चेकअप पर जाएं। यदि आपको जरुरत लगे तो सहयोग मांगने से झिझके नहीं। बहुत से बड़े अस्पतालों में काउंसलिग सेंटर होते हैं, इसलिए यदि आपको जरुरी लगे तो आप वहां डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट ले सकती हैं।
चाहे आप शारीरिक तौर पर बेहतर महसूस कर रही हों, फिर भी दफ्तर से कुछ समय आप छुट्टी ले सकती हैं।
यदि घर में आपके अन्य बच्चे भी हों, तो आप हाथ ​बंटाने के लिए किसी परिवारजन की मदद ले सकती हैं।
अपने परिजनों से बात करने के साथ-साथ आप अन्य लोगों से भी अपने अनुभव साझा कर सकती हैं। कई लोगों को इससे फायदा होता है।
यदि कुछ महीनों बाद आप बेहतर महसूस करने की बजाय और ज्यादा व्यथित महसूस करें तो आपको मदद की जरुरत होगी। आप अपनी डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।

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