लेबर कब शुरू होने की सबसे अधिक संभावना है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

प्रेरित प्रसव पीड़ा (इंड्यूस्ड लेबर)


प्रसव पीड़ा प्रेरित करने का क्या मतलब है?
जब प्रसव पीड़ा को कृत्रित रूप से शुरु किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को लेबर इंड्यसू करना यानि प्रसव प्रेरित करना कहा जाता है।

अधिकांशत: प्रसव पीड़ा स्वत: शुरु होती है। आमतौर पर बेहतर भी यही है कि इसे प्राकृतिक तौर पर स्वयं ही शुरु होने दिया जाए। मगर कई बार जन्म प्रक्रिया में थोड़ी मदद की जरुरत पड़ जाती है।

यदि शिशु की डिलीवरी तुरंत करवाने की तुलना में आपकी गर्भावस्था को आगे जारी रखने में ज्यादा जोखिम हो, तो आपको प्रसव प्रेरित करवाने के लिए कहा जाएगा।
मुझे प्रसव पीड़ा प्रेरित करवाने की जरुरत क्यों हो सकती है?
आपकी प्रसव पीड़ा प्रेरित की जा सकती है, यदि:

आपकी गर्भावस्था 40 सप्ताह से आगे बढ़ गई है और आपको ओवरड्यू माना जा रहा है। आपको आमतौर पर 40 और 41 सप्ताह के बीच इंडक्शन दिया जाएगा, ताकि गर्भावस्था इस समय से ज्यादा जारी न रहे। भारत में अधिकांश डॉक्टर ज्यादा इंतजार करना पसंद नहीं करते, क्योंकि हो सकता है आपकी अपरा (प्लेसेंटा) शिशु तक पर्याप्त आॅक्सीजन न पहुंचा पा रही हो। अन्य देशों में प्रसव पीड़ा प्रेरित करने से पहले 41 सप्ताह तक इंतजार करना काफी आम है।

आपकी पानी की थैली फट गई है, मगर प्रसव पीड़ा शुरु नहीं हुई है। अधिकांश महिलाओं का पानी की थैली फटने के 24 घंटों के भीतर प्रसव शुरु हो जाता है। यदि ऐसा नहीं हो, तो आपके और आपके शिशु को इनफेक्शन होने का खतरा रहता है।

आपको कोई दीर्घकालीन या एक्यूट स्वास्थ्य स्थिति है, जैसे कि प्री-एक्लेमप्सिया या गुर्दों का रोग, जिससे आपकी या शिशु की सेहत को खतरा पैदा हो सकता हो।

आपको मधुमेह है, खासकर यदि आप शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन ले रही हैं तो। यदि आपका शिशु सामान्य रूप से बढ़ रहा है, तो आपको 38 सप्ताह के बाद प्रसव प्रेरित करवाने के लिए कहा जाएगा।

कई बार डॉक्टर आपके कहने पर भी प्रसव पीड़ा प्रेरित कर सकते हैं। शायद आपके पति को शहर से दूर जाना हो और वे डिलीवरी के समय उपलब्ध नहीं हो सकते हों। कई बार परिवार के सदस्य ज्योतिषीय कारणों से भी शिशु का जन्म किसी विशेष दिन करवाना चाहते हैं।
मेरे प्रसव को किस तरह प्रेरित किया जाएगा?
ऐसे बहुत से तरीके हैं, जिनसे डॉक्टर आपके प्रसव को शुरु करने का प्रयास कर सकते हैं। हो सकता है प्रसव शुरु होने से पहले डॉक्टर को कोई तरीका दोबारा दोहराना पड़े या फिर कोई दूसरा उपाय आजमाना पड़े। अपनी डॉक्टर से बात करें कि कौन सा तरीका आपके लिए उचित रहेगा।

प्रसव पीड़ा प्रेरित करने के तरीके जिस क्रम में आपको दिए जा सकते हैं, उसी क्रमवार ढंग से उनके बारे में नीचे दिया गया है:

मैम्ब्रेन स्वीप
मैम्ब्रेन स्वीप में, आपके शिशु के चारों तरफ मौजूद झिल्लियों को सौम्यता के साथ ग्रीवा से अलग किया जाता है। इस क्रिया से प्रसव उत्तेजित हो सकता है। इंडक्शन के दूसरे तरीके के इस्तेमाल से पहले आपको दो या तीन मैम्ब्रेन स्वीप दिए जा सकते हैं।

यदि आपके गर्भावस्था के नौ महीने पूरे हो चुके हैं और आप प्रसव शुरु होने का इंतजार कर रही हैं, तो आपको मैम्ब्रेन स्वीप दिया जा सकता है। यदि यह आपकी पहली गर्भावस्था है, तो डॉक्टर 40 सप्ताह के चेक-अप पर आपको स्वीप करवाने की सलाह देंगी। यदि आप पहले भी माँ बन चुकी हैं, तो आपको 41 सप्ताह के अप्वाइंटमेंट में स्वीप के लिए कहा जाएगा।

स्वीप के दौरान डॉक्टर सावधानीपूर्वक आपके शिशु के चारों ओर मौजूद झिल्लियों को ग्रीवा से अलग करती हैं, ताकि प्रोस्टाग्लैंडिन के उत्पादन को प्रेरित किया जा सके। यदि आपकी ग्रीवा इतनी विस्फारित नहीं हुई हो, कि स्वीप किया जा सके, तो डॉक्टर ग्रीवा को विस्तारित या उसकी मालिश कर सकती है।

यदि डॉक्टर को ग्रीवा तक पहुंचने में दिक्कत हो रही हो, तो आपको भी काफी असहजता महसूस हो सकती है। संभव है आपको इस प्रक्रिया की सफलता से पहले बहुत बार मैम्ब्रेन स्वीप करवाना पड़े। यदि आप किसी भी चीज को लेकर स्पष्ट नहीं हों, तो अपनी डॉक्टर से उस बारे में पूछ लें।

प्रोस्टाग्लैंडिन
प्रोस्टाग्लैंडिन, हॉर्मोन जैसा तत्व होता है, जो कि गर्भाशयी संकुचनों को प्रेरित करने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल बंद ग्रीवा को परिपक्व करने और प्रसव के लिए तैयार करने में भी किया जाता है। परिपक्व ग्रीवा में यह प्रसव पीड़ा शुरु कर सकता है।

डॉक्टर ग्रीवा को परिपक्व करने के लिए आपकी योनि में प्रोस्टाग्लैंडिन युक्त टैब्लेट, पैसरी या जैल डालेंगी। यदि प्रसव शुरु न हो, तो छह घंटों के बाद आपको टैब्लेट या जैल की दूसरी खुराक की जरुरत हो सकती है। पैसरी धीरे-धीरे 24 घंटों में प्रोस्टाग्लैंडिन जारी करती है, इसलिए इसकी केवल एक खुराक की जरुरत होती है।

प्रसव पीड़ा प्रेरित करने के लिए आमतौर पर सबसे ज्यादा योनि द्वारा प्रोस्टाग्लैंडिन देने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह अक्सर बेहतर काम करता है और अन्य तरीकों की तुलना में इसके नुकसान कम हैं।

इस बात का थोड़ा बहुत खतरा रहता है कि इंडक्शन दवाओं जैसे कि वैजाइनल प्रोस्टाग्लैंडिन आदि से गर्भाशय अत्याधिक उत्तेजित या हाइपरस्टिमुलेट हो सकता है। गर्भाशय का अत्याधिक उत्तेजित होना शिशु तक ऑक्सीजन की आपूर्ति को खतरनाक ढंग से कम कर देता है। यदि ऐसा हो, तो संकुचनों को बंद करने या धीमा करने के लिए दवा दी जा सकती है।

सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में हाइपरस्टिमुलेशन से गर्भाशय फट सकता है। ऐसा उन मामलों में होने की संभावना ज्यादा होती है, जहां पहले सीजेरियन ऑपरेशन हो चुका हो, और अब प्रसव पीड़ा शुरु करके देखा जा रहा हो।

झिल्लियों को कृत्रिम ढंग से फाड़ना (आर्टिफिशयल रप्चर ऑफ मैम्ब्रेन - एआरएम)
एआरएम को कई बार "पानी की थैली को फाड़ना" भी कहा जाता है। पानी की थैली फाड़ने के तरीके को पहले उपाय के तौर पर इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है। यदि वैजाइनल प्रोस्टाग्लैंडिन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, तभी एआरएम के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

हालांकि, यदि प्रसव आगे नहीं बढ़ रहा है, तो इसमें तेजी लाने के लिए डॉक्टर एआरएम का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यह प्रक्रिया आंतरिक जांच के दौरान की जा सकती है। डॉक्टर आपके शिशु के चारों तरफ मौजूद झिल्लियों में छोटा सा छेद करते हैं। यह या तो एमनियोहुक (एक लंबी पतली प्रोब, जो कि कुछ-कुछ पतले क्रोशिए के हुक जैसी दिखती है) या फिर एमनिकॉट (चिकित्सकीय दस्ताना, जिसकी एक उंगली पर चुभने वाली चीज लगी हो) की सहायता से किया जाता है।

एआरएम अक्सर तभी काम करता है जब ग्रीवा मुलायम और प्रसव शुरु होने के लिए तैयार लगे। यह प्रक्रिया काफी असहज हो सकती है, इसलिए आपको गैस एंड एयर (एंटोनॉक्स) दिया जा सकता है, ताकि आप दर्द का सामना कर सके।

एआरएम हमेशा काम नहीं करता, और जब आपकी पानी की थैली फट जाती है, तो आपके शिशु को इनफेक्शन होने का खतरा रहता है। इसलिए इसका इस्तेमाल प्रसव प्रेरित करने के लिए करने की सलाह नहीं दी जाती है और इसका इस्तेमाल प्रसव शुरु होने के बाद किया जाना बेहतर रहता है। यदि डॉक्टर को संक्रमण होने की आशंका हो, तो वे आपको एंटीबायटिक दवाएं दे सकती हैं।

सिंटोसिनॉन
सिंटोसिनॉन, आॅक्सीटोसिन हॉर्मोन का कृत्रिम रूप है। आपको सिंटोसिनॉन तभी दिया जाएगा, जब मैम्ब्रेन स्वीप या प्रोस्टाग्लैंडिन से आपका प्रसव शुरु नहीं हो पाया हो या फिर आपके संकुचन इतने प्रभावी न हों। आपकी पानी की थैली फट जाने के बाद ही आपको सिंटोसिनॉन दिया जा सकता है।

सिंटोसिनॉन के कई नुकसान हैं, इसलिए यदि प्रसव प्रेरित करने के अन्य तरीके काम न आए हों, तो आपको सीजेरियन ऑपरेशन करवाने की सलाह दी जा सकती है।

आपको सिंटोसिनॉन इंट्रावीनस ड्रिप के जरिये दी जाएगी, जिससे आपकी बाजू की नस में लगी छोटी से नलिका के जरिये हॉर्मोन सीधे आपकी रक्तवाहिका में पहुंच सके। जब आपके संकुचन शुरु हो जाते हैं, तो ड्रिप की गति को व्यवस्थित किया जा सकता है। इससे इतने संकुचन हो सकते हैं, जो अक्सर ग्रीवा को विस्फारित करने के लिए पर्याप्त होते हैं और ये ज्यादा प्रबल नहीं होते।

सिंटोसिनॉन की शुरुआत बहुत कम खुराक से की जाती है और धीरे-धीरे इसकी मात्रा को बढ़ाया जाता है। यह प्रबल संकुचन शुरु कर सकती है और शिशु को तनाव में डाल सकती है। इसलिए आप पर लगातार नजर बनाए रखना जरुरी होता है। सिंटोसिनॉन से उत्पन्न हुए संकुचन प्राकृतिक संकुचनों की तुलना में अधिक दर्दभरे हो सकते हैं। इसलिए आप एपिड्यूरल को दर्द निवारक के तौर पर चुन सकती हैं।

इस बात का थोड़ा-बहुत खतरा रहता है कि सिंटोसिनॉन के इस्तेमाल से आपका गर्भाशय अत्याधिक उत्तेजित या हाइपरस्टिमुलेटेड हो सकता है। यदि सिंटोसिनॉन को बंद करना पर्याप्त न हो, तो आपको संकुचन धीमे करने के लिए दवा भी दी जा सकती है।
मैं प्रेरित प्रसव के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकती हूं?
प्रसव पीड़ा शुरु होने से पहले, आप अपनी डॉक्टर से प्रसव पीड़ा प्रेरित करवाने या न करवाने के बारे में चर्चा कर सकती हैं। साथ ही, आप उनसे प्रसव प्रेरित करने के तरीकों के बारे में भी बात कर सकती हैं।

आपकी ग्रीवा कितनी मुलायम और प्रसव के लिए कितनी तैयार है, इसे देखते हुए डॉक्टर आपको कोई एक तरीका बता सकती हैं। हालांकि, प्रसव शुरु होने के बाद डॉक्टर आपसे सलाह किए बिना वही निर्णय ले सकती हैं, जो आपके और आपके शिशु के हित में सबसे बेहतर हो।

प्रसव प्रेरित करने के किसी भी तरीके के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर आपकी ग्रीवा की जांच करेंगी ताकि पता चल सके कि यह परिपक्व और प्रसव के लिए तैयार है या नहीं। आपकी ग्रीवा की परिपक्वता प्रसव प्रेरित करने की सफलता को प्रभावित कर सकती है। ग्रीवा जितनी ज्यादा परिपक्व होगी, प्रसव शुरु होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

कई बार इंडक्शन प्रसव पीड़ा प्रेरित करने में विफल हो सकता है, खासकर यदि आपकी ग्रीवा अपरिपक्व हो तो। यदि आपके साथ ऐसा होता है, तो डॉक्टर आपके साथ इंडक्शन का कोई प्रबल तरीका या फिर सीजेरियन ऑपरेशन करने के बारे में बात कर सकती हैं। पहले से ही सोच कर रखें कि ऐसी स्थिति में आप क्या करना चाहेंगी।

इस बात के भी कुछ प्रमाण हैं कि इंडक्शन के बाद आपको शिशु के जन्म में मदद के लिए प्रसूति चिमटी (फोरसेप्स) या वेंटूस जैसे उपकरणों की जरुरत पड़ सकती है। चाहे आपने प्रसव प्रेरित करने का कोई भी तरीका चुना है, यह बात सब पर लागू होती है। ऐसा शायद गर्भावस्था की जटिलता के कारण हो सकता है, जिसकी वजह से इंडक्शन करना पड़ा हो। मगर ऐसा प्रसव प्रेरित करने से उत्पन्न हुई समस्याओं की वजह से भी हो सकता है।
मेरी डॉक्टर मेरे 'बिशप स्कोर' के बारे में बात कर रही थी। यह क्या है?
'बिशप स्कोर' आपकी ग्रीवा की परिपक्वता का आंकलन करता है। आपकी ग्रीवा की स्थिति और अवस्था और आपके शिशु का सिर या नितंब श्रोणि में कितना नीचे तक आ गया है, इस सब को आधार मानकर अंक दिए जाते हैं।

आठ या इससे अधिक का बिशप स्कोर इस बात का संकेत होता है कि आपकी ग्रीवा परिपक्व है और प्रसव के लिए तैयार है। इस चरण पर आपका शिशु श्रोणि में काफी नीचे की तरफ है, आमतौर पर सिर के बल, मगर कभी-कभार उसका नितंब नीचे की तरफ हो सकता है।

प्रसव पीड़ा प्रेरित करने से पहले और बाद में बिशप स्कोर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि पता लग सके कि प्रसव पीड़ा में कुछ प्रगति हुई है या नहीं। ग्रीवा की परिपक्वता इंडक्शन की सफलता को प्रभावित करती है। यह जितनी अधिक परिपक्व होगी, प्रसव शुरु होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

छह या इससे कम का बिशप स्कोर ग्रीवा के अपरिपक्व होने का संकेत होता है। यदि ग्रीवा अपरिपक्व है, तो इंडक्शन के 15 प्रतिशत मामलों में विफलता मिलती है। ऐसी परिस्थितियों में, डॉक्टर आपके साथ उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा करेंगी। इसके बाद आप निर्णय ले सकती हैं कि आप प्रसव प्रेरित करने के और अधिक प्रबल तरीके आजमाना चाहती हैं या फिर सीजेरियन ऑपरेशन करवाना चाहती हैं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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