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लेबर पेन स्टेजेस: लेबर पेन की पहली स्टेज
लेबर पेन स्टेजेस या लेबर पेन के चरण में पहली स्टेज सर्विक्स के ओपन होने से शुरू होती है। इस दौरान सर्विक्स सॉफ्ट हो जाता है और बच्चे के बाहर निकलने के लिए रास्ता बनाता है। कुछ लोगों को सोचकर आश्चर्य हो सकता है कि बच्चे का बड़ा सिर कैसे छोटी सी वजायना से बाहर आएगा, लेकिन ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। गर्भाशय के संकुचन के साथ ही सर्विक्स करीब 6 सेमी तक खुल जाता है। लेबर की अर्ली स्टेज में महिलाओं को संकुचन और कम महसूस होता है लेकिन पेट में समस्या महसूस हो सकती है। अर्ली स्टेज लेबर एक घंटे से लेकर पूरे दिन का भी हो सकता है।
लेबर पेन स्टेजेस: लेबर पेन की अर्ली स्टेज में
म्युकस डिस्चार्ज हो सकता है जिसे शो कहते हैं।
कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है।
पीरियड्स के जैसे दर्द का एहसास होता है।
लो बॉवेल मोशन हो सकता है।
मेंबरेन फट जाने के बाद पानी का रिसाव।
वॉटर ब्रेक होने के बाद पानी गुलाबी रंग का होना चाहिए। अगर पानी का रंग हरा या लाल है तो तुरंत अपने डॉक्टर को जानकारी दें।
उल्टी महसूस होना।
अर्ली लेबर के दौरान आपका शरीर तैयारी कर रहा होता है, आप चाहे तो इस दौरान रिलेक्स के लिए एनर्जी स्नेैक्स ले सकती हैं।
शॉवर लेने के बाद आराम करने की कोशिश करें।
अगर आपको बॉवेल मूमेंट हो रहा हो तो तुरंत वॉशरूम जाएं।
रिलेक्स के लिए नेक और शोल्डर में मसाज लें।
हॉस्पिटल में रखें इन बातों का ध्यान
1.लेबर की अर्ली स्टेज में अपनी बॉडी को टाइट करने की कोशिश न करें। शरीर को आराम की अवस्था में छोड़ दें।
2. कॉन्सट्रेक्शन के समय पानी का साथ आपको बहुत रिलेक्स देता है, आप चाहे तो हॉस्पिटल में भी बाथ ले सकती हैं।
3. घबराहट महसूस हो रही हो तो म्यूजिक का सहारा ले सकती हैं।
4. आप चाहे तो हॉस्पिटल में रिलेक्स के लिए इलेक्ट्रिक ऑयल बर्नर की हेल्प से एरोमा थेरिपी ले सकती हैं। इस दौरान अपनी फैमिली से फोन को दूर रखने की सलाह दें ताकि आपका मन फोन की आवाज सुनकर न भटक जाए।
लेबर पेन स्टेजेस: एक्टिव लेबर पेन
अर्ली लेबर के बाद शुरू होता है एक्टिव लेबर। एक्टिव लेबर के दौरान आपरा सर्विक्स करीब 10 सेमी तक खुल जाता है। अब संकुचन तेज गति से होना शुरू हो जाता है। अर्ली स्टेज में अगर वाटर ब्रेक नहीं हो पाया है तो एक्टिव स्टेज में वाटर ब्रेक होने के चांस बढ़ जाते हैं। अगर इस दौरान किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं। ऐसे समय में केवल आप ही अपनी समस्या सही तरह से बता पाएंगी और डॉक्टर उसका समाधान करेंगे।
लेबर पेन स्टेजेस: एक्टिव लेबर कब तक रहेगा?
अर्ली लेबर एक घंटे तक या उससे ज्यादा रहता है, वहीं एक्टिव लेबर चार घंटे या उससे ज्यादा हो सकता है। इस दौरान आपका सर्विक्स पतला हो रहा होता है।
मुझे क्या करना चाहिए ?
एक्टिव स्टेज के दौरान आपके पास हेल्थ केयर टीम रहेगी। वो आपको पूरी तरह से सपोर्ट करेगी। अपनी समस्या को दूर करने के लिए इस समय आपको सही ब्रीथिंग की जरूरत पड़ेगी।
अपनी पुजिशन को चेंज करें
बर्थिंग बॉल का सहारा लें।
जरूरत पड़ने पर वार्म वॉटर बॉल का सहारा लें।
संकुचन के दौरान पार्टनर की हेल्प से हल्की मसाज लें।
अगर डॉक्टर ने इस दौरान आपको सी-सेक्शन की सलाह दी है तो हैवी फूड बिल्कुल भी न लें। आपको तरल पदार्थ, आइस चिप्स और जूस लेने की सलाह दी जा सकती है।
इस दौरान संकुचन तेजी से आते हैं जो 60 से 90 सेकंड तक रहते हैं। जब डॉक्टर कहे तभी पुश करें। जल्दी पुश करने से आप थक जाएंगी और सर्विक्स में सूजन आने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
लेबर की दूसरी स्टेज
सेकेंड लेबर स्टेज में सर्विक्स पूरी तरह से खुल चुका होता है। इस दौरान बच्चे का सिर बर्थ कैनाल से बाहर आ चुका होता है। अगर आपको ज्यादा समय नहीं लगता है तो सेकेंड स्टेज आधे से लेकर एक घंटे में खत्म हो जाएगी। अगर सेकेंड स्टेज में आपको एपिड्यूरल (epidural) की जरूरत पड़ती है तो लेबर पेन स्टेजेस का समय बढ़ सकता है। कुछ महिलाओं में अगर बच्चे का सिर निकालने में डॉक्टर्स को समस्या होती है तो वो फॉरसेप्स या फिर वैक्यूम एक्सट्रेक्शन की हेल्प लेते हैं।
लेबर पेन स्टेजेस: लेबर की तीसरी स्टेज
लेबर पेन स्टेजेस में फाइनल स्टेज यानी थर्ड स्टेज में प्लेसेंटा पूरी तरह से बर्थ कैनाल से बाहर आ जाता है। इस दौरान डॉक्टर बच्चे और मां दोनों को पूरी तरह से एग्जामिन करते हैं। थर्ड स्टेज में दो तरह के मैनेजमेंट को अपनाया जाता है।
फिजियोलॉजिकल मैनेजमेंट
फिजियोलॉजिकल थर्ड स्टेज में मां और बच्चे का स्किन-टू-स्किन अटैचमेंट होता है। ये करीब आधे से एक घंटे का समय लेता है। फिर मां बच्चे को ब्रेस्ट फीड करवाती है।
एक्टिव मैनेजमेंट
एक्टिव मैनेजमेंट में इंजेक्शन दिया जाता है। इंजेक्शन की हेल्प से मां के पेट में होने वाला दर्द कम हो जाता है। आप मां बनने जा रही हैं और आप लेबर पेन स्टेजेस के बारे में जानना चाहती हैं तो ये आर्टिकल आपकी जानकारी बढ़ा सकता है। प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान सभी महिलाओं की सिचुएशन अलग हो सकती हैं। डॉक्टर महिला की परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लेते हैं। अगर मन में कोई भी प्रश्न हो तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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