शिशु की क्या-क्या जरूरतें होती हैं?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 15:56

नवजात शिशु (0-1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल | Navjat Shishu Ka Vikas

IN THIS ARTICLE

1 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
1 महीने के शिशु का विकास | 1 Mahine Ka Baby
मस्तिष्क का विकास
शारीरिक विकास
सामाजिक व भावनात्मक विकास
1 महीने के बच्चे का टीकाकरण
1 महीने के शिशु के लिए कितना दूध आवश्यक है?
1 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?
1 माह के शिशु के खेल व गतिविधियां | Ek Mahine Ka Bachcha
1 माह के शिशु को लेकर माता-पिता की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं
बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां
शिशु की स्वच्छता
माता-पिता शिशु के विकास पर कैसे रखें नजर?
1 महीने के शिशु के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?
इस महीने की चेकलिस्ट
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जब घर में नन्हे शिशु की किलकारियां गूंजती हैं, तो पूरा घर खुशियों से भर जाता है। जन्म के बाद उसे इस नए संसार के साथ तालमेल बिठाने में कुछ समय लग सकता है। फिर दिन-ब-दिन उसका विकास होने लगता है। उसके हाथ-पांव तेजी से चलने लगते हैं। वह मां और घर के अन्य सदस्यों को देखकर चेहरे के तरह-तरह के भावों के साथ अपनी प्रतिक्रिया देता है। इस दौरान उसके साथ खेलना और बाते करना हर किसी को अच्छा लगता है। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में शिशु के पहले माह की ही बात करेंगे। साथ ही बताएंगे कि इस दौरान उसका शारीरिक विकास किस प्रकार होता है। इसके अलावा, नन्हे शिशु से जुड़ी कई रोचक जानकारियां भी आपको इस आर्टिकल में मिलेंगी।
1 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

जन्म के बाद कुछ माह तक शिशु का काम सिर्फ दूध पीना, सोना, रोना, खेलना और नैपी को गंदा करना होता है। इस दौरान शिशु का शारीरिक विकास सामान्य गति से होता रहता है। महीने-दर-महीने उसका वजन व कद बढ़ता रहता है। यहां हम बता रहे हैं कि पहले माह शिशु का वजन व हाइट कितनी होती है।

पहले महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 3.5 से 4.9 किलो के बीच और हाइट 53.8 से.मी. होती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 3.7 से 5.3 किलो के बीच और हाइट 54.8 से.मी. हो सकती है (1) (2)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से यह तय मानक है। हालांकि, वजन व हाइट इससे थोड़ा कम या ज्यादा हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शिशु का विकास ठीक तरह से नहीं हो रहा है। हर शिशु का शरीर अलग होता है, तो उसके विकास की गति भी अलग होती है। इस संबंध में बाल चिकित्सक आपको बेहतर बता सकते हैं।

हर माता-पिता को इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि आमतौर शिशु का वजन इस बात पर निर्भर करता है कि जन्म के समय उसका वजन कितना था। इसलिए, यह नहीं सोचना चाहिए कि शिशु इतने माह का हो गया, तो उसका औसन वजन इतना होना चाहिए। जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, उसका वजन भी लगातार बढ़ता रहता है।

आइए, अब जान लेते हैं कि 1 माह के शिशु में क्या-क्या बदलाव होते हैं।
1 महीने के शिशु का विकास | 1 Mahine Ka Baby

शिशु के पैदा होने के बाद उसमें कई तरह के बदलाव आते हैं। जहां शुरू के कुछ दिन वह आंखें तक नहीं खोलता, वहीं बाद में उसके मस्तिष्क व शरीर के साथ-साथ सामाजिक विकास भी होता है। इन तीनों प्रकार के विकास के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं :
मस्तिष्क का विकास

भूख की समझ : शुरुआत के कुछ दिन में शिशु को भूख के बारे में इतना पता नहीं चलता। उन्हें आप जब दूध पिलाते हैं, वो पी लेते हैं, लेकिन एक माह के होते ही, वो अपनी भूख को पहचानने लगते हैं। उन्हें जब भी भूख लगती है, रोने लगते हैं। अगर आप नोट करें, तो पता चलेगा कि शिशु भी अपना दूध पीने का समय निश्चित कर लेता है और उस तय समय पर ही रोने लगता है (3)।

स्वाद की पहचान : इतना छोटा शिशु सिर्फ मां का दूध ही पीता है। फिर भी एक माह का होने के बाद उसे स्वाद की पहचान हो जाती है। अगर मां ऐसा कुछ खा ले, जिससे कि स्तन दूध का स्वाद कुछ बदल जाए, तो शिशु को पता चल जाता है। यहां तक कि शिशु स्तन दूध की गंध तक को पहचाने लगता है (4)।

चेहरे या वस्तु की पहचान : एक माह के शिशु का दिमाग इतना विकसित हो जाता है कि वह कुछ खास चेहरों व चीजाें को पहचानने लगता है। खासकर, वह मां को तो जरूर पहचानने लगता है। अगर आप उसकी आंखों के आगे कोई चीज कुछ देर तक रखें, तो वह उसे गौर तक देखता है और पहचानने लगता है। शिशु में यह क्षमता विकसित होने में 6-10 माह भी लग सकते हैं। इसलिए, अगर किसी का 1 माह का शिशु किसी वस्तु को नहीं देखता है, तो चिंता का विषय नहीं है।

चीजों व गंध का अहसास : आपका शिशु कठोर, कोमल व खुरदरी चीजों के बीच फर्क को महसूस कर सकता है। वह अच्छी और खराब गंध के बीच भी अंतर महसूस कर सकता है।

शारीरिक विकास

बांह को झटकना : वह अपनी बांह को तेजी से हिला सकता है। इससे पता चलता है कि उसकी मांसपेशियों का विकास तेजी से हो रहा है।

अंगों में हरकत : वह अपने शरीर के सभी अंगों को अच्छी तरह से हिलाने-ढुलाने के काबिल हो जाता है (5)।

स्पर्श : एक माह का होने के बाद वह अपने हाथों से अपने चेहरे, मुंह, आंखों व कानों आदि को स्पर्श करने लगता है।

सिर का पीछे जाना : इतना विकसित होने के बाद भी शिशु इतना सक्षम नहीं हो पाता कि अपने सिर को संभाल सके। अगर उसे गोद में लेकर सहारा न दिया जाए, तो उसका सिर झटके के साथ पीछे की ओर चला जाता है। आपको इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब यह है कि शिशु का विकास अच्छी तरह से हो रहा है।

सिर को उठाने की कोशिश : अगर आप उसे पेट के बल लेटाएंगे, तो वह सिर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करेगा। ऐसा वह गर्दन की मांसपेशियों व तंत्रिका तंत्र में हो रहे विकास के कारण कर पाता है।

मुट्ठी में पकड़ना : अगर आप उसकी हथेली पर कोई चीज या अपनी उंगली रखेंगे, तो वह उसे कस कर पकड़ने का प्रयास करेगा। इतना ही नहीं वह अपने आसपास की चीजों को खुद भी अपनी मुट्ठी में पकड़ने का प्रयास करेगा (6)।

वस्तु पर नजर : आप उसकी आंखों के आगे कोई चीज रखें, जिससे वह आकर्षित हो जाए, तो आप उस वस्तु को जहां-जहां घुमाएंगे, वह उसे लगातार देखेगा। यहां तक कि वह अपने से 8-12 इंच दूर पड़ी वस्तु को अच्छी तरह देख सकता है।

नींद में कमी : अमूमन एक शिशु दिन में आठ-नौ घंटे और रात में करीब आठ घंटे सो सकता है। वह एक बार में एक-दो घंटे से ज्यादा नहीं सोता। इस प्रकार कह सकते हैं कि पहले माह में शिशु 24 घंटे में करीब 16 घंटे सोता है, लेकिन एक माह का होते-होते यह अवधि करीब आधा घंटा कम हो जाती है (7)।

गतिविधियां : हर शिशु जन्म के समय से ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियांं करता है, जो एक माह के होते-होते बढ़ जाती हैं (8)। डॉक्टर इन गतिविधियों को गंभीरता से चेक करते हैं। अगर इसमें कमी देखी जाती है, तो यह चिंता का कारण होता है।

सामाजिक व भावनात्मक विकास

रोकर बात समझाना : यह तो सभी जानते हैं कि एक माह का शिशु सिर्फ रोकर ही अपनी बात समझा सकता है। फिर चाहे उसे कोई समस्या हो या फिर भूख लगी हो, वह रो कर दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। फिर जब मां उसे गोद में लेकर दूध पिलाती है, तो वह तुरंत चुप हो जाता है।

आवाजों को पहचानना : इस उम्र तक बच्चे घर के सदस्यों खासकर अपनी मां की आवाज पहचानने लगते हैं। इतना ही नहीं, जिस तरफ से आवाज आती है, वहां अपनी गर्दन भी घुमाते हैं।

नजरें मिलाना : आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि इस उम्र के बच्चे किसी भी चीज को गौर से देख सकते हैं। अगर आप उसके सामने खड़े होंगे, तो पहले वो आपके चेहरे को देखेंगे और फिर आपकी आंखों में देखेंगे।

हाथों का स्पर्श : आप बच्चे को कठोर हाथ लगाएं या मुलायम तरीके से पकड़ें, वो इन दोनों तरह के स्पर्श को महसूस कर सकते हैं। इतना ही नहीं उसी के अनुसार रोकर या मुस्कुराकर प्रतिक्रिया भी देते हैं। अगर आप उन्हें नाजुकता के साथ और अच्छी तरह हाथ लगाएंगे या गोद में लेकर झूला झुलाएंगे, तो वो इसका आनंद लेंगे (9)।

आगे हम बता रहे हैं कि शिशु जब एक माह का हो जाए, तो उसे कौन-कौन से टीके लगते हैं।
1 महीने के बच्चे का टीकाकरण

हर शिशु को निश्चित समयावधि पर जरूरी टीके लगाए जाते हैं। भारत में ये सभी टीके केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगाए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों व आंगबाड़ी में ये टीके मुफ्त लगाए जाते हैं, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए कुछ कीमत चुकानी पड़ती है। जन्म से लेकर छह हफ्ते तक के शिशु को निम्नलिखित टीके लगाए जाते हैं (10) :

बीसीजी
हेपेटाइटिस बी 1
ओपीवी (जीरो डोज)
डीटी डब्ल्यू पी 1
आईपीवी 1
हेप-बी 2
हिब 1
रोटावायरस 1
पीसीवी 1

आर्टिकल के इस हिस्से में हम शिशु की एक दिन की खुराक पर चर्चा करेंगे।
1 महीने के शिशु के लिए कितना दूध आवश्यक है?

शुरुआत में शिशु का पाचन तंत्र कमजोर होता है और वह एक समय में कम ही दूध पीता है। ध्यान रहे कि मां के दूध और फॉर्मूला दूध में अंतर होता है। यहां हम उसी के आधार पर बताएंगे कि एक माह का शिशु एक दिन में कितना मां का दूध या फॉर्मूला दूध पी सकता है।

मां का दूध : नवजात शिशु का पेट छोटा होता है, इसलिए जन्म के बाद अगले एक हफ्ते तक वह सिर्फ 30-60ml तक ही दूध पीता है। वहीं, एक माह का होते-होते उसके पेट का आकार बढ़ने लगता है और पाचन तंत्र भी पहले से बेहतर काम करता है। अब शिशु हर दो-चार घंटे में एक बार में 90-120ml तक दूध पी सकता है। इस तरह से वह दिनभर में करीब 900ml तक दूध पी सकता है (11) (12)।

फॉर्मूला दूध : सबसे पहली बात तो यह कि मां के दूध से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता। फिर भी कुछ परिस्थितियों में शिशु को फॉर्मूला दूध देना ही पड़ता है। ऐसे में कोशिश करें कि उसे कम से कम तीन हफ्ते का हो जाने पर ही फॉर्मूला दूध दें। साथ ही करीब 110ml से ज्यादा न दें और हर बार चार घंटे का अंतराल रखें (13)।

आगे हम शिशु की गहरी नींद में सोने की बात कर रहे हैं।
1 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

शिशु के जन्म लेने के बाद उसके सोने का कोई समय निर्धारित नहीं होता। वह 24 घंटे में से करीब 16 घंटे सोता है। इतना छोटाा शिशु दिन और रात के बीच अंतर नहीं कर पाता है। वह दिन में चार-पांच बार सोता है और हर बार सोने की समयावधि एक-दो घंटे हो सकती है। इसी तरह वह रात को भी करीब आठ घंटे सोता है, लेकिन बीच-बीच में उठता रहता है, जिस कारण आपकी नींद खराब होती है। वहीं, एक माह का होने के बाद वह करीब आधा घंटा कम सोता है (7)। आगे चलकर धीरे-धीरे उसका भी सोने का रूटीन बनने लगता है।

एक माह के शिशु की गतिविधियों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
1 माह के शिशु के खेल व गतिविधियां | Ek Mahine Ka Bachcha

हालांकि, इतना छोटा शिशु खुद से बैठ नहीं सकता और न ही घुटनों के बल चल सकता है। इसलिए, वह पीठ के बल ही लेटकर अपने हाथ-पांव चलता है और विभिन्न आवाजों पर प्रतिक्रिया देता है। वहीं, जब आप उसे पेट के बल लेटाते हैं, तो वह गर्दन उठाकर इधर-उधर देखने का प्रयास करता है और पैरों के बल खुद को आगे धकेलने का प्रयास करता है। शिशु को पेट के बल लेटना उसकी मांसपेशियों के विकास के लिए जरूरी भी है।

आगे हम शिशु के स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां दे रहे हैं।
1 माह के शिशु को लेकर माता-पिता की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं

जहां एक तरफ शिशु का विकास तेज गति से होता है, वहीं कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। एक माह का शिशु अपनी समस्याओं को रोकर बताता है। शिशु को होने वाली समस्याओं को माता-पिता कुछ इस प्रकार पहचान सकते हैं :

कब्ज : जब शिशु मल त्याग करने में 10-15 मिनट लगाए, इस दौरान उसका चेहरा लाल हो जाए या तीन दिन तक मल त्याग न करे, तो समझ जाना चाहिए कि उसे कब्ज है। ऐसे में उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं (14)।

खांसी : शिशु को सर्दी-जुकाम के कारण खांसी हो सकती है। साथ ही उसे सांस लेने में दिक्कत हो व हल्का बुखार भी हो (15)।

क्रैडल कैप : इसमें शिशु के सिर पर पपड़ीदार पैच बन जाते हैं। आमतौर पर यह सिर को धोने से या फिर अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए (16)।

डायरिया : अगर शिशु का मल पानी की तरह पतला है और मल लगातार हो रहा है, तो इससे शिशु में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए, शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए (17)। आमतौर पर शिशु दूध पीने के बाद थोड़ी-सी मात्रा में हल्का ठोस व हल्का पतला मल त्याग कर सकते हैं। ऐसा गैस्ट्रो कोलिक रिफ्लेक्स के कारण होता है और यह सामान्य है।

उल्टी : अगर शिशु कुछ भी खाने के बाद करीब दो घंटे में उल्टी कर रहा है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। साथ ही उसे बुखार व डायरिया है, तो बिना देरी किए उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

मुंहासे : पहले माह में शिशु के चेहरे पर छोटे-छोटे मुंहासे नजर आ सकते हैं। ऐसा गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा में तैलीय ग्रंथियों के सक्रिय होने पर हार्मोंस में असंतुलन के कारण हो सकता है। ऐसी अवस्था में अगर आप शिशु का ध्यान अच्छी तरह से रखेंगी, तो ये मुंहासे कुछ समय में अपने आप खत्म हो जाएंगे।

गैस : अगर शिशु जरूरत से ज्यादा रो रहा है, तो हो सकता है उसे गैस हो। वहीं, अगर गैस डिस्चार्ज करते हुए रोता है, तो यह गंभीर समस्या है। उसे आप पेट के बल लेटाएं, इससे उसे राहत मिल सकती है या फिर डॉक्टर से संपर्क करें।

एलर्जी : स्तनपान करने वाले शिशुओं को कुछ खास चीजों से एलर्जी हो सकती हैं, जिन्हें उनकी मां खाती है। इससे उन्हें असुविधा हो सकती है।

कोलिक : इसमें भी शिशु के पेट में गैस बनती है और वह असहज महसूस करते हुए ऊंची आवाज में रोता है।

बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां

क्या मेरा बच्चा देख सकता है : एक माह का शिशु इतना विकसित हो चुका होता है कि वह अपने आसपास की चीजों, व्यक्तियों व घटनाओं को देख सकता है। अगर उसकी आंखों पर हल्की-सी फ्लैश मारी जाए या अचानक से कोई रोशनी पड़े, तो वह अपनी पलके झपकाता है (18)।

क्या मेरा बच्चा सुन सकता है : इतने छोटे शिशु के कान काफी विकसित हो जाते हैं। इसका पता आप इससे लगा सकते हैं कि वो आपकी आवाज पर प्रतिक्रिया कर सकता है। जिस दिशा से तेज आवाज आती है, वह उस तरफ देखने का प्रयास करता है।

क्या मेरा बच्चा स्वाद व गंध को पहचान सकता है : ऐसा माना जाता है कि एक माह का शिशु स्वाद व गंध की पहचान कर सकता है। वह मां के दूध का स्वाद बदलने को अच्छी तरह पहचान सकता है। अगर उसे मां के दूध के टेस्ट में जरा भी अंतर पता चलता है, तो वह दूध पीने से मना कर सकता है। साथ ही वह मां की गंध को भी पहचान सकता है (4)।

अब हम शिशु को साफ-सुथरा रखने के बारे में भी बात कर लेते हैं।
शिशु की स्वच्छता

बेशक नन्हे शिशु की देखभाल करने का आपका यह पहला अनुभव है, लेकिन यहां बताए गए टिप्स की मदद से आप यह काम आसानी से कर सकते है।

डायपर : आप समय-समय पर शिशु का डायपर चेक करते रहें। अगर डायपर गीला है, तो उसे तुरंत बदलें। बदलते समय शिशु को अच्छी तरह साफ करें। इसके लिए आप खास बेबी वाइप्स या लोशन इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर डायपर के वजह से शिशु को रैशेज हो गए हैं, तो डाॅक्टर से पूछकर अच्छी डायपर रैशेज क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही दिन में कम से कम एक या दो बार शिशु को बिना डायपर के रहने दें, ताकि उसकी त्वचा पर प्राकृतिक मॉइस्चराइजर बना रहे।

स्नान : आप शिशु को हल्के गुनगुने पानी से नहलाएं। आप उसे एक दिन छोड़कर नहला सकती हैं। उसे नहलाने से पहने अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें। नहलाते समय उसकी आंखों, कानों व नाक को अच्छी तरह साफ करें। शिशु को हमेशा बंद कमरे में ही नहलाएं और बाथटब का इस्तेमाल न करें।

सफाई : बच्चा जब भी दूध पीता है, तो कई बार ज्यादा पी लेता और फिर बाद में उसे निकाल देता है। अगर आपका शिशु भी ऐसा करे, तो तुरंत उसे साफ करें। साथ ही जैसे ही आपको लगे कि उसके पैर व हाथों के नाखुन बड़े हो गए हैं, तो उसे काट दें। इससे एक तो वह खुद को चोट नहीं पहुंचाएगा और दूसरा नाखुनों में गंदगी जमा नहीं होगी।

माता-पिता छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर अपने शिशु के विकास में मदद कर सकते हैं।
माता-पिता शिशु के विकास पर कैसे रखें नजर?

यहां हम कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से माता-पिता अपने शिशु के बेहतर विकास में मदद कर सकते हैं :

आप समय-समय पर शिशु के शरीर में हो रहे बदलावों पर नजर रखें। अगर कुछ अजीब लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाते रहें।

उसके वजन व हाइट को नोट करते रहें।

निश्चित समयांतराल पर टीकाकरण कराना न भूलें। यह उसके बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है।

शिशु को कुछ देर पेट के बल जरूर लेटाएं। बाल रोग विशेषज्ञ भी कहते हैं कि शिशु को रोज पांच बार पेट के बल लेटाना चाहिए और हर बार उसे दो-तीन मिनट तक ऐसे ही रहने देना चाहिए। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, इस समयावधि को भी बढ़ाना चाहिए। इससे शिशु का विकास तेज गति से होता है (19)। इस दौरान आप उसके सामने कोई खिलौना रख दें, ताकि वह उसे पकड़ने के लिए तेज-तेज हाथ-पांव मारे। ऐसा माता-पिता हमेशा अपनी देखरेख में ही करें।

कुछ समय आप उसके साथ खेलने में बिताएं। इससे एक तो वह एक्टिव रहेगा और दूसरा आपके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करेगा।

हर समय उसे कमरे में बंद न रखें, कुछ देर के लिए उसे पार्क आदि जगह घुमाने ले जाएं।

1 महीने के शिशु के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?

यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनकी पहचान कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शिशु का स्वास्थ्य ठीक नहीं है (20):

अगर शिशु सही प्रकार से दूध नहीं पी रहा है।

अगर अपने आसपास पड़ी चीजों को हिलाने या उसके सामने लाने पर भी उस पर ध्यान नहीं देता है।

आंखोंं में रोशनी मारने पर भी पलकों को नहीं झपकाता है।

किसी भी प्रकार की आवाज पर प्रतिक्रिया नहीं देता है।

अगर शिशु के शरीर व मांसपेशियों में सूजन हो और वह अपने अंगों को न हिलाए।

अगर शिशु के बिल्कुल स्थिर होने पर भी उसके जबड़े में कंपन महसूस हो।

इस महीने की चेकलिस्ट

तय समय पर शिशु को चेकअप के लिए डॉक्टर के पास लेकर जाएं।

आप डॉक्टर से पूछ सकती हैं कि आपको विटामिन-डी के सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत है या नहीं।

शिशु के जन्म से लेकर छह हफ्ते के बीच कई टीके लगते हैं। इनकी लिस्ट बनाएं और कौन सा टीका कब लगना है, उनकी डेट जरूर लिखें, ताकि आपके नन्हे को कोई टीका लगने से रह न जाए।

डिलीवर के छह हफ्ते बाद आप अपना भी चेकअप जरूर करवाएं।

शिशु के एक माह पूरा होने पर उसकी फोटो जरूर खींचें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या नवजात या 1 माह के शिशु के लिए पैसिफायर का उपयोग करना ठीक है?

नहीं, इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) का कहना है कि पैसिफायर शिशु के लिए उपयुक्त नहीं है। इससे शिशु समय से पहले ही स्तनपान करना छोड़ देता है। इसलिए, जब आप शिशु का स्तनपान छुड़ाना चाहते हैं, तभी उसे पैसिफायर देना ठीक रहता है (21)।

मैं अपने रोते हुए बच्चे को कैसे शांत करूं?

आप उसे बच्चों की लोरी सुना सकती हैं या फिर गोद में लेकर झूला झुला सकती हैं। कुछ बच्चे अलग-अलग तरह के म्यूजिक को सुनकर भी शांत हो जाते हैं।

शिशु क्यों रोते हैं?

शिशुओं के रोने के कई कारण हो सकते हैं। उन्हें भूख लगी हो, डायपर गंदा हो, पेट में कोलिन या गैस के कारण दर्द हो, नींद आ रही हो, लंबे समय तक लेटे रहने से परेशान हों, स्वास्थ्य ठीक न हो, दूध पीने के बाद डकार न ले पा रहे हों आदि।

जिस प्रकार एक पौधे को पेड़ बनाने के लिए बेहतर खाद-पानी की जरूरत होती है, उसी प्रकार आपके शिशु को भी खास देखभाल की जरूरत है। अगर आपका शिशु भी एक माह का है, तो इस आर्टिकल में दी गई बातें आपके काम आ सकती हैं। आप न सिर्फ उसकी मनोस्थिति को समझ सकते हैं, बल्कि उसमें हो रहे बदलावों को भी अच्छी तरह से महसूस कर सकते हैं। उम्मीद है कि इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके काम आएगी। शिशु की देखभाल से जुड़ी और जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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