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शिशु को दूध पीने के बाद क्यों होती है उल्टी, जानिए कारण और घरेलू नुस्खे
अक्सर दूध पीने के बाद शिशु उल्टी कर देते हैं। इसके कई कारण होते हैं जिनका पता लगाकर शिशु को इस परेशानी से बचाया जा सकता है।
कई बार शिशु पेट दर्द या गैस की वजह रोता है लेकिन कभी-कभी शिशु को उल्टी भी हो जाती है। वहीं अगर बार-बार उल्टी हो रही है तो इसका कारण जानकर इलाज करना जरूरी है ताकि शिशु को ज्यादा दिक्कत न हो। इसकी वजह से शिशु के शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
आइए जानते हैं कि शिशु को किन कारणों से उल्टी होती है।
शिशु की भोजन नली पूरी तरह मैच्योर नहीं होती है इसलिए दूध पीने के बाद दूध वापस भोजन नली में आ सकता है जिससे शिशु मुंह या नाक से दूध बाहर निकाल देता है। शिशु के 18 महीने के होने पर अक्सर यह समस्या ठीक हो जाती है।
शिशु के शरीर पर फुंसी होने पर इन घरेलू नुस्खों को जरूर आजमाएं, मिलेगा तुरंत आराम
कुछ चिकित्सकीय स्थितियों के कारण भी शिशु को फुंसियां हो सकती हैं। जैसे कि साफ सफाई की कमी, इम्यूनिटी कमजोर होना, शरीर में जरूरी पोषण की कमी, एनीमिया या आयरन की कमी, अधिक केमिकल वाले पदार्थ के उपयोग से त्वचा पर जलन और मौसम बदलने की वजह से भी।
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फुंसियां होने पर फुंसी वाली जगह के आसपास का हिस्सा लाल हो जाता है और सूज जाता है। कुछ मामलों में बच्चों को बुखार भी हो सकता है। जिस जगह पर सबसे पहले फुंसियां हों, उसके आसपास कई फुंसियां निकल कर आ सकती हैं। फुंसी के आसपास की लसीका ग्रंथियों में सूजन आ सकती है।
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फुंसी आने पर स्किन ऊपर उठ जाती है और फुंसी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। एक सप्ताह के अंदर इसमें पस आने लग जाती है। हालांकि, शरीर खुद कुछ हफ्तों के अंदर इन्हें ठीक कर सकता है। अगर दो सप्ताह के बाद भी फुंसियां ठीक न हों, और इनके ठीक होने का कोई संकेत न मिले तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
आप घरेलू तरीकों से फुंसियां ठीक कर सकते हैं :
शहद : फुंसी पर शहद लगाने से आराम मिल सकता है। शहद नैचुरल एंटीसेप्टिक का काम करता है।मुलेठी : अगर फुंसियों में जलन हो रही है तो इन्हें मुलेठी और नागरमोथ के ठंडे पानी से धोएं।हल्दी : हल्दी के पाउडर को फुंसियों पर लगाने से भी आराम मिलता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।लहसुन और प्याज का रस : यदि फुंसियां फट जाती हैं तो इन पर प्याज और लहसुन का रस लगाएं। इससे बैक्टीरिया खत्म होता है और स्किन ठीक होती है।नारियल तेल : अगर शिशु के सिर पर बहुत सारी फुंसियां हो गई हैं तो गर्मी की वजह से ऐसा हो सकता है। ऐसे में एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल को फुंसी पर लगाएं। इस ऑयल में एंटीबैक्टीरियल और स्किन को मुलायम करने वाले गुण होते हैं जो फुंसी को ठीक करने में मदद करते हैं।
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यदि बच्चे को फुंसी होने के बाद बुखार आ जाए या फुंसी बढ़ती जाएं और उनमें दर्द होने लगे, शिशु के चेहरे पर फुंसी निकल आएं, दो सप्ताह के बाद भी फुंसी ठीक न हों, बार -बार फुंसी हो रही हो और शरीर के बाकी हिस्सों पर भी फैल रही हों, लिम्फ नोडस में सूजन आ जाए या फुंसी में पस भर जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
शिशु को फुंसी होने पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चों में अक्सर यह समस्या देखी जाती है। शरीर अपने आप इसे ठीक कर लेता है। लेकिन अगर आपको इसमें कोई सुधार नहीं दिख रहा या यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में मेडिकल ट्रीटमेंट लेना बहुत जरूरी है।
शिशु के उल्टी क्यों होती है
स्टमक फ्लू को वारयल गैस्ट्रोएंट्राइटिस भी कहते हैं। यह पेट का एक वायरल इंफेक्शन होता है। इसमें उल्टी, दस्त, बुखार और पेट में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। पेट में फ्लू होने पर कुछ दिनों तक शिशु को उल्टी हो सकती है। उल्टी और दस्त की समस्या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल या किसी तंत्र में संक्रमण के कारण होता है। शिशु के उल्टी करने का कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण और छाती में संक्रमण होता है। बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है इसलिए उन्हें जल्दी जल्दी इंफेक्शन होता रहता है।
शिशु का उल्टी करना आम बात है?
जी हां, मां का दूध पीने के बाद शिशु को उल्टी होना सामान्य बात है। कई बार जब शिशु को पेट भर जाता है और वो ज्यादा दूध पी लेता है तो इस स्थिति में उल्टी हो जाती है। शिशु के बढ़ने पर यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है।
शिशु के शरीर पर फुंसी होने पर इन घरेलू नुस्खों को जरूर आजमाएं, मिलेगा तुरंत आराम
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कुछ चिकित्सकीय स्थितियों के कारण भी शिशु को फुंसियां हो सकती हैं। जैसे कि साफ सफाई की कमी, इम्यूनिटी कमजोर होना, शरीर में जरूरी पोषण की कमी, एनीमिया या आयरन की कमी, अधिक केमिकल वाले पदार्थ के उपयोग से त्वचा पर जलन और मौसम बदलने की वजह से भी।
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फुंसियां होने पर फुंसी वाली जगह के आसपास का हिस्सा लाल हो जाता है और सूज जाता है। कुछ मामलों में बच्चों को बुखार भी हो सकता है। जिस जगह पर सबसे पहले फुंसियां हों, उसके आसपास कई फुंसियां निकल कर आ सकती हैं। फुंसी के आसपास की लसीका ग्रंथियों में सूजन आ सकती है।
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फुंसी आने पर स्किन ऊपर उठ जाती है और फुंसी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। एक सप्ताह के अंदर इसमें पस आने लग जाती है। हालांकि, शरीर खुद कुछ हफ्तों के अंदर इन्हें ठीक कर सकता है। अगर दो सप्ताह के बाद भी फुंसियां ठीक न हों, और इनके ठीक होने का कोई संकेत न मिले तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
आप घरेलू तरीकों से फुंसियां ठीक कर सकते हैं :
शहद : फुंसी पर शहद लगाने से आराम मिल सकता है। शहद नैचुरल एंटीसेप्टिक का काम करता है।मुलेठी : अगर फुंसियों में जलन हो रही है तो इन्हें मुलेठी और नागरमोथ के ठंडे पानी से धोएं।हल्दी : हल्दी के पाउडर को फुंसियों पर लगाने से भी आराम मिलता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।लहसुन और प्याज का रस : यदि फुंसियां फट जाती हैं तो इन पर प्याज और लहसुन का रस लगाएं। इससे बैक्टीरिया खत्म होता है और स्किन ठीक होती है।नारियल तेल : अगर शिशु के सिर पर बहुत सारी फुंसियां हो गई हैं तो गर्मी की वजह से ऐसा हो सकता है। ऐसे में एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल को फुंसी पर लगाएं। इस ऑयल में एंटीबैक्टीरियल और स्किन को मुलायम करने वाले गुण होते हैं जो फुंसी को ठीक करने में मदद करते हैं।
यदि बच्चे को फुंसी होने के बाद बुखार आ जाए या फुंसी बढ़ती जाएं और उनमें दर्द होने लगे, शिशु के चेहरे पर फुंसी निकल आएं, दो सप्ताह के बाद भी फुंसी ठीक न हों, बार -बार फुंसी हो रही हो और शरीर के बाकी हिस्सों पर भी फैल रही हों, लिम्फ नोडस में सूजन आ जाए या फुंसी में पस भर जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
शिशु को फुंसी होने पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चों में अक्सर यह समस्या देखी जाती है। शरीर अपने आप इसे ठीक कर लेता है। लेकिन अगर आपको इसमें कोई सुधार नहीं दिख रहा या यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में मेडिकल ट्रीटमेंट लेना बहुत जरूरी है।
उल्टी रोकने के लिए क्या करें
जब भी शिशु को दूध पिलाएं तो अपने साथ साफ कपड़ा जरूर रखें ताकि जब भी शिशु को उल्टी हो तभी तुरंत उसका मुंह साफ किया जा सके।
दूध पिलाने के बाद उसे हिलाएं नहीं। रोज बच्चे को एक ही समय पर दूध पिलाएं। रोज अलग समय पर दूध पिलाने पर समस्या और गंभीर हो सकती है। डॉक्टर की सलाह पर ही उल्टी रोकने की दवा दें।
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि शिशु को उल्टी और दस्त हो रहे हैं तो उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें। अगर उल्टी का रंग भूरा है या बच्चे को दस्त नहीं है तो यह चिंता की बात है। आमतौर पर बच्चे को उल्टी 24 घंटे से ज्यादा समय तक नहीं होती है और अगर इससे ज्यादा समय तक उल्टी हो तो यह किसी बैक्टीरियल इंफेक्शन या गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। यदि बच्चे को उल्टी के बाद खांसी में खून आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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उल्टी रोकने के घरेलू नुस्खे
स्तनपान करवाने पर थोड़ी थोड़ी देर में शिशु को दूध पिलाने की जरूरत होती है और उल्टी बंद होने पर आप शिशु को रोज की तरह दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं।
फॉर्मूला मिल्क लेने वाले बच्चों को दो से तीन घंटे में हर पंद्रह मिनट में ओआरएस की जरूरत पड़ती है। आपको केमिस्ट से ओआरएस मिल जाएगा। इससे पानी की कमी नहीं होती है।
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