हिंदी में 8 वें महीने में गर्भावस्था?pregnancytips.in

Posted on Thu 3rd Oct 2019 : 06:05

Pregnancy के आठवें महीने में ये सावधानियां बरतेंगीं तो स्‍वस्‍थ रहेगा बच्‍चा

प्रेग्‍नेंसी का आठवां महीना यानि शिशु के जन्‍म के अब बस कुछ ही दिन बाकी बचे हैं और इसलिए अब आपको पहले से भी ज्‍यादा सावधान रहना है।

वैसे तो प्रेग्‍नेंसी के पूरे नौ महीने महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन आखिरी महीनों में बहुत ज्‍यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। आठवां महीना बहुत नाजुक होता है इसलिए इस समय आपको विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।


अपनी
प्रेग्‍नेंसी के आठवें महीने में आप अपनी गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैं। इस समय बच्‍चे का आकार ऐसा है कि उसने आपके गर्भाशय को घेर रखा है इसलिए वह अब पहले की तरह आपके पेट में उछलकूद नहीं कर सकता। अब उसके करवट लेने या हाथ-पैरों को हिलाने-डुलने की गतिविधियां होती रहेंगी। अब आपको उसके मूवमेंट पर पूरा ध्‍यान रखना है। इनमें कमी या तेजी होते ही अपने डॉक्‍टर से संपर्क कीजिए।


इस महीने आपको और कौन सी सावधानियां बरतनी हैं आइए उन पर कुछ चर्चा कर ली जाए:
प्रेगनेंसी में करेंगी ये काम, तो पक्‍का आपकी होगी नॉर्मल डिलीवरी

अगर आप चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हो तो आप किसी ऐसे डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को ढूंढें तो इस काम में माहिर हो। नॉर्मल डिलीवरी में एक्सपर्ट डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के टाइम पर ही गाइड करके नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

लेबर पेन के दौरान भी इनकी सलाह आपके काम आ सकती है। एक्‍सपर्ट की सलाह से आप नेचुरल बर्थ में मदद करने वाले विकल्पों और तरीकों के बारे में जान सकती हैं।

ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से प्रेगनेंट महिला पेट में उठने वाली कॉन्‍ट्रैक्‍शन को सहन कर सकती है। आपको दर्द होने पर रिलैक्‍स रहने की तकनीक सीखनी है। इस काम में कई एक्‍सरसाइज आपकी मदद कर सकती हैं।

अपने पार्टनर को कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को तेजी से दबाने के लिए कहें। इससे आप मांसपेशियों को रिलैक्‍स करना सीख पाएंगी और डिलीवरी के लिए अपने दिमाग को तैयार कर पाएंगी।

जो महिलाएं पहली बार मां बन रही हैं, उन्‍हें खासतौर पर योनि और गुदा के बीच के हिस्‍से यानी पेरिनियम यानी मूलाधार की मालिश करवानी चाहिए। मालिश से इस हिस्‍से की मांसपेशियां रिलैक्‍स होकर डिलीवरी के लिए तैयार होती हैं।

नौवें महीने में एक हफ्ते में एक या दो बार मालिश करवाने से आपकी बॉडी का निचला हिस्‍सा नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार होता है।

आपको प्रेगनेंसी में अक्‍सर आराम करने की सलाह देते हैं जबकि आपको गर्भावस्‍था में आराम करने के साथ-साथ एक्‍टिव रहना भी होता है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी होनी हो या ऑपरेशन से बच्‍चा पैदा हो, दोनों ही स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान एक्‍टिव रहना जरूरी होता है।

इसके अलावा प्रेगनेंसी में गलत पोस्‍चर में बैठना या लेटना भी नुकसानदायक होता है। इसका असर डिलीवरी के समय शिशु की पोजीशन पर पड़ सकता है। आप डॉक्‍टरी सलाह से नौवें महीने में भी कुछ एक्‍सरसाइज कर सकती हैं। ये डिलीवरी के लिए शिशु को सही पोजीशन में लाने में मदद करेंगी

डॉक्‍टर पहले ही आपको आपकी डिलीवरी डेट बता देते हैं। आपकी डिलीवरी इस डेट से कुछ दिन पहले या कुछ दिन बाद हो सकती है, इसलिए इस डेट के आसपास के दिनों में घर पर ही रहें। अपने घर पर शांत माहौल रखें ताकि आपका शरीर रिलैक्‍स रहे और स्‍ट्रेस बिल्‍कुल न लें, क्‍योंकि प्रसव में इसकी वजह से परेशानी पैदा हो सकती है।
देर तक खड़े न रहें
यह आठवें महीने की सबसे अहम सावधानी है। जैसे-जैसे बच्‍चे का वजन बढ़ता है आपके पेट और पेडू के इलाके में दबाव बढ़ता जाता है। अपने को झुकने से बचाने के लिए आप पीछे की ओर झुकती हैं। इससे आपकी पीठ में काफी दर्द होता है। इसलिए अपनी पीठ के दर्द को ध्‍यान में रखकर इस समय ज्‍यादा देर तक खड़े होने वाले काम न कीजिए।

पूरी नींद लें
इस समय बेहद जरूरी है कि आप कम से कम रात में आठ घंटे की नींद लें। इसके अलावा दिन में भी कुछ देर आराम अवश्‍य करें।
प्रेगनेंसी में करेंगी ये काम, तो पक्‍का आपकी होगी नॉर्मल डिलीवरी

अगर आप चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हो तो आप किसी ऐसे डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को ढूंढें तो इस काम में माहिर हो। नॉर्मल डिलीवरी में एक्सपर्ट डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के टाइम पर ही गाइड करके नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

लेबर पेन के दौरान भी इनकी सलाह आपके काम आ सकती है। एक्‍सपर्ट की सलाह से आप नेचुरल बर्थ में मदद करने वाले विकल्पों और तरीकों के बारे में जान सकती हैं।

ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से प्रेगनेंट महिला पेट में उठने वाली कॉन्‍ट्रैक्‍शन को सहन कर सकती है। आपको दर्द होने पर रिलैक्‍स रहने की तकनीक सीखनी है। इस काम में कई एक्‍सरसाइज आपकी मदद कर सकती हैं।

अपने पार्टनर को कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को तेजी से दबाने के लिए कहें। इससे आप मांसपेशियों को रिलैक्‍स करना सीख पाएंगी और डिलीवरी के लिए अपने दिमाग को तैयार कर पाएंगी।

जो महिलाएं पहली बार मां बन रही हैं, उन्‍हें खासतौर पर योनि और गुदा के बीच के हिस्‍से यानी पेरिनियम यानी मूलाधार की मालिश करवानी चाहिए। मालिश से इस हिस्‍से की मांसपेशियां रिलैक्‍स होकर डिलीवरी के लिए तैयार होती हैं।

नौवें महीने में एक हफ्ते में एक या दो बार मालिश करवाने से आपकी बॉडी का निचला हिस्‍सा नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार होता है।

आपको प्रेगनेंसी में अक्‍सर आराम करने की सलाह देते हैं जबकि आपको गर्भावस्‍था में आराम करने के साथ-साथ एक्‍टिव रहना भी होता है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी होनी हो या ऑपरेशन से बच्‍चा पैदा हो, दोनों ही स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान एक्‍टिव रहना जरूरी होता है।

इसके अलावा प्रेगनेंसी में गलत पोस्‍चर में बैठना या लेटना भी नुकसानदायक होता है। इसका असर डिलीवरी के समय शिशु की पोजीशन पर पड़ सकता है। आप डॉक्‍टरी सलाह से नौवें महीने में भी कुछ एक्‍सरसाइज कर सकती हैं। ये डिलीवरी के लिए शिशु को सही पोजीशन में लाने में मदद करेंगी।

डॉक्‍टर पहले ही आपको आपकी डिलीवरी डेट बता देते हैं। आपकी डिलीवरी इस डेट से कुछ दिन पहले या कुछ दिन बाद हो सकती है, इसलिए इस डेट के आसपास के दिनों में घर पर ही रहें। अपने घर पर शांत माहौल रखें ताकि आपका शरीर रिलैक्‍स रहे और स्‍ट्रेस बिल्‍कुल न लें, क्‍योंकि प्रसव में इसकी वजह से परेशानी पैदा हो सकती है।


तनाव से दूर रहें
इस समय तनाव करने से बच्‍चे के ऊपर भी उसका असर पड़ता है। इसलिए तनाव से दूर रहें।

पीठ के बल न लेटें

आप अपनी पीठ के बल न लेटें। इस समय आपका वजन बहुत ज्‍यादा बढ़ गया है। पीठ के बल लेटना आपके लिए भी असहज होगा और बच्‍चे के लिए भी।
प्रेगनेंसी में करेंगी ये काम, तो पक्‍का आपकी होगी नॉर्मल डिलीवरी

अगर आप चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हो तो आप किसी ऐसे डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को ढूंढें तो इस काम में माहिर हो। नॉर्मल डिलीवरी में एक्सपर्ट डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के टाइम पर ही गाइड करके नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

लेबर पेन के दौरान भी इनकी सलाह आपके काम आ सकती है। एक्‍सपर्ट की सलाह से आप नेचुरल बर्थ में मदद करने वाले विकल्पों और तरीकों के बारे में जान सकती हैं।

ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से प्रेगनेंट महिला पेट में उठने वाली कॉन्‍ट्रैक्‍शन को सहन कर सकती है। आपको दर्द होने पर रिलैक्‍स रहने की तकनीक सीखनी है। इस काम में कई एक्‍सरसाइज आपकी मदद कर सकती हैं।

अपने पार्टनर को कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को तेजी से दबाने के लिए कहें। इससे आप मांसपेशियों को रिलैक्‍स करना सीख पाएंगी और डिलीवरी के लिए अपने दिमाग को तैयार कर पाएंगी।
जो महिलाएं पहली बार मां बन रही हैं, उन्‍हें खासतौर पर योनि और गुदा के बीच के हिस्‍से यानी पेरिनियम यानी मूलाधार की मालिश करवानी चाहिए। मालिश से इस हिस्‍से की मांसपेशियां रिलैक्‍स होकर डिलीवरी के लिए तैयार होती हैं।
नौवें महीने में एक हफ्ते में एक या दो बार मालिश करवाने से आपकी बॉडी का निचला हिस्‍सा नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार होता है।

आपको प्रेगनेंसी में अक्‍सर आराम करने की सलाह देते हैं जबकि आपको गर्भावस्‍था में आराम करने के साथ-साथ एक्‍टिव रहना भी होता है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी होनी हो या ऑपरेशन से बच्‍चा पैदा हो, दोनों ही स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान एक्‍टिव रहना जरूरी होता है।
इसके अलावा प्रेगनेंसी में गलत पोस्‍चर में बैठना या लेटना भी नुकसानदायक होता है। इसका असर डिलीवरी के समय शिशु की पोजीशन पर पड़ सकता है। आप डॉक्‍टरी सलाह से नौवें महीने में भी कुछ एक्‍सरसाइज कर सकती हैं। ये डिलीवरी के लिए शिशु को सही पोजीशन में लाने में मदद करेंगी।
डॉक्‍टर पहले ही आपको आपकी डिलीवरी डेट बता देते हैं। आपकी डिलीवरी इस डेट से कुछ दिन पहले या कुछ दिन बाद हो सकती है, इसलिए इस डेट के आसपास के दिनों में घर पर ही रहें। अपने घर पर शांत माहौल रखें ताकि आपका शरीर रिलैक्‍स रहे और स्‍ट्रेस बिल्‍कुल न लें, क्‍योंकि प्रसव में इसकी वजह से परेशानी पैदा हो सकती है।
कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं
एक बार में ही भरपेट खाने की जगह आप थोड़ी मात्रा में कई बार खाएं। इससे एसिडिटी की समस्‍या नहीं होगी।

solved 5
wordpress 4 years ago 5 Answer
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