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Posted on Sat 4th Jun 2022 : 08:07

प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं - Pregnancy Me Kya Khana Or Nahi Khana Chahiye
गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए? | Pregnancy me kya khana chahiye?
गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए? | Pregnancy me kya nahi khana chahiye?
गर्भावस्था आहार चार्ट (Pregnancy diet chart)
गर्भावस्था में खान-पान की चीज़ों से जुड़े मिथक
गर्भावस्था से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

हर गर्भवती महिला यही चाहती है कि जन्म के समय उसका बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त हो। इसलिए, गर्भवती महिलाएं अपने आहार में कई नई चीजों को शामिल करती हैं। फिर भी अधिकतर महिलाओं को यह पता नहीं होता कि गर्भधारण करने के बाद क्या और कितनी मात्रा में खाना चाहिए। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली चीजों के साथ कई तरह की भ्रांतियां और मिथक जुड़े हुए हैं। इस वजह से गर्भवती महिलाएं खाने-पीने की चीजों को लेकर असमंजस में रहती हैं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान खान-पान के संबंध में जानकारी दे रहे हैं। साथ ही एक डाइट चार्ट भी दिया गया है।

आइए, लेख की शुरुआत में जानते हैं कि प्रेगनेंसी में क्या खाना फायदेमंद होता है।
गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए? | Pregnancy me kya khana chahiye?

अगर आप गर्भवती हैं, तो अपने खान-पान में नीचे बताई गई चीजों को जरूर शामिल करें :
1. डेयरी उत्पाद

शिशु के विकास के लिए ज्यादा प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत होगी। 19 से 50 साल तक की उम्र वाली गर्भवती महिला के शरीर को रोजाना 1,000mg कैल्शियम की जरूरत होती है (1)। इसलिए, आप अपने खान-पान में डेयरी उत्पादों को जरूर शामिल करें। दही, छाछ व दूध आदि जैसे डेयरी उत्पाद गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए फायदेमंद होते हैं। ध्यान रहे कि गर्भवती महिला को पॉश्चरीकृत डेयरी उत्पादों का ही इस्तेमाल करना चाहिए (2)। कैल्शियम के लिए डेयर उत्पाद जरूर खाएं, लेकिन स्किम्ड मिल्क और कम वसा वाले दही का सेवन करें।
2. ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां

गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान में हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर शामिल करनी चाहिए। इसलिए, आप पालक, पत्तागोभी, ब्रोकली (एक प्रकार की गोभी), आदि सब्जियां जरूर खाएं। पालक में मौजूद आयरन गर्भावस्था के दौरान खून की कमी को दूर करता है (3)।
3. सूखे मेवे

गर्भावस्था में सूखे मेवों को भी अपने खान-पान में शामिल करें। मेवों में कई तरह के विटामिन, कैलोरी, फाइबर व ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं। अगर आपको एलर्जी नहीं है, तो अपने खान-पान में काजू, बादाम व अखरोट आदि को शामिल करें। अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इसके अलावा, बादाम और काजू भी गर्भावस्था में फायदा पहुंचा सकते हैं (3)।
4. शकरकंद

गर्भावस्था में शकरकंद (स्वीट पोटैटो) खाना भी फायदेमंद हो सकता है। इसमें विटामिन-ए होता है, जो शिशु की देखने की शक्ति को विकसित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन-सी, फोलेट और फाइबर भी होता है (5) (4)।
5. साबूत अनाज

गर्भावस्था के दौरान साबूत अनाज को अपने आहार में जरूर शामिल करें। खासतौर पर गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान साबूत अनाजों का सेवन फायदेमंद होता है। इससे आपको भरपूर कैलोरी मिलती है, जो गर्भ में शिशु के विकास में मदद करती है। आप साबूत अनाज के तौर पर ओट्स, किनोआ व भूरे चावल आदि को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इन अनाजों में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा, इनमें फाइबर, विटामिन-बी और मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो गर्भावस्था में फायदा पहुंचा सकते हैं (6)।

हमेशा कम वसा वाला आहार खाएं, ताकि प्रतिदिन की कैलोरी की मात्रा में अधिक वृद्धि न हो। जितना हो सके कम तले भोजन का सेवन करें। संभव हो तो तले हुए भोजन से दूरी ही बनाकर रखें। साथ ही ऐसे पेय पदार्थों से बचें, जिनमें अतिरिक्त शक्कर होती है। मिठाई, केक और बिस्कुट में उच्च वसा और चीनी की मात्रा होती है।
6. एवोकाडो

एवोकाडो ऐसा फल है, जिसे हर गर्भवती महिला को खाने की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में फोलेट होता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और उसकी रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अलावा, एवोकैडो में विटामिन-के, पोटैशियम, कॉपर, मोनोअनसैचुरेटेड फैट व विटामिन-ई आदि भी मौजूद होता है। इसलिए, गर्भवती महिला को रोजाना एक एवोकाडो खाने की सलाह दी जाती है। (7)
7. कॉड लीवर तेल

गर्भावस्था में कॉड लीवर तेल का सेवन भी फायदेमंद होता है। यह तेल कॉड मछली के लीवर से बनाया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन-डी और विटामिन-ए होता है, जिन्हें शिशु की आंखों और दिमाग के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। इसके अलावा, कॉड लीवर तेल गर्भ में पल रहे शिशु को टाइप-1 मधुमेह के खतरे से भी बचा सकता है। एक शोध में यह साबित हुआ है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कॉड लीवर तेल का सेवन करती हैं, उनके शिशु को मधुमेह होने का खतरा कम होता है (8)। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में उतनी ही मात्रा में कॉड लीवर तेल का सेवन करें, जिससे आपके शरीर को 300 माइक्रोग्राम विटामिन-ए और 100 माइक्रोग्राम विटामिन-डी की आपूर्ति हो जाए। इससे ज्यादा मात्रा में कॉड लीवर तेल का सेवन करने से भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है (9)।
8. अंडा

अंडा पौष्टिक तत्वों का खजाना होता है। रोज अंडा खाने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को भी अपने आहार में अंडे को शामिल करना चाहिए। अंडे में प्रोटीन, कोलीन, बायोटीन, कोलेस्ट्रोल, विटामिन-डी और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके अलावा एक बड़े अंडे में 77 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए, अंडे को गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद माना गया है (10)।
9. बिना वसा का मांस

अगर गर्भवती महिला मांसाहारी है, तो उन्हें अपने खान-पान में मीट को शामिल करना चाहिए। मांस में भरपूर मात्रा में लौह तत्व (आयरन), जिंक और विटामिन-बी12 होता है। अक्सर गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, तो इसकी वजह से उनके खून में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए मांस का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को बिना वसा वाले मांस को ही अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए (11)।
10. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं

हर व्यक्ति को दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को तो इस नियम का ज्यादा कड़ाई से पालन करना चाहिए। उन्हें पानी की कमी से सिरदर्द, थकान व कब्ज आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को हमेशा खुद को हाइड्रेट रखने की सलाह दी जाती है (12)।
11. फल और फलों का जूस

गर्भावस्था में महिला को तरह-तरह के मौसमी फल खाने चाहिए। हो सके तो उन्हें संतरा, तरबूज व नाशपाती आदि जैसे फलों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, इन फलों का रस भी पी सकती हैं। दरअसल, गर्भवती महिला को अलग-अलग चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है (13)। वसा और कैलोरी में उच्च खाद्य पदार्थों की जगह रोज फल व सब्जियों के कम से कम पांच हिस्से खाएं। साथ ही पैकेड फ्रूट जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।
12. बेर की प्रजाति के फल

गर्भावस्था में बेर की प्रजाति वाले फलों का सेवन भी फायदेमंद माना जाता है। इनमें भरपूर मात्रा में पानी, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन-सी होता है, जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी होता है। इसलिए, गर्भवती महिला को अपने खान-पान में स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी व ब्लैकबेरी आदि फलों को शामिल करना चाहिए।
13. फलियां

गर्भावस्था में फलियों का सेवन जरूर करना चाहिए। इनमें फोलेट, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम व फाइबर आदि मौजूद होते हैं, जिन्हें गर्भावस्था के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को मटर, चना व सोयाबीन आदि खाने की सलाह दी जाती है (14)।

आइए, अब उन खाद्य पदार्थों के बारे में जानते हैं, जिन्हें प्रेगनेंसी में खाने की सलाह नहीं दी जाती है।

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गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए? | Pregnancy me kya nahi khana chahiye?

ऐसी कई चीजें हैं, जिनका सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। नीचे हम आपको एक-एक करके ऐसी चीजों के नाम बताने जा रहे हैं, जिनसे गर्भवती महिलाओं को परहेज करना चाहिए :
1. कभी भी कच्चा अंडा न खाएं

गर्भवती महिलाओं को अच्छी तरह से पका हुआ अंडा ही खाना चाहिए। अधपके अंडे के सेवन से सालमोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस संक्रमण से गर्भवती महिला को उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है (15)।
2. शराब व धूम्रपान से दूरी

नशीली चीजों का सेवन हर किसी के लिए हानिकारक होता है। गर्भवती महिलाओं को तो केवल शराब ही नहीं, बल्कि हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए। दरअसल, शराब के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। शराब से भ्रूण के दिमागी और शारीरिक विकास में बाधा आती है। इतना ही नहीं, शराब पीने से गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है (13)। वहीं, धूम्रपान के कारण समय पूर्व प्रसव हो सकता है। साथ ही जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है। शिशु को इसके अलावा भी कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) भी शामिल है।
3. कैफीन का सेवन न करें

गर्भावस्था में डॉक्टर बहुत कम मात्रा में कैफीन लेने की सलाह देते हैं। चाय, कॉफी और चॉकलेट जैसी चीजों में कैफीन पाया जाता है। ज्यादा मात्रा में कैफीन लेने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, कैफीन का ज्यादा सेवन करने से जन्म के समय शिशु का वजन कम रह सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान रोजाना 200 मिलिग्राम तक कैफीन के सेवन को सुरक्षित माना जाता है। (16)
4. उच्च स्तर के पारे वाली मछली न खाएं

जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, गर्भावस्था में मछली खाना फायदेमंद होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को ऐसी मछलियों को खाने से बचना चाहिए, जिनके शरीर में पारे का स्तर अधिक होता है। जैसे कि स्पेनिश मेकरल, मार्लिन या शार्क, किंग मकरल और टिलेफिश जैसी मछलियों में पारे का स्तर ज्यादा होता है। ऐसी मछलियों को खाने से भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है। (17)
5. गर्भावस्था में कच्चा पपीता न खाएं

गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाना असुरक्षित हो सकता है। कच्चे पपीते में ऐसा केमिकल पाया गया है, जो भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाने से बचें। (18)
6. कच्ची अंकुरित चीजें न खाएं

यूं तो अंकुरित नाश्ता सेहत के लिए लाभदायक होता है, लेकिन गर्भावस्था में कच्ची अंकुरित चीजें खाने से बचना चाहिए। दरअसल, कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसके कारण गर्भवती महिला को उल्टी या दस्त की शिकायत हो सकती है और मां के साथ-साथ शिशु की सेहत को भी नुकसान पहुंच सकता है (19)।
7. क्रीम दूध से बना पनीर न खाएं

गर्भावस्था में क्रीम दूध से बना पनीर नहीं खाना चाहिए। चूंकि, इस तरह के पनीर को बनाने में पॉश्चरीकृत दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इसमें लिस्टेरिया नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है। इस बैक्टीरिया की वजह से गर्भपात और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है (20)।
8. कच्चे मांस का सेवन न करें

अगर आप गर्भवती हैं, तो कच्चा मांस बिल्कुल न खाएं। इस बात का ध्यान रखें कि आप अगर मांस खा रही हैं, तो वो पूरी तरह से पका हुआ हो। कच्चा मांस आपको टॉक्सोपलॉस्मोसिस से संक्रमित कर सकता है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है (21)।
9. बिना धुली हुई सब्जियां और फल न खाएं

किसी भी फल और सब्जी को खाने से पहले उसे अच्छी तरह धोना न भूलें। बिना धुली हुई सब्जी और फल में टॉक्सोप्लाज्मा नाम का बैक्टीरिया मौजूद हो सकता है, जिससे शिशु के विकास में बाधा आती है (22)।
10. घर में बनी आइसक्रीम न खाएं

गर्भावस्था में घर में बनी आइसक्रीम खाने से भी बचना चाहिए। आमतौर पर इसे बनाने के लिए कच्चे अंडों का इस्तेमाल होता है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कच्चे अंडे से गर्भवती महिलाओं को सालमोनेला संक्रमण हो सकता है (23)।

लेख में आगे आप विस्तृत डाइट चार्ट के बारे में जानेंगे।

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गर्भावस्था आहार चार्ट

गर्भावस्था के दौरान एक आम महिला के लिए यह जानना अहमियत रखता है कि उसे कौन-सी चीजें किस मात्रा में खानी चाहिए। उसकी इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए हम नीचे एक ऐसा डाइट चार्ट दे रहे है, जिसे खासतौर पर गर्भधारण कर चुकी महिलाओं के लिए ही तैयार किया गया है। आपको बता दें कि इस यूनीक डाइट चार्ट को राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद ने बनाया है। साथ ही यह सैंपल चार्ट है। प्रत्येक गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के अनुसार इसमें परिर्वतन किया जा सकता है (24)।

सुबह सात बजे :
क्या खाएं कैलोरी प्रोटीन (ग्राम) फायदे
एक गिलास दूध 150 4 सुबह दूध पीने से एसिडीटी की समस्या नहीं होती है।
गेहूं के दो बिस्कुट या रस्क 50 2 गर्भावस्था में होने वाली मितली की समस्या से राहत मिल सकती है।
भीगे हुए छह बादाम 50 4 शरीर को ताकत मिलती है।

सुबह नौ बजे का नाश्ता :
गाजर के दो भरवां पराठे 200 6 गाजर में मौजूद फाइबर पाचन शक्ति को बेहतर बनाए रख सकता है।
एक कप दही 75 4 शरीर को प्रोटीन के साथ कैल्शियम और विटामिन-डी भी मिलता है।
या फिर दो अंडों का ऑमलेट 160 10 शरीर को भरपूर प्रोटीन मिलता है।
या फिर दो भूरी ब्रेड भून कर खाएं 100 3 यह फाइबर का अच्छा स्रोत है और आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
या फिर उपमा खाएं 250 3 यह शरीर को कैल्शियम और फाइबर की आपूर्ति करता है।

इसके अलावा, पोहा, मूंग दाल या पनीर का चीला भी नाश्ते में लिया जा सकता है।
सुबह 11 बजे सेब, संतरा या अनार में से कोई एक फल खाएं। इससे शरीर में पानी का स्तर सही बना रहता है।
सुबह 12 बजे एक गिलास नारियल पानी या नींबू पानी पिएं। यह आपको कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से बचा सकता है।
क्या खाएं कैलोरी प्रोटीन (ग्राम) फायदे
गेहूं के आटे की दो रोटी 200 6 इससे शरीर को ऊर्जा और फाइबर मिलता है।
एक कटोरी दाल या मछली करी या पालक पनीर की सब्जी 150 6 इससे शरीर को प्रोटीन व कई तरह के विटामिन और पोषक तत्व मिलते हैं।
खीरे और टमाटर की सलाद – – इससे शरीर को जरूरी खनिज मिलते हैं।
नींबू के साथ चावल 100 2 नींबू में विटामिन-सी होता है। इससे आपके शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

इसके अलावा, दोपहर के भोजन में सोयाबीन की सब्जी और कोफ्ता करी जैसी चीजें भी शामिल की जा सकती हैं।
2:30 बजे एक गिलास छाछ पिएं, इससे हाजमा ठीक रहता है और शरीर को कैल्शियम मिलता है।
4:30 बजे चाहें तो एक कप चाय पिएं। हो सके तो इस समय | ग्रीन टी | पिएं।
6:00 बजे एक मुठ्ठी भूना हुआ चना या सूखे मेवे खाएं। यह आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
7:30 बजे इस समय एक कटोरी सब्जियों का सूप या चिकन सूप पिया जा सकता है।

रात का खाना (8:00 बजे)
क्या खाएं कैलोरी प्रोटीन (ग्राम) फायदे
ज्वार या बाजरे की दो रोटी 200 6 रात को ऐसा अनाज आसानी से हजम हो जाता है।
मेथी की सब्जी और मूंग की दाल 150 4 इससे शरीर को आयरन और प्रोटीन मिलता है।
चुकंदर और गाजर की खीर 150 6 इससे खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और शरीर को विटामिन-ए के साथ अन्य पौष्टिक तत्व भी मिलते हैं।

रात में खाना खाने के करीब दो घंटे बाद, एक गिलास गर्म दूध, दो खजूर और दो बादाम खाएं। इससे अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है।

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गर्भावस्था में खाने-पानी की चीजों से जुड़े मिथक :

हमारे समाज में गर्भावस्था में खाने-पीने की चीजों को लेकर बहुत सारे मिथक प्रचलित हैं। इनमें से कई मिथकों पर तो पढ़े-लिखे लोग भी भरोसा करते हैं। नीचे हम ऐसे ही कुछ मिथकों और उनसे जुड़े तथ्यों के बारे में बता रहे हैं :

मिथक : गर्भवती महिला को दो लोगों के लिए खाना चाहिए।

तथ्य : यह बात पूरी तरह से गलत है। जबर्दस्ती ज्यादा भोजन करने से वजन बढ़ता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को संतुलित मात्रा में केवल पौष्टिक भोजन ही करना चाहिए।

मिथक : हल्के रंग का भोजन करने से गोरा बच्चा पैदा होता है।

तथ्य : अक्सर सुना जाता है कि हल्के रंग की कुछ खास चीजें, जैसे टोफ़ू, सोया उत्पाद, आदि खाने से गोरा बच्चा पैदा होता है, लेकिन इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। बच्चे का रंग उसके जीन पर निर्भर करता है, न कि किसी तरह के गर्भावस्था में भोजन पर।

मिथक : पपीता और अनानास खाने से गर्भपात हो सकता है।

तथ्य : ऐसा नहीं है। पपीता अगर ठीक से पका हुआ हो, तो उसे खाना सुरक्षित होता है। गर्भपात ज्यादातर किसी स्वास्थ संबंधी परेशानियों के चलते होता है। रही बात अनानास की, तो उसे भी गर्भावस्था में खाया जा सकता है।

मिथक : गर्भावस्था में जड़ी-बूटियां और टॉनिक लेने से बुद्धिमान बच्चा पैदा होता है।

तथ्य : बाजार में गर्भवती महिलाओं के लिए कई तरह के टॉनिक उपलब्ध हैं, लेकिन इनके सेवन से बुद्धिमान बच्चा पैदा होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

मिथक : फुल क्रीम दूध ज्यादा पौष्टिक होता है।

तथ्य : कम फैट वाले दूध में भी उतने ही पौष्टिक तत्व होते हैं जितने फुल क्रीम दूध में। (25)

मिथक : गर्भावस्था में केसर या संतरा खाने से गोरा बच्चा जन्म लेता है।

तथ्य : यह बात पूरी तरह से मिथक है। सच्चाई ये है कि शिशु का रंग उसके जीन पर निर्भर करता है। कुछ विशेष चीजें खाने से शिशु के रंग पर कोई असर नहीं पड़ता है।

मिथक : गर्भावस्था में घी या मक्खन खाने से प्रसव में आसानी होती है।

तथ्य : यह बात भी पूरी तरह से गलत है। सच्चाई ये है कि सामान्य प्रसव कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि शिशु के आकार। गर्भ में शिशु की अवस्था का प्रसव की जटिलता या सरलता से सीधा संबंध होता है।

मिथक : मसालेदार भोजन करने से प्रसव शुरू हो सकता है।

तथ्य : इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हां, मसालेदार भोजन करने से गर्भवती महिलाओं को पेट में जलन, एसिडिटी या गैस की शिकायत हो सकती है। इसलिए, गर्भवती औरतों को मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए।

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गर्भावस्था के दौरान अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अब हम गर्भवती महिलाओं के मन में अक्सर उठने वाले कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। भले ही ये सवाल सुनने में बेहद सामान्य लगें, लेकिन हर गर्भवती महिला को इनके जवाब पता होने चाहिए :
क्या गर्भावस्था के दौरान मुझे सप्लीमेंट्स लेने चाहिए?

हां, खासतौर पर गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में आपको डॉक्टर की सलाह पर फोलिक एसिड के सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर आपकी सेहत को देखते हुए आयरन व विटामिन आदि के सप्लीमेंट्स लेने का सुझाव भी दे सकते हैं (26)।
क्या मुझे ज्यादा भोजन खाना चाहिए, क्योंकि मैं गर्भवती हूं?

नहीं, ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। बस इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी खाएं, उसमें सभी जरूरी पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद हों। आपको और आपके शिशु को किसी भी पोषक तत्व की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपको प्रतिदिन 1800 कैलोरी, दूसरी तिमाही में प्रतिदिन 2200 कैलोरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 2400 कैलोरी की जरूरत होती है। इसलिए, आपको अपने भोजन की मात्रा ऊर्जा की जरूरत के हिसाब से भी तय करनी चाहिए (27)।
गर्भावस्था में भोजन कितनी बार करना उचित होता है?

आपको दिन में पांच से छह बार भोजन करना चाहिए। आपको अपने खान-पान के रुटीन में तीन बार भोजन करने और दो बार हल्के स्नैक्स लेने की आदत को शामिल करना चाहिए। कोशिश करें कि हर दो घंटे में थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ खाती रहें। ऐसा करने से आपका पाचन भी सही रहेगा और गैस या एसिडिटी की शिकायत भी नहीं होगी (28)।

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स्वस्थ शिशु का जन्म इसी बात पर निर्भर करता है कि पूरी गर्भावस्था के दौरान मां का स्वास्थ्य कैसा रहा है। इसके लिए मां को हमेशा संंतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। छोटी-सी गलती भी होने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर भारी साबित हो सकती है। इसलिए, नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप करवाएं और एक बार डॉक्टर से जरूर पूछें कि भोजन में आपके लिए क्या सही है और क्या नहीं। गर्भावस्था से जुड़ी और जानकारी के लिए मॉमजंक्शन के अन्य आर्टिकल्स जरूर पढ़ें।

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