9 मंथ प्रेगनेंसी में बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 10:38

प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना जरूरी है, लेकिन आखिर कितना वजन?

जब आप गर्भवती होती हैं तो ज्यादातर लोग आपको यही सलाह देते हैं कि आपको 2 लोगों के लिए खाना चाहिए ताकि आपका वजन बढ सके। लेकिन आखिर प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना नॉर्मल है, यहां जानें।
गर्भावस्था के 9 महीने के दौरान हर महिला का वजन बढ़ता है लेकिन कितना वजन बढ़ना जरूरी है? कितना वजन बढ़ना चाहिए? और मां-बच्चे दोनों की अच्छी सेहत के लिहाज से कितना वेट गेन नॉर्मल है? अगर आपके मन में भी ये सारे सवाल हैं तो हम आपको बता रहे हैं इसका जवाब। दरअसल, कितना वजन बढ़ना चाहिए इसका कोई फिक्स्ड पैरामीटर नहीं है क्योंकि यह हर महिला की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर ज्यादातर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान 10 से 12 किलो वेट गेन करती हैं। लेकिन आपका कितना वजन बढ़ेगा या कितना बढ़ना चाहिए, ये कई बातों पर निर्भर करता है।
क्या प्रेग्नेंसी में 2 लोगों के लिए खना चाहिए?
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां का जितना भी वजन बढ़ता है उसमें सिर्फ कुछ हिस्सा ही फैट होता है। बाकी के वजन में बच्चे का वजन, प्लैसेंटा का वजन, अमीनीऐटिक फ्लूड (बच्चे के आसपास मौजूद पानी) का वजन, एक्सट्रा ब्लड का वजन और शरीर में होने वाले नैचरल वॉटर रिटेंशन का वजन होता है। अगर आप प्रेग्नेंट है तो आपके लिए हेल्दी और बैलेंस्ड डायट का सेवन करना बेहद जरूरी है ताकि आपके बच्चे तक जरूरी पोषक तत्व पहुंच सकें। लेकिन आखिर एक गर्भवती महिला को कितने अधिक कैलरीज की जरूरत होती है। क्या उसे सचमुच 2 लोगों के लिए खाना चाहिए? इस बात में कितनी सच्चाई है?
प्रेग्नेंसी से पहले आप अपने मन के मुताबिक अंडरगार्मेंट्स चुनती थी। तब आप देखती थीं कि आप कैसी ड्रेस पहनने जा रही हैं और इसके लिए आपको किस फिटिंग के इनर गार्मेंट्स चाहिए। लेकिन अब आपको इस बात को ध्यान में रखकर इनरवियर चुनने है कि आपकी पर्सनल हाइजीन के लिए क्या बेहतर है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान आप अपने लिए कॉटन की ब्रा और पैंटी चुनें। इससे आपको रैशेज और इचिंग की समस्या नहीं होगी या इसे बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं।

- प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट्स की स्किन भी पहले की तुलना में काफी टेंडर यानी कोमल हो जाती है। शरीर में हो रहे हॉर्मोनल बदलावों के कारण कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट पर इचिंग की समस्या भी होती है। इससे बचने में कॉटन ब्रा काफी हेल्पफुल हैं।
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गाइनोकॉलजिस्ट के अनुसार, हर प्रेग्नेंट महिला को दिन में कम से कम दो बार अपने वजाइनल एरिया को वॉश और क्लीन करना चाहिए।

- दोनों बार धुले हुए और साफ अंडरगार्मेंट्स पहनने चाहिए। ध्यान रखें कि आपके इनर्स बहुत अधिक टाइट ना हों। इस दौरान आपको स्किन टाइट कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी के दौरान वजाइना में इचिंग, इंफेक्शन, डिसचार्ज जैसी दिक्कतें होना बहुत कॉमन है। लेकिन आप इसे बर्दाश्त या अदेखा ना करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें और अधिक से अधिक लिक्विड डायट लेती रहें। इससे आपको फायदा होगा।
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प्रेग्नेंसी के वक्त वजाइना से डिसचार्ज होना सामान्य है। लेकिन इसके साथ इजिंग या जलन है तो यह इंफेक्शन का संकेत है। आपको यह देखना होगा कि यह डिसचार्ज कम हो थिक फॉर्म में हो यानी गाढ़ा हो। अगर आपको यूरिन जैसा और सफेद रंग का डिसचार्ज बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है तो आपको तुरंत अपनी डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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प्रफेशनल फीमेल्स को प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि पब्लिक टॉइलट यूज करने से उनमें वेजिनाइटिस होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। इसलिए इन्हें अपनी हाइजीन को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
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कई बार मॉर्निंग सिकनेस के कारण प्रेग्नेंसी में महिलाओं को सुबह के वक्त पेस्ट करने में दिक्कत आती है तो आप माइल्ड टूथपेस्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं। चाहें तो नमक और सरसों के तेल से तैयार मिश्रण से भी अपने दांत साफ कर सकती हैं। रात को सोने से पहले भी दांत साफ करना ना भूलें।


अपनी ओरल हेल्थ के लिए आप डॉक्टर की सलाह के बाद ऐंटी इंफ्लामेट्री माउथवॉश का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे आपको प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों में होनेवाली सूजन और इरिटेशन में लाभ मिलेगा।
प्रेग्नेंसी के दौरान शुरुआती 3 महीनों में आप किस तरह की फिजिकल-मेंटल और इमोशनल दिक्कतों से गुजरती हैं, हम समझ सकते हैं। लेकिन बाल और नाखूनों की सफाई रखना आपको हाइजीन देने के साथ ही हर समय फ्रेश भी फील कराएगा। आप दिन के वक्त हल्के गुनगुने पानी से शैंपू कर सकती हैं।

एक्सपर्ट: यह आर्टिकल डॉक्टर सोनिया चावला से बातचीत पर आधारित है। ये गाइनोकॉलजिक लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और पिछले 8 साल से इस फील्ड में अपनी सेवाएं दे रही हैं। ये रेजॉइस गाइनी लेप्रोस्कोपिक सेंटर, दिल्ली में कार्यरत हैं और आप इनसे मिलने के लिए 011-26261352 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
हर दिन 300 एकस्ट्रा कैलरीज हैं काफी
जी नहीं प्रेग्नेंसी के दौरान आपको 2 लोगों के लिए खाना खाने की जरूरत नहीं। आप प्रेग्नेंट होने से पहले जितनी कैलरीज का सेवन कर रहीं थी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको उसमें सिर्फ 300 हेल्दी कैलरीज और ऐड करने की जरूरत होती है। ऐसा करने से आपको जरूरी वेट गेन करने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ प्रेग्नेंसी के दौरान आपका कितना वजन बढ़ेगा ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रेग्नेंसी से पहले आपका वजन कितना था। गाइनैकॉलजिस्ट्स की मानें तो...

मौजूदा बीएमआई के हिसाब से करें वेट गेन
- अगर कोई महिला अंडरवेट है यानी उसका बीएमआई 18.5 से कम है तो प्रेग्नेंसी के दौरान उनका 14 से 18 किलो तक वजन बढ़ना चाहिए।
- अगर आपका वजन सामान्य है यानी आपका बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच है तो आपको 11 से 16 किलो तक वेट गेन करना चाहिए।

- अगर किसी महिला का वजन पहले से ही अधिक है और उसका बीएमआई 25 से 30 के बीच है तो उनके लिए 7 से 11 किलो वेट गेन सही रहता है।
- अगर कोई महिला मोटापे की समस्या से परेशान है और उसका बीएमआई 30 से ऊपर है तो उनके लिए 5 से 9 किलो वेट गेन बहुत है।
pregnancy inners: प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसे होने चाहिए महिलाओं के इनरवियर्स, इंफेक्शन से होगा बचाव

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प्रेग्नेंसी से पहले आप अपने मन के मुताबिक अंडरगार्मेंट्स चुनती थी। तब आप देखती थीं कि आप कैसी ड्रेस पहनने जा रही हैं और इसके लिए आपको किस फिटिंग के इनर गार्मेंट्स चाहिए। लेकिन अब आपको इस बात को ध्यान में रखकर इनरवियर चुनने है कि आपकी पर्सनल हाइजीन के लिए क्या बेहतर है।
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- प्रेग्नेंसी के दौरान आप अपने लिए कॉटन की ब्रा और पैंटी चुनें। इससे आपको रैशेज और इचिंग की समस्या नहीं होगी या इसे बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं।

- प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट्स की स्किन भी पहले की तुलना में काफी टेंडर यानी कोमल हो जाती है। शरीर में हो रहे हॉर्मोनल बदलावों के कारण कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट पर इचिंग की समस्या भी होती है। इससे बचने में कॉटन ब्रा काफी हेल्पफुल हैं।
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गाइनोकॉलजिस्ट के अनुसार, हर प्रेग्नेंट महिला को दिन में कम से कम दो बार अपने वजाइनल एरिया को वॉश और क्लीन करना चाहिए।

- दोनों बार धुले हुए और साफ अंडरगार्मेंट्स पहनने चाहिए। ध्यान रखें कि आपके इनर्स बहुत अधिक टाइट ना हों। इस दौरान आपको स्किन टाइट कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी के दौरान वजाइना में इचिंग, इंफेक्शन, डिसचार्ज जैसी दिक्कतें होना बहुत कॉमन है। लेकिन आप इसे बर्दाश्त या अदेखा ना करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें और अधिक से अधिक लिक्विड डायट लेती रहें। इससे आपको फायदा होगा।
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प्रेग्नेंसी के वक्त वजाइना से डिसचार्ज होना सामान्य है। लेकिन इसके साथ इजिंग या जलन है तो यह इंफेक्शन का संकेत है। आपको यह देखना होगा कि यह डिसचार्ज कम हो थिक फॉर्म में हो यानी गाढ़ा हो। अगर आपको यूरिन जैसा और सफेद रंग का डिसचार्ज बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है तो आपको तुरंत अपनी डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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प्रफेशनल फीमेल्स को प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि पब्लिक टॉइलट यूज करने से उनमें वेजिनाइटिस होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। इसलिए इन्हें अपनी हाइजीन को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
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कई बार मॉर्निंग सिकनेस के कारण प्रेग्नेंसी में महिलाओं को सुबह के वक्त पेस्ट करने में दिक्कत आती है तो आप माइल्ड टूथपेस्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं। चाहें तो नमक और सरसों के तेल से तैयार मिश्रण से भी अपने दांत साफ कर सकती हैं। रात को सोने से पहले भी दांत साफ करना ना भूलें।
अपनी ओरल हेल्थ के लिए आप डॉक्टर की सलाह के बाद ऐंटी इंफ्लामेट्री माउथवॉश का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे आपको प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों में होनेवाली सूजन और इरिटेशन में लाभ मिलेगा।
प्रेग्नेंसी के दौरान शुरुआती 3 महीनों में आप किस तरह की फिजिकल-मेंटल और इमोशनल दिक्कतों से गुजरती हैं, हम समझ सकते हैं। लेकिन बाल और नाखूनों की सफाई रखना आपको हाइजीन देने के साथ ही हर समय फ्रेश भी फील कराएगा। आप दिन के वक्त हल्के गुनगुने पानी से शैंपू कर सकती हैं।

एक्सपर्ट: यह आर्टिकल डॉक्टर सोनिया चावला से बातचीत पर आधारित है। ये गाइनोकॉलजिक लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और पिछले 8 साल से इस फील्ड में अपनी सेवाएं दे रही हैं। ये रेजॉइस गाइनी लेप्रोस्कोपिक सेंटर, दिल्ली में कार्यरत हैं और आप इनसे मिलने के लिए 011-26261352 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।


हर हफ्ते आधा किलो वेट गेन
प्रेग्नेंसी के अलग-अलग स्टेज के हिसाब से बात करें तो पहली तिमाही यानी 1 से 3 महीने की प्रेग्नेंसी के दौरान आपका 2 से 3 किलो तक वजन बढ़ना चाहिए और उसके बाद पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान हर सप्ताह 500 ग्राम के हिसाब से वजन बढ़ना नॉर्मल माना जाता है।

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