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गर्भाधान के लिए डिंब को इसी समयावधि में शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाने की आवश्यकता होती है। अगर डिंब गर्भाशय में जाते हुए रास्ते में स्वस्थ शुक्राणु से मिल जाता है, तो नई जिंदगी के सृजन की प्रक्रिया शुरु होती है। यदि, ऐसा नहीं होता, तो अंडा गर्भाशय तक जाकर अपनी यात्रा समाप्त कर देता है और विघटित हो जाता है।
महिला के शरीर में अंडा कैसे बनता है ?
अंडे को डिंब भी कहा जाता है और गर्भधारण की परिक्रिया अंडाशयों में शुरू होती है | इनकी मात्रा 2 होती है जो की अंडाकार अंग होते है और यह गर्भशय में जुड़े होते है | जब एक महिला का जनम होता है तो वह लगभग 10 से 20 लाख अंडों के साथ पैदा होती है | जिनमे से कई तो तभी ख़तम हो जाते है और जैसे महिला की उम्र बढ़ती है वैसे ही इनकी मात्रा भी कम होने लग जाती है | जब महिला को पहली बार पीरियड्स होते है तो उस समय अंडो की गिनती लागबहग 6 लाख होती है |
जब महिला का मासिक चक्र चल रहा होता है तो हर पीरियड्स के बाद तो किसी एक अंडाशय में 3 से ३० अंडे परिपरक होने शुरू हो जाते है | उसके साथ ही महिला को हर महीने ओवुलेशन होता है | जब एक अंडा बनता है तो उसको फॉलोपियन ट्यूब में खीच लिया जाता है | ओवुलेशन की परिक्रिया पीरियड्स आने से पहले होता है, लगभग 12 से 14 दिन पहले |
जब एक नाडा बनता है तो वह 24 घंटो के लिए जीवित रहता है | यदि इस समय अंडा और शुक्राणु मिल जाएँ तो भ्रूण बनने की परिक्रिया शुरू हो जाती है | यदि भ्रूण बनने की परिक्रिया नहीं होती तो अंडाशय यहीं पर समाप्त हो जाता है | इसके साथ ही अंडाशय ईस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन बनाना बंद कर देते है | इसके बाद गर्भशय की मोती परत माहवारी के दौरान निकल जाती है और अंडे को जो भी अवशेष होते है वह तभी निकल जाते है |
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