आपको कैसे पता चलेगा कि आपका गर्भाशय स्वस्थ है या नहीं?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 15:33

गर्भ में शिशु के स्‍वस्‍थ होने के लेकर हर मां के मन में कई तरह की आशंकाएं रहती हैं। प्रेगनेंसी में मिल रहे कुछ संकेतों की मदद से आप जान सकती हैं कि गर्भ में बच्‍चा स्‍वस्‍थ है या नहीं।

गर्भावस्‍था के दौरान मां को ऐसे कई संकेत मिलते हैं जो ये बताते हैं कि गर्भ के अंदर शिशु बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ है। वहीं गर्भस्‍थ शिशु को किसी भी तरह के खतरे से बचाने के लिए यह जानना जरूरी है कि अस्‍वस्‍थ भ्रूण से अलग स्‍वस्‍थ भ्रूण के होने पर क्‍या संकेत मिलते हैं।
यदि भ्रूण में कोई समस्‍या हुई तो मिसकैरेज हो सकता है। अस्‍वस्‍थ शिशु होने की स्थिति में मिसकैरेज होने का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है और ऐसा प्रेगनेंसी 20वें हफ्ते से पहले होता है।

अगर प्रेगनेंट महिला को यहां बताए गए संकेत मिल रहे हैं तो इसका मतलब है कि गर्भ में उनका शिशु स्‍वस्‍थ है।

शिशु की मूवमेंट
गर्भावस्‍था के लगभग पांच महीने के आसपास शिशु गर्भ में मूव करना शुरू कर देता है। छह महीने का गर्भस्‍थ शिशु आवाज सुनने पर मूवमेंट या झटके वाली मूवमेंट करने लगता है जो कि शिशु को हिचकी आने का संकेत हो सकता है।
डिलीवरी के बाद पेटी की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय

डिलीवरी के बाद बढ़ा हुआ पेट यानी बेली फैट महिलाओं को बहुत परेशान करता है। अगर आप भी प्रसव के बाद पेट की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय जानना चाहती हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढें।

जिम में पसीना बहाए बिना फैट कम करने का सबसे असरकारी और आसान तरीका है मालिश। मालिश से पेट की चर्बी कम होने में मदद मिलती है। ये फैट को रिलीज और वितरित करती है और मेटाबोलिज्‍म में सुधार लाती है जिससे बेबी फैट से छुटकारा मिलता है। हर सप्‍ताह मालिश करवाने से आपको लाभ होगा।
24 घंटे शिशु की देखभाल करने के लिए मां के शरीर को भी एनर्जी की जरूरत होती है। पूरे दिन में हेल्‍दी स्‍नैक्‍स खाकर आप अनहेल्‍दी क्रेविंग से बच सकती हैं।

अपनी डायट में उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों को शामिल करें जिससे कि पेट ठीक तरह से साफ हो सके। ओट्स खाएं और हरी पत्तेदार एवं रंग बिरंगी सब्जियों, प्रोटीन, मसालों, ग्रीन टी को अपनी डायट में शामिल करें एवं खूब पानी पिएं।

ये एक ऐसा योगासन है जिसमें डायफ्राम से हवा लेकर उसे एब्‍स में रोक कर रखा जाता है। इस ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज से पेट का ऊपरी और निचला हिस्‍सा टोन होता है। सही पोस्‍चर में बैटने से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और पाचन ठीक रहता है।
ग्रीन टी में ऐसे कई सक्रिय तत्‍व होते हैं जो फैट को बर्न करने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। ग्रीन टी में एपिगैलोसेटंचिन गैलेट नामक एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो मेटाबोलिज्‍म को दुरुस्‍त करता है। ग्रीन टी से वजन कम करने में बहुत मदद मिलती है।

डिलीवरी के बाद बेली फैट घटाने का सबसे असरदार नुस्‍खा है टमाटर। टमाटर ब्‍लड शुगर को संतुलित रखता है जिससे क्रेविंग कंट्रोल में रहती है। ये भूख को भी कम करता है। टमाटर में लाइकोपिन और बीटा कैरोटीन भी होता है जो मेटाबोलिज्‍म को तेज कर फैट को कम करता है।

रोज सुबह खाली पेट दो से चार लहसुन की कलियां चबाने से बेली फैट में कमी आती है। लहसुन खाने के तुरंत बाद नींबू पानी पीने से दोगुना फायदा होता है।

आधा चम्‍मच दालचीनी का पाउडर लें और उसे एक गिलास गुनगुने पानी में घोल लें। इसके बाद इस पानी को छानकर पी लें। इसका स्‍वाद बढ़ाने के लिए आप एक चम्‍मच शहद भी मिला सकती हैं। इस पानी को सुबह नाश्‍ते से पहले और रात को सोने से पहले पिएं।

इसके अलावा करेले का जूस भी फैट घटाने का काम करता है। पेट को अंदर करने के लिए रोज सुबह करेले का ताजा जूस पिएं।
सातवें महीने के आसपास शिशु दर्द, आवाज और रोशनी पर भी प्रतिक्रिया देना शुरू कर सकता है। आठवें महीने के बाद शिशु अक्‍सर अपनी पोजीशन बदल लेते हैं और ज्‍यादा किक मारते हैं। 9 महीने के गर्भस्‍थ शिशु के पास गर्भाशय में जगह कम होती है इसलिए इस समय डॉक्‍टर आपको शिशु की मूवमेंट जैसे कि कितनी बार किक मारता है और अन्‍य बदलाव नोट करने के लिए कह सकते हैं।

पेट का आकार
प्रेगनेंसी के दौरान समय गुजरने के साथ साथ महिलाओं के पेट के आकार में भी बदलाव आता है। यदि महिला का पेट प्रेगनेंसी के साथ बढ़ रहा है तो यह स्‍वस्‍थ गर्भावस्‍था का संकेत है। पेट का आकार तभी बढ़ता है जब गर्भ के अंदर शिशु बढ़ रहा हो और उसका विकास हो रहा है।

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