१६ वीक्स प्रेग्नेंट सिम्पटम्स ऑफ़ बॉय?pregnancytips.in

Posted on Tue 16th Jul 2019 : 09:04

अब इस हफ्ते से शुरू हुआ है प्रेगनेंसी का 'हनीमून पीरियड'

16 week Pregnancy symptoms बहुत कुछ 15वें हफ्ते जैसे ही हैं। खास तकलीफ नहीं होती। न जी मिचलाना और न अनिद्रा की समस्‍या।
pregnancy week symptoms
गर्भावस्‍था का यह सप्‍ताह बहुत खास होता है क्‍योंकि अब आप अपने शिशु की मूवमेंट को महसूस कर सकते हैं। इस हफ्ते में आपको असल में अपने बच्‍चे के होने का एहसास होगा।
प्रेगनेंसी के 16वें हफ्ते में आपका स्‍वागत है। प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का यह समय अक्‍सर प्रेगनेंसी का 'हनीमून पीरियड' कहलाता है। इस समय प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में उभरने वाले तकलीफदेह लक्षण अब शायद आपको याद भी न होंगे। ऊर्जा से भरपूर आपके चेहरे पर प्रेगनेंसी का ऐसा ग्‍लो आया है जो शायद किसी भी ब्‍यूटी पार्लर में जाकर नसीब नहीं होगा। आइए देखते हैं कि इस हफ्ते में आपके सामान्‍य लक्षण क्‍या होंगे


प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
अब आप चार महीने प्रेगनेंट हैं। गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही को | हनीमून फेज | कहा जाता है। इस समय आप पहले ज्‍यादा बेहतर नींद ले पाएंगीं। आपको करवट लेकर सेाने की आदत हो चुकी होगी। शिशु के बढने की वजह से आपका गर्भाशय भी तेजी से बढ रहा होगा। वजन बढ सकता है इसलिए अपनी डायट पर ध्‍यान दें।
प्रेगनेंसी के बढ़ते वजन से छूट रहे हैं आपके पसीने, तो इन तरीकों से वेट को करें कंट्रोल

जिन महिलाओं का नॉर्मल बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्‍स) 18.5 और 24.9 है तो आपका प्रेगनेंसी में वजन 11 से 16 किलो तक बढ़नाचाहिए। वहीं, अंडरवेट यानी 18.5 से कम बीएमआई हो तो आपका वजन 13 से 18 किलो तक बढ़ना चाहिए।

ओवरवेट महिलाओं में 25 और 29.9 बीएमआई होने पर 7 से 11 किलो वजन बढ़ना चाहिए। मोटापे से ग्रस्‍त महिलाएं जिनका बीएमआई 30 या इससे ज्‍यादा होता है, उनका 5 से 9 किलो वजन बढ़ना सही रहता है।

गर्भावस्‍था में आप डायटिंग नहीं कर सकती हैं। बच्‍चे को पोषण की जरूरत होती है और प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में पोषण मिलना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में डायटिंग करने की बजाय संतुलित आहार लें और भूख कम करने वाली चीजों या दवाओं से भी दूर रहें।
प्रेगनेंसी के दौरान डिहाइड्रेशन से बचना बहुत जरूरी है। अगर आप पर्याप्‍त पानी पिएंगी तो आप अपने भोजन से संतु‍ष्‍ट रह पाएंगी, जिससे ओवरईटिंग से बचने में मदद मिलेगी। पानी पीने से प्रेगनेंसी में कब्‍ज भी नहीं होती है। आप नींबू पानी या नारियल पानी के रूप में भी अपनी बॉडी में फ्लूइड्स की पूर्ति कर सकती हैं।

जी हां, गर्भावस्‍था में एक्टिव रहना और नियमित व्‍यायाम करना जरूरी है। एक्‍सरसाइज करने से वजन कंट्रोल में रहता है और आप एनर्जी महसूस करती हैं। प्रेगनेंट महिलाओं को दिन में कम से कम 30 मिनट एक्‍सरसाइज करनी चाहिए और दिन में 10 मिनट पैदल चलना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि हर तरह का फैट मोटापा देता है। आपको अपनी प्रेगनेंसी डायट में सोच समझकर फैट को शामिल करना है। रोजाना 25 से 35 फीसदी कैलोरी हैल्‍दी फैट से मिलनी चाहिए।

इसमें ऑलिव ऑयल, कैनोला ऑयल, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, एवोकाडो, सूखे मेवे और बीज शामिल हैं।

इसके अलावा टोफू, अलसी, अखरोट, सोयाबीन भी अपनी डायट में लें। ये चीजें शिशु को पोषण तो देंगी ही और साथ ही वजन को कंट्रोल रखने में भी मदद करेंगी।

आप अपने आहार और व्‍यायाम की मदद से गर्भावस्‍था में बढ़ने वाले वजन को कंट्रोल में रख सकती हैं। यह वेट कंट्रोल का सबसे सुरक्षित और असरकारी तरीका है।

ये बात न भूलें कि आप जो भी खाएंगी, वो शिशु को मिलेगा, इसलिए अभी और डिलीवरी के बाद स्‍तनपान करवाने तक डायटिंग संभव नहीं है। तब तक आपको संतुलित आहार और एक्‍सरसाइज की मदद से ही वजन को नियंत्रित रखना होगा।


बच्‍चे का आकार
आपका नन्‍हा मेहमान अब लगभग 100 ग्राम के आसपास वजन वाला हो गया है। उसका आकार एक बड़े सेब जितना है। उसके चेहरे पर आंखें और कान अपनी जगह पर स्थिर हो गए हैं। उसका सिर अब आगे की ओर नहीं झुका रहता बल्कि वह उसे सीधा रखने में कामयाब हो गया है। उसकी हरकतें आपको ज्‍यादा स्‍पष्‍ट रूप से महसूस हो रही होंगी।

प्रेगनेंसी के 16वें हफ्ते के लक्षण
सुबह के जी मिचलाने से आपका पीछा छूट चुका है। बस बाकी के सामान्‍य लक्षण कुछ पिछले हफ्ते जैसे ही रहेंगे जैसे, बढ़ता वजन, भूलने की आदत, सीने में जलन, पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पेट के निचले हिस्‍से में दर्द, घने-काले बाल वगैरह।

चमकदार त्‍वचा और भरपूर नींद :
शरीर में अतिरिक्‍त खून की वजह से आपकी त्‍वचा में गजब की चमक आ गई है। इसके अलावा स्किन भी चिकनी और मुलायम लग रही है यह आपके हॉर्मोन्‍स का असर है। इसे प्रेगनेंसी ग्‍लो कहते हैं। इसके अलावा भरपूर नींद आने से शरीर में ऊर्जा की कमी नहीं होगी।
कब्‍ज और बवासीर :
बढ़ते वजन, आयरन की गोलियों के असर की वजह से अगर आपकी कब्‍ज बढ़ जाए तो यह बवासीर में बदल सकती है। अभी भी ध्‍यान न दिया जाए तो इनसे खून बहने लगता है। इससे शरीर में खून की कमी हो सकती है। इसलिए शुरू से ही फाइबर वाले फल-सब्जियां खानी चाहिए और पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीना चाहिए। जरूरी हो तो डॉक्‍टर से संपर्क करें।
नाक से खून :
शरीर में खून की अधिकता से आपका बीपी थोड़ा बढ़ जाता है। इस वजह से आपकी नाक की बारीक धमनियां कभी-कभी फट जाती हैं और थोड़ी मात्रा में खून की बूंदें निकलने लगती हैं। ऐसा हो तो सिर ऊपर करके बैठ जाएं, घबराएं नहीं। ध्‍यान रहे कि सिर ज्‍यादा पीछे न करें वरना खून गले में जाने लगेगा। नाक पर बर्फ लगा सकते हैं।
जुकाम :
प्रेगनेंसी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कुछ कमजोर हो जाती है। इसलिए जुकाम वगैरह हो सकता है। इससे बचने के लिए अपनी मर्जी से दवा न लें बल्कि अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें। विटामिन सी या इसकी भरपूर मात्रा वाले फलों का सेवन करें इससे जुकाम जल्‍द सही होता है।
सांस लेने में तकलीफ :
आजकल आपकी सांस फूलती होगी। ऐसा बढ़ते वजन और प्रेगनेंसी हॉर्मोन की वजह से होता है। इस हॉर्मोन के असर से आपके फेफड़ों में द्रव जमा होने लगता है। इसलिए घबराएं नहीं।

इसके अलावा कुछ भी असामान्‍य लगे तो डॉक्‍टर से संपर्क करने में हिचकिचाएं नहीं।

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प्रेगनेंट महिलाएं इस समय क्‍या करें
अगर आपकी मॉर्निंग सिकनेस ठीक हो गई है तो अब डायट और एक्‍सरसाइज पर ध्‍यान दें। इस समय मीठा खाने का मन कर रहा है तो कोई फल या योगर्ट खा सकती हैं। नमकीन खाने की क्रेविंग हो रही है तो चीज खाएं। इससे मिलने वाले प्रोटीन और कैल्शियम से मां और शिशु दोनों को लाभ मिलेगा।
रोज 30 मिनट एक्‍सरसाइज करें। आप स्‍विमिंग और वॉकिंग जैसे लो इंटेंसिटी वर्कआउट भी कर सकती हैं।

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