क्या 4 सी सेक्शन होना सुरक्षित है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 13:49

विशेषज्ञों के मुताबिक सिजेरियन डिलीवरी के बाद नाॅर्मल डिलीवरी संभव है। इसकी सफलता दर 60 से 80 फीसदी तक होती है। इसके बावजूद डाॅक्टर सिजेरियन डिलीवरी के बाद नाॅर्मल डिलीवरी की सलाह नहीं देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी के बाद नाॅर्मल डिलीवरी के दौरान गर्भाशय के फटने का जोखिम काफी ज्यादा होता है।

सिजेरियन और नाॅर्मल डिलीवरी के बीच क्या अंतर है?
योनि के जरिये होने वाला सामान्‍य प्रसव शिशु के जन्‍म दिलवाने की प्राकतिक प्रक्रिया है। आपकी ग्रीवा पतली होकर खुलती है और आपका गर्भाशय संकुचित होकर शिशु को नीचे प्रसव नलिका में धकेलता है और वह योनि से बाहर आता है।

सिजेरियन ऑपरेशन या सी सेक्‍शन शिशु को जन्‍म दिलावाने की सर्जिकल प्रक्रिया है। इसमें शिशु का जन्‍म योनि कि बाजाय मां के पेट में चीरा लगाकर करवाया जाता है। यह पेट का एक बड़ा ऑपरेशन होता है। सिजेरियन ऑपरेशन दो तरह का हो सकता है

पूर्वनियोजित सी-सेक्‍शन
आपातकाल सी-सेक्‍शन

नाॅर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से क्या बेहतर है?
इस सवाल का कोई जवाब नहीं है क्‍योंकि यह बात कई कारकों पर निर्भर करती है।

हालांकि, सिजेरियन ऑपरेशन एक आम प्रकिया है, मगर यह एक बड़ा ऑपरेशन होता है और इसीलिए इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं। यही वजह है कि जब तक चिकित्सकीय कारणों से सिजेरियन करना जरुरी न हो, तब तक डॉक्टर इसकी सलाह नहीं देते।

यदि आपकी गर्भावस्था या प्रसव में कोई जटिलता नहीं है, तो नॉर्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म देना सिजेरियन ऑपरेशन की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है। यह बात केवल आपकी पहली प्रेग्नेंसी में लागू नहीं होती, बल्कि आगे की गर्भावस्थाओं के लिए भी यह सच है। भविष्य में आपकी प्रजनन क्षमता के लिए भी योनि के जरिये प्रसव बेहतर रहता है।

कई बार माँ या शिशु की जान बचाने के लिए सिजेरियन ऑपरेशन करना जरुरी होता है। ऐसे मामलों में निस्संदेह सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प ही आपके और आपके शिशु के लिए सबसे सुरक्षित है।

यदि आपका प्रसव प्रेरित किया गया था, और यह आगे न बढ़ रहा हो तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको सी-सेक्शन करवाने की सलाह दे सकती हैं। वे यह निर्णय आपकी स्थिति का जायजा लेने के बाद ही लेंगी। वे यह देखेंगी कि आपका शिशु स्थिति का सामना कितने बेहतर ढंग से कर पा रहा है। प्रसव के दौरान शिशु के दिल की धड़कन पर नजर रखकर डॉक्टर यह जान पाती हैं कि गर्भ में शिशु की स्थिति कैसी है।

कुछ मामलों में डॉक्टर प्रसव प्रेरित करवाने या सिजेरियन डिलीवरी करवाने का निर्णय आप पर छोड़ सकती हैं। प्रसव प्रेरित करवाने की स्थिति में डिलीवरी के दौरान उपकरणों की सहायता जैसे कि फोरसेप्स या वैक्यूम डिलीवरी की जरुरत पड़ सकती है, और इनके अपने जोखिम होते हैं। इसलिए आप और आपकी डॉक्टर को इन जोखिमों की तुलना सिजेरियन डिलीवरी के जोखिमों से करनी होगी और फिर निर्णय लेना होगा।

कई बार स्थिति ऐसी होती है कि कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सकता। ऐसे में आप और आपकी डॉक्टर को सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान के बारे में चर्चा करनी होगी और निर्णय लेना होगा कि आपके लिए क्या सही रहेगा।

हो सकता है अपनी ड्यू डेट से काफी पहले आपको इस बारे में निर्णय लेने का समय मिल जाए या फिर संभव है कि प्रसव के दौरान आपको यह फैसला लेना हो। इसलिए आपको सभी फायदे और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप उसके अनुसार खुद को तैयार कर सकें।

आपकी सामान्य सेहत और जीवनशैली भी इस निर्णय को प्रभावित करेगी। आपको सिजेरियन ऑपरेशन के बाद जटिलताएं होने का उच्च खतरा रहता है, यदि:

आपका वजन सामान्य से ज्यादा है
आपके पेट पर पहले भी कोई ऑपरेशन हो चुका है
आपके साथ पहले से ही कोई स्वाथ्य स्थिति है, जैसे कि हृदय रोग आदि।

नाॅर्मल डिलीवरी में ज्यादा दर्द होता है या सिजेरियन डिलीवरी में?
प्रसव का दर्द कैसा होता है इसे तब तक समझा नहीं जा सकता जब तक आपने खुद शिशु का जन्म न दिया हो - गर्भावस्था की तरह ही, हर महिला का प्रसव का अनुभव भी अलग होता है।

आपने प्रसव पीड़ा के बारे में बहुत कुछ सुन रखा होगा, मगर सिजेरियन डिलीवरी का मुख्य नकारात्मक पहलू ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द है - आॅपरेशन के दौरान होने वाला नहीं।

ऑपरेशन के बाद शायद कुछ घंटों तक आपको ड्रिप लगी रहेगी, ताकि आपको जरुरत के अनुसार दर्दनिवारक दवाएं दी जा सकें।

ऑपरेशन के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक आपको चीरे के घाव में दर्द रहेगा और पहले एक-दो हफ्ते तक पेट पर असहजता महसूस होगी। धीरे-धीरे आपका शरीर ऑपरेशन से उबरता है।

ऑपरेशन के बाद कुछ समय तक आपको दर्द निवारक दवाएं लेनी होंगी। नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सी-सेक्शन से उबरने में ज्यादा समय लगता है।

कुछ महिलाओं को सिजेरियन के बाद बहुत तेज सिरदर्द होता है। पीठ के निचले हिस्से में एपिड्यूरल या स्पाइनल लगने वाली जगह पर और गर्दन में भी दर्द रहता है। यदि आपको कोई दर्द हो तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। वे आपकी दवाओं में बदलाव करके आपको राहत दिलाने का प्रयास कर सकती हैं।

बहुत सी माँएं प्रसव पीड़ा से बचने के लिए सिजेरियन करवाना चाहती हैं, मगर यह ध्यान रखें कि नॉर्मल डिलीवरी में होने वाला दर्द आमतौर पर कम अवधि के लिए होता है, जबकि सिजेरियन के बाद काफी समय तक दर्द रहता है।

सी-सेक्शन डिलीवरी का असर ​कुछ समय तक आपके रोजमर्रा के काम पर भी पड़ सकता है। कुछ महिलाओं को ऑपरेशन के कुछ महीनों बाद तक भी पेट पर असहजता रह सकती है।
अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में लिपटी हो तो नाॅर्मल डिलीवरी होगी या सी-सेक्शन?
यह स्थिति पर निर्भर करता है।

अगर शिशु की गर्भनाल उसकी गर्दन के चारों तरफ लिपट जाती है (न्यूकल काॅर्ड ) तो शायद आपको पता चलने से पहले ही डाॅक्टर इस मामले को सुलझा लेंगी। यह स्थिति काफी आम है और इससे आपको या शिशु को कोई नुकसान पहुंचने की संभावना काफी कम होती है।

न्यूकल काॅर्ड अक्सर जन्म के दौरान बिना किसी दिक्कत के आसानी से निकल जाती है। हालांकि, यदि डाॅक्टर को शिशु गर्दन के चारों तरफ काॅर्ड लिपटी होने का पता तब चले जब जन्म के दौरान शिशु का सिर बाहर आ चुका हो तो वे इसे आसानी से ठीक कर लेंगी। वे गर्भनाल को थोड़ा ढीला करेंगी ताकि उसके कंधे इससे बाहर निकल सकें या वे इसे उसके सिर से निकाल देंगी।

दो ऐसी दुर्लभ स्थितियां हैं जिसमें शिशु के गले में गर्भनाल लिपटी होना चिंता का विषय हो सकता हैः अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में बहुत कसकर लिपटी हुई है
अगर किसी वजह से गर्भनाल में रक्त का प्रवाह बाधित हो रहा है

अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में कसकर लिपटी हुई हो तो डाॅक्टर जन्म के दौरान शिशु के कंधे बाहर निकलने से पहले ही गर्भनाल पर चिपटी लगाकर काट देंगी। हालांकि, इसकी जरूरत बहुत कम ही पड़ती है।

डाॅक्टर आपके शिशु पर नजदीकी निगरानी रखेंगी और यदि गर्भनाल में रक्त प्रवाह से संबंधित कोई समस्या हुई तो इसका पता वे शिशु के दिल की धड़कन से लगा लेंगी। संकुचन के दौरान कई बार गर्भनाल दब जाती है, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए शिशु की धड़कन कम हो सकती है।

यदि शिशु पर निगरानी के दौरान यदि कोई अन्य समस्या नहीं है तो आपका प्रसल बिना किसी चिकित्सकीय दखल के जारी रहेगा।

हालांकि, ध्यान रखें कि यदि शिशु संकट में हो (फीटल डिस्ट्रेस) या कोई और जटिलताएं हों तो आपातकाल सिजेरियन डिलीवरी करवाना शिशु को जन्म दिलवाने का सबसे सुरक्षित तरीका है। आपकी डाॅक्टर तय करेंगी कि आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प क्या रहेगा।

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