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हाँ, गर्भाशय की पतली लाइनिंग के कारण गर्भपात की संभावना अधिक होती है क्योंकि सफल गर्भधारण के लिए के लिए एंडोमेट्रियम का मोटा होना ज़रूरी है।
एंडोमेट्रियोसिस आम तौर पर एक ऐसा चिकित्सकीय विकार है जिसमें यूटरस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू एंडोमेट्रियम टिश्यू की तरह ही बढ़ते हैं और ये टिश्यू गर्भाशय के बाहर बढने लगते हैं। यह काफी पीड़ादायक और दर्दनाक स्थिति होती है।
एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में सामान्यतः ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस की लाइनिंग करने वाले टिश्यू प्रभावित होती है। एंडोमेट्रियल जैसा टिश्यू खुद ही एंडोमेट्रियल टिश्यू के तौर पर काम करने लगता है
यह प्रत्येक मासिक धर्म के साथ मोटा होता है, टूट जाता है और खून बहता है। लेकिन चूंकि इस टिश्यू के पास शरीर से बाहर निकलने का रास्ता ना होने से यहा शरीर के बाहर नहीं निकल पाता तो यह यह फंस जाता है। इससे आसपास के टिश्यू पर दबाव पड़ता है और अंततः स्कार टिश्यू बनने लगते हैं जिससे रेशेदार टिश्यू के बैंड बन जाते हैं। इससे पैल्विक टिश्यू और अंगों को एक दूसरे से चिपक भी सकते हैं।
अगर एंडोमेट्रियोसिस विकार में ओवरी भी प्रभावित हो तो कई सिस्ट भी बन जाते जिन्हें एंडोमेट्रियोमास कहा जाता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला को दर्द होता रहता है और कभी कभी,खासकर पीरियड्स के दौरान, ये दर्द बेहद गंभीर हो जाता है। इससे प्रजनन समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं लेकिन राहत की बात ये है है कि इस समस्या का प्रभावी उपचार संभव है।
एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार
एंडोमेट्रियोसिस कहां पर स्थित है इस आधार पर इसे वर्गीकृत किया गया है। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
सुपरफीशियल पेरीटोनियल लेश्यन
यह एंडोमेट्रियोसिस का सबसे आम प्रकार है। इसमे पीड़ित के पेरिटोनियम पर लेश्यन (घाव) होते हैं। पेरिटोनिम एक पतली फिल्म होती जो आपकी पेल्विक कैविटी की लाइनिंग बनाती है।
एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन)
एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में पीड़ित के ओवरी (अंडाशय) की गहराई में गहरे, तरल पदार्थ से भरे हुए सिस्ट बनते हैं। इन सिस्ट को चॉकलेट सिस्ट भी कहा जाता है। इन पर उपचार का भी बहुत अच्छा प्रभाव नहीं होता। सामान्य उपचार से ये ठीक नहीं होता और आसपास के स्वस्थ टिश्यू को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस
एंडोमेट्रियोसिस के इस प्रकार में टिश्यू पेरिटोनियम के नीचे विकसित होता है। इसमें गर्भाशय के पास के अंग जैसे कि आपकी आंत या मूत्राशय भी शामिल हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित लगभग 1% से 5% महिलाओं में इस तरह का एंडोमेट्रियोसिस पाया जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के लक्षण
एंडोमेट्रियोसिस का सबसे सामान्य रूप ये पाया जाना वाला प्राथमिक लक्षण पैल्विक दर्द है, जो अक्सर मासिक धर्म से जुड़ा होता है। वैसे तो बहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव होता है पर जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस विकार होता है आमतौर पर उन्हें मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर् सामान्य ऐंठन से कहीं ज्यादा अधिक पीड़ादायी और खराब होता है। इस तरह का दर्द समय के साथ बढ़ भी सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
अति पीड़ादायक पीरियड्स (डिस्मेनोरिया): पैल्विक दर्द और ऐंठन मासिक धर्म से पहले शुरू हो सकते हैं और कई दिनों तक बढ़ सकते हैं। पीड़ित महिला की पीठ के निचले हिस्से और पेट में दर्द भी हो सकता है।
संभोग में दर्द: एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होने पर महिला को सेक्स के दौरान या बाद में दर्द होना आम है।
मल त्याग या पेशाब के साथ दर्द: आपको मासिक धर्म के दौरान इन लक्षणों का अनुभव होने की सबसे अधिक संभावना है।
बहुत ज्यादा ब्लीडिंग: आप कभी: कभी भारी मासिक धर्म या मासिक धर्म के बीच भी खून की बहुत ज्यादा ब्लीडिंग (अंतरमासिक रक्तस्राव) का अनुभव कर सकते हैं।
बांझपन: यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो महिला में पाए जाने वाला सबसे आम कारणों एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।
अन्य लक्षण: थकान, दस्त, कब्ज, सूजन या मतली का अनुभव, विशेष रुप ये ये लक्षण पीरियड्स के दौरान पीड़ित महिला अनुभव करती है।
एक ध्यान देने वाल बात ये है कि दर्द कितना हो रहा ये इस बात का पैमाना नहीं कि एंडोमेट्रियोसिस कितनी गंभीर अवस्था में है। कई बार गंभीर दर्द के साथ हल्का एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है, या आपको कम या बिना दर्द के एडवांस स्टेज की एंडोमेट्रियोसिस की समस्या हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण
एंडोमेट्रियोसिस का कोई एक सटीक कारण तो अभी निश्चित नहीं हो सका है पर विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:
रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन: रेट्रोग्रेड मेनस्यूरेशन या प्रतिगामी माहवारी में मैनस्यूरल ब्लड जिसे शरीर के बाहर निकल जाना चाहिए वो फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस पेल्विक कैविटी में चला जाता है। इस रक्त में एंडोमेट्रियल सेल भी होते हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पेल्विक कैविटी में पेल्विक की दीवारों और पेल्विक अंगों की सतहों से चिपक जाती है। यहां चिपके रहकर वे बढ़ती हैं और प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान मोटी होती जाती हैं और खून बहना जारी रखती हैं।
पेरिटोनियल सेल में बदलाव: इसे 'इंडक्शन थ्योरी' के रूप में भी जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हार्मोन या इम्यून फैक्टर पेरिटोनियल कोशिकाओं के परिवर्तन को बढ़ावा देता हैं । यही कोशिकाएं पेट के अंदरूनी हिस्से को एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाओं में बदल देती हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस ही सकती है।
भ्रूण कोशिकाओ में परिवर्तन: एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन भ्रूणीय कोशिकाओं को युवा अवस्था के दौरान एंडोमेट्रियल जैसे सेल में बदल सकते हैं। वैसे भ्रूणीय कोशिकाएं भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
सर्जिकल स्कार इंप्लाटेंशन: हिस्टरेक्टॉमी या सी: सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती हैं।
एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट: ब्लड सेल्स या टिश्यू फ्लूइड (लिम्फैटिक) सिस्टम एंडोमेट्रियल कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली में अगर किसी तरह की दिक्कत हो या फिर उसमें कोई विकार आ गया हो तो वो गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल जैसे ऊतक को पहचानने की क्षमता खो देती है और इसे शरीर उन्हें नष्ट करने में असमर्थ हो जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी के दौरान आपका खान: पान
एंडोमेट्रियोसिस और आहार के बीच एक सीधा संबंध है ये बात अनुसंधान में भी सिद्ध हो चुकी है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं फलों और सब्जियों को ज्यादा खाती हैं उन्हें ये बीमारी होने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है जबकि जो महिलाएं ऐसे आहार लेती हैं जिसमें रेड मीट की अधिकता हो उन्हें इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
महिलाओं को अपने भोजन का में अधिक से अधिक ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना होगा। सलाद और सब्जियां ज्यादा खानी होगी अपने फ्रिज में अगर पहले से ही दुलकर और काटकर फल रख लिए जाएं तो ये आपको फल खाने को ज्यादा प्रेरित कर सकता है। फ्रूट चाट एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
एक अन्य शोध में ओमेगा : 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन और अखरोट खाने की बात सामने आई है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने सबसे अधिक मात्रा में ओमेगा : 3 फैटी एसिड का सेवन किया, उनमें एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम थी, जिन्होंने इसे कम से कम मात्रा में खाया था।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर इन चीजों से करें परहेज (Endometriosis hone par en cheezo se kare parhez)
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गोमांस या गोवंश के मांस में वसा की उच्च मात्रा शरीर को प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायनों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे अधिक एस्ट्रोजन का उत्पादन हो सकता है। यह अतिरिक्त एस्ट्रोजन अतिरिक्त एंडोमेट्रियल ऊतक के बढ़ने का कारण बनता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस बीमारी होती और बढ़ती है।
जो महिलाएं सबसे अधिक ट्रांस वसा खाती हैं, उनमें तुलनात्मक रूप से, कम ट्रांस फैट खाने वालों से एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48 प्रतिशत अधिक होता है।
इसके अलावा, शराब और कैफीन से बचें।
सोडा पीने से एंडोमेट्रियोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
शराब भी एक उच्च जोखिम के रूप में सिद्ध हो चुका है।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करे (Endometriosis Hone par kya kare)
अपनी तकलीफ पर बात करें: किसी भी महिला को अगर एंडोमेट्रियोसिस होने की आंशका हो तो वो अपने लक्षणों को लिखें और लक्षणों पर नज़र रखें जैसे कि दिन का कोई समय होता है जब लक्षण बदतर या बेहतर होते हैं; यदि विशिष्ट गतिविधियाँ दर्द को बदतर या कम करती हैं; या अगर दर्द आता है और चला जाता है। यह आपको डॉक्टर को अपनी समस्या को ठीक से बताने और समझाने में मदद करेगा और डॉक्टर को समस्या का निदान करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने में मदद करेगा।आपको अपनी तकलीफ को साझा करना है। किसी भ्रम के बिना।
व्यायाम : नियमित व्यायाम एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। एंडोमेट्रियोसिस के बेहतर प्रबंधन के लिए सुनिश्चित करें कि आप नियमित व्यायाम, ध्यान और योग करते या कोई खेल गतिविधि करते हैं।
आहार : सुनिश्चित करें कि आप ताजे फल और सब्जियां अच्छी तरह से धोकर खाएं ताकि आप किसी भी कीटनाशक या पर्यावरण विषाक्त पदार्थों का सेवन न करें।
पीने का पानी : खुद को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या ना करे
सहना नहीं है: यदि सेक्स के दौरान या सामान्य पीरियड्स के दिनों में बहुत दर्द हो रहा है तो इसे सहना नहीं है। सेक्स के दौरान अगर दर्द हो रहा है तो उससे शर्माने की भी जरुरत नहीं है उसे अपने पार्टनर से साझा करें और डाक्टर के पास जाएँ।
अपनी डाक्टर खुद ना बनें: खुद से अपना इलाज या डायगनोसिस करने की जरुरत नहीं है। आपको अलग कोई लक्षण है तो खुद ही उसे कुछ मान कर बैठ जाना उचित नहीं है। एंडोमिट्रियोसिस के मामले में तो विशेष तौर पर यह घातक हो सकता है।
अज्ञानता : किसी भी प्रकार के पैल्विक दर्द या मल त्याग या परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें
डिप्रेशन: समस्या के कारण होने वाली परेशानी के कारण कभी भी उदास न हों। परेशानी साझा करें, सुझाव लें और सहायता प्राप्त करें।
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