Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
Breastfeeding करवाने वाली महिलाओं को दिन में कितना पानी पीना चाहिए
आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को इस समय अधिक मात्रा में पानी पीने की जरूरत होती है।
water intake while breastfeeding
प्रेगनेंसी ही नहीं बल्कि इसके बाद भी महिलाओं को स्तनपान के लिए अपने आहार का ध्यान रखना पडता है। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के स्तनों में साढे सात सौ मिली दूध बनता है। इसलिए इन महिलाओं को अपने शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए पर्याप्न पानी पीना चाहिए लेकिन कितना पर्याप्त होता है?
स्तनपान के दौरान कितना पानी पीना चाहिए
यूरोपियन फूड सेफटी अथॉरिटी के अनुसार स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को रोजाना की निर्धारित मात्रा से 700 मिली अधिक पानी पीना चाहिए। आमतौर पर महिलाओं को दिन में 11.5 कप पानी पीना चाहिए। ऐसे में स्तनपान करवाने वाली मांओं को 11.5 कप से अधिक पानी पीने की जरूरत होती है। आप हर बार दूध पिलाने से पहले और बाद में एक गिलास पानी पिएं।
Bottle feeding Disadvantages : बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान
-
ब्रेस्ट मिल्क में शिशु के विकास के लिए जरूरी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन बोतल में फॉर्मूला मिल्क भरकर देने से बच्चों में आगे चलकर मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
-
बोतल को साफ करना सबसे मुश्किल और जरूरी काम होता है। बच्चे को देने से पहले बोतल को अच्छी तरह से धोना बहुत जरूरी होता है। इसके बाद दूध को गर्म कर के बोतल में भरना और फिर बच्चे को पिलाना काफी लंबा और मेहनत का काम हो जाता है।
अगर बोतल ठीक तरह से साफ न हो तो इसकी वजह से शिशु की सेहत को खतरा रहता है।
मां के दूध में शिशु की इम्युनिटी को मजबूत करने वाले पोषक तत्व होते हैं। वहीं बोतल में दिया जाने वाला फॉर्मूला मिल्क इम्युनटी बढ़ाने वाले गुणों से युक्त नहीं होता है। इससे दस्त, छाती में इंफेक्शन या यूरीन इंफेक्श हो सकता है।
स्तनपान बंद करवाने के बाद बोतल से दूध पिलाना शुरू करने पर आपको एहसास होगा कि ये काम मुश्किल ही नहीं बल्कि महंगा भी है। बोतल, दूध, निप्पल और ब्रेस्ट पंप पर काफी पैसे खर्च होते हैं और समय-समय पर बोतल और निप्पल को बदलना भी पड़ता है।
स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक अनोखा रिश्ता पनपता है लेकिन बोतल से दूध पिलाने पर इस ममतामयी रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं। इसके अलावा बोतल से दूध पिलाना थोड़ा असुविधाजनक होता है।
अगर बच्चे को आधी रात को दूध पीना हुआ तो मां की नींद तो खराब होती ही है साथ ही दूध तैयार करने के लिए उठना भी पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के सिर्फ नुकसान ही होते हैं बल्कि इससे कुछ फायदे भी मिलते हैं, जैसे कि :
शिशु को जब भी भूख लगी, घर का कोई भी सदस्य दूध पिला सकता है। मां के आसपास न होने पर बोतल का दूध बहुत काम आता है। आप ये जान सकती हैं कि हर बार दूध पीने पर बच्चा कितनी मात्रा में दूध पी रहा है।बोतल से दूध पिलाने पर पिता, भाई-बहन या परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिशु के करीब जाने का मौका मिलता है। मां को अपनी डायट पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती है।शिशु के लिए 6 माह का होने तक मां का दूध आवश्यक होता है। इसके बाद स्तनपान की जगह बोतल से दूध पिलाना शुरू किया जा सकता है। बोतल से दूध पिलाने पर मां को काफी आसानी रहती है।
कैसे पहचानें पानी की कमी
आप अपने पेशाब के रंग से भी पानी की कमी की पहचान कर सकती हैं। शरीर के हाइड्रेट रहने पर पेशाब का रंग पीला होता है लेकिन अपर्याप्त पानी होने पर पेशाब का रंग गहरा पीला आता है।
एक से ज्यादा बच्चों को दूध पिलाने पर महिलाओं को अपने पानी पीने की मात्रा में भी इजाफा कर देना चाहिए।
डिहाइड्रेशन के लक्षण
पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने पर शरीर कुछ संकेत देता है। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को अगर निम्न संकेत मिल रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो रही है :
पेशाब ज्यादा पीला आना
थकान
चिडचिडापन
रूखी और फटी त्वचा
कब्ज
डिप्रेशन
Bottle feeding Disadvantages : बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान
-
ब्रेस्ट मिल्क में शिशु के विकास के लिए जरूरी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन बोतल में फॉर्मूला मिल्क भरकर देने से बच्चों में आगे चलकर मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
-
बोतल को साफ करना सबसे मुश्किल और जरूरी काम होता है। बच्चे को देने से पहले बोतल को अच्छी तरह से धोना बहुत जरूरी होता है। इसके बाद दूध को गर्म कर के बोतल में भरना और फिर बच्चे को पिलाना काफी लंबा और मेहनत का काम हो जाता है।
अगर बोतल ठीक तरह से साफ न हो तो इसकी वजह से शिशु की सेहत को खतरा रहता है।
मां के दूध में शिशु की इम्युनिटी को मजबूत करने वाले पोषक तत्व होते हैं। वहीं बोतल में दिया जाने वाला फॉर्मूला मिल्क इम्युनटी बढ़ाने वाले गुणों से युक्त नहीं होता है। इससे दस्त, छाती में इंफेक्शन या यूरीन इंफेक्श हो सकता है।
स्तनपान बंद करवाने के बाद बोतल से दूध पिलाना शुरू करने पर आपको एहसास होगा कि ये काम मुश्किल ही नहीं बल्कि महंगा भी है। बोतल, दूध, निप्पल और ब्रेस्ट पंप पर काफी पैसे खर्च होते हैं और समय-समय पर बोतल और निप्पल को बदलना भी पड़ता है।
स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक अनोखा रिश्ता पनपता है लेकिन बोतल से दूध पिलाने पर इस ममतामयी रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं। इसके अलावा बोतल से दूध पिलाना थोड़ा असुविधाजनक होता है।
अगर बच्चे को आधी रात को दूध पीना हुआ तो मां की नींद तो खराब होती ही है साथ ही दूध तैयार करने के लिए उठना भी पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के सिर्फ नुकसान ही होते हैं बल्कि इससे कुछ फायदे भी मिलते हैं, जैसे कि :
शिशु को जब भी भूख लगी, घर का कोई भी सदस्य दूध पिला सकता है। मां के आसपास न होने पर बोतल का दूध बहुत काम आता है। आप ये जान सकती हैं कि हर बार दूध पीने पर बच्चा कितनी मात्रा में दूध पी रहा है।बोतल से दूध पिलाने पर पिता, भाई-बहन या परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिशु के करीब जाने का मौका मिलता है। मां को अपनी डायट पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती है।शिशु के लिए 6 माह का होने तक मां का दूध आवश्यक होता है। इसके बाद स्तनपान की जगह बोतल से दूध पिलाना शुरू किया जा सकता है। बोतल से दूध पिलाने पर मां को काफी आसानी रहती है।
शिशु के लिए पोषण का एकमात्र स्रोत मां का दूध ही होता है। ब्रेस्ट मिल्क में शिशु के विकास के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व होते हैं। ब्रेस्ट मिल्क में लगभग 90 फीसदी पानी होता है इसलिए हर बार दूध पिलाने पर शरीर में काफी मात्रा में तरल पदार्थों की कमी हो जाती है।
इसलिए स्तनपान करवाने के दौरान अधिक पानी पीना जरूरी होता है।
कैसे दूर करें पानी की कमी
अगर आप शिशु को दूध पिलाती हैं और अपने शरीर में पानी की कमी से बचना चाहती हैं तो सोडा, कैफीन, चाय और शराब न पिएं। ये पेय पदार्थ शरीर में डिहाइड्रेशन पैदा कर सकते हैं।
चीनी या मीठा अधिक खाने से शरीर में पानी के अवशोषण में दिक्कत आती है इसलिए स्तनपान के दौरान फलों का रस न पिएं।
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी पीने का अपना रोज का टारगेट बनाएं और एक दिन में उतना पानी जरूर पिएं।
पानी में आप पुदीने की पत्तियां, स्ट्रॉबेरी, नींबू या खीरा डालकर भी पी सकती हैं। घर से बाहर निकलते समय हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखें। अपनी डायट में ऐसी चीजों को शामिल करें जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
स्तनपान के समय शरीर का हाइड्रेट रहना जरूरी है और इससे महिलाओं को कई तरह के लाभ भी मिलते हैं। इस समय में पर्याप्त पानी पीने से न केवल महिलाओं को फायदा होता है बल्कि ब्रेस्ट मिल्क के जरिए शिशु के विकास में भी काफी मदद मिलती है।
--------------------------- | --------------------------- |