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क्या है गर्भावस्था में उठने, बैठने व सोने का सही तरीका ?
गर्भावस्था
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती के सामने कई शारीरिक व मानसिक चुनौतियां आती हैं, इनका सावधानी पूर्वक व डटकर मुकाबला करने से न सिर्फ महिला बल्कि पेट में पल रहा शिशु भी स्वस्थ रहता है। यही वजह है कि गर्भावस्था के दौरान महिला का ध्यान रखना व सावधानी बरतना काफी जरूरी है। पर यह सावधानी सिर्फ खान-पान को लेकर ही नहीं बरतनी होती, बल्कि बच्चे को स्वस्थ व फिट रखने के लिए उसे शारीरिक गतिविधियों के दौरान भी एक्स्ट्रा केयर करना पड़ता है। मसलन उसे उठने, बैठने व सोने के दौरान भी कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अगर आप भी प्रेग्नेंट हैं, तो यह ब्लॉग आपकी हर उलझन दूर करेगा। यहां हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था में उठने, बैठने व सोने का सही तरीका क्या है।
प्रेग्नेंसी के दौरान उठने का सही तरीका / How to Get Up from Bed During Pregnancy in Hindi
अचानक उठना नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए कुछ सावधानियाँ हैं जिनका ध्यान हर एक गर्भवती महिला को ध्यान रखना चाहिए।
जब भी बेड से उठें, तो आपको सबसे पहले बाईं ओर करवट लेना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे से अपने घुटने को बेड के किनारे पर लाएं।
आपको उठने से पहले 2-3 मिनट बैठना चाहिए और इस दौरान गहरी सांस लेकर हाथों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे उठें।
कभी भी जल्दी व झटके से उठने से परहेज करें, यह काफी नुकसानदायक हो सकता है।
अगर उठने में किसी तरह की परेशानी होती है, तो आप बेड के किनारे या घर के किसी सदस्य का सहारा लेकर उठें।
अगर आपको घूम कर कोई सामान लेना है, तो झटके से न घूमें। धीरे-धीरे अपने पूरे शरीर को घुमाने की कोशिश करें न कि सिर्फ कमर को।
गर्भावस्था के दौरान बैठने का सही तरीका / How to Sit During Pregnancy in Hindi
गर्भावस्था में जितनी सावधानी उठने के दौरान बरतनी चाहिए, उतना ही केयर बैठने के दौरान भी करना चाहिए। अब बात बैठने के सही तरीकों पर।
बैठने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपके दोनों पैर जमीन से सटे हों और आराम से हों। एक पैर के ऊपर दूसरे पैर को रखकर न बैठें।
बैठते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि शरीर का वजन आपके पेट पर न पड़े। आप किसी चीज का सहारा लेकर धीरे-धीरे बैठ सकती हैं।
आप सोफा, बेड या कुर्सी कहीं भी बैठती हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आपकी पीठ एकदम सीधी हो। पीठ सीधी रखने के लिए आप तकिये व कुशन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
अगर कामकाजी हैं और गर्भावस्था के दौरान ऑफिस जाना पड़ रहा है, तो वहां बैठने के लिए अच्छी कुर्सी का चयन करें। कुर्सी को बार-बार जरूरत पड़ने वाली चीजों या फाइलों के पास ही रखें, ताकि आपको बार-बार न उठना पड़े। कुर्सी पर बैठने के दौरान कंधे को रिलेक्स रखें और अपने हाथों को चेयर के आर्म रेस्ट पर रखें।
या तो एकदम सीधे बैठें या फिर पीछे की तरफ थोड़ा सा झुकाव देकर बैठें। इस तरह बैठें कि आपके स्तन एकदम सामने या हल्के से ऊपर की तरफ हों, ये पेट से लगे न हों। बैठने के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दोनों टांगे भी एक-दूसरे से न जुड़ी हों, टांगे जुड़ी होने पर पेट को जगह नहीं मिलेगी।
कहीं भी बैठें इस बात का ध्यान रखें कि एक ही अवस्था में बहुत लंबे समय तक न बैठें।
प्रेग्नेंसी के दौरान सोने का सही तरीका / How to Sleep During Pregnancy in Hindi
पर्याप्त नींद सभी के लिए जरूरी है। गर्भवती के लिए यह इसलिए ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि शारीरिक जटिलताओं का वजह से उसमें अधिक थकान रहती है। पर अच्छी नींद के लिए सोने का तरीका भी बेहतर होना जरूरी है, ताकि बच्चे को भी नुकसान न हो। जानते हैं सोने का सही तरीका।
अगर आप प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में हैं तो आपके लिए सीधे होकर सोना फायदेमंद होगा। दरअसल इससे भ्रूण का विकास अच्छी तरह से होता है। पर दूसरे या तीसरे महीने के बाद सीधे सोने से परहेज करें।
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के बाद बायीं करवट सोना आपके लिए लाभकारी होगा। इससे भ्रूण में रक्त बढ़ता है और उसे पोषण भी मिलता है।
चाहे आप गर्भावस्था के पहले महीने में हों या बीच में, इस बात का ध्यान रखें कि पेट के बल सोना नुकसानदायक हो सकता है। इससे बच्चे के विकास पर असर पड़ता है और उसका स्वास्थ्य भी खराब होता है।
आप सोते समय तकिए को पैरों के बीच में रखें, इससे न सिर्फ आपको आराम मिलेगा, बल्कि पेट को भी सहारा मिलेगा।
जहां तक बात है सिर के नीचे तकिया रखने की तो यह नर्म और पतला होना चाहिए। मोटा और सख्त तकिया लेने से आपको व बच्चे दोनों को ही नुकसान पहुंच सकता है।
अगर एक ही करवट लेकर सो रही हैं, तो पीठ के पीछे तकिया लगाना न भूलें। तकिया लगाने से पीठ में दर्द नहीं होगा।
अगर आप घुटनों को थोड़ा सा मोड़ कर सोएंगी तो पीठ को आराम मिलेगा और कमर दर्द की शिकायत नहीं होगी।
गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भूलकर भी पीठ के बल न सोएं। दरअसल इस अवधि में गर्भ का साइज बढ़ जाता है। ऐसे में पीठ के बल लेटने से गर्भाशय का सारा भार सीधे आपकी पीठ और कैवा शिरा (वह शिरा जो शरीर के निचले हिस्से से रक्त को आपके दिल तक पहुंचाता है) पर पड़ता है, जिससे पीठ दर्द, बवासीर, अपच व सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी होती है।
प्रेग्नेंसी में महिलाओं में शारीरिक बदलाव आते हैं, जैसे जल्दी थकान, शरीर व वजन का बढ़ना, पेट निकलना, हार्मोन में परिवर्तन आदि। ऐसे में उनके सोने, उठने व बैठने पर खास ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि जरा सी लापरवाही से शिशु के वजन व विकास पर बुरा असर पड़ सकता है।
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