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गर्भावस्था से ही बच्चे का दिमाग होगा तेज, जानिए कैसे?
गर्भावस्था में बच्चे के दिमाग का डेवेलपमेंट शुरू हो जाता है। ऐसे में शिशु कितना बुद्धिमान होगा यह गर्भवती महिला की डायट पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है। तेज दिमाग वाले शिशु की चाहत हर महिला रखती है ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी डायट में कौन-सी चीजें शामिल करनी चाहिए, इस बात की जानकारी होना बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के दिमाग का विकास सबसे ज्यादा होता है। अगर प्रेग्नेंट महिला का लाइफस्टाइल अच्छी होगी तो इसका असर बच्चे के दिमाग पर भी पड़ेगा। अगर महिला अपने खानपान में लापरवाही बरतती है तो बच्चे के बौद्धिक विकास में भी असर पड़ सकता है। अगर आपको लगता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य खानपान ही बेहतर है तो ये आपकी गलत सोच भी हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक पोषण की जरूरत पड़ती है क्योंकि मां के साथ ही बच्चे को भी न्यूट्रीशन चाहिए होता है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि सकारात्मक सोच के साथ ही पोषण युक्त आहार लिया जाए। जानते हैं हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में।
गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग कैसे तेज करें?
गर्भावस्था के दौरान किसी भी गर्भवती महिला के लिए पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि गर्भवती महिला के खाने का सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। वहीं गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग ज्यादा तेज हो इस पर भी ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान फोलेट, आयोडीन और आयरन नियमित तौर से सेवन करना चाहिए और ये गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग तेज करने के लिए अत्यधिक जरूरी है।
अगर आप प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं तो करीब दो से तीन महीने पहले डॉक्टर फोलिक एसिड की गोलियां लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर महिला को स्वस्थ्य और तेज दिमाग वाला बच्चा चाहिए तो प्रेग्नेंसी प्लानिंग के पहले ही ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। डॉक्टर शारीरिक जांच के बाद अन्य सप्लीमेंट लेने की सलाह भी दे सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड लेने की सलाह देता है लेकिन आपको खाने में फोलेट भी शामिल करना चाहिए। फोलेट के कई प्रकार होते हैं। फोलेट का ही प्रकार फोलिक एसिड भी है। आपको फोलेट के लिए पालक का सेवन करना चाहिए। फोलेट का उपयोग डीऑक्सी न्यूक्लिक एसिड यानी डीएनए के साथ ही कोशिका के डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पालक में प्रोटीन के साथ ही मिनिरल्स भी होते हैं। माइंड के डेवलपमेंट के लिए इसे खाने में जरूर शामिल करना चाहिए।
इन टिप्स से गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग करें तेज
गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग तेज हो इसके लिए आहार के साथ-साथ कुछ और भी जरूरी टिप्स हैं, जिसे अपनाने से बच्चे का मस्तिष्क तेज हो सकता है। निम्नलिखित टिप्स अपनाकर आप अपने बेबी को गर्भ से ही इंटेलीजेंट बना सकती हैं।
1. आहार
गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग तेज करने के लिए विटामिन-बी 12, विटामिन-सी, विटामिन-डी, जिंक, आयरन और फॉलिक एसिड युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। ये सभी विटामिन और खनिज हरी सब्जी, साग, मछली या फल जैसे खाद्य पदार्थों में आसानी से मिल सकते हैं।
2. फॉलिक एसिड
फॉलिक एसिड गर्भावस्था में शिशु के विकास में अत्यधिक अनिवार्य है। इसकी पूर्ति गहरे हरे रंग की साग-सब्जियों से हो सकती है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर फॉलिक एसिड की दवा भी दे सकते हैं। अपनी मर्जी से दवाओं का सेवन न करें।
3. ओमेगा 3 फैटी एसिड
गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग तेज करने का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है ओमेगा 3 फैटी एसिड। मछलियों के सेवन से ओमेगा 3 फैटी एसिड की पूर्ति होती है। गर्भावस्था के दूसरी तिमाही से मछलियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। ध्यान रहे इस दौरान मर्लिन और टूना जैसे फिश का सेवन न करें क्योंकि इनमें मर्क्युरी (mercury) की मात्रा ज्यादा होती है।
4. गर्भावस्था में बच्चे का दिमाग अंडे से होगा तेज
अंडे में कोलिन नामक तत्व होता है जो दिमाग के विकास के लिए जरूरी है। इससे याद्दाशत बढ़ती है। साथ ही अंडे में आयरन और प्रोटीन भी होता है जो दिमागी विकास के लिए जरूरी है। प्रोटीन कोशिका के ब्लॉक का निर्माण करने और शिशु के विकास में सहायता करते हैं। उचित मात्रा में अंडे खाने से बच्चे को प्रोटीन की आवश्यक मात्रा मिलती है।
5. वजन नियंत्रित रखें
गर्भावस्था के दौरान हर गर्भवती महिला का वजन 11 से 16 किलो तक बढ़ना सामान्य है, लेकिन जरूरत से ज्यादा वजन न बढ़ने दें। अगर इस दौरान वजन बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
6. एक्सरसाइज
गर्भावस्था के दौरान बच्चे का दिमाग तेज करने के लिए नियमित एक्सरसाइज भी जरूरी है। गर्भ में पल रहे शिशु की फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए जरूरी है। एक्सरसाइज करने के दौरान एंडोर्फिन हॉर्मोन (endorphins) रिलीज होता है। जो व्यक्ति को खुश रहने में मदद करता है। इसलिए गर्भवती महिला को सप्ताह में कम से कम 3 से 5 दिन तकरीबन आधे घंटे तक एक्सरसाइज करना चाहिए। इसका फायदा मां और शिशु दोनों को होता है।
7. तनाव से दूर रहें
बदलती लाइफस्टाइल की वजह से किसी न किसी कारण हर कोई चिंता और तनाव में रहता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला बच्चे की परवरिश को लेकर चिंतित रहती हैं। थोड़ी चिंता ठीक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा चिंता करना और तनाव में रहना गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे बच्चे के मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है।
8. बेबी से बात करें
गर्भावस्था के 16वें हफ्ते में पहुंचने के बाद ही बच्चे (fetal) की सुनने की क्षमता विकसित होती है। गर्भावस्था के 24वें हफ्ते के शुरू होने के बाद ही ये पूरी तरह से एक्टिव हो पाते हैं। अल्ट्रासाउंड की मदद से यह आसानी से समझा जाता है कि प्रेग्नेंसी के 16वें हफ्ते में शिशु गर्भ के बाहर की ध्वनि को सुन सकता है। ऐसे में शिशु के जन्म के पहले से ही पैरेंट्स शिशु से बात कर सकते हैं। इससे भी बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है। इस दौरान आप बेबी को म्यूजिक भी सुना सकती हैं।
9. भ्रूण के दिमाग का विकास : कद्दू के बीज का करें सेवन
आपको शायद जानकर अजीब लगेगा, लेकिन कद्दू का बीज गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें जिंक पाया जाता है जो बच्चे के दिमागी विकास के लिए जरूरी है। शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया है कि प्रत्येक 100 ग्राम कद्दू के बीज में 7.99 मिलीग्राम जिंक होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया भर में 80 प्रतिशत से अधिक महिलाओं में जिंक की अपर्याप्त मात्रा है। जिंक का कम स्तर कई हार्मोनों के परिसंचारी स्तरों को बदलते हैं। एक्सपर्ट गर्भावस्था के दौरान एक्स्ट्रा जिंक लेने की सलाह भी देते हैं, क्योंकि इससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होने की संभावना होती है। जिंक गर्भाशय के संक्रमण की रोकथाम के लिए आवश्यक है। ये सभी संभावित रूप से प्रसव में योगदान कर सकते हैं।
10. सूरज की रोशनी करेगी गर्भावस्था में बच्चे का विकास
गर्भावस्था के दौरान अगर मां धूप में बहुत कम समय बिताए तो बच्चे की सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां का अल्ट्रावायलेट-बी (यूवीबी) किरणों का सामना नहीं हो, तो इससे शिशु के दिमाग का विकास प्रभावित होता है। यूवीबी किरणें शरीर में विटामिन-डी के निर्माण में सहायक होती हैं। यह गर्भ में पल रहे दिमागी विकास के लिए बहुत जरूरी है।
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