पीरियड में बड़े खून के थक्के का क्या मतलब है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

पीरियड्स में खून के क्लॉट आना, जानें कारण और इलाज

जब बात महिलाओं (Women) की सेहत से जुड़ी होती है तो कई बार महिलाएं खुद भी कई बातों को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देती हैं. लेकिन वे साधारण सी दिखने वाली समस्याएं ही आगे चलकर बड़ी मुसीबत बन सकती हैं. ऐसी ही एक समस्या है पीरियड्स (Periods) के दौरान क्लॉटिंग यानी खून के थक्के आने की (Blood Clots). पीरियड्स ब्लड के साथ निकलने वाले खून के थक्के या छोटी-छोटी गांठें तभी तक सामान्य है जब तक यह नियमित तौर पर नहीं हो रहा. अगर आपको नियमित रूप से हर बार पीरियड्स के दौरान खून के थक्के आने लगें तो आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है.

पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग में दिखने वाले खून के थक्के, हमारी नसों में होने वाले ब्लड क्लॉट की तरह खतरनाक नहीं होते. हालांकि, पीरियड्स के दौरान नियमित रूप से हर महीने बड़े-बड़े खून के थक्के आना किसी बीमारी या समस्या का संकेत हो सकता है. सामान्य खून के थक्के मूंगफली के दाने जितने बड़े होते हैं और कभी-कभी निकलते हैं. लेकिन अगर आपको पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है जैसे- हर घंटे एक सैनिटरी पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़े और साथ में बहुत बड़े-बड़े खून के थक्के निकलें तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.

1. पीरियड्स में क्लॉटिंग का कारण
पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की लाइनिंग में जमा खून गर्भाशय के निचले हिस्से में जमा हो जाता है ताकि सर्विक्स के जरिए योनि के माध्यम से बाहर निकल सके. गर्भाशय की इस परत को पतला करने के लिए शरीर में एंटीकॉग्युलेंट बनते हैं ताकि खून पतला हो जाए और आसानी से बाहर निकल सके. लेकिन जब खून की मात्रा अधिक होती है और शरीर इतनी जल्दी पर्याप्त मात्रा मे. एंटीकॉग्युलेंट नहीं बना पाता तो खून के थक्के बाहर निकलने लगते हैं। खून के थक्के या ब्लड क्लॉट्स आमतौर पर ज्यादा ब्लीडिंग वाले दिनों में ही निकलते हैं.
इसके अलावा पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट निकलने के कई और कारण भी हो सकते हैं जैसे :
गर्भाशय में रसौली या फाइब्रॉयड्स

एंडोमेट्रिओसिस

एडेनोमायोसिस

गर्भाशय सर्विक्स का कैंसर

हार्मोन्स का असंतुलन

मिसकैरेज

ब्लीडिंग संबंधी कोई बीमारी
2. पीरियड्स में ब्लड क्लॉट का इलाज
पीरियड्स के दौरान अगर किसी महिला को खून के थक्के आ रहे हैं तो इसका इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है. अगर समस्या गर्भाशय के आकार से संबंधित है तो आपको सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन यह गंभीर केस की बात है. सामान्य मामलों में आइबुप्रोफेन से पीरियड्स के दौरान दर्द और ब्लीडिंग दोनों को कम करने में मदद मिल सकती है.
गर्भाशय में डाला जाने वाला उपकरण आईयूडी भी पीरियड्स में ब्लीडिंग को कम कर सकता है. हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए डॉक्टर हार्मोनल दवाइयां देते हैं.

हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों से भी गर्भाशय में बनने वाली खून की परत को रोका जा सकता है. गर्भनिरोधक दवाइयों से पीरियड्स में ब्लीडिंग 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है, जिससे खून के थक्के निकलने की आशंका भी कम हो जाती है. इससे गर्भाशय में बनने वाली रसौली का विकास भी धीमा हो जाता है.

जो महिलाएं हार्मोनल दवाइयां नहीं लेना चाहतीं वे ट्रानेक्सामिक एसिड नामक सॉल्ट की दवा ले सकती हैं. इससे भी खून के थक्के निकलना कम हो जाता है.
3. पीरियड्स में क्लॉटिंग हो तो ये उपाय आएंगे काम
पीरियड्स के दिनों में खून के थक्के अधिकतर समय उन दिनों में निकलते हैं जब ब्लीडिंग ज्यादा होती है. ऐसे में आप इन उपायों को आजमा सकती हैं.
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं.

आप चाहें तो पीरियड्स के ज्यादा ब्लीडिंग वाले दिनों में नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा ले सकती हैं ताकि खून ज्यादा न निकले.

एस्पिरिन बिल्कुल न लें, क्योंकि इससे ब्लीडिंग और बढ़ सकती है.

अगर आपको ज्यादा बड़े-बड़े खून के थक्के निकल रहे हैं तो आपको बार-बार पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ सकती है. लिहाजा स्पेयर सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन हमेशा अपने पास रखें.

पीरियड्स के दिनों में ज्यादा खून के थक्के निकलने की वजह से शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. इसलिए पौष्टिक आहार लें, जिसमें आयरन हो जैसे- टोफू, मीट और हरी सब्जियां.

रात के समय आप चाहें तो वॉटरप्रूफ सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें या फिर बिस्तर पर तौलिया बिछाकर सोएं, ताकि चादर पर दाग न लगे.

नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जारी रखें.

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