प्रेगनेंसी में क्या खाने से बच्चे का वेट बढ़ता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

गर्भावस्था में मेरा कितना वजन बढ़ेगा?
औसतन, अधिकांश महिलाओं का वजन गर्भावस्था के अंत तक 10 से 12.5 किलोग्राम तब बढ़ जाता है।

हालांकि, गर्भावस्था में वजन वृद्धि की दर हर महिला में अलग हो सकती है और यह कई बातों पर निर्भर करती है। आप हमारे प्रेगनेंसी वेट गेन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर देख सकती हैं कि आपकी वजन वृद्धि सही दर से हो रही है या नहीं। यह अमेरिकी सलाह पर आधारित है और आपके कद और गर्भावस्था से पहले के वजन के आधार पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन करता है।

गर्भावस्था में वजन बढ़ना स्वाभाविक है और स्वस्थ संकेत है। गर्भ में शिशु के उचित विकास और उसे जिंदगी की सही शुरुआत देने के लिए के लिए ​शरीर में बदलाव आने जरुरी होते हैं।

जब आप प्रसव की अनुमानित तिथि (ड्यू डेट) के करीब पहुंचती हैं, तो आपके बढ़े हुए अतिरिक्त वजन का करीब एक तिहाई हिस्सा शिशु, प्लेसेंटा और एमनियोटिक द्रव का होता है। हर माँ और हर शिशु अलग होते हैं, मगर यहां कुछ औसत आंकड़ें दिए गए हैं:

पूर्ण अवधि पर जन्मे एक औसत भारतीय शिशु का जन्म के समय वजन 2500 ग्राम (2.5 किलो) से 2900 ग्राम (2.9 किलो) के बीच होता है।
शिशु को पोषण देने वाली अपरा (प्लेसेंटा) का वजन 0.7 किलोग्राम होता है।
शिशु को सहारा और सुरक्षा प्रदान करने वाले एमनियोटिक द्रव का वजन 0.8 किलोग्राम होता है।


बढ़े हुए अतिरिक्त वजन में अन्य दो-तिहाई हिस्सा गर्भावस्था के दौरान शरीर में आए बदलावों का होता है। औसत आंकड़ों के अनुसार:

गर्भावस्था के दौरान, आपके गर्भाशय की मांसपेशीय परत तेजी से बढ़ती है और इसका वजन अतिरिक्त 0.9 किलोग्राम बढ़ जाता है।
रक्त की मात्रा भी बढ़ जाती है और शरीर में अतिरिक्त 1.2 किलोग्राम वजन बढ़ जाता है।
शरीर में अतिरिक्त तरल होता है, जिसका वजन करीब 1.2 किलोग्राम होता हैं
आपके स्तनों का वजन अतिरिक्त 0.4 किलोग्राम बढ़ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान संग्रहित अतिरिक्त चर्बी का वजन करीब 4 किलोग्राम होता है, ताकि स्तनपान के दौरान अतिरिक्त ऊर्जा मिल सके।


गर्भावस्था में आपका वजन वास्तव में कितना बढ़ेगा यह कई कारणों पर निर्भर करता है। आपकी बीएमआई और खानपान इन्हीं कारणों में से दो कारण हैं।

अगले नौ महीनों में आपके शरीर में किस तरह बदलाव आएगा यह आपकी उम्र, नस्ल और एक्सरसाइज के स्तर पर भी निर्भर करता है।
मेरा बॉडी मास इंडेक्स क्या है और इसमें किस तरह बदलाव आएगा?
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) में आपके कद की तुलना में आपके वजन को मापा जाता है। आपका वजन स्वस्थ श्रेणी में है या नहीं, बीएमआई यह जानने का सटीक तरीका है। गर्भावस्था में आपका कितना वजन बढ़ना चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भवती होने से पहले आपका बीएमआई कितना था।

डॉक्टर के साथ पहली प्रसवपूर्व जांच में वे आपके बीएमआई की गणना करेंगी। आप हमारे बीएमआई कैलकुलेटर से अपना बीएमआई पता कर सकती हैं।

भारत में कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश नहीं है कि गर्भावस्था में आपका कितना वजन बढ़ना चाहिए। मगर, अधिकांश महिलाओं को मिलने वाली सामान्य सलाह के अनुसार यह वजन वृद्धि 10 से 12.5 किलोग्राम के बीच होनी चाहिए। सामान्य से अधिक वजन वा​ली महिलाओं का गर्भावस्था में कम वजन बढ़ता है। यदि उनका शिशु उचित विकास कर रहा हो, तो यह दिक्कत की बात नहीं है।

आपका अधिकांश वजन दूसरी तिमाही से बढ़ना शुरु होगा, करीब 20 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद से।

गर्भावस्था से पहले वाली बीएमआई के हिसाब से औसत वजन वृद्धि के बारे में नीचे दी गई तालिका देखें:
गर्भावस्था से पहले बीएमआई बीएमआई कुल वजन वृद्धि दूसरी और तीसरी तिमाही में
वजन वृद्धि की दर (औसत रेंज प्रति सप्ताह)
सामान्य से कम वजन 18.5 से कम 12.7 से 18.1 किलोग्राम 0.5 से 0.6 किलोग्राम
सामान्य वजन 18.5 से 22.9 11.3 से 15.9 किलोग्राम 0.4 से 0.5 किलोग्राम
सामान्य से अधिक वजन 23 से 24.9 6.8 से 11.3 किलोग्राम 0.2 से 0.3 किलोग्राम
मोटापा 25 या इससे अधिक 5 से 9 किलोग्राम 0.2 से 0.3 किलोग्राम
क्या गर्भावस्था में मेरा वजन लिया जाएगा?
हां, डॉक्टर के साथ हर अप्वाइंटमेंट में आपका वजन मापा जाएगा। डॉक्टर इस बात पर ध्यान देंगी कि आपका वजन धीरे-धीरे बढ़े। वे यह सुनिश्चित करना चाहेंगी कि आपका वजन बढ़े, मगर बहुत ज्यादा भी न बढ़े। बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन बढ़ने से बहुत सी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। अनुमानित वजन से ज्यादा वजन बढ़ जाने का असर आपकी डिलीवरी पर भी पड़ सकता है।

आपकी वजन वृद्धि इस बात की तरफ भी इशारा करेगी कि आप पर्याप्त मात्रा में भोजन ले रही हैं। हालांकि, आपकी वजन वृद्धि से शिशु के विकास के बारे में भी संकेत मिल सकते हैं, मगर इसका बेहतर अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आपकी वजन वृद्धि के अनुसार गर्भवती होने से पहले आपका बीएमआई का माप कितना था।

डॉक्टर पूरी गर्भावस्था के दौरान नियमित तौर पर आपके बढ़े हुए पेट का माप लेती रहेंगी, ताकि पता चल सके कि शिशु का विकास कैसे चल रहा है।

यदि आपका शिशु गर्भावस्था के चरण से बड़ा या बहुत छोटा लगे, तो डॉक्टर शिशु की बढ़त जांचने के लिए आपको अतिरिक्त स्कैन करवाने के लिए कह सकती हैं।
अगर मेरा वजन ज्यादा है और मैं गर्भवती हूं, तो क्या होगा?
यदि गर्भधारण करने से पहले आपका बीएमआई ज्यादा था, तो डॉक्टर आपको डाइटिशियन या पोषण विशेषज्ञ के पास जाने के लिए कह सकती हैं। वे आपको स्वस्थ आहार और उचित व्यायाम के बारे में व्यक्तिगत सलाह देंगी। इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि गर्भावस्था में आपका वजन बहुत ज्यादा न बढ़े।

प्रेगनेंसी की शुरुआत में ही सामान्य से ज्यादा वजन होने की वजह से गर्भावस्था और प्रसव के दौरन जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसकी वजह से निम्न समस्याओं की संभावना भी बढ़ जाती है:

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज)
बड़े शिशु का जन्म (मैक्रोसोमिया)
सीजेरियन ऑपरेशन
समय से पहले प्रसव और शिशु का जन्म

दुख की बात यह है कि अत्याधिक मोटापे को मृतशिशु के जन्म (स्टिलबर्थ) के खतरे के साथ भी जोड़ा जाता है। हालांकि, यह खतरा काफी कम होता है।

बहरहाल, गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग बिल्कुल भी न करें। कम कैलोरी वाली या क्रेश डाइट आपको अस्वस्थ बना सकती हैं और इसका असर शिशु पर भी पड़ सकता है। अपना आहार सीमित करने से आपको गर्भावस्था के लिए जरुरी पोषक तत्व जैसे कि आयरन और फॉलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाएंगे। इससे आपको और शिशु दोनों को नुकसान पहुंच सकता है।

इसकी बजाय, स्वस्थ आहार के सेवन और सक्रिय व क्रियाशील रहने की कोशिश करें। इन नौ महीनों में स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। यदि आप अब खाने की अच्छी आदतें विकसित कर लें और नियमित व्यायाम करने लगें, तो इसका न केवल गर्भावस्था में बल्कि आगे भी आपकी सेहत पर अच्छा असर पड़ेगा।

अच्छी सेहत होने से आपकी गर्भावस्था और डिलीवरी आसान रहती है। इससे आपको शिशु के जन्म के बाद अपना वजन कम करने में भी मदद मिलेगी।

अस्वस्थ भोजनों की जगह स्वस्थ विकल्पों को चुनें। बिस्किट, केक, तले हुए स्नैक्स, मीठा और आइसक्रीम में अत्याधिक मात्रा में संतृप्त वसा, नमक और चीनी होती है। इनकी बजाय आप ताजा फल, कम वसा वाला दही, मुट्ठीभर मेवे और स्वस्थ स्नैक्स ले सकती हैं।

मीठे सोडायुक्त पेयों की बजाय सेहतमंद पेय चुनें या इससे भी अच्छा है कि आप पानी पीएं। इस तरह के साधारण बदलाव करने से भी काफी फायदा होगा। और अधिक विकल्पों के लिए आप पौष्टिक और ताजगीभरे पेयों वाला हमारा यह स्लाइडशो देखें।

आप गर्भावस्था एक्सरइसाइज क्लास भी जा सकती हैं, जैसे कि प्रसवपूर्व योग, पिलाटे या एक्वानेटक क्लास। इनमें आपको अपनी जैसी अन्य मांओं से मिलने का मौका और व्यायाम करने का प्रोत्साहन मिलेगा।

दिन में क्रियाशील रहने का प्रयास करें। उदाहरण के तौर पर लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, छोटी वॉक पर जाएं, पड़ोस के बाजार में कार की बजाय पैदल चलकर जाएं। पौष्टिक आहार के सेवन और ज्यादा सक्रिय रहने के उपायों के बारे में अपनी डॉक्टर से बात करें।
अगर मेरा वजन कम है और मैं गर्भवती हूं, तो क्या होगा?
अपनी डॉक्टर से बात करें कि आने वाले महीनों में धीरे-धीरे आप अपना वजन कैसे बढ़ा सकती हैं। विस्तृत और पौष्टिक आहार खाने की उनकी सलाह का पालन करें ताकि शिशु को जरुरी कैलोरी, विटामिन और पोषण मिल सके।

यदि आपकी वजन वृद्धि नियमित दर से होती रहे, तो शिशु के लिए यह सबसे अच्छी बात होगी। यदि आपका ​बीएमआई कम हो, तो आपको एनीमिया होने, समय से पहले प्रसव होने या कम जन्म वजन शिशु होने की संभावना बढ़ जाती है।

समय से पहले और सामान्य से छोटे जन्मे शिशुओं को कई बार जन्म के समय अतिरिक्त देखभाल की जरुरत होती है।
अगर मुझे मधुमेह है और मैं गर्भवती हूं, तो क्या होगा?
यदि आपको मधुमेह है, तो यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि आप अपनी गर्भावस्था की शुरुआत स्वस्थ बीएमआई के साथ करें।

यदि आप अभी गर्भवती नहीं हैं, तो आप अपनी डॉक्टर से मिलें ताकि वे आपको किसी विशेषज्ञ के पास भेज सकें जो सुनिश्चित कर सकें कि आप पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करें। डॉक्टर आपको अपने रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर पर नजर रखने में मदद करेंगी। साथ ही वे सुनिश्चित करेंगी कि आप फॉलिक एसिड की सही खुराक लें।

यदि आप पहले से गर्भवती हैं, तो आपको अपने रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखना होगा। गर्भावस्था के दौरान खुद को और शिशु को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर से स्वस्थ आहार के बारे में सलाह लें। अधिकांश मेटरनिटी अस्पतालों में डॉक्टरों की विशेष टीम होती है, इनमें डायबिटीज विशेषज्ञ और डाइटिशियन भी होती हैं, जो मधुमेह से ग्रस्त गर्भवती मांओं का ख्याल रखने में प्रशिक्षित होती हैं।

कुछ गर्भवती महिलाओं को गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) होती है। ऐसा गर्भावस्था के दौरान खून में बहुत ज्यादा शुगर (ग्लूकोस) होने पर होता है। शिशु के जन्म के बाद गर्भावधि मधुमेह ठीक हो जाती है, क्योंकि यह स्थिति केवल गर्भावस्था की वजह से ही उत्पन्न होती है। मगर गर्भावस्था में यह आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए परेशानी बन सकती है, इसलिए आपको अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
गर्भावस्था में मैं अपने वजन पर नियंत्रण कैसे रख सकती हूं?
अपने वजन को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है स्वस्थ, संतुलित आहार का सेवन और सक्रिय रहना।

गर्भावस्था में वजन वृद्धि के निर्देशों का पालन करना मुश्किल हो सकता है, विशेषकर यदि आपने पहले कभी इतने कार्बोहाइड्रेट्स नहीं खाए हैं और अब हर कोई आपको शायद दो लोगों के लिए खाने की सलाह दे रहा होगा।

दो लोगों के लिए खाने का मतलब सामान्य से दोगुना खाना नहीं है। याद रखें कि आप नन्हे शिशु के लिए खा रही हैं, किसी वयस्क के लिए नहीं!

पहली तिमाही में तो आपको अतिरिक्त कैलोरी की जरुरत भी नहीं होती है। अधिकांश डॉक्टर दूसरी और तीसरी तिमाही में 300 अतिरिक्त कैलोरी के सेवन की सलाह देते हैं।

मगर निम्न स्थितियों में आपके कैलोरी सेवन की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है, जैसे:

गर्भावस्था से पहले आपका वजन सामान्य से कम था
गर्भावस्था से पहले आपका वजन सामान्य से ज्यादा था
आपके गर्भ में एक से ज्यादा शिशु पल रहे हैं


यहां जानें कि गर्भावस्था में आपको कितनी कैलोरी की जरुरत होती है। सेहतमंद आहार के लिए आपको विभिन्न तरह के भोजन खाने चाहिए, जैसे:

चावल, चपाती, ब्रेड, पास्ता, आलू और सीरियल्स (कार्बोहाइड्रेट्स)। जटिल (कॉम्प्लेक्स) कार्बोहाइड्रेट्स चुनें जेसे - भूरे चावल (ब्राउन राइस), किनोआ और साबुत अनाज और मल्टीग्रेन वैरायटी। साबुत आनाज के उत्पाद मैदा से बेहतर रहते हैं। ये भोजन आपके रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखेंगे और लंबे समय तक आपका पेट भरा रहेगा। इस तरह दिन में आपको गैर पौष्टिक भोजन खाने की इच्छा शायद नहीं होगी। आपको शायद लगे कि इन भोजनों से मोटापा बढ़ सकता है, मगर आपके दैनिक आहार में एक तिहाई हिस्सा इनका होना चाहिए।
रोजाना पांच हिस्से फल और सब्जियां। ये भी आपके दैनिक आहार का एक तिहाई हिस्सा होना चाहिए।
प्रोटीन जैसे कि मांस (मगर कलेजी नहीं), मछली, अंडें और दाल-दलहन।
डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, दही, योगर्ट और चीज़। यदि आपका वजन सामान्य से ज्यादा है तो इनका कम वसा वाला विकल्प चुनें।


एक साथ अधिक मात्रा में भोजन न खाएं। अपने पॉर्शन साइज को कम करने के लिए आप छोटी प्लेट ले सकती हैं। कम मात्रा में मगर बार-बार खाने से आपका एसिडिटी और सीने में जलन (हार्टबर्न) से बचाव होगा।

चाट, स्ट्रीट फूड, बिस्किट, केक, आइसक्रीम या सोडायुक्त पयों का सेवन कभी-कभार ही करें।

पारंपरिक तौर पर गर्भवती महिला को घी और पूर्ण वसा वाला दूध लेने की सलाह दी जाती थी, ताकि पर्याप्त कैलोरी मिल सकें। मगर, यदि आप संतुलित आहार खा रही हैं, तो इनसे आपको जरुरी कैलोरी मिल जाएगी।

गर्भावस्था के दौरान जलनियोजित रहना जरुरी है। पर्याप्त पानी पीने से यह फायदा भी है कि आपको एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच और स्नैक्स के बीच संतुष्टि रहती है।

यदि आपको स्वस्थ आहार के विकल्प चाहिए हों तो हमारी तिमाही-दर-तिमाही आहार योजना देखें। इसमें आपको कई स्वादिष्ट और सेहतमंद विकल्प मिलेंगे।
गर्भावस्था में शारीरिक बदलाव को लेकर मैं चिंतित हूं, इसका सामना कैसे करुं?
सबसे पहली और जरुरी बात यह है कि आप यह मानें कि गर्भावस्था के दौरान आपका कुछ वजन अवश्य बढ़ेगा।

यदि पहले आपको अपने व​जन को नियंत्रित करने में परेशानी रही है या फिर आपने अपनी जिंदगी में कभी डाइटिंग नहीं करी है तो ऐसे में आपको यह स्वीकार करने में मुश्किल हो सकती है कि वजन बढ़ना सही है।

जैसे-जैसे वजन बढ़ता है, आपका चिंतित होना सामान्य है। आप ध्यान रखें कि स्वस्थ गर्भावस्था के लिए वजन बढ़ना बहुत जरुरी है। यह अतिरिक्त वजन वृद्धि डिलीवरी के बाद घट जाएंगी।

यदि आप वजन बढ़ने को लेकर परेशान हैं, तो यह चिंता करने वाली आप अकेली नहीं हैं। आप हमारी कम्युनिटी में गर्भावस्था ग्रुप में या बर्थ क्लब में अपनी जैसी अन्य महिलाओं से बात कर सकती हैं और जान सकती हैं कि वे इसका सामना कैसे कर रही हैं।

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