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प्रसव पीड़ा से पहले जब शिशु पूरी तरह बाहर निकलने को तैयार हो जाता है, वह गर्भ से खिसक कर श्रोणि में आ जाता है।
नौवें महीने में डिलीवरी से ठीक पहले इस समय नीचे खिसकता है बच्चा, जानकर हो जाएं तैयार
शिशु को गर्भाशय में सही जगह की जरूरत होती है, ताकि वह गर्भ नलिका से होते हुए बाहर की ओर निकल सके। हालांकि यह बताना बिल्कुल नामुमकिन है कि शिशु किस समय जन्म लेगा, ऐसे में जब शिशु श्रोणी में खिसक जाता है, तो इसे प्रसव के लक्षण के तौर पर समझा जाता है।
बच्चा कब खिसकता है
बच्चा अमूमन गर्भावस्था के 34वे और 36वे सप्ताह में खिसकता है। लेकिन कुछ महिलाओं में ऐसा प्रसव पीड़ा के कुछ क्षण पहले भी हो सकता है। खासकर उन महिलाओं में यह ज्यादा होता है, जो पहली बार गर्भवती हुई हैं। जो महिलाएं एक से ज्यादा बार गर्भवती हो चुकी हैं, उनके गर्भ में बच्चे नीचे की ओर नहीं खिसकते।
यदि आपको महसूस हो रहा है कि आपका बच्चा जगह से खिसक गया है, तो एक बार डाॅक्टर से संपर्क कर लें। बच्चे की सही पाॅजिशन के बारे में जान लें ताकि प्रसव के दौरान कोई समस्या न हो। आमतौर पर गर्भ में बच्चे की पोजीशन बदलती रहती है। लेकिन जन्म के कुछ समय पहले बच्चे नीचे की ओर खिसक जाते हैं।
गर्भावस्था में बच्चे के खिसकने के संकेत
जैसे-जैसे बच्चा नीचे की ओर खिसकता है, आप खुद में निम्न बदलाव महसूस कर सकती हैं-
पेट में बदलाव - आप अपने पेट को नीचे की ओर पहले से ज्यादा लटका हुआ महसूस करेंगी।
सांस लेने में आसानी होगी - नीचे की ओर बच्चे के खिसकने से आपको सांस लेने में सहजता होगी।
श्रोणि में दबाव - जैसे ही आपको लगेगा कि बच्चा नीचे खिसक गया है, आपको श्रोणि में दबाव और दर्द महसूस होने लगेगा।
योनि से स्राव बढ़ेगा - बच्चा जैसे ही श्रोणि में पूरी तरह आ जाता है, वह सर्विक्स पर दबाव बनाने लगता है। इससे आपका म्यूकस प्लग छूट जाता है, जे कि गुलाबी और जैली किस्म स्राव होता है। यह म्यूकस प्लग गर्भाशय में किसी भी बैक्टीरिया को गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय ग्रीवा में घुसने से रोकता है।
बच्चा नीचे आने के लक्षण
बार-बार पेशाब आना - प्रसव के दौरान बच्चे का मुंह जैसे ही बाहर की ओर निकलने को होता है, महिला को बार-बार पेशाब आता है।
पीठ दर्द - बच्चे के खिसकने के कारण महिला की पीठ की मांसपेशियों में दर्द बढ़ जाता है।
भूख बढ़ जाती है - बच्चे के नीचे की ओर खिसकते ही पेट का दबाव और छाती में जलन कम हो जाती है। इस वजह से भूख बढ़ जाती है।
बवासीर - गर्भावस्था में महिला की श्रोणि में बच्चे के सिर का दबाव बनता है। इसी कारण बवासीर होता है। इन दिनों लगातार दर्द, स्राव और ब्लीडिंग होने पर तुरंत डाॅक्टर के पास जाएं।
जब बच्चा प्रसव के समय नीचे की ओर न खिसके तो क्या करें
कई बार डिलीवरी की तारीख आने के बावजूद बच्चा नीचे की ओर नहीं खिसकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप चिंतित हो जाएं। आप कुछ टिप्स के सहयोग से बच्चे की नीचे की ओर खिसकने में मदद कर सकती हैं।
गर्भाशय ग्रीवा खोलने के लिए सही एक्सरसाइज करें।
इस दौरान क्रॉस लेग करके न बैठें। यह पोजीशन बच्चे को पीछे की ओर धकेलती है।
आगे की ओर झुक कर बैठे जिससे बच्चा श्रोणि की ओर खिसकता है।
स्क्वाट्स करें।
विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रॉबेरी विटामिन सी से भरपूर है। यह पौष्टिक तत्व गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में सहायक है। इसके अलावा यह आवश्यक मात्रा में आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है। इतना ही नहीं यह खट्टा-मीठा फल कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है जो गर्भवती महिला को इंस्टेंट ऊर्जा देता है।
हालांकि स्ट्रॉबेरी खाने से पहले उसे अच्छी तरह धो लें ताकि उसमें मौजूद हर तरह के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाएं। ये पदार्थ गर्भवती महिला को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गर्भावस्था में हमेशा धुले और ताजे स्ट्रॉबेरी ही खाएं।
गर्भवती महिला के लिए स्ट्रॉबेरी के फायदे
स्ट्रॉबेरी खाने से गर्भवती महिला को विभिन्न तरह के पोषक तत्व मिल सकते हैं। इसके लाभ निम्न हैं :
फोलिक एसिड - कई अध्ययन बता चुके हैं कि 400 एमसीजी फोलिक एसिड की मदद से जन्म के समय शिशु में किसी तरह की जटिलताओं में 50 फीसदी तक की कमी आती है। स्ट्रॉबेरी में यह तत्व प्राकृतिक रूप से मौजूद है।
विटामिन सी - यह बात आपको पहले से ही पता होगी कि यदि शरीर में खून की कमी हो जाए तो एनीमिया हो सकता है। एनीमिया गर्भवती महिला के लिए बिल्कुल सही नहीं है। स्ट्रॉबेरी का सेवन करने से गर्भवती महिला को विटामिन सी मिलता है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए आयरन के बेहतर अवशोषण में मदद करता है।
मिनरल्स -विटामिन सी और मिनरल्स शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है जो गर्भवती महिला को बीमार पड़ने से रोकता है।
स्ट्रॉबेरी के पोषक तत्व
स्ट्रॉबेरी में पोटैशियम होता है। यह ब्लड प्रेशर को संतुलित करने, मसल्स को नियंत्रित करने और नर्व को सही तरह से संचालित करने में मदद करता है।
स्ट्रॉबेरी में कई अन्य तत्व भी होते हैं जैसे विटामिन बी6 और फाइबर। हालांकि, इनकी मात्रा काफी कम होती है। लेकिन इस फल को खाने से हार्मोन नियमित रहते हैं, शरीर का विकास सही तरह से होता है और अपच की समस्या भी नहीं होती है।
ज्यादा स्ट्रॉबेरी खाने से क्या होता है
भले स्ट्रॉबेरी खाने से गर्भवती महिला को कई तरह के फायदे मिलते हैं। लेकिन यह गर्भावस्था में कुछ नुकसान भी पहुंचा सकते हैं जैसे-
अगर अपको स्ट्रॉबेरी से एलर्जी है तो इस फल से दूर रहें। यह आपकी प्रेग्नेंसी के लिए नुकसानदायक है।
आमतौर पर जिन्हें बर्च पाॅलेन एलर्जी है, उन लोगों को ही स्ट्रॉबेरी से एलर्जी होती है।
एलर्जी होने के बावजूद अगर आप स्ट्रॉबेरी खाती हैं, तो मुंह और गले में छाले तथा जलन हो सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी में काफी ज्यादा मात्रा में पेस्टिसाइड का उपयोग किया जाता है। कोशिश करें कि ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी ही खाएं।
स्ट्रॉबेरी खाने से पहले इसे धोना न भूलें।
यदि आप कोई दवा ले रही हैं, तो स्ट्रॉबेरी खाने से पहले डाॅक्टर से जरूर पूछें।
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