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शिशु की मालिश कब शुरु करनी चाहिए, इस बात को लेकर कोई तय निर्देश नहीं हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ शिशु की तेल या लोशन से मालिश शुरु करने से पहले 10 दिन से दो हफ्तों तक इंतजार करने की सलाह देते हैं।
बहरहाल, प्यार भरे स्पर्श और त्वचा से त्वचा के संपर्क के जरिये शिशु फलते-फूलते हैं, मगर हो सकता है शुरुआती दिनों में इतनी देर तक मालिश करवाना शिशु को अच्छा न लगे।
बहुत से घरों में, जन्म के बाद शिशु को पहली बार घर लाने के बाद से ही रोजाना उसकी मालिश करना एक पुरानी परंपरा है। मगर, नवजात शिशु के त्वचा की सुरक्षात्मक परत यानि स्किन बैरियर अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता, जिसकी वजह से उसकी त्वचा के शुष्क होने या फिर मालिश के दौरान किसी तत्व के प्रति प्रतिक्रिया होने की संभावना रहती है।
मालिश शुरु करने के लिए कुछ दिन इंतजार करने से स्किन बैरियर को विकसित होने का समय मिल जाता है। इस दौरान शिशु का नाभि ठूंठ भी सूखकर गिर जाएगा, यह आमतौर पर पांच से 15 दिन के बीच हो जाता है। मालिश के बाद नाभि ठूंठ पर तेल लगा रह जाने से उस क्षेत्र में इनफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आप या आपके परिवार वाले जन्म के बाद से ही शिशु की तेल मालिश शुरु करना चाहते हैं, तो ऐसा तेल या लोशन चुनें जो शिशुओं के लिए सुरक्षित हो। सारे ही तेल, यहां तक कि सभी प्राकृतिक तेल शिशु की नाजुक त्वचा के लिए सौम्य हों, ऐसा नहीं है। शिशु की मालिश के लिए कौन से तेल अच्छे हैं, हमारे इस लेख में जानें।
मालिश के दौरान पेट और नाभि ठूंठ पर हाथ न फेरें। शिशु के पूरे शरीर पर मालिश तब शुरु करें जब नाभि ठूंठ सूखकर गिर गया हो।
यदि आपके शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है (प्रीमैच्योर शिशु), तो उसकी मालिश करने और उसकी दैनिक दिनचर्या के बारे में डॉक्टर की सलाह का पालन करें। यदि आप मालिश के लिए तेल का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो पहले डॉक्टर से पूछें कि शिशु की त्वचा इसके लिए तैयार है या नहीं और उसके लिए किस तरह का तेल सही रहेगा।
डॉक्टर सलाह देते हैं कि बेहतर है प्रीमेच्योर शिशु की मालिश आप, आपके पति या शिशु की दादी-नानी करें। इसलिए समय से पहले जन्मे शिशु की मालिश जापा बाई या मालिशवाली से न करवाएं।
अधिकांश परिवारों में पहले साल शिशु की रोजाना मालिश की जाती है। कई परिवारों में शिशु के पांच या छह साल का हो जाने तक मालिश जारी रखी जाती है, हालांकि यह रोजाना नहीं की जाती।
मालिश कब तक करनी चाहिए, इसकी कोई उम्र सीमा नहीं है। आप जब तक चाहें शिशु की मालिश जारी रख सकती हैं। आपको यह देखना है कि आपकी दिनचर्या और पारिवारिक परंपराओं में यह कैसे फिट बैठती है और आपका शिशु इसके प्रति कैसे प्रतिक्रिया देता है।
जब आपका शिशु बड़ा होता है और चलना-फिरना शुरु कर देता है, तो उसे पूरे शरीर की मालिश के दौरान लंबे समय तक स्थिर रख पाना मुश्किल है। चाहे आपके शिशु को मालिश करवाना अच्छा लगता हो, मगर ज्यादा समय तक लेटना शायद उसे बेचैन कर सकता है।
मालिश कम समय के लिए करें। जैसे ही आपका शिशु अधीर या बेचैन होने लगे और आपको लगे कि अब वह और मालिश नहीं करवाना चाहता तो आप उसे नहलाने ले जा सकती हैं।
शिशु के बड़े होने के साथ-साथ आप मालिश करने के तरीके में भी बदलाव कर सकती हैं, जैसे कि शिशु को लिटाने की बजाय खड़े करके या बिठा कर मालिश कर सकती हैं। या फिर आप कभी-कभार या फिर केवल सप्ताहांत पर ही मालिश करें। कई मांएं पूरे शरीर की बजाय केवल सिर पर मालिश करना ही जारी रखती हैं।
जब आपका बच्चा बड़ा हो जाता है, तो आप उसे खुद अपनी मालिश करना सिखा सकती हैं। हालांकि, आप जिस तरह से उसकी मालिश करती आई हैं, बच्चा ठीक उसी तरह तो मालिश नहीं कर सकेगा मगर नहाने से पहले त्वचा पर तेल लगाना या नहाने के बाद क्रीम लगाना उसकी दिनचर्या में शामिल हो जाएगा। इससे उसकी त्वचा मॉइस्चराइज रहने में मदद मिलेगी।
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