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रात में उठकर रोने या चिल्लाने लगता है बच्चा, बुरा सपना नहीं ये बात कर रही होती है परेशान
बच्चे बहुत मासूम होते हैं और वो बड़ी आसानी से डर जाते हैं। बच्चों में नाइट टेरर की परेशानी भी देखी जाती है जो पेरेंट्स तक की नींद उड़ा देता है।
रात में उठकर रोने या चिल्लाने लगता है बच्चा, बुरा सपना नहीं ये बात कर रही होती है परेशान
बच्चों को अक्सर रात को सोते समय डर लगता है। उन्हें कभी अंधेरे से डर लगता है तो कभी सोते-सोते उठ जाते हैं। इसमें बच्चे को डर की वजह से नींद नहीं आ पाती है और बच्चों में होने वाली इस कंडीशन को स्लीप डिस्ऑर्डर कहते हैं।
आप इसे ऐसे न समझें कि बच्चे को बुरे सपने देखने की वजह से डर लग रहा है बल्कि उसे इससे भी ज्यादा डर लगता है। ऐसे बच्चे डर की वजह से रात को नींद से उठकर चीखने-चिल्लाने भी लग सकते हैं।
बच्चे में नाइट टेरर के लक्षण और संकेत
नाइट टेरर के दौरान बच्चा रात को बिस्तर से उठकर अचानक बैठ सकता है, वो स्ट्रेस में चिल्ला सकता है, तेज सांस आने लग सकती है या दिल की धड़कन बढ़ सकती है। इसमें बच्चे को पसीना भी आता है और वो डरा हुआ या दुखी रहता है।
कुछ देर बाद बच्चा शांत होकर सो जाता है। नाइट टेरर बुरे सपने से डरने जैसा नहीं होता है क्योंकि इसमें सुबह बच्चे को कुछ याद नहीं रहता है। ये सब जब होता है, तब बच्चा गहरी नींद में होता है इसलिए सुबह उठकर उसे कुछ याद नहीं रहता।
बच्चों में क्यों होता है नाइट टेरर
नींद के दौरान सेंट्रल नर्वस सिस्टम के अति उत्तेजित होने की वजह से नाइट टेरर होता है। नींद के कई स्टेज होते हैं जिनमें रैपिड आई मूवमेंट के दौरान हम सपने देखते हैं।
रैपिड आई मूवमेंट में बहुत गहरी नींद आने पर नाइट टेरर होता है। इसमें इंसान नींद के एक स्टेज से दूसरे स्टेज में चला जाता है। बच्चे के सोने के लगभग दो या तीन घंटे के बाद नाइट टेरर होता है।
किसे होती है नाइट टेरर की परेशानी
ज्यादा थकान, बीमार या तनाव में होने पर, कोई नई दवा लेने, घर से दूर होने या नई जगह पर सोने, नींद पूरी न लेने और बहुत ज्यादा कैफीन की वजह से ऐसा हो सकता है।
यह समस्या बच्चों में कम ही देखी जाती है लेकिन हर बच्चे को कभी न कभी बुरा सपना जरूर आता है। आमतौर पर 4 से 12 साल के बच्चों में नाइट टेरर देखा जाता है लेकिन 18 महीने के शिशु को भी यह परेशानी हो सकती है।
जिन परिवारों में नाइट टेरर की हिस्ट्री हो, वहां पैदा होने वाले बच्चे भी इससे ग्रस्त हो सकते हैं।
कैसे करें बच्चे की मदद
पेरेंट्स के लिए बच्चे में नाइट टेरर होना काफी परेशान करने वाली बात है। नाइट टेरर के कुछ मिनट बाद ही बच्चे अपने आप ठीक हो जाते हैं और वापस सो जाते हैं। इस दौरान बच्चे को जगाएं नहीं। अगर आप बच्चे को इस समय उठा देते हैं, तो उसे शांत होने और दोबारा सोने में दिक्कत हो सकती है।
नाइट टेरर के लिए कोई ट्रीटमेंट नहीं है लेकिन आप बच्चे काे इससे बचाने के लिए जरूर कुछ कर सकते हैं :
बच्चे का स्ट्रेस कम करने की कोशिश करें।
बच्चे के लिए आसान और रिलैक्स करने वाला बेडटाइम रूटीन बनाएं।
आप बच्चे को पर्याप्त आराम करने दें।
बच्चे को ज्यादा थकान न होने दें और रात को देर तक जागने भी न दें।
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