शिशु का पेट फूलने पर क्या करना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 10:17

गैस क्या है और यह शिशु को क्यों होती है?

गैस क्या है?
गैस आपके शिशु के पेट में जमा हवा है। शिशु दूध पीते समय दूध के साथ-साथ बहुत सारी हवा भी अंदर निगल लेता है।

वह रोते समय और यहां तक कि सांस लेते समय भी हवा अंदर गटक सकता है। गैस अंदर जाने से शिशु को पर्याप्त दूध पीए बिना ही पेट भरा-भरा सा महसूस होता है। पेट के अंदर गैस होने से शिशु को बहुत असहजता भी हो सकती है।

कई बार दूध या भोजन अच्छी तरह न पच पाने की वजह से भी अत्याधिक हवा बन सकती है। आंतों में सामान्यत: मौदज बैक्टीरिया दूध या भोजन को फर्मेंट कर सकते हैं, जिससे ज्यादा गैस बनती है। जिन शिशुओं में यह समस्या होती है, वे बीमार से लग सकते हैं और उनका वजन भी सही ढंग से नहीं बढ़ता।

साथ ही, कुछ शिशुओं के पेट में बहुत ज्यादा गैस होती है और उन्हें हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाने की जरुरत होती है। वहीं, कुछ शिशुओं को शायद ही कभी गैस होती है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु को गैस है?
दूध पीते समय आपका शिशु बोतल को चूसना छोड़ सकता है या रोना शुरु कर सकता है या फिर हो सकता है वह दूसरे स्तन से दूध पीने को तैयार न हो। वह कसमसाने और मुंह बनाने लग सकता है, खासकर कि यदि आप उसे दूध पिलाने के बाद लिटाने का प्रयास करें तो।

जिन शिशुओं में गैस बनती है वे अपनी टांगे उपर उठाकर फैलाते हैं और अपनी पीठ को चापाकार में मोड़ते हैं। ये लक्षण कॉलिक या रिफ्लक्स के भी हो सकते हैं।

पहले तीन महीनों में शिशुओं में गैस होना आम है, क्योंकि तब उनकी आंतें पूरी तरह विकसित हो रही होती हैं। छह से 12 महीने ​के शिशुओं में भी ये आम है, क्योंकि वे बहुत से अलग-अलग भोजना पहली बार आजमा रहे होते हैं।
क्या स्तनपान करने वाले शिशुओं को गैस होती है?
स्तनपान करने वाले शिशुओं में बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में कम गैस बनती है। स्तनपान करने वाले शिशु स्तन से दूध के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए वे धीमे-धीमे दूध चूसते हैं, जिससे दूध के साथ कम हवा अंदर जाती है।

स्तनपान करने वाले शिशुओं की कम अवधि के लिए और बार-बार दूध पीने की संभावना होती है। उन्हें सीधे बिठाकर भी दूध पिलाया जा सकता है। इन सबसे शिशु के पेट में कम गैस जाती है।

हालांकि, स्तनपान करने वाले शिशुओं को फिर भी हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाने की जरुरत होती है। खासकर उन परिस्थितियों में, जब आपका शिशु बहुत जल्दी-जल्दी स्तनपान करता हो या फिर आपके दूध का प्रवाह विशेषत: तेज हो।

स्तनपान करने वाले शिशुओं में गैस होने की वजह आपके आहार में मौजूद प्रोटीन के प्रति असहिष्णुता हो सकती है। इस आहार को पहचानकर इसका सेवन बंद करने से मदद मिल सकती है। स्तनपान करवाने वाली माँ के आहार में शामिल डेयरी उत्पाद भी इसका कारण हो सकते हैं।

कुछ सब्जियाों जैसे गोभी, पत्तागोभी, हरी गोभी, राजमा, छोलों को गैस और कॉलिक का कारण माना जाता है। हालांकि, इस बारे में प्रमाण इतने प्रबल नहीं है।

अपने आहार को इतना भी सीमित न करें कि शिशु को भोजन के प्रति संवेदनशीलता होने लगे। मगर यदि आपको लगे कि को विशेष भोजन शिशु को दिक्कत पहुंचा रहा है तो आप उसे अपने आहार से हटाकर देख सकती हैं। स्तनपान करवाने वाली माँ के आहार के बारे में यहा पढ़ें।
बोतल से दूध पीने वाले अपने शिशु को गैस होने से कैसे बचा सकती हूं?
बोतल से दूध के प्रवाह की वजह से शिशु बहुत सारी गैस अंदर निगल सकते हैं। शिशु के पेट में कम गैस जाए, इसके लिए आप शिशु को जितना सीधा हो सके उतना सीधा रखकर बोतल से दूध पिलाएं। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि बोतल को थोड़ा उठाकर रखें, ताकि दूध निप्पल के छेद को पूरी तरह ढक ले।

बोतल में छेद बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं होना चाहिए। छोटे छेद से शिशु परेशान हो सकता है और वह ज्यादा दूध निगलने का प्रयास करता है। बहुत बड़ा छेद होने से दूध का प्रवाह बहुत तेज जोता है।

कुछ बोतले हवा अंदर निगलने से रोकने के लिए तैयार की जाती हैं और ऐसा उनके पैकेट पर लिखा होता है। कुछ मुड़ी हुई होती हैं, वहीं कुछ में आंतरिक छेद या लाइनर होता है, जिससे दूध में हवा के बुलबुले नहीं बनते और निप्पल को गिरने से भी बचाते हैं।

कई बार शिशु को फॉर्मूला में मौजूद प्रोटीन के प्रति असहिष्णुता हो सकती है। यदि ऐसा हो तो डॉक्टर से उचित विकल्प के बारे में पूछ सकती हैं।
शिशु को डकार कैसे दिलाएं?
अगर, आपका शिशु आराम से दूध चूस रहा है, तो उसे डकार दिलवाने के लिए बीच में न रोकें। ऐसा करने पर वह शायद रोने लगे, जिससे और अधिक हवा उसके पेट में जाएगी। शिशु जब खुद ही दूध पीते-पीते बीच में रुके, तब आप उसे डकार दिलवा सकती हैं।

बोतल से दूध पीते हुए जब शिशु निप्पल को छोड़ दे या फिर जब आप एक स्तन के बाद दूसरे स्तन से दूध पिलाने लगें, तो आप उसे डकार दिलवा सकती हैं। इसके बाद जब वह पूरा दूध पी चुका हो, तब उसे दोबारा डकार दिलाएं।

शिशु की पीठ को थपथपाना या मलना गैस बाहर निकालने का प्रभावी तरीका है। याद रखें कि ऐसे में डकार के साथ-साथ वह थोड़ा-बहुत दूध भी बाहर निकाल सकता है, इसलिए हमेशा एक रुमाल या कपड़ा अपने पास रखें, ताकि अपने कपड़ों को गंदा होने से बचा सकें।

शिशु को आमतौर पर तीन मुद्राओं में डकार दिलवाई जाती है। आप इन तीनों को ही आजमा कर देखें, हो सकता है एक की बजाय आपके दूसरी मुद्रा ज्यादा बेहतर लगे।

छाती पर लेकर
बैठाकर
आपकी गोद में मुंह नीचे की तरफ करके

इन अवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमारा वीडियो 'शिशु को किस तरह डकार दिलाई जाए' देखें।
मेरे शिशु को डकार लेने में परेशानी क्यों होती है?
हो सकता है कि आपके शिशु का अपरिपक्व पाचन तंत्र हवा को आगे अंतड़ियों तक जाने देता है, जिससे उसका बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

कुछ शिशुओं के लिए हिचकियां लेना ही गैस बाहर निकालने का एकमात्र तरीका होता है।

अगर आपके शिशु ने कुछ मिनट बीत जाने के बाद भी डकार नहीं ली है, तो इसका मतलब शायद यह है कि उसे डकार लेने की जरुरत नहीं है। मगर, यदि शिशु असहज लग रहा हो, तो उसे डकार दिलाने का प्रयास करती रहें।

आपको शायद शिशु की पीठ को अच्छी तरह थपथपाना होगा और अलग-अलग अवस्थाओं में डकार दिलवानी होगी, तब कहीं जाकर वह डकार ले पाएगा।

अधिकांश शिशुओं को थोड़े बड़े होने पर डकार दिलावाने की जरुरत नहीं होती। जैसे-जैसे वे बड़े होते है, उनका इधर-उधर घूमना शुरु हो जाता है। वे हिल-डुलकर अपने लिए आरामदायक अवस्था चुन सकते हैं।
क्या गैस से राहत पाने की कोई दवाएं हैं?
यदि आपके शिशु को बहुत ज्यादा गैस बन रही हो और मामला गंभीर हो तो डॉक्टर दवा बता सकती हैं। हो सकता है ये वही दवाएं हों, जो कि कॉलिक (उदरशूल) के उपचार के लिए दी जाती हैं।

डॉक्टर गैस दूर करने वाली ऐसी दवा बता सकती हैं जिनमें सिमेथिकोन होता है। यह गैस के बड़े बुलबुलों को छोटा बनाता है। इससे शिशु को गैस आसानी से बाहर निकालने में मदद मिलती है। हालांकि, इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के न दें।।

ग्राईप वाटर एक बहुत पुराना उपचार है, जिसमें जड़ी-बूटियां और सोडियम बाइकार्बोनेट होता है। माना जाता है कि ये जड़ी-बूटियां शिशु के पेट में गर्माहट पहुंचाती हैं और हवा के बुलबुलों को तोड़ देती हैं। वहीं सोडियम बाइकार्बोनेट अम्ल (एसिड) को प्रभावहीन बना देता है।

पहले ग्राईप वाटर में एल्कोहॉल भी मिली होती थी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एल्कोहॉल के शामक प्रभाव (सिडेटिव इफेक्ट) ने ही ग्राईप वाटर को इतना प्रभावी बनाया है। मगर, अब ग्राईप वाटर में एल्कोहॉल नहीं होती है। इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि ग्राइप वाटर काम करता है, मगर बहुत से माता-पिता अभी भी इसको असरकारक मानते हैं।

आपने शायद यह भी सुन रखा होगा कि हर्बल मिश्रण जैसे कि जन्मघुट्टी आदि भी प्रभावी होते हैं। मगर, शिशु को ग्राइप वाटर, जन्मघुट्टी या कोई अन्य हर्बल या आयुर्वेदिक औषधि देने से पहले डॉक्टर से बात करें।

कुछ शिशुओं को एसिड रिफ्लक्स रहता है जिससे उन्हें असहजता होती है और वे रोते हैं और हवा अंदर निकल लेते हैं। डॉक्टर आपके शिशु की जांच करेंगे और निर्णय लेंगे कि शिशु को अतिरिक्त दवा की जरुरत है या नहीं।
शिशु को गैस के दर्द से बचाने और राहत दिलाने के लिए मैं और क्या कर सकती हूं?
शिशु को पेट में गैस बनने पर राहत दिलाने के लिए आप निम्नांकित उपाय आजमा सकती हैं:

दूध पिलाने के दौरान शिशु को सीधा रखें
आप शिशु को दूध पिलाते हुए थोड़ा लंबवत यानि सीधा रखने का प्रयास कर सकती हैं, जिससे स्तनदूध या फॉर्मूला दूध पेट में ज्यादा आसानी से पहुंच सकेगा। यदि शिशु ने खुद को कुंचित यानि कि सिकोड़ा हुआ है या झुका हुआ है, तो उसके भोजन के साथ गैस के फंसने की संभावना ज्यादा रहती है।

शिशु के बहुत भूखा होने से पहले दूध पिलाएं
शिशु के बहुत भूखा होने से पहले ही उसे दूध पिला दें। यदि वह भूख की वजह से रोने लगेगा तो दूध पीने के ​दौरान ज्यादा ​हवा अंदर गटकने की संभावना रहती है। कोशिाश करें कि उसे शांत माहौल में दूध पिलाएं।

शिशु की टांगों को साइकिल चलाने की तरह ​घुमाएं
शिशु को पीठ के बल लिटाएं, उसके पैरों को पकड़ें और धीरे-धीरे उसकी टांगों को साइकिल चलाने के ढंग से ऊपर-नीचे करें। नैपी या डायपर बदलते समय ऐसा किया जा सकता है। ऐसा करने से कुछ शिशुओं को गैस बाहर निकालने में मदद मिलती है और पेट की अन्य असहजताएं भी दूर होती हैं।

शिशु के पेट की मालिश करें
शिशु के पेट पर हल्के हाथों से मालिश करना उसे आराम देने के साथ-साथ गैस बाहर निकालने में भी मदद कर सकता है। और कुछ नहीं तो इससे उसके पेट को आराम मिलेगा। आप अपने शिशु को अपने घुटनों पर आड़ा करके लिटा सकती हैं, उसका पेट नीचे की तरफ होना चाहिए और आप उसकी पीठ को मलें। इससे अतिरिक्त दबाव दूर करने में मदद मिलती है।

शिशु के पेट से गैस दूर करने में मददगार मालिश की तकनीक के बारे में हमारा यह विडियो देखें।

नजर रखें कि शिशु ठोस आहार के साथ कैसे तालमेल बिठा रहा है
जब आपका शिशु छह महीने की उम्र से ठोस आहार खाना शुरु करता है तो देखें कि वह नए भोजनों के साथ ​कैसे तालमेल बिठाता है। वयस्कों की तरह ही शिशु को भी कुछ विशेष सब्जियां जैसे कि फूलगोभी, पत्तागोभी और हरी गोभी आदि खाने पर अतिरिक्त गैस बन सकती है।

यदि आपका बच्चा ये सेहतमंद भोजन खाता है तो यह अच्छी बात है। बस आप यह सुनिश्चित करें कि आप ऐसी गैस पैदा करने वाली सब्जियां लगातार हर भोजन में शामिल न करें।

जब आप शिशु को ठोस आहार खिलाना शुरु करती हैं, तो दूध के अलावा एक और अतिरिक्त पेय के तौर पर पानी सबसे अच्छा विकल्प है। पानी पीने से गैस की समस्या खत्म तो नहीं होगी मगर यह कब्ज में या मलत्याग करने में हो रही परेशानी से राहत दे सकता है। कब्ज के साथ-साथ अक्सर गैस और पेट में असहजता रहती है।

शिशुओं को फलों के रस में मौजूद फ्रुक्टॉस और सरकॉज़ को पचाने में मुश्किल हो सकती है, जिसकी वजह से उसे गैस बन सकती है या दस्त (डायरिया) भी हो सकता। जूस आपके शिशु के उभरते दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकता है और मीठे पेयों का शौक बढ़ा सकता है।

ध्यान रखें कि डॉक्टर शिशु को दो साल की उम्र से पहले जूस देने की सलाह नहीं देते। इसके बजाय ताजा और मौसम के अनुकूल फल, प्यूरी या फिंगर फ़ूड के रूप में खिलाएं!
मेरे शिशु का गैस का दर्द कब गंभीर है?
यदि आपको लगातार तीन दिन से ज्यादा तक कई बार बच्चे का उपचार करने की जरुरत पड़े या फिर गैस के साथ-साथ अन्य लक्षण जैसे कि उल्टी, दस्त या बुखार भी हो तो डॉक्टर से तुरंत बात करें।

हो सकता है आपके बच्चे को कोई अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्या जैसे कि पेट का संक्रमण (गैस्ट्रोएंटे​राइटिस) या लगातार रिफ्लक्स (गैस्ट्रो-इसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज या जीओआरडी) या फिर किसी भोजन के प्रति एलर्जी हो।

इसके अलावा, यदि आपके शिशु का विकास और वजन वृद्धि भी सही तरह न हो रही हो या फिर वह अपने विकासात्मक माइल्सटोन पर उम्मीद से देर में पहुंच रहा हो, तो डॉक्टर को बताएं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info