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शिशुओं में रिफ्लक्स (दूध उलटने) की वजह क्या है?
आपके शिशु की भोजन नलिका उसके मुंह को पेट से जोड़ती है। यह नलिका जहां पेट से जुड़ती है वहां एक वैल्व होता है, जो मांसपेशी के छल्ले द्वारा नियंत्रित होता है। जब आपका शिशु दूध पीता है, तो यह वैल्व दूध को अंदर लाने के लिए खुलता है और फिर बंद हो जाता है ताकि दूध पेट में ही रहे। चूंकि मांसपेशी का यह छल्ला अभी परिपक्व हो रहा होता है, इसलिए हमेशा ठीक से काम नहीं कर पाता।
इसका मतलब है कि जब आपके शिशु का पेट भर जाता है, तो दूध और एसिड भोजन नलिका में वापिस आ सकते हैं और असहजता पैदा कर सकते हैं। जब भी ऐसा होता है, तो आप शायद इसे देख सकेंगी, मगर कई बार आपका शिशु दूध को गटक सकता है या फिर संभव है कि दूध शिशु के मुंह तक आए ही ना। इसे साइलेंट रिफ्लक्स कहा जाता है।
ध्यान रखें कि आपके शिशु का पेट अभी छोटा है, इसलिए वह ज्यादा दूध नहीं पी सकता और दूध का बाहर निकलना सामान्य है। नवजात शिशु के पेट का माप पहाड़ी बादाम जितना होता है। तीन दिन बाद यह बढ़कर अखरोट जितना हो जाता है। जब शिशु 10 दिन का होता है, तो उसके पेट का माप मुर्गी के एक बड़े अंडे के करीब ही होता है।
शिशु के पेट को भोजन नलिका से जोड़ने वाला यह मांसपेशीय वैल्व समय के साथ-साथ मजबूत होता जाएगा। इसका मतलब है कि उसके पेट की क्षमता बढ़ने के साथ-साथ रिफ्लक्स होना भी बंद हो जाएगा। जिन शिशुओं को रिफ्लक्स रहता है उनमें से करीब 90 प्रतिशत को एक साल का होने तक यह परेशानी नहीं रहती।
कई बार रिफ्लक्स को किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति से भी जोड़ा जाता है, जिसमें शिशु की पाचन प्रणाली बहुत धीरे काम करने लगती है। ऐसे मामलों में शिशु के पेट में भोजन ज्यादा समय तक रहता है। ऐसा गाय के दूध से एलर्जी या असहिष्णुता की वजह से संभव है। यदि आपको लगता है कि आपके शिशु के साथ भी ऐसा है तो डॉक्टर से बात करें।
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