पीरियड की जगह स्पॉटिंग का क्या मतलब है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

एक दिन जब आप यूरिन करने के लिए बाथरूम जाती है, तो आपकी नजर अचानक से अपनी पैंटी पर पड़ती है, जिसमें आपको खून के कुछ धब्बे नजर आते हैं। आप देख कर चौंक जाती हैं क्योंकि अभी 15 दिन पहले ही आपके पीरियड्स आकर गए हैं। मन कई तरह की आशंकाओं से भर जाता है। ये क्या है, अब किसके पास जाऊं? इसे इग्नोर कर दूं या डॉक्टर को दिखाना होगा। ये पीरियड है तो दोबारा क्यों हुआ और अगर पीरियड नहीं है, तो क्या है? आप कई घंटों तक इन्हीं सवालों में उलझी रहती हैं।

भूख प्यास सब उड़ जाती है और समझ ही नहीं आता क्या करें? दरअसल यह समस्या कभी भी किसी के भी साथ हो सकती हैं? ये सारे सवाल आज आपके हैं तो कल किसी और के हो सकते हैं। इस बारे में हमने गाइनी डॉक्टर राधा अगरतनिया से बात की। उन्होंने बताया कि स्पॉटिंग कई तरह के कारणों की वजह से हो सकती है, लेकिन इसे पीरियड समझने की भूल न करें।

यह बहुत ही आम समस्या है। अगर आमतौर पर आपके पीरियड्स नियमित रहते हैं और पीरियड्स जाने के कुछ दिन बाद दोबारा से हल्की-हल्की ब्लीडिंग हो रही है, तो यही स्पॉटिंग है। हालांकि यह आपकेअस्वस्थ होने का संकेत नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में यह चिंता की बात हो भी सकती है। अगर इस तरह के लक्षण प्रेगनेंसी में दिखाई दे रहे हैं, तो यह नॉर्मल भी हो सकते हैं और अबनॉर्मल भी। इसलिए ऐसे मामले में डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है। इस कंडीशन में डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाते हैं जिससे पता चल सके कि यह स्पॉटिंग आपके लिए नॉर्मल है या फिर किसी बीमारी का संकेत।

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को जी घबराना, उल्टी, चक्कर आना जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं को इस दौरान स्पॉटिंग या ब्लड डिस्चार्ज की समस्या भी देखने को मिलती है। अक्सर महिलाएं इस गर्भपात समझकर घबरा जाती हैं लेकिन हल्की स्पॉटिंग होना दरअसल नॉर्मल होता है। दरअसल, जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार पर अपनी जड़ें जमाता है उस समय कुछ बूंदें खून की गिरती हैं, जिसे स्पॉटिंग या ब्लड डिस्चार्ज कह सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में से करीब 20-30 फीसदी को गर्भावस्था की पहली तिमाही यानि पहले तीन महीनों में यह वैजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है। आमतौर पर यह लाइट पिंक या डार्क ब्राउन रंग की होती है। हालांकि इसे नज़रअंदाज़ करना भी सही नहीं है, क्योंकि यह एक्टोपिक गर्भावस्था, प्लेसेंटल एबरप्शन, गर्भपात या प्लेसेंटा प्रीविया का संकेत भी हो सकती है। लेकिन अगर स्पॉटिंग से ज्यादा ब्लड देखें तो आपको फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
वेट बढ़ना हो सकता है कारण

बॉडी फैट का ओव्यूलेशन और पीरियड के साथ काफी अहम नाता होता है। आपके फैट सेल्स लेप्टिन नामक हार्मोन का उत्पादन करते है और यह हार्मोन आपके पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। इसलिए अगर बॉडी वेट ज्यादा होगा तो आपको स्पॉटिंग की परेशानी हो सकती है। वहीं अगर लेप्टिन हार्मोन की कमी होगी तो मिस पीरियड या लाइट पीरियड की समस्या हो सकती है। इसलिए आपको बालों का झड़ना, सिर दर्द, हार्मोनल मुंहासे, योनि का सूखापन, निप्पल डिस्चार्ज, स्पॉटिंग जैसी समस्याएं हो, तो डॉक्टर को दिखाएं।
हो सकता है कि आपको आराम की जरूरत हो
अगर आप तनाव या फिर स्ट्रेस का अनुभव कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको सिर्फ मानसिक समस्या है। बल्कि इससे आपके हार्मोन्स भी प्रभावित होते हैं। और यही हार्मोन आपके ब्लड फ्लो के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। हो सकता है कि आप ब्रेकअप स्ट्रेस, एग्जाम स्ट्रेस या हेक्टिक डेडलाइन्स के स्ट्रेस से गुजर रहे हों। स्ट्रेस कैसा भी हो, लेकिन यह आपके पीरियड के ऊपर भारी हो सकता है। अगर ऐसा है तो भी आपको स्पॉटिंग का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको भी महसूस हो रहा है कि यह स्पॉटिंग स्ट्रेस की वजह से है तो आप गहरी सांस लें, जॉगिंग करें और वह सारे काम करें जिससे आपके शरीर और मन को शांति और सुकून मिल सके।
कोई चोट भी हो सकती है -
गर्भाशय की एंट्री को सर्विक्स कहते हैं। ये बहुत नाज़ुक होती है। अगर आपको यहां कोई अंदरूनी चोट लग जाए तो इसमें ब्लीडिंग होती है। कुछ औरतों को ये ब्लीडिंग दूसरों के मुकाबले ज़्यादा होती है। कई बार सेक्स या डॉक्टर के टेस्ट की वजह से यहां चोट लग जाती है। ऐसा भी हो सकता है कि स्पॉटिंग चोट लगने के फौरन बाद हो जाए या कुछ समय बाद।
कोई भी साधारण इन्फेक्शन
कभी कभी किसी इन्फेक्शन के कारण भी स्पॉटिंग हो सकती हैं। ये इन्फेक्शन वैजाइनल इन्फेक्शन के अलावा यूट्रस, सर्विक्स, फेलोपियन ट्यूब में भी हो सकता है। कुछ गम्भीर बीमारियों जैसे सर्वाइकल कैंसर, एंडोमैट्रीओसिस, या बच्चेदानी की दीवार में घाव भी स्पॉटिंग का कारण हो सकता है।
आपको थायरॉइड तो नहीं
वैजाइनल ब्लीडिंग का एक अन्य कारण एक थायरॉइड ग्रंथि का कम सक्रिय होना भी है क्योंकि इसके कारण हार्मोंस में असंतुलन होता है जिसके कारण वैजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है। दरअसल, थायरॉइड आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करने वाले महत्वपूर्ण हार्मोन पैदा करता है। थायरॉइड के अनियमित हो जाने पर ऊर्जा की कमी, भूख में वृद्धि या भूख की कमी, ऐंठन, जोड़ों का दर्द, बाल झड़ना और नाखून टूटना, अचानक वजन बढ़ना या घटाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। तो यदि इन लक्षणों के साथ पीरियड के बीच में स्पॉटिंग होती है तो संभवतः यह थायरॉइड के कारण है।
क्लैमाइडिया भी हो सकता है स्पॉटिंग का कारण
पीरियड के बीच में स्पॉटिंग होने का एक कारण क्लैमाइडिया भी हो सकता है। क्लैमाइडिया सबसे आम यौन संचारित इंफेक्शन (एसटीआई) होता है। यह इंफेक्शन खासतौर पर, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से फैलता है। अगर क्लैमाइडिया का ट्रीटमेंट समय पर न करवाया जाए तो यह इनफर्टिलिटी के रूप में गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स पैदा कर सकता है। ’क्लैमाइडिया में आपको हल्का बुखार, पेल्विक एरिया में पेन, पीरियड्स का इररेगुलर होना, पीरियड के बीच स्पॉटिंग होना, सेक्स के दौरान दर्द, दुर्गंध वाला ग्रीन या दही जैसा व्हाइट डिस्चार्ज जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। क्लैमाइडिया के कारण पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज़ होने, यूट्रस के बाहर भ्रूण बनने और फेलोपियन ट्यूब में समस्या होने का खतरा रहता है। इस कारण प्रेगनेंसी में भी प्रॉब्लम हो सकती है। क्लैमाइडिया के सबसे आम लक्षणों में ब्लीडिंग या पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग होती है। अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं और आपकी उम्र 25 साल से कम है तो आपको हर साल क्लैमाइडिया का चेकअप जरूर करवाना चाहिए।
स्पॉटिंग की एक मुख्य वजह ऑव्यूलेशन

स्पॉटिंग की एक मुख्य वजह ऑव्यूलेशन भी होती है। जब अंडाशय ओव्यूलेशन में एक अंडा छोड़ता है, तो अंडे को बाहर निकालने के लिए छोटे फॉलिकल्स टूट जाते हैं, जो महिलाओं में हल्के धब्बे या स्पॉटिंग का कारण बनते हैं। यह एक दिन तक रहता है। इसके अलावा एस्ट्रोजन में वृद्धि के कारण भी कई बार खून के धब्बे यानी स्पॉटिंग दिख सकती है और ये तब होता है जब अंडा निषेचित नहीं होता है। इसकी भी जांच करवानी जरूरी है।
यह इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी हो सकती है
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग तब होती है, जब भ्रूण गर्भाशय में प्रवेश करता है। तब ये जानना म़ुश्किल हो जाता है कि आपका पीरियड आ गया है या आप गर्भवती हैं। पीरियड के दौरान ब्लीडिंग होने पर महिलाओं को पैड या टैम्पोन लगाने की जरूरत पड़ती है जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग इतनी हल्की होती है कि कभी-कभी इसका पता ही नहीं चल पाता है और पैड लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह मात्र कुछ ही घंटों या कुछ दिन ही रहती है। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग अगर तेज और कई दिनों तक हो तो यह गर्भपात का भी संकेत हो सकती है। इसलिए अगर स्पॉटिंग हो रही है तो संभव है कि यह स्पॉटिंग ना होकर इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो। इसलिए खुद से कुछ भी सोचने के बजाय तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
गर्भाशय फाइब्रॉयड है काफी कॉमन -
फाइब्रॉयड में छोटी, गैर-कैंसरयुक्त या कैंसरकारी गांठ होती हैं जो गर्भाशय के बाहर या अंदर बन सकती हैं। ऐसे फाइब्रॉयड योनि से हल्का रक्तस्राव पैदा कर सकती हैं, जिसमें पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग भी शामिल हो सकती है।
एंडोमीट्रियोसिस टिशू
एंडोमीट्रियल टिशू हर महीने पीरियड के दौरान गर्भाशय सेे अलग हो शरीर से बाहर निकल जाते हैं। एंडोमेटियोसिस तब होता है जब एंडोमीट्रियल टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं। एंडोमीटियोसिस असामान्य ब्लीडिंग और स्पॉटिंग का एक कॉमन कारण है।
अनियमित पीरियड साइकिल -

जब आपकी ओवरी समय पर अपना काम नहीं कर पाती, तो आपको अनियमित पीरियड होते हैं। काम न कर पाने से हमारा मतलब है वक्त पर अंडा न बना पाना। जब अंडा नहीं बनता तो हॉर्मोन्स में असंतुलन आ जाता है और उसकी वजह से होती है स्पॉटिंग। अक्सर ऐसा या तो तब होता है जब लड़कियों को पीरियड्स होना एकदम शुरू हुआ होता है या फिर मेनोपॉज के समय।
गर्भनिरोधक उपाय
अगर आप गर्भधारण की रोकथाम के लिये किसी तरह की बर्थ कंट्रोल दवाओं का सेवन कर रही हैं या हाल में ही आपने किसी नये ब्रांड की गर्भनिरोधक दवा खानी शुरू की है, तो भी स्पॉटिंग हो सकती है। यदि आपने गर्भ निरोधक के रूप में वैजाइना में इंट्रयूटरिन डिवाइस लगवाई है या किसी भी तरह के इम्प्लांट का प्रयोग किया है तो भी स्पॉटिंग हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता होती है।
कुछ दवाईयां भी बनती है वजह -
कुछ स्ट्रांग दवाईयां और ब्लड थिनर्स यानि खून को पतला करने वाली दवाईयां आदि के कारण हार्मोंस में असंतुलन होता है जिसके कारण वैजाइनल ब्लीडिंग या स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूटीआई
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन भी वैजाइनल ब्लीडिंग का एक कारण हो सकता है। यदि आपका ब्लैडर बहुत अधिक संक्रमित है, तो कई बार आपको यूरिन के साथ ब्लड भी दिखाई देता है। इसका जल्द ही उपचार कराया जाना बेहद जरूरी है।
पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
कई बार ऐसी महिलाएं जो पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से ग्रसित होती हैं उनमें हार्मोंस के उतार चढ़ाव के कारण पीरियड्स न होते हुए भी वैजाइना से ब्लीडिंग होने की समस्या हो सकती है। पीसीओडी या पीसीओएस इनफेक्शन का तुरंत इलाज करवाना जरूरी होता है क्योंकि इससे कई तरह की समस्याएं हो जाती है जैसे कि अंडाशयों और डिंबवाही नलिकाओं में मवाद भरे फोड़े विकसित होना, पेट में अंदर की तरफ ऊतकों की पतली परत में जलन व सूजन, बुखार, स्पॉटिंग, मिचली और उल्टी।
यौन उत्पीड़न -
यौन उत्पीड़न भी एक कारण हो सकता है। इसकी वजह से भी स्पॉटिंग की दिक्कत हो जाती है।
मेनोपॉज़ अर्थात रजोनिवत्ति

मेनोपॉज़ अर्थात रजोनिवत्ति के समय भी बीच बीच में स्पॉटिंग होती है। यदि आपको मेनोपॉज़ हुए 1 साल से भी ज्यादा का समय हो गया है और अचानक ही ब्लीडिंग या स्पॉटिंग शुरू हो गई है तो यह सामान्य नहीं है, इसकी तुरंत जांच करवानी चाहिए।
स्पॉटिंग हो सकती है कैंसर का संकेत
स्पॉटिंग खतरनाक कैंसर के कारण हो सकती है। अगर आपको स्पॉटिंग हो रही है तो इसे हल्के में ना लें। दरअसल, महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसर में एंडोमीट्रियल, सर्वाइकल और ओवेरियन कैंसर आता है। ओवेरियन कैंसर को डिंब ग्रंथि या अंडाशय कैंसर भी कहा जाता है। जिसमें ओवरी में सिस्ट अर्थात ट्यूमर बनने शुरू हो जाते हैं और यही सिस्ट बाद में कैंसर का रूप धारण कर लेती है।

सामान्यतः इनमें से किसी भी कैंसर की पहचान नहीं हो पाती है, क्योंकि शुरुआती चरण में इसके लक्षण बेहद कम देखने को मिलते हैं या कहें कि इसके लक्षण आम दिनों के दर्द या साधारण लक्षणों में आते हैं। मगर जब यह कैंसर पेल्विक एरिया और पेट के आसपास फैलने लगता है, तभी इसकी पुष्टि हो पाती है। इसलिए अधिकांश मामलों में इसका इलाज तीसरे या चौथे चरण में ही होता है। यह कैंसर जब अपनी एडवांस स्टेज में पहुंचता है, तब कुछ लक्षण जैसे पेट में सूजन या पेट का फूल जाना, थोड़ा खाते ही भुख मिट जाना, वजन घटना, पेल्विक एरिया में दर्द, कब्ज़, बार-बार यूरिन की इच्छा और स्पॉटिंग नजर आते हैं। इन सभी कैंसर के लिए, प्रारंभिक पहचान महत्वपूर्ण है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो नियमित रूप से लगातार जांच के लिए जाएं।
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) महिलाओं में होने वाला एक ऐसा संक्रमित रोग है, जिसमें गर्भाशय, डिम्बवाही ट्यूबों व अंडाशय में इंफेक्शन और सूजन आ जाती है। दरअसल, जब बैक्टीरिया योनि में प्रवेश करता है तो उससे पेल्विक क्षेत्र भी प्रभावित हो जाता है। फिर यह संक्रमण गर्भाशय ग्रीवा से डिम्बवाही ट्यूबों तक फैल जाता है और उनमें सूजन आ जाती है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण दूसरे यौन संचारित रोगों (जैसे यूटीआई) के समान ही होते हैं इसलिए इसका आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है। पीआईडी की वजह से भी आपके पीरियड में गड़बड़ और स्पॉटिंग होती है।
पीरियड्स और स्पॉटिंग में क्या अंतर है
ब्लीडिंग की मात्रा


यह एक सामान्य तरीका है जिसके जरिए आप स्पॉटिंग और ब्लीडिंग में फर्क जान सकते हैं। पीरियड में खून की मात्रा ज्यादा निकलती है। इसे सोखने के लिये पैड का इस्तेमाल करना पड़ता है और स्पोटिंग में जो खून निकलता है वो बहुत कम मात्रा में निकलता है। कपड़े पर बस खून का धब्बा बन पाएं, इतना।
प्रोटेक्शन क्या चाहिए?

स्पॉटिंग में आपको बड़े पैड के उपयोग की ज़रूरत नहीं होगी। सिर्फ एक पैंटी लाइनर ही पर्याप्त होता है। पीरियड में आपको पैड्स, टैम्पोन, कप आदि की जरूरत पड़ती है और दिन में कई बार पैड चेंज करने पड़ते हैं।
डॉक्टर से कब संपर्क करें

कोई भी महिला जो लंबे समय से स्पॉटिंग का अनुभव कर रही हो, तो उसे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यहां हम आपको कुछ परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जब आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना होगा।

यदि स्पॉटिंग के दौरान चक्कर आएं या गंदी बदबू आए।

यदि आप प्रेगनेंट हैं या आपको लगता है कि आप प्रेगनेंट हो सकती हैं।

अगर आपको पिछले 10 दिनों से लगातार स्पॉटिंग हो रही है।

यदि आपने असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं और स्पॉटिंग शुरू हो गई है।

अगर आपको स्पॉटिंग के दौरान दर्द या ऐंठन भी है।

आप लगातार कोई दवा ले रही हैं और आपको लगे कि यही दवा स्पॉटिंग का कारण हो सकती है।

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