मेरा बच्चा मोटा क्यों नहीं हो रहा है?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 15:27

खूब दूध पीने पर भी नहीं बढ़ रहा है बेबी का वजन, जानिए कैसे कर सकती हैं दूधमुंहे बच्‍चे को मोटा
कई बार शिशु को पर्याप्‍त दूध पिलाने पर भी उसका वजन नहीं बढ़ पाता है और यही बात पेरेंट्स को परेशान करने लगती है।
खूब दूध पीने पर भी नहीं बढ़ रहा है बेबी का वजन, जानिए कैसे कर सकती हैं दूधमुंहे बच्‍चे को मोटा
जन्‍म के बाद 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पिलाया जाता है। शिशु को इसी से पर्याप्‍त पोषण और एनर्जी मिल जाती है। मां के पीले गाढ़े दूध में कई तरह के पोषक तत्‍व और इम्‍यूनिटी को बढ़ाने वाले एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं। ये शिशु को बीमारियों से बचाने और विकास में मदद करते हैं।
कुछ मामलों में पर्याप्‍त दूध पिलाने पर बच्‍चे का वजन नहीं बढ़ता है। इसे लेकर अक्‍सर पेरेंट्स चिंता में आ जाते हैं कि शिशु को पूरा पोषण मिल पा रहा है या नहीं। अगर आप भी इस बात को लेकर परेशान हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
शिशु की नॉर्मल ग्रोथ
बच्‍चे का वजन बढ़ने का कोई फिक्‍स पैटर्न नहीं होता है। सभी बच्‍चों का वजन अलग-अलग तरीके से बढ़ता है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता जरूर है और इससे बच्‍चे के विकास को ट्रैक करने में मदद मिलती है।

जन्‍म के बाद पहले हफ्ते में शिशु का 10 पर्सेंट वजन घटता है लेकिन अगले एक या दो हफ्ते में यह वजन वापिस बढ़ जाता है। अगले तीन महीनों में ठीक तरह से दूध पीने पर रोज बच्‍चे को 30 ग्राम वेट बढ़ता है।

हर बच्‍चा अलग होता है और यह बताना मुश्किल होगा कि बेबी का कितना वजन बढ़ेगा। हालांकि, बच्‍चे का धीमी गति से वजन बढ़ने का मतलब है कि उसे पर्याप्‍त पोषण नहीं मिल पा रहा है।
​शिशु के धीमे विकास का कारण
नवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाना चाहिए। समय के साथ बच्‍चे की भूख बढ़ती जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने के लिए शिशु जितनी कैलोरी खर्च करता है, उससे ज्‍यादा कैलोरी उसे मिलनी चाहिए।

लगातार बच्‍चे का वजन न बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि पर्याप्‍त मात्रा में कैलोरी न मिलना, पोषक तत्‍वों को न सोख पाना और कैलोरी ज्‍यादा खर्च करना।
​पर्याप्‍त कैलोरी न लेना

शिशु के लिए कैलोरी का एक ही स्रोत है और वो है ब्रेस्‍टमिल्‍क। जब शिशु को पर्याप्‍त कैलोरी नहीं मिलती है, तो उसका विकास धीमा पड़ जाता है। स्‍तन ठीक तरह से न खींच पाने, दिन में कम बार स्‍तनपान करवाने, देर तक दूध न पिलाने और ब्रेस्‍ट मिल्‍क कम आने पर ऐसा हो सकता है।

हर एक से दो घंटे में शिशु को दूध पिलाएं। अगर आपको ब्रेस्‍ट मिल्‍क नहीं आ रही है या शिशु दूध नहीं खींच पा रहा है तो अपने डॉक्‍टर से बात करें।
​पोषक तत्‍व न सोख पाना
कुछ मामलों में ठीक तरह से दूध पिलाने पर भी शिशु विकास धीमा होता है। ऐसा बेबी के किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण दूध से पोषक तत्‍वों को न सोख पाने पर होता है।

गैस्‍ट्रोइसोफेजल रिफलक्‍स या फूड एलर्जी या फूड सेंसिटिविटी से पोषक तत्‍वों को सोखने में दिक्‍कत हो सकती है। दूध पीने के तुरंत बाद बच्‍चे को उल्‍टी हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।
​ज्‍यादा कैलोरी बर्न करना

शरीर के जरूरी कार्यों को करने के लिए शिशु कैलोरी का इस्‍तेमाल करता है। इसके अलावा बच्‍चा ऐसा कोई काम नहीं करता है जिसमें ज्‍यादा कैलोरी बर्न होती हो। लेकिन कुछ बच्‍चे कैलोरी को जल्‍दी पचा लेते हैं इसलिए उन्‍हें ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है। प्रीमैच्‍योर बर्थ के मामले में हार्ट डिजीज या सांस से जुड़ी परेशानियों में शिशु को नॉर्मल से ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है।

धीमे विकास के मामले में आपको पीडियाट्रिशियन से बात करनी चाहिए। डॉक्‍टर परिस्थिति की जांच कर के सही इलाज बता पाएंगे।

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