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नाक बहने के कारण शिशु को मुंह से सांस लेनी पड़ सकती है। मुंह से सांस लेने पर शिशु को ब्रीदिंग डिहाइड्रेशन हो सकती है। इसलिए शिशु को ब्रेस्ट या फॉर्मूला मिल्क ज्यादा पिलाएं। छह महीने से अधिक उम्र के बच्चे को पानी और अन्य तरल पदार्थ भी दे सकती हैं।
शिशु की सरसों के तेल से करेंगी मालिश तो हड्डियां होंगी मजबूत, जान लें मालिश का तरीका
लेटना
लेटने से शिशु की नाक में कंजेशन और बढ़ सकता है। इससे उसे सोने में भी दिक्कत हो सकती है। शिशु के शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊंचा कर के लिटाएं। इससे कंजेशन कम करने में मदद मिल सकती है।
पेट्रोलियम जैली
नाक के लगातार गीले रहने की वजह से बच्चे को नाक में दर्द महसूस हो सकता है और इसकी वजह से उसकी स्किन पर भी जलन हो सकती है। इस हिस्से को सुरक्षित रखने के लिए पेट्रोलियम जैली की एक परत लगाएं। बच्चे को वेपर रब न लगाएं क्योंकि इसकी वजह से जलन या सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
शिशु की सरसों के तेल से करेंगी मालिश तो हड्डियां होंगी मजबूत, जान लें मालिश का तरीका
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सरसों का तेल रक्त प्रवाह को बेहतर करता है और शिशु की संपूर्ण सेहत में सुधार लाता है। शिशु की रोज मालिश करने से शरीर स्वस्थ और मजबूत बनता है। इसके अलावा शरीर में गरमाई रखने में सरसों का तेल बहुत मदद करता है। यही वजह है कि ठंड के मौसम और ठंडे इलाकों में शिशु को गरम रखने के लिए सरसों के तेल का ही इस्तेमाल किया जाता है।
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लहसुन की कुछ कलियां लें और उसे सरसों के तेल में डालकर हल्का गर्म कर लें। अब तेल के थोड़ा ठंडा होने पर शिशु की छाती पर लगाएं। इस तरह शिशु में खांसी और जुकाम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसमें आप लहसुन की जगह तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं।
सरसों के तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इससे मालिश करने पर बच्चे को त्वचा संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। सरसों का तेल शिशु को कई तरह के स्किन इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है।
शिशु के बालों की ग्रोथ में सुधार के लिए सरसों का तेल बहुत असरकारी होता है। रोज बालों और सिर की इस तेल से मालिश करने से बालों की ग्रोथ अच्छी होती है।
सरसों का तेल बच्चों को मच्छरों के काटने से भी बचाता है। इस तेल की तेज गंध शिशु को मच्छरों से दूर रखती है।
सरसों के तेल में कई एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद हैं और यही वजह है कि इस तेल की मालिश से बच्चे की स्किन स्वस्थ रहती है और त्वचा पर किसी तरह का कोई संक्रमण नहीं होता है।
शिशु को अक्सर फंगल इंफेक्शन हो जाता है जाे कि बहुत परेशानी पैदा करता है। अगर आप अपने बच्चे की सरसों के तेल से मालिश करते हैं तो फंगल इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
आप शिशु को इस तेल का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने के लिए निम्न तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं।
पहले तेल को उबाल लें और फिर उसे ठंडा कर के एक बोतल में भर लें। नहाने से पहले रोज इस तेल से शिशु के सिर और शरीर की मसाज करें।आप चाहें तो इस्तेमाल से कुछ मिनट पहले आवश्यकतानुसार तेल गर्म कर के भी प्रयोग कर सकती हैं।सरसों के तेल में अजवाइन उबालकर उसे ठंडा होने दें। अब इसे तेल से शिशु की मालिश करें।आप सरसों के तेल में लहसुन की कलियां या तुलसी की पत्तियां डालकर भी गर्म करके इस्तेमाल कर सकती हैं।
अदरक और शहद
बहती नाक को ठीक करने के लिए अदरक और शहद बहुत असरकारी नुस्खा है। अदरक का एक टुकड़ा लें और उसे घिसकर उसका रस निकाल लें। अब इसमें शहद मिलाएं और इस मिश्रण काे बच्चे को दिन में दाे से तीन बार लें।
सरसों का तेल
बच्चों की बहती नाक को रोकने के लिए सरसों का तेल भी अच्छा उपाय है। सरसों के तेल को हींग, लहसुन की कली और अजवाइन के साथ हल्का गर्म कर लें। इससे शिशु की पीठ और छाती की मालिश करें। एक दो बार मालिश करने से ही शिशु को आराम मिल जाएगा।
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नारियल तेल और कपूर
शिशु में बहती नाक से छुटकारा पाने का सबसे असरकारी उपाय नारियल तेल और कपूर भी है। नारियल तेल में कपूर डालकर गर्म करें। इस तेल को शिशु की छाती, पीठ और गर्दन पर लगाएं। इससे न सिर्फ नाक में जमा कफ साफ होगा बल्कि बहती नाक भी रुकेगी और बच्चा चैन की नींद ले पाएगा।
जायफल
बहती नाक को बंद करने के लिए जायफल के साथ दूध प्रभावशाली नुस्खा है। एक चुटकी जायफल में कुछ चम्मच दूध डालें। इसे उबालकर हल्का ठंडा होने दें। अब इसे शिशु की पीठ पर लगाएं। ये बंद नाक से तुरंत राहत दिलाता है।
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