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स्वरोदय अर्थात नाक के छिद्रों से ग्रहण किया जाने वाला सांस जो वायु के रूप में होता है। स्वरोदय विज्ञान में तीन प्रकार के स्वरों के बारें में बताया गया है। नासिका (नाक) के दाहिने छिद्र से चलने वाला स्वर को सूर्य स्वर कहते है। नासिका (नाक) के बॉयें छिद्र से चलने वाले स्वर को चन्द्र स्वर कहते है। नासिका (नाक) के दोनों छिद्रों से चलने वाली सॉस को सुषुम्ना नाड़ी कहते है।
गर्भधारण के लिए अपनाइये ये 10 फेंग शुई टिप्स
पांच तत्वों माने जाते है। पृथ्वी तत्व, जल तत्व, वायु तत्व, अग्नि तत्व, तथा आकाश तत्व। आपके हाथ की पॉचों अॅगुलियॉ इन्हीं पांचों तत्वों का प्रतीक है। यह तत्व आपके साथ सदा चलते रहते है। स्वरोदय विज्ञान बहुत बेहतरीन विज्ञान है किन्तु हम इसकी गहराई में न जाकर अपने मुख्य विषय पर आते है। अधिकतर मनुष्य मनचाही सन्तान प्राप्त करने के लिए आतुर रहते है। यदि किसी को लड़कियॉ जन्मती है तो पुत्र प्राप्ति का इच्छुक रहता है और यदि किसी जातक को अधिक पुत्र है तो वह चाहता है कि काश एक लक्ष्मी रूपी कन्या मेरे घर में भी होनी चाहिए। आपकी यह इच्छा स्वरोदय विज्ञान के माध्यम से अवश्य पूरी हो सकती है।
यह माना जाता है कि स्त्री को मासिक स्राव के बाद स्नान करने के बाद पश्चात चौथे दिन से सोलहवें दिन तक विषय भोग करने से गर्भ की प्राप्ति होती है। इस विषय में मुहूर्त चिन्तामणि में विशेष वर्णन है।
कैसे पायें मनचाही सन्तान
जब पुरूष का सूर्य स्वर (दॉहिना स्वर) चल रहा हो तथा स्त्री का चन्द्र स्वर (बॉया स्वर) चल रहा हो तो विषय भोग करने से जो गर्भ ठहरेगा उससे पुत्र की प्राप्ति होगी। किन्तु जब पुरूष का चन्द्र स्वर (बायॉ स्वर) चल रहा हो और स्त्री का सूर्य स्वर (दॉहिना स्वर) चल रहा हो तो विषय सम्भोग करने से पुत्री की प्राप्ति होती है।
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