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किडनी की समस्याओं, किसी प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन, चिंता, तनाव या डिमेंशिया जैसी बीमारियों में भी भूख खत्म हो जाती है। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कारण हैं, जो किसी व्यक्ति की भूख को प्रभावित कर सकते हैं। जब हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से नीचे चला
Continue reading wordpress 1 year ago hindi 0 viewsडिलीवरी चाहे नॉर्मल हो या ऑपरेशन से, दोनों ही स्थितियों में 40 दिन तक आराम करने की सलाह दी जाती है। डिलीवरी के बाद महिलाओं के 40 दिन के रिकवरी टाइम को जापा कहा जाता है और ये 40 दिन बहुत अहम होते हैं। इस दौरान शरीर के कई घाव
Continue reading wordpress 1 year ago hindi 0 viewsज्यादातर महिलाएं अपने अनियमित पीरियड्स को लेकर काफी परेशान रहती हैं। हर महिला की पीरियड साइकिल अलग होती है। किसी की 28 से 30 दिन तो किसी की 35 दिन लेकिन इससे भी ज्यादा लेट हो जाए तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए। पीरियड्स मिस होने की सबसे आम
Continue reading wordpress 1 year ago hindi 0 views आमतौर पर गर्भपात होने के बाद लगभग दो हफ्ते तक ब्लीडिंग होना सामान्य बात है। सर्जिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग कम होती है, लेकिन दवाओं से किए एबॉर्शन में लगभग 9 दिनों तक ब्लीडिंग होती है। हालाँकि, कुछ मामलों में ब्लीडिंग ज्यादा-कम भी हो सकती है।
इस दौरान
35 सप्ताह की गर्भावस्था में भ्रूण विकास
आपका शिशु अब एक बड़े खरबूजे जितना भारी हो गया है, लगभग 2.4 किलोग्राम। उसकी लंबाई करीबन 46.2 सें.मी. (18.2 इंच) हो गई है। अगले कुछ हफ्तों में उसका प्रतिदिन करीब 28 से 30 ग्राम वजन बढ़ेगा।
संभव है कि आप केवल अपने पेट को
कई बार बच्चे एक बार जाग जाएं तो दोबारा सो नहीं पाते हैं और इससे उनकी स्लीपिंग साइकिल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर आपका बच्चा भी रात को चैन से सो नहीं पाता है और अचानक से उठ जाता है तो उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आपको
Continue reading wordpress 1 year ago hindi 0 views जुड़वां बच्चे होने के क्या कारण हो सकते हैं:
अधिक उम्र के बाद कंसीव करने पर जुड़वा बच्चों की संभावना बढ़ जाती है।
“महिला की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके जुड़वां शिशु होने की संभावना बढ़ती जाती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में एफएसएच (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग
प्रेग्नेंसी के 32वें हफ्ते में शिशु का वजन 1.81 किलोग्राम के आसपास होता है और आखिरी हफ्ते में 2.5 से 3.5 किलो वजन होना चाहिए। ऐसे में प्रेगनेंट मां अपने आहार की मदद से गर्भस्थ शिशु का वजन बढ़ाने का काम कर सकती है।
अगर आपको लग रहा है कि नौवें
घुटनों के बल चलना शिशु के शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। चलने से शिशु की हड्डियों में मजबूती आती है और उनमें लचीलापन आता है जो शिशु को पैरों पर चलने, दौड़ने, शरीर को मोड़ने और घुमाना सीखने के लिए जरूरी है। इसलिए शिशु जब
प्रेग्नेंसी में मिल रहे कुछ संकेत बता सकते हैं पेट में बेटी है या बेटा, जानिए ये संकेत सच हैं या झूठ
आप बेटी की मां बनने वाली हैं या बेटे की। गर्भावस्था के पहले दिन से ही यह जानने की चाह बहुत ज्यादा होती है। मौजूद है पेट में बेटा